इस्मत

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यह लेख इस्मत (अचूकता) के बारे में है। पैगम्बरों की इस्मत और इस्मते आइम्मा के बारे में जानने के लिए, पैग़म्बरों की इस्मत और इमामों की इस्मत वाले लेख देखें।

इस्मत (अरबीः العصمة) पाप और त्रुटि से दूर रहने को इस्मत कहते है। शिया और मोअतज़ेला धर्मशास्त्रियों ने इस्मत को ईश्वर का उपकार (लुत्फ) और मुस्लिम दार्शनिको ने नफ़सानी मल्का के रूप में परिभाषित किया है, जो मासूम के पाप और त्रुटि से बचने का कारण बनती है।

पाप और त्रुटि से मासूम की प्रतिरक्षा की उत्पत्ति और कारण के संबंध में, विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें से कुछ यह हैं: दिव्य उपकार (लुत्फ़ इलाही), विशेष ज्ञान, इरादा और च्यन, मानव और दिव्य प्राकृतिक कारकों का योग। धर्मशास्त्री और दार्शनिक इस्मत (अचूकता) को स्वतंत्र पसंद (इख्तियार) के अनुकूल मानते हैं और इस बात को मानते हैं कि मासूम पाप करने में सक्षम है; परन्तु वह पाप नहीं करता। इसलिए वह इनाम का हकदार है।

पैग़म्बरों की इस्मत में विश्वास सभी मुस्लिम विद्वानों में आम बात है। निस्संदेह, इस्मत की सीमा के बारे में मतभेद है। बहुदेववाद (शिर्क) और अविश्वास (कुफ्र) से पैगंबरों की इस्मत, वही प्राप्त करने और व्यक्त करने में मासूम होना, और नबूवत मिलने के बाद जानबूझकर किए जाने वाले पापों से दूरी विद्वानों के बीच सर्वसम्मति का विषय है।

इमामिया विद्वान शिया इमामों को जीवन भर किसी भी बड़े या छोटे पाप और किसी भी त्रुटि और गलती करने से मासूम मानते हैं। अल्लामा मजलिसी के अनुसार, शिया इस बात से सहमत हैं कि सभी स्वर्गदूत (फ़रिश्ते) किसी भी प्रकार का बड़ा या छोटा पाप करने से मासूम हैं।

कुछ ऐतराजो को इस्मत में शामिल किया गया है; अन्य बातों के अलावा, कुछ लोगों ने इसे मानव स्वभाव के साथ असंगत माना है, जिसमें अलग-अलग शारीरिक और कामुक ताकतें हैं। इसके उत्तर में कहा गया है कि शारीरिक और कामुक इच्छाओं का अस्तित्व केवल पाप के साथ संदूषण का आधार है जोकि पाप करने से जुड़ा नहीं है; क्योंकि ज्ञान और इच्छाशक्ति जैसी चीज़े इन इच्छाओं के प्रभाव को रोक सकती हैं।

महत्व और स्थिति

शिया धार्मिक कार्यों के विद्वान और लेखक सय्यद अली हुसैनी मिलानी के अनुसार, इस्मत का मुद्दा महत्वपूर्ण धार्मिक और आस्थाई मुद्दों में से एक है जिसे प्रत्येक इस्लामी संप्रदाय ने अपने दृष्टिकोण से बयान किया है। मासूम का कथन और कर्मों की वैधता के साथ इस्मत के संबंध ने इस चर्चा के महत्व और संवेदनशीलता को बढ़ा दिया है। उनके अनुसार, चूंकि सुन्नी मुस्लिम शासकों और शासकों के मासूम होने में विश्वास नहीं करते हैं, इसलिए वे इस्मत के मुद्दे पर केवल नबूवत के विषय के तहत चर्चा करते हैं, लेकिन शिया क्योकि सभी पैग़म्बरो और इमामो को मासूम मानते है इसलिए नबूवत और इमामत के विषयों के तहत चर्चा करते हैं। उनका कहना है कि इस्मत मुसलमानों के आम मुद्दों में से एक है; हालाँकि, इसके उदाहरणों और विवरणों में उनके बीच कई अंतर हैं।[१]

