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रक्षात्मक जिहाद

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रक्षात्मक जिहाद (अरबीः الجهاد الدفاعي) का मतलब है ऐसे दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई जो इस्लाम धर्म को खत्म करने या इस्लामी इलाक़ों पर हमला करने की कोशिश करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इस्लाम की रक्षा करना और मुसलमानों की जान, माल और इज्जत की सुरक्षा करना है।

रक्षात्मक जिहाद, प्राथमिक जिहाद के विपरीत है। प्राथमिक जिहाद वह युद्ध है जिसमें मुसलमान खुद काफिरों (गैर-मुसलमानों) के खिलाफ लड़ाई शुरू करते हैं और इसका उद्देश्य इस्लाम का विस्तार करना होता है। कुछ शिया विद्वानों ने रक्षात्मक जिहाद को प्राथमिक जिहाद से बेहतर बताया है।

फुक़हा के अनुसार, सभी मुसलमानों पर यह वाजिब है कि अगर उनके देश पर हमला हो जाए तो वे उसकी रक्षा करें। इसके लिए बस यही शर्त है कि उस व्यक्ति में दुश्मन का मुकाबला करने और रक्षा करने की ताकत और क्षमता हो। रक्षात्मक जिहाद (यानी जब देश की रक्षा करनी हो) के लिए, प्राथमिक जिहाद विपरीत इमाम मासूम (अ) या उनके प्रतिनिधि की मौजूदगी या अनुमति जरूरी नहीं है।

फुक़्हा के फ़तवा अनुसार, अगर रक्षात्मक जिहाद का समय अल्लाह के दूसरे वाजिब या हराम कामों से टकरा जाए—जैसे कि हज के अरकान के साथ एक ही वक़्त पर हो जाना या हराम महीनों में लड़ाई करना—तो रक्षात्मक जिहाद को इन सब पर प्राथमिकता दी जाएगी।

रक्षात्मक जिहाद की परिभाषा और महत्व

रक्षात्मक जिहाद से तात्पर्य उन दुश्मनों से लड़ने से है जिन्होंने इस्लामी भूमि पर आक्रमण किया है।[] इस प्रकार का जिहाद इस्लाम[] और इस्लामी भूमि की रक्षा के लिए किया जाता है।[] रक्षात्मक जिहाद प्राथमिक जिहाद के विपरीत है, जो एक ऐसे युद्ध को संदर्भित करता है जिसे मुसलमान स्वयं शुरू करते हैं और बहुदेववादियों और काफिरों को इस्लाम में आमंत्रित करने के लिए किया जाता है।[]

13वीं सदी के एक न्यायविद जाफ़र काशिफ़ अल-ग़ेता ने रक्षात्मक जिहाद को प्राथमिक जिहाद से बेहतर माना।[] अधिकांश फ़ुक़्हा का मानना है कि रक्षात्मक जिहाद में मारे गए लोगों को प्राथमिक जिहाद में मारे गए लोगों की तरह ही शहीद माना जाता है और शहीदों के अहकाम उन पर लागू होते हैं।[]

रक्षात्मक जिहाद का वुजूब और उसकी शर्तें

फ़ुक़्हा के फतवों के अनुसार, रक्षात्मक जिहाद उन लोगों पर जिनके पास लड़ने की शक्ति है (पुरुष और महिला, युवा और बूढ़े, स्वस्थ और बीमार, और युद्ध के स्थान से दूर और निकट) वाजिब किफाई है।[] इसलिए, इसकी एकमात्र शर्त "व्यक्ति की शक्ति और बचाव और प्रतिरोध करने की क्षमता" है।[] और इसका दायित्व, प्राथमिक जिहाद के विपरीत,[] इमाम (अ) या उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति या अनुमति से सशर्त नहीं है।[१०]

