मुसलमान
मुसलमान (अरबी: المُسْلِم) या मुस्लिम वह है जो इस्लाम की शिक्षाओं में विश्वास करता है और उसके अनुसार कार्य करता है। शिया न्यायविदों के अनुसार केवल शहादतैन कहने से ही मुसलमान सिद्ध हो जाता है और शरीर की पवित्रता, जीवन का आदर, धन और सम्मान तथा इबादत सही होने वाले अहकाम उस पर लागू हो जाते हैं। एकेश्वरवाद (तौहीद), भविष्यवक्ता (नबूवत) और पुनरुत्थान (क़यामत) में विश्वास सभी मुसलमानों के बीच आम मान्यताएं हैं, और नमाज़, रोज़ा और हज मुसलमानों की कुछ सामान्य धार्मिक इबादतें हैं। इतिहासकारों के अनुसार हज़रत अली (अ) और हज़रत ख़दीजा (स) पहले मुसलमान थे।
प्यू (PEW) रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2015 तक दुनिया की मुस्लिम आबादी लगभग 1 अरब 752 मिलियन 620 हज़ार थी और ईसाई धर्म के बाद इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला धर्म है। इस शोध केंद्र के विश्लेषण के अनुसार, दुनिया के लगभग दो-तिहाई (62%) मुसलमान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं।
मुसलमान शब्द का प्रयोग खुदा के हुक्म के आगे झुकने (तस्लीम होना) के अर्थ में भी किया गया है, क़ुरआन में मुस्लिम शब्द और उसके जैसे शब्दों का प्रयोग अधिकतर इसी अर्थ में किया गया है।
स्थान और इतिहास
इस्लाम धर्म 610 ईस्वी में अरब प्रायद्वीप में स्थित मक्का से आरम्भ हुआ, जब पैग़म्बर मुहम्मद (स) को पैग़म्बर के रूप में भेजा गया था, और उनके अनुयायियों को मुसलमान कहा जाने लगा।[१] कहा जाता है कि हज़रत अली (अ), शियों के पहले इमाम और हज़रत ख़दीजा (स) (पैग़म्बर की पत्नी) पहले लोग थे जिन्होंने इस्लाम धर्म क़ुबूल किया।[२] अल सीरत अल नबविया किताब में इब्ने हिशाम के अनुसार, इमाम अली (अ) और ख़दीजा (स) के बाद ज़ैद बिन हारेसा, अबू बक्र बिन अबी क़हाफा, उस्मान बिन अफ्फ़ान, साद बिन अबी वक़्क़ास, ज़ुबैर बिन अवाम, अब्दुर्रहमान बिन औफ़ और तलहा बिन उबैदुल्लाह जैसे लोग पहले मुसलमान थे।[३]
कुछ न्यायशास्त्रीय हदीसों[४] में और अधिकांश न्यायशास्त्रीय अध्यायों जैसे कि तहारत, नमाज़, ज़कात, रोज़ा, हज, जिहाद, व्यापार, प्रतिनिधित्व (वेकालत), वसीयत, विवाह, शिकार और वध, पुनरुत्थान मवात (बंजर ज़मीन को उपजाव बनाना), हुदूद और क़ेसास, मुस्लिम या इस्लाम के शीर्षक का उल्लेख किया गया है।[५]
परिभाषा
मुसलमान या मुस्लिम उस व्यक्ति या उन लोगों को कहते हैं जो इस्लाम की शिक्षाओं में विश्वास करते हैं और इसके अनुसार कार्य करते हैं।[६] कुछ लोगों के अनुसार केवल इस्लाम धर्म में प्रवेश करना और इस्लाम के पैग़म्बर (स) के सामने झुकना (तस्लीम होना) ही मुसलमान होना है।[७]
मुस्लिम शब्द का और इस जैसे अन्य शब्द का क़ुरआन में 40 से अधिक बार उल्लेख हुआ है और इसके दो सामान्य और विशिष्ट अर्थ हैं।[८] मुसलमान का अर्थ शब्द के सामान्य और व्यापक अर्थों में अधिकांश आयतों में प्रयोग किया गया है और कहा जाता है ऐसा व्यक्ति होना जो ईश्वर की आज्ञा के अधीन हो और इसमें पूर्ण एकेश्वरवाद हो और यह किसी भी प्रकार के बहुदेववाद और मूर्तिपूजा से मुक्त हो।[९] और एक विशेष अर्थ में, इसे एक ऐसा व्यक्ति कहा जाता है जो पैग़म्बर मुहम्मद (स) के धर्म के अनुयायियों और विश्वासियों में से एक हो।[१०]
قَالَتِ الْأَعْرَابُ آمَنَّا ۖ قُلْ لَمْ تُؤْمِنُوا وَلَٰكِنْ قُولُوا أَسْلَمْنَا وَلَمَّا يَدْخُلِ الْإِيمَانُ فِي قُلُوبِكُمْ؛
(क़ालतिल आराब आमन्ना क़ुल लम तूमेनू वलाकिन क़ूलू असलमना वा लम्मा यदख़ोलिल ईमानो फ़ी क़ुलूूूबेकुम) अनुवाद: बादिया नशीनों ने कहा हम ईमान ले आए हैं. कहो: तुम ईमान नहीं लाए हो, बल्कि यह कहो: हम इस्लाम ले आए हैं, इसलिए कि अभी ईमान ने तुम्हारे ह्रदय में प्रवेश नहीं किया है।[११]