कलामी स्रोतों में इस्मत के विषय पर पैगंबरों, इमामों और स्वर्गदूतों की इस्मत के तहत चर्चा की जाती है।[२] क़ुरआन की कुछ व्याख्याओं (तफ़सीरो) में, आय ए ततहीर के अंतर्गत इस्मत और इसके आसपास के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है।[३] न्यायशास्त्र के सिद्धांतों के विज्ञान में, सुन्नी विद्वानों ने उम्मत की इस्मत को सर्वसम्मति का मानक माना है; क्योंकि उनके अनुसार, उम्मते मुसलेमा पैग़म्बर (स) की उत्तराधिकारी है और धर्म के मामलों में गलतियों और झूठ से सुरक्षित है। दूसरी ओर शिया विद्वानों ने इमाम की इस्मत को सर्वसम्मति (इज्माअ) की कसौटी माना है। क्योंकि उनके अनुसार, इमाम पैगम्बर (स) का उत्तराधिकारी है और उनकी तरह मासूम है, और सर्वसम्मति एक प्रमाण है क्योंकि सर्वसम्मति (इज्माअ) मासूम के कथन का खोजकर्ता है।[४]

ईसाई और यहूदी जैसे धर्मों में भी इस्मत पर चर्चा की गई है, और ईसाई हज़रत ईसा (अ) के अलावा बाइबिल के लेखकों और पोप (कैथोलिक चर्च के नेता) को भी मासूम मानते हैं; हालांकि पोप का मासूम होना कैथोलिक संप्रदाय की विशेष आस्था है।[५]

परिभाषा

मुस्लिम धर्मशास्त्रियों और होकमा ने अपने सिद्धांतों के आधार पर इस्मत की विभिन्न परिभाषाएँ की हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • धर्मशास्त्रियों की परिभाषा: अदलिया धर्मशास्त्रियों (इमामिया[६] और मोअतज़ेला[७]) ने उपकार (लुत्फ़) के आधार पर इस्मत को परिभाषित किया है।[८] इसके अनुसार, इस्मत वह लुत्फ़ है जो ईश्वर अपने बंदे को देता है, और इसके माध्यम से, वह बुरे कर्म या पाप नहीं करता है।[९] इस्मत की परिभाषा में अल्लामा हिल्ली ने कहा: "यह ईश्वर की ओर से अपने बंदे के प्रति एक छिपा हुआ उपकार (लुत़्फ़) है, इस प्रकार कि उसके पास अब आज्ञाकारिता को त्यागने या पाप करने का कोई उद्देश्य नहीं है; हालाँकि ऐसा करना संभव है।"[१०]

अशाएरा ने इस्मत को ईश्वर द्वारा एक मासूम व्यक्ति से पाप न होने के रूप में परिभाषित किया है।[११] इस परिभाषा में अशाएरा का आधार (मबना) ईश्वर के लिए सभी चीजों का अविभाज्य संदर्भ है।[१२]

  • दार्शनिकों की परिभाषा: मुस्लिम दार्शनिको ने इस्मत को एक नफसानी मलका (शारीरिक महारत) के रूप में परिभाषित किया है [नोट 1], इसके बावजूद अचूकता के स्वामी से कोई पाप नहीं हो सकता।[१३]

समकालीन टिप्पणीकार और धर्मशास्त्री आयतुल्लाह सुब्हानी ने पाप से अचूकता और त्रुटि से अचूकता (इस्मत) की परिभाषा के बीच अंतर मानते हुए एक तरह से अदलीया (इमामीया और मोअतज़ेला) धर्मशास्त्रियों और विद्वानों की परिभाषाओं को संयोजित किया है। उन्होंने पाप से अचूकता को धर्मपरायणता (तक़वे) का सर्वोच्च स्तर और आंतरिक शक्ति या नफसानी मलका माना है, जो कि मासूम व्यक्ति को पूरी तरह से पाप करने और इसके बारे में सोचने से भी रोकती है।[१४] उन्होंने त्रुटि और लापरवाही से मासूम होने को एक ऐसा ज्ञान माना जो दैवीय उपकार (लुत्फ इलाही) के आलोक में इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। यह जानते हुए भी कि इसके परिणामस्वरूप, मासूम व्यक्ति के विचारों में चीजों का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट होता है जोकि गलति और भूल से सुरक्षित रहने का कारक होता हैं।[१५]

इस्मत की उत्पत्ति

इस्मत की उत्पत्ति, पाप और त्रुटि से मासूम की प्रतिरक्षा के कारण के संबंध में, विभिन्न विचार व्यक्त किए गए हैं, जैसे मासूम के हक़ मे ईश्वर का उपकार (लुत्फ़ इलाही), पापों के परिणामों के बारे में मासूम का विशेष ज्ञान, और मासूम की इच्छा और पसंद बयान किया गया है। हालांकि, कुछ समकालीन शोधकर्ताओं का मानना है कि इस्मत किसी एक कारक का परिणाम नहीं है, बल्कि प्राकृतिक (विरासत, पर्यावरण और परिवार), मानव (ज्ञान और जागरूकता, इच्छा और पसंद, बुद्धि और नफसानी मलका) और इलाही (उपकार, ईश्वर का विशेष अनुग्रह) का संयोजन इस्मत का स्रोत है।[१६]