रक्षात्मक जिहाद के वुजूद का कारण, तर्कसंगत कारणों (अक़ली दलीलो) के अलावा,[११] इस्लामी देशों के विनाश और इस्लाम पर अविश्वास और बहुदेववाद की विजय को रोकना माना गया है।[१२] शिया न्यायविद साहिब जवाहर ने क़ुरआन और हदीस[१३] के साथ-साथ आम सहमति (इज्माअ)[१४] के साथ रक्षात्मक जिहाद के वुजूद का दस्तावेजीकरण किया है।[१५]

नियम

रक्षात्मक जिहाद के कुछ नियम इस प्रकार हैं:

  • फ़ुक़्हा के बीच लोकप्रिय दृष्टिकोण के अनुसार, रक्षात्मक जिहाद केवल उन मुसलमानों पर वाजिब नहीं है जो दुश्मन के हमले के अधीन हैं; बल्कि, सभी मुसलमानों का दायित्व है कि वे इस्लामी भूमि पर हमला किए जा रहे मुसलमानों का बचाव करें।[१६] और जब तक रक्षा की आवश्यकता उत्पन्न नहीं होती है, तब तक किसी को भी दायित्व से छूट नहीं दी जाती है।[१७]
  • रक्षात्मक जिहाद और हज जैसे दूसरे अल्लाह के फर्ज़ो के बीच टकराव की स्थिति में, रक्षात्मक जिहाद उन पर प्राथमिकता ले लेता है।[१८] इसी तरह, अगर इस्लामी भूमि की रक्षा के लिए दैवीय रूप से निषिद्ध कार्य करने की आवश्यकता होती है जैसे कि एक अत्याचारी सुल्तान के साथ सहयोग करना,[१९] पवित्र महीनों के दौरान लड़ना,[२०] या एक मुसलमान को मारना जिसे मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया हो। शेख़ तूसी, अल मबसूत, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 283 अल्लामा हिल्ली, तलख़ीस अल मराम, 1421 हिजरी, पेज 79

ऐसा करना जायज़ है।

रक्षात्मक जिहाद के प्रकार

जाफ़र काशिफ़ अल-गेता के दृष्टिकोण से, जिहाद के पाँच प्रकार हैं, जिनमें से चार रक्षात्मक हैं और केवल एक प्राथमिक है। रक्षात्मक जिहाद के चार प्रकार हैं:

  1. मुस्लिम भूमि पर काफिरों के आक्रमण के खिलाफ इस्लाम की नींव की रक्षा के लिए जिहाद, जो इस्लाम को मिटाने और अविश्वास और उसके संकेतों को स्थापित करने के उद्देश्य से किया जाता है;
  2. मुसलमानों के खून और सम्मान के साथ हमलावरों को पीछे हटाने के लिए जिहाद;
  3. उन मुसलमानों की रक्षा के लिए जिहाद जो काफिरों के एक समूह के साथ संघर्ष में हैं[२१] और उन्हें डर है कि काफिर उन पर हावी हो जाएंगे;
  4. मुस्लिम भूमि पर हावी होने वाले काफिरों को खदेड़ने के लिए जिहाद।[२२] यह प्रकार अन्य प्रकारों से बेहतर है।[२३]