मोमिन और मुसलमान के बीच का अंतर
कुछ आयतों[१२] और हदीसों[१३] के अनुसार, न्यायविदों ने "मुस्लिम" और "मोमिन" के बीच अंतर किया है। सामान्य अर्थ में मोमिन वह है जो पैग़म्बर (स) की ओर से आई हर चीज़ को ह्रदय से स्वीकार करता है और उसे अपनी ज़बान से क़ुबूल करता है;[१४] जबकि मुसलमान होने की पुष्टि केवल मौखिक रूप से शहादत को क़ुबूल करने से होती है।[१५] शिया न्यायविदों के अनुसार, एक विशेष अर्थ में मोमिन, ऐसा व्यक्ति कहा जाता है जो शिया इमामों (अ) की इमामत और वेलायत में विश्वास करता है।[१६]
हदीसों में मुस्लिम विशेषताएं
नैतिक दृष्टिकोण वाली कुछ हदीसों में, एक सच्चे मुसलमान की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।[१७] उदाहरण के लिए, पैग़म्बर (स) द्वारा उद्धृत एक हदीस में, एक सच्चा मुसलमान वह है जिसकी ज़बान और हाथ की बुराई से लोग सुरक्षित रहते हैं।[१८] इमाम अली (अ) ने एक हदीस में ज्ञान, ईमानदारी और सच्चाई, क़ुरआन का ध्यान से पाठ करना, इश्वर के मार्ग पर दोस्ती और दुश्मनी करना, अहले बैत (अ) की वेलायत को पहचानना, दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना, पड़ोसी और दूसरे लोगों के साथ अच्छा व्यावहार, को एक सच्चे मुसलमान की विशेषताओं के रूप में उल्लेख किया है।[१९]
मान्यताएं
सभी मुसलमानों के बीच विश्वास के कुछ सामान्य सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- एकेश्वरवाद: मुसलमानों का मुख्य धार्मिक सिद्धांत एकेश्वरवाद है।[२०] सभी मुसलमानों की मान्यता के अनुसार, ईश्वर ही दुनिया का एकमात्र निर्माता है और उसका कोई साथी नहीं है।[२१]
- पुनरुत्थान: पुनरुत्थान (क़यामत) में शरीर में आत्मा की वापसी और उसके कार्यों से निपटने के लिए उसके पुनरुत्थान में विश्वास; धर्मी को स्वर्ग और अनंत आशीष (नेअमते जावेद) मिलेगा, और दुष्टों को नर्क और दंड मिलेगा।[२२]
- भविष्यवक्ता: मुसलमानों के भविष्यवक्ता (नबूवत) में विश्वास में यह तथ्य शामिल है कि, पहला: पैग़म्बर मुहम्मद (स) को भगवान द्वारा एक पैगंबर के रूप में चुना गया।[२३] दूसरा: क़ुरआन भगवान की ओर से उन पर वही द्वारा नाज़िल हुआ।[२४] तीसरा: वह अंतिम नबी हैं और उनके बाद कोई और नबी नहीं आएगा।[२५]
आमाले इबादी
सभी मुसलमानों के लिए इबादत के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:
- नमाज़: प्रत्येक मुसलमान के लिए प्रतिदिन 17 रकअत नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है।[२६] यह 17 रकअत नमाज़ दैनिक नमाज़ (प्रतिदिन) के रूप में प्रसिद्ध है[२७] और वह इस प्रकार हैं: सुबह की नमाज़ दो रकअत, ज़ोहर की नमाज़ चार रकअत और अस्र की नमाज़ चार रकअत मग़रिब की नमाज़ तीन रकअत और ईशा की नमाज़ चार रकअत।[२८]
- रोज़ा: प्रत्येक मुसलमान के लिए रमज़ान के महीने में सुबह की अज़ान से लेकर मग़रिब की अज़ान तक उन चीज़ो से बचना अनिवार्य है जिन चीज़ों से रोज़ा बातिल हो जाता है।[२९]
- हज: प्रत्येक मुसलमान के लिए अपने जीवनकाल में एक बार हज पर जाना अनिवार्य है (यदि शर्तें पूरी होती हों)।[३०] हज की रस्म साल में एक बार मक्का शहर में ज़िल हिज्जा के महीने में आयोजित की जाती है, और बड़ी संख्या में मुसलमान दुनिया के विभिन्न देशों से वहां इकट्ठा होते हैं और हज अनुष्ठान करते हैं।[३१]
न्यायशास्त्रीय अहकाम
शिया न्यायविदों के अनुसार, केवल शहादतैन कहने या उसके अनुवाद को कहने से मुसलमान होना सिद्ध हो जाता है।[३२] इस्लामी शरीयत में मुसलमानों के लिए आसार हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- मुसलमान का शरीर और शरीर की नमी पाक है।[३३]
- मुसलमान का जीवन, संपत्ति और सम्मान का सम्मान है।[३४]