इलाही लुत्फ़

शेख़ मुफ़ीद और सय्यद मुर्तज़ा ने इस्मत को मासूमीन के प्रति ईश्वर का उपहार माना है।[१७] अल्लामा हिल्ली ने चार कारणों को इस ईश्वरीय उपहार का स्रोत माना हैं। 1. वह शारीरिक या भावनात्मक विशेषता जिसके कारण मल्का के वजूद मे आने से पाप से बचता है; 2. पापों के परिणाम और आज्ञाकारिता के प्रतिफल का ज्ञान; 3. मासूम के लिए वही या इल्हाम जो पापों और आज्ञाकारिता की सच्चाई में उसकी अंतर्दृष्टि को गहरा करती है (वही या इल्हाम द्वारा ज्ञान की पुष्टि); 4. तर्क औला पर ईश्वर की फटकार पर ध्यान देना[१८]

विशेष ज्ञान

कुछ विद्वानों ने पापों के परिणामों और आज्ञाकारिता के प्रतिफल के बारे में ज्ञान और विशेष जागरूकता को इस्मत का स्रोत माना है।[१९] अल्लामा तबातबाई के अनुसार, चूंकि मासूम लोगों के पास ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है, इसलिए उनके पास ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति है कि उस इच्छाशक्ति के बावजूद वे कभी पाप की ओर नहीं जाते।[२०] पारंपरिक विज्ञान की तरह, इस विज्ञान को पढ़ाया नहीं जा सकता और इसे वासनाओं और अन्य ताकतों से हराया नहीं जा सकता।[२१]

ज्ञान और इच्छाशक्ति

मुहम्मद तक़ी मिस्बाह यज़्दी मासूमीन की इस्मत के रहस्य को दो तत्वों में मानते हैं: सत्य (हक़ाइक़) और पूर्णता का ज्ञान, और उन्हें प्राप्त करने की दृढ़ इच्छा; क्योंकि अज्ञानता की स्थिति में, मनुष्य सच्ची पूर्णता को नहीं जान पाएगा और सच्ची पूर्णता के स्थान पर काल्पनिक पूर्णता को स्थान देगा, और यदि उसके पास आवश्यक इच्छाशक्ति नहीं है, तो वह वांछित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा।[२२] उनके अनुसार, एक मासूम व्यक्ति जो विशेष ज्ञान और दृढ़ इच्छाशक्ति रखता है, वह कभी भी अपनी इच्छा से कोई पाप नहीं करता है, और प्रत्येक स्थिति में वह ईश्वर का आज्ञाकारी होता है।[२३]

इस्मत और इख़्तियार

लेबनानी शिया फ़क़ीह सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्लाह का मानना है कि इस्मत एक जबरी हक़ीक़त है।[२४] हालांकि, अली रब्बानी गुलपाएगानी के अनुसार, समकालीन विद्वान, धर्मशास्त्री और दार्शनिक इस बात से सहमत हैं कि इस्मत पसंद (इख्तियार) के साथ संगत है और मासूम पाप करने में सक्षम है।[२५] बुद्धि की दृष्टि से, यदि इस्मत के लिए किसी मासूम व्यक्ति को आज्ञाकारिता करने और पापों से बचने के लिए मजबूर किया जाना आवश्यक है, तो वह प्रशंसा के योग्य नहीं होगा, और उसकी आज्ञाएँ (अम्र) और निषेध (नही ) इनाम और सज़ाएं अनुचित होंगी।[२६]

समकालीन दार्शनिक और टिप्पणीकार, अब्दुल्लाह जवादी आमोली का भी मानना है कि जबरन अचूकता लोगों पर अचूकता के अधिकार और उनके लिए भगवान के आदेश का खंडन करती है, और यदि पाप करना स्वाभाविक रूप से असंभव है, तो आज्ञाकारिता स्वाभाविक रूप से आवश्यक है, और ऐसे मामले में, आज्ञाकारिता वह है कर्तव्य के अधीन नहीं होगी, और चेतावनियों, खुश ख़बरों और वादों के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।[२७]

पसंद के साथ इस्मत की अनुकूलता को समझाते हुए अल्लामा तबातबाई लिखते हैं: "अचूकता का स्रोत वह विशेष ज्ञान है जो भगवान ने मासूमो को दिया है।" विज्ञान स्वयं पसंद की नींव में से एक है। इसलिए, मासूम लोग कार्यों की बुराइयों और लाभों के ज्ञान के कारण पाप नहीं करते हैं; उस व्यक्ति की तरह जो निश्चित रूप से जानता है कि जहर घातक है और उसे कभी नहीं खाता है।"[२८]