रक्षात्मक जिहाद और प्राथमिक जिहाद मे अंतर

रक्षात्मक जिहाद और प्राथमिक जिहाद की अवधारणा और सीमाओं को स्पष्ट करने के लिए, न्यायविदों ने दोनों के बीच कुछ अंतरों का उल्लेख किया है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • रक्षात्मक जिहाद का उद्देश्य इस्लाम के विलुप्त होने और इस्लामी समुदाय के विनाश को रोकना और मुसलमानों की स्वतंत्रता, जीवन और सम्मान की रक्षा करना है;[२४] लेकिन प्राथमिक जिहाद इस्लाम के दायरे को बढ़ाने और विस्तार करने के लिए किया जाता है।[२५]
  • प्राथमिक जिहाद में वर्णित वुजूद की कोई भी शर्त रक्षात्मक जिहाद में आवश्यक नहीं है और बचाव करने की क्षमता ही पर्याप्त है।[२६]
  • प्राथमिक जिहाद केवल काफिरों के खिलाफ किया जाता है; हालाँकि, रक्षात्मक जिहाद किसी भी दुश्मन के खिलाफ बचाव है; चाहे वह काफिर हो या मुसलमान।[२७]
  • प्राथमिक जिहाद में, अक़्द ज़िम्मी, सुरक्षा, शांति और संधि के अनुबंध का उल्लंघन करना जायज़ नहीं है; हालाँकि, रक्षात्मक जिहाद में, अगर दुश्मन की शक्ति का डर पैदा होता है, तो इन मामलों का उल्लंघन और इस तरह की चीजें जायज़ हैं।[२८]
  • रक्षात्मक जिहाद में, अगर बैतुल-माल का सार्वजनिक बजट अपर्याप्त है, तो शासक लोगों से जबरन रक्षा खर्च वसूल सकता है। प्राथमिक जिहाद के विपरीत, जिसके वुजूब की शर्त मुसलमानों की वित्तीय क्षमता है।[२९]

जिहादी फ़तवों के उदाहरण

मुहम्मद हसन रजबी द्वारा लिखित रसाइल व जिहादी फ़तवे

जब इस्लामी भूमि विदेशी आक्रमण के संपर्क में आई, तो न्यायविदों ने फ़तवे जारी करके लोगों से दुश्मन से आत्मरक्षा करने का आग्रह किया, जैसे:

  • रूसी आक्रमण का सामना करने से संबंधित जिहादी फ़तवे: ये फतवे मुख्य रूप से 1218 से 1229 हिजरी तक ईरान-रूस युद्ध से संबंधित हैं, जिसके कारण गुलिस्तान संधि हुई, और 1241 हिजरी से भी संबंधित हैं। उदाहरण के लिए: शेख जाफ़र काशिफ़ अल-गेता द्वारा 13वीं शताब्दी में फ़तह अली शाह क़ाजार को 1228 हिजरी में रूसी आक्रमण के खिलाफ इस्लामी भूमि की रक्षा करने की अनुमति देना और रूसी कब्जे का सामना करने के लिए लोगों को जिहाद का फ़तवा दिया।[३०]
  • मज़ारों पर वहाबी हमले का मुकाबला करने के लिए जिहाद का फ़तवा: शेख जाफ़र काशिफ़ अल-ग़ेता द्वारा 1217 हिजरी में नजफ और कर्बला पर वहाबी हमले पर फ़तवा, वह दो सौ न्यायविदों और मुजाहिदीन के साथ, वहाबियों को पीछे हटाने में सक्षम रहे।[३१]
  • फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए फ़तवा: मुहम्मद हुसैन काशिफ अल-ग़ेता,[३२] आयतुल्लाह बुरूर्जदी[३३] और इमाम खुमैनी[३४] जैसे न्यायविदों ने फिलिस्तीन के लोगों की रक्षा करने के वुजूब पर फ़तवा जारी किया है।
  • आईएसआईएस के खिलाफ जिहाद पर फ़तवा: इराक में रहने वाले एक धार्मिक अधिकारी आयतुल्लाह सिस्तानी ने 1393 शम्सी में आईएसआईएस का मुकाबला करने के लिए आईएसआईएस के खिलाफ़ जिहाद का फ़तवा जारी किया।[३५]