- मुसलमान के लिए ख़तना कराना अनिवार्य है, भले ही वह बूढ़ा हो।[३५]
- इबादत के सही होने में और वह कार्य जिसका सही होना क़सदे क़ुरबत पर निर्भर हो, मुसलमान होना शर्त है।[३६]
- मुसलमान का काफ़िरे ग़ैर किताबी से विवाह करना मान्य नहीं है।[३७] एक मुस्लिम महिला का एक काफ़िरे किताबी से भी विवाह करना मान्य नहीं है।[३८]
- काफिर का मुसलमान पर आधिपत्य नहीं होता; अर्थात्, क़ाएद ए नफ़ी सबील के अनुसार, भगवान ने ऐसा कोई हुक्म नहीं बनाया है जो इस बात का कारण बन सके कि मुसलमान पर काफ़िर को वेलायत और तसल्लुत प्राप्त हो।[३९]
शिया न्यायविदों के अनुसार, एक व्यक्ति जो मुसलमान है और स्पष्ट रूप से इस्लाम के धर्म को त्याग देता है और कहता है, "मैं अब से मुसलमान नहीं हूं," या इस्लाम के किसी एक अनिवार्य तत्व को नकारता है, या आम सहमति के बिंदुओं में से एक को नकारता या यदि वह मुसलमानों या शियों द्वारा स्वीकृत किसी एक बात का खंडन करता है, तो वह धर्मत्यागी है और धर्मत्याग के नियम उस पर लागू होते हैं।[४०]
मुसलमानों के पवित्र स्थान
मुसलमानों द्वारा पवित्र माने जाने वाले कुछ स्थान इस प्रकार हैं:
- काबा इस्लामिक दुनिया का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है, जो मक्का शहर में स्थित है और दुनिया भर के मुसलमानों का क़िबला है।[४१] साथ ही, मस्जिदे हराम सबसे महत्वपूर्ण मुस्लिम मस्जिदों में से एक है, जो काबा के निकट स्थित है।[४२]
- मस्जिद अल-नबी मदीना शहर में स्थित मुसलमानों के अन्य पवित्र और धार्मिक स्थानों में से एक है।[४३] कहा जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण इस्लाम के पैग़म्बर (स) ने मदीना शहर में आने पर किया था।[४४]
- अल-अक़्सा मस्जिद, मुसलमानों का पहला क़िबला, मुसलमानों के अन्य धार्मिक और पवित्र स्थानों में से एक है।[४५] यह मस्जिद यरुशलम शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।[४६]
- ग़ारे हेरा, इस्लाम के पैग़म्बर (स) के रहस्योद्घाटन (वही) का पहला स्थान, मुसलमानों के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।[४७]
जनसंख्या
प्यू (PEW) रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2015 तक दुनिया की मुस्लिम आबादी लगभग 1 अरब 752 मिलियन 6 लाख 20 हज़ार लोग थी[४८] और ईसाई धर्म के बाद इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला धर्म है।[४९] इस शोध केंद्र के विश्लेषण के अनुसार, दुनिया के लगभग दो-तिहाई (62%) मुसलमान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं।[५०] प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में तैयार किए गए आँकड़ों के अनुसार सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले 10 देशों को निम्न तालिका में क्रम से दिखाया गया है:[५१]
क्रम | देश | जनसंख्या | देश की कुल जनसंख्या का प्रतिशत |
---|---|---|---|
1 | इंडोनेशिया | 219,960,000 लोग | 87.1 प्रतिशत |
2 | भारत | 14.810.000 लोग | 14.9 प्रतिशत |
3 | पाकिस्तान | 184,000,000 लोग | 96.4 प्रतिशत |
4 | बांग्लादेश | 144,020,000 लोग | 90.6 प्रतिशत |
5 | नाइजीरिया | 90,020,000 लोग | 50 प्रतिशत |
6 | मिस्र | 83,870,000 लोग | 95.1 प्रतिशत |
7 | ईरान | 77,650,000 लोग | 99.5 प्रतिशत |
8 | तुर्की | 75,460,000 लोग | 98 प्रतिशत |
9 | अल जज़ाएर | 37,210,000 लोग | 97.9 प्रतिशत |
10 | इराक़ | 36,200,000 लोग | 99 प्रतिशत |
साथ ही, 2017 में इस शोध केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में मुसलमानों की आबादी लगभग 3 मिलियन 4 लाख 50 हज़ार थी और यह इस देश की कुल जनसंख्या का लगभग 1.1% था।[५२] और यूरोपीय महाद्वीप में, 2010 से 2016 तक मुसलमानों की संख्या 19 मिलियन 5 लाख से बढ़कर 25 मिलियन 8 लाख (3.8% से 9.4%) हो गई है।[५३]