शिया दार्शनिक और टिप्पणीकार, मुहम्मद तकी मिस्बाह यज़्दी, अचूकता को सिर्फ एक इल्मी मल्का नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक-व्यावहारिक मानते हैं, जो ईश्वर का एक उपहार है जो ज्ञान के साथ मासूम की कार्रवाई की स्वैच्छिक अनुरूपता का परिणाम है।[२९] अपनी राय की व्याख्या में उनका कहना है कि हर कोई प्रतिभा और दिव्य उपहारों की पूंजी के साथ इस दुनिया में आया है, और इसे साकार करना उसके हाथों में है। ज्ञान, जो मासूमो की इस्मत का परिचय देता है, एक उपहार भी है, लेकिन वह व्यक्ति पर कुछ भी थोपता नहीं है। परिणामस्वरूप, इस पूंजी का उपयोग और इसके साथ कार्रवाई का अनुपालन, स्वयं मासूम के प्रयासों पर निर्भर करता है।[३०]

पैगम्बरों की इस्मत

मुख्य लेख: पैग़म्बरों की इस्मत

रहस्योद्घाटन (वही) के क्षेत्र में पैगम्बरों की इस्मत को सभी ईश्वरीय धर्मों के सामान्य और सर्वसम्मत सिद्धांतों में से एक माना गया है;[३१] हालांकि अस्तित्व (चीस्ती) और इसकी स्थिति के बारे में धर्मों के अनुयायियों और इस्लामी धार्मिकों के बीच मतभेद है।[३२] मुस्लिम धर्मशास्त्री अचूकता के क्षेत्र में तीन चीजों पर सहमत हैं। पहला: पैगंबर की नबूवत से पहले और बाद में बहुदेववाद और अविश्वास से मासूम होना, दूसरा: रहस्योद्घाटन प्राप्त करने, संरक्षित करने और संचार करने में पैगंबर का मासूम होना और तीसरा: नबूवत के पश्चात पैगंबरो का जानबूझ कर किए जाने वाले पापो से मासूम होना। लेकिन वे तीन बातों पर भी असहमत हैं: पहला: पैगम्बर बनने के बाद अनजाने मे होने वाले पापों से पैगम्बरों का मासूम होना, दूसरा: पैगम्बर बनने से पहले जानबूझकर और अनजाने मे होने वाले पापों से पैगम्बरों का मासूम होना, और तीसरा: अपने सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में पैगम्बरों का मासूम होना।

शिया इमामिया का मानना है कि पैगंबरों के पास उल्लिखित सभी मामलों में मासूम है; बल्कि पैगंबर उन सभी चीजों से सुरक्षित और संरक्षित हैं जिनके कारण लोग उनसे नफरत करते हैं और खुद को उनसे दूर कर लेते हैं।[३३] पैगंबरो की नबूवत में लोगों का विश्वास हासिल करना पैगंबरो के मासूम होने पर तर्कसंगत कारणों में से एक है;[३४] इस संदर्भ में क़ुरआन[३५] की आयतों और कुछ हदीसों[३६] का भी हवाला दिया गया है।[३७]

पैग़म्बरों की इस्मत के विरोधियों ने सभी पैगम्बरों की इस्मत के साथ असंगत आयतो या कुछ पैग़म्बरों की इस्मत के साथ असंगत आयतो की दो श्रेणियों का हवाला दिया है[३८], जिसके जवाब में ये आयत मुताशाबेह आयतो में से हैं जिनकी व्याख्या और तावील मोहकम आयतो का सहारा लेते हुए की जानी चाहिए।[३९] और वे सभी आयतो जो पैग़म्बरों की इस्मत से असंगत हैं, उन्हें तर्क औला में लाया जाता है।[४०]

इमामों की इस्मत

मुख्य लेख: इस्मते आइम्मा और इस्मते हज़रत फ़ातिमा (स)