मोनोग्राफ़ी

पुस्तक "रसाइल और जिहादी फतवो सहित: औपनिवेशिक शक्तियों के साथ जिहाद में इस्लामी विद्वानों के ग्रंथ और फतवा" में 1200 और 1338 हिजरी के बीच न्यायविदों द्वारा जारी किए गए 95 रसाइल और फतवे शामिल हैं। इस संग्रह को मुहम्मद हसन रजबी द्वारा एक खंड में संकलित किया गया था और 1378 में संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय (वज़ारत फ़रहंग व इरशाद) द्वारा प्रकाशित किया गया था।[३६]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. अबु अल सलाह हल्बी, अल काफ़ी फ़िल फ़िक़्ह, 1403 हिजरी, पेज 246; शहीद सानी, मसालिफ उल इफ़्हाम, 1313 हिजरी, भाग 3, पेज 8; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 15
  2. देखेः शेख़ तूसी, अल मबसूत, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 8
  3. शहीद सानी, अल रौज़ा अल बह्हीया, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 379; नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 4
  4. सरामी व अदालत नेज़ाद, जिहाद, 1386 शम्सी, भाग 11, पेज 434
  5. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ अल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 289
  6. देखेः मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1346 शम्सी, भाग 1, पेज 311; जिकरा अल शिया, 1419 हिजरी, भाग 1, पेज 321; मोहक़्क़िक़ सानी, जामेअ अल मक़ासिद, 1414 हिजरी, भाग 1, पेज 365; मीर्ज़ा ए क़ुम्मी, ग़नाइ अल अय्याम, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 396; खूई, अल तंक़ीह फ़ी शरह अल उरवतुल वुस्क़ा, 1421 हिजरी, भाग 8, पेज 376; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 15-16; यज़्दी, अल उरवा तुल वुस्का, 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 39; काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ अल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 333
  7. शहीद सानी, मसालिक अल इफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 8
  8. देखेः मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शरा ए इस्लाम, 1499 हिजरी, भाग 1, पेज 287; अल्लामा हिल्ली, तज़्केरतुल फ़ुक़्हा, 1414 हिजरी, भाग 9, पेज 37; काशिफ़ उल गेता, कश्फ उल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 288; इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, भाग 1, पेज 461
  9. अमीद ज़ंजानी, फ़िक़्ह सियासी, 1377 शम्सी, भाग 3, पेज 139
  10. देखेः अल्लामा हिल्ली तज़्केरतुल फ़ुक़्हा, 1414 हिजरी, भाग 9, पेज 37; तबातबाई करबलाई, रियाज उल मसाइल, 1418 हिजरी, भाग 8, पेज 14; नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 18; इमाम खुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 461
  11. सब्जावारी, मोहज़्ज़ब अल अहकाम, दार अल तफ़सीर, 1413 हिजरी, भाग 15, पेज 101
  12. मरवारीद, सिलसलातुल यनाबीअ अल फ़ीक्हीया, 1413 हिजरी, भाग 9, पेज 32
  13. हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1416 हिजरी, भाग 15, पेज 30
  14. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 47
  15. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 18-19
  16. शहीद सानी, मसालि अल इफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 8
  17. काशिफ़ उल गेता, कश्फुल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 291
  18. मिर्ज़ा ए क़ुम्मी, जामेअ अलशतात, 1377 शम्सी, भाग 1, पेज 394
  19. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 310-312
  20. इराक़ी, शरह तबसेरा अल मुतअल्लेमीन, 1414 हिजरी, भाग 4, पेज 320
  21. मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी, फ़रहंग फ़िक्ह मुताबिक मज़हब अहले-बैत (अ), भाग 4, पेज 384
  22. काशिफ़ अल गेता, कश्फ अल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 289
  23. काशिफ़ अल गेता, कश्फ अल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 289
  24. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 14
  25. मुंतज़री, देरासात फ़ी विलायत अल फ़क़ीह, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 115
  26. देखेः शेख मुफ़ीद, अल मुक़नेआ , 1410 हिजरी, पेज 810 शहीद सानी, मसालिक अल इफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 8 नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 47
  27. काशिफ़ अल गेता, कश्फ अल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 291
  28. काशिफ़ अल गेता, कश्फ अल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 291
  29. काशिफ़ अल गेता, कश्फ अल गेता, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 333-334
  30. रजबी, रसाइल व फ़तावा जिहादी, 1378 शम्सी, पेज 22
  31. आले महबूबे, माज़ी अल नजफ़ व हाजिरहा, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 326
  32. अल मरजअतुश शीईयते व क़ज़ाया अल आलम अल इस्लामी मिन फ़तावा व माक़िफ अल इमाम अल शेख मुहम्मद अल हुसैनी आले काशिफ़ अल ग़ेता अन फ़िलिस्तीन, मजल्ला अल मौसम, पेज 191
  33. अबाज़री, आयतुल्लाह बुरुजर्दी आयात इख़्लास, 1383 शम्सी, पेज 117
  34. इमाम ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 2, पेज 199
  35. हत्ताब, तौज़ीफ़ अल हश्दुश्शाबी फ़िल मदरकिस सियासी अल इराक़ी, पेज 108
  36. रज्बी, रसाइल व फ़तावा जिहादी, 1378 शम्सी, पेज 13