संप्रदाय
शिया और सुन्नी संप्रदाय सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम संप्रदायों में से हैं। प्यू एसोसिएशन ऑफ रिलिजन एंड पब्लिक लाइफ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की मुस्लिम आबादी का 10 से 13 प्रतिशत शिया हैं और 87 से 90 प्रतिशत सुन्नी हैं।[५४] एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, शिया आबादी (इमामिया, इस्माइलिया, और ज़ैदिया) आज 300 मिलियन से अधिक लोग हैं जो दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी का 19.1% या पांचवां हिस्सा हैं और लगभग 4.1% या कुल विश्व आबादी का पच्चीसवाँ हिस्सा हैं।[५५]
फ़ोटो गैलरी
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मस्जिद उल हराम, मक्का, अरब
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मस्जिद उन नबी, मदीना, अरब
-
अल-अक्सा मस्जिद, बैतुल मुक़द्दस, फिलिस्तीन
-
मुसलमान नमाज़ को जमाअत के साथ पढ़ते हुए
फ़ुटनोट
- ↑ बहरामियान, "इस्लाम", खंड 8, पृष्ठ 395।
- ↑ याक़ूबी, तारीख़ अल-याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 23।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, इब्ने हिशाम, अल-सीरह अल-नबाविया, दारुल अहया अल-तोरास अल-अरबी, खंड 1, पृष्ठ 262-273।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, कुलैनी, अल-काफ़ी, 1387 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 68-76।
- ↑ मोअस्सास ए दाएरतुल मआरिफ़ अल फ़िक़ह अल इस्लामी, फ़रहंगे फ़िक़हे फ़ारसी, 1385 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 511।
- ↑ वैकस, दानिशनामे अक़वामे मुसलमान, 1383 शम्सी, मुक़द्दमा, पृष्ठ 2।
- ↑ सैय्यद शराफ़ुद्दीन, आईने हम ज़ीसती मुसलमानान, 1393 शम्सी, पृष्ठ 34।
- ↑ तबातबाई, अल-मीज़ान, 1393 हिजरी, खंड 18, पृष्ठ 328-329।
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 703; मुस्तफ़वी, अल तहक़ीक़ फ़ी कलेमातिल क़ुरआन, 1368 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 294-295।
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- ↑ सूर ए होजरात, आयत 14।
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- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल-अफ़हाम, 1423 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 337।
- ↑ अल्लामा मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 65, पृष्ठ 315।
- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल-अफ़हाम, 1423 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 338।
- ↑ अल्लामा मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 71, पृष्ठ 158-159; इब्ने शोबा हरानी, तोहफ़ुल उक़ूल, 1404 हिजरी, पृष्ठ 196-197।
- ↑ बोख़ारी, सहीह बोख़ारी, 1422 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 11; कुलैनी, अल-काफ़ी, 1387 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 592।
- ↑ इब्ने शोबा हरानी, तोहफ़ुल उकूल, 1404 हिजरी, पृष्ठ 196-197।
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- ↑ उदाहरण के लिए देखें, हिल्ली, कशफ़ुल मुराद, 1430 हिजरी, पृष्ठ 485-480; एजी, शरहुल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 243-244।
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- ↑ नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 12।
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स्रोत
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