स्रोत

  • आले महबूबे, जाफ़र बिन बाक़िर, माज़ी अल नजफ़ व हाजिरहा, बैरूत, दार अल अज़्वा, 1406 हिजरी
  • अबाज़री, अब्दुर रहीम, आयतुल्लाह बुरुजर्दी आयत ए इख़्लास, तेहरान, मजमा जहानी तकरीब मज़ाहिब इस्लामी, 1383 शम्सी
  • इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, सहीफ़ा इमाम, तेहरान, मोअस्सेसा तौज़ीअ व नश्र आसार इमाम ख़ुमैनी, 1389 शम्सी
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  • काशिफ़ अल गेता, जाफ़र बिन खिज़्र, कश्फ अल गेता अन मुबहिम्मात शरीया अल ग़र्रा, क़ुम, इंतेशारात दफ़्तर तबलीगात इस्लामी हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1422 हिजरी
  • मोहक्क़िक़ सानी, अली बिन हुसैन, जामेअ अल मक़ासिद फ़ी शरह अल क़वाइद, क़ुम, मोअस्सेसा आले अलबैत (अ), 1414 हिजरी
  • मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफ़र बिन हसन, शराए अल इस्लाम फ़ी मसाइल अल हलाल वल हराम, शोधः अब्दुल हुसैन मुहम्मद अली बक़्क़ाल, क़ुम, इस्माईलीयान, दूसरा संस्करण 1408 हिजरी
  • मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफर बिन हसन, अल मोअतबर फ़ी शरह अल मुख़्तसर, क़ुम, मोअस्सेसा सय्यद उश शोहदा, 1364 शम्सी
  • अल मरजेईयतुश शिया व क़ज़ाया अल आलम अल इस्लामी मिन फ़्तवा व मवाक़िफ़ अल इमाम अल शेख मुहम्मद अल हुसैन आले काशिफ़ अल ग़ेता अल फ़िलिस्तीन, मजल्ला अल मौसम, किश्वर हॉलैंड शहर नीडरलैंड, क्रमांक 18, 1414 हिजरी
  • मरवारीद, अली असग़र, सिलसिलातुल यनाबीअल फ़िक़्हीया, बैरुत, मोअस्सेसा फ़िक़्ह अल शिया, 1413 हिजरी
  • मुंतज़ेरी, हुसैन अली, देरासात फ़ी विलायतिल फ़क़ीह व फ़िक्ह अल दौवल अल इस्लामीया, क़ुम, नशर तफक्कुर, 1415 हिजरी
  • मीर्ज़ा क़ुम्मी, अबुल क़ासिम, जामेअ अल शतात, संशोधनः मुर्तज़ा रिजवी, तेहरान, मोअस्सेसा कीहान, 1377 शम्सी
  • मीर्ज़ा क़ुम्मी, अबुल क़ासिम ग़नाइम अल अय्याम फ़ी मसाइल अल हलाल वल हराम, मकतब अल आलाम अल इस्लामी, 1417 हिजरी
  • नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरह शराए अल इस्लाम, शोधः मुहम्मद क़ूचानी, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, सांतवा संस्करण, 1362 शम्सी