इस्मते आइम्मा शियो की दृष्टि में इमामत की शर्तों में से एक शर्त और उनकी बुनियादी मान्यताओं में से एक है।[४१] अल्लामा मजलिसी के अनुसार, इमामिया इस बात पर सहमत हैं कि इमाम (अ) सभी बड़े और छोटे पाप, चाहे जानबूझकर या अनजाने में, और वे किसी भी त्रुटि और गलतियों से प्रतिरक्षित (मासूम) हैं।[४२] ऐसा कहा गया है कि इस्माइलीया भी इस्मत को इमामत के लिए एक शर्त मानते हैं।[४३] दूसरी ओर, सुन्नी इस्मत को इमामत के लिए शर्त नहीं मानते हैं।[४४] क्योंकि उनमें इस बात पर आम सहमति है कि तीनो खलीफ़ा इमाम थे; लेकिन वे मासूम नहीं थे।[४५] वहाबी भी शिया इमामों की इस्मत को स्वीकार नहीं करते हैं और इसे पैगंबरों के लिए विशेष मानते हैं।[४६]

जाफ़र सुब्हानी के अनुसार, पैग़म्बर के मासूम होने के लिए प्रस्तुत किए गए सभी तर्कसंगत कारण, जैसे कि नबूवत के लक्ष्यों को पूरा करना और लोगों का विश्वास हासिल करना, इमाम की इस्मत के मामले में भी चर्चा की गई है।[४७] शिया धर्मशास्त्रियों ने इमामो की इस्मत साबित करने के लिए विभिन्न आयतो और रिवायतो का हवाला दिया है। उनमें से: आय ए इब्तेला इब्राहीम,[४८] आय ए उलिल अम्र,[४९] आय ए तत्हीर,[५०] और आय ए सादेक़ीन[५१] हदीस ए सकलैन[५२] और हदीस ए सफीना[५३] शिया के दृष्टिकोण से, हज़रत फ़ातेमा (अ) मासूम है।[५४] उनकी इस्मत साबित करने के लिए, आय ए तत्हीर और हदीस ए बज़्आ का हवाला दिया गया है।[५५]

स्वर्गदूतों की इस्मत

अल्लामा मजलिसी के अनुसार, शिया इस बात से सहमत हैं कि सभी स्वर्गदूत हर प्रकार के सभी बड़े या छोटे पाप से मासूम हैं। अधिकांश सुन्नी भी इस पर विश्वास करते हैं।[५६] स्वर्गदूतों की अचूकता के बारे में अन्य विचार भी उठाए गए हैं: कुछ ने स्वर्गदूतों की अचूकता में विश्वास किया है। कुछ लोगों ने अचूकता के समर्थकों और विरोधियों के तर्कों को अपर्याप्त माना है और रुक गये हैं। एक समूह ने केवल उन स्वर्गदूतों को ही मासूम माना है जो वही धारक हैं और करीबी है और कुछ स्वर्गीय स्वर्गदूतों (सांसारिक स्वर्गदूतों के विपरीत) को मासूम मानते हैं।[५७]

इस्मत के समर्थकों का कहना है कि सूर ए अंबिया की आयत न 27[५८] और सूर ए तहरीम की आयत न 6[५९] और कई हदीसें[६०] स्वर्गदूतों के मासूम होने का संकेत देती हैं।[६१] ऐसा कहा जाता है कि मुसलमानों में केवल हशवीया संप्रदाय है जो स्वर्गदूतों की अचूकता का विरोध करता है।[६२]

आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने उत्तर दिया कि स्वर्गदूतों में इस्मत का कोई अर्थ नहीं है, उन्होंने कहा कि क्योकि वासना और क्रोध जैसे पाप के उद्देश्य स्वर्गदूतों में मौजूद नहीं हैं या अगर है तो बहुत कमजोर हैं, लेकिन वह स्वतंत्र हैं और विरोध करने की शक्ति रखते हैं। इसलिए, पाप पर शक्ति होने के बावजूद, वे मासूम और पवित्र हैं, और परमेश्मर की आज्ञा का पालन करने या उन्हें दंडित करने में कुछ स्वर्गदूतों की धीमी गति का संकेत देने वाले कथनों को तर्के औला पर हमल किया जाता है।[६३]

आपत्तियां और उत्तर

कुछ आपत्तियां उन लोगों द्वारा उठाई गई हैं जो इस्मत (अचूकता) से इनकार करते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • मानव स्वभाव के साथ अचूकता की असंगति

मिस्र के समकालीन लेखक अहमद अमीन का मानना है कि अचूकता मानव स्वभाव के साथ असंगत है; क्योंकि मनुष्य के पास अलग-अलग स्वार्थी और वासनाई शक्तियां हैं। उसे अच्छी और बुरी दोनो चीजों की इच्छा होती है। यदि उससे ये इच्छाएँ छीन ली गईं तो मानो उससे उसकी मानवता छीन ली गई। इसलिए, कोई भी इंसान पाप से सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि पैगंबर (स) भी सुरक्षित नहीं है।[६४]

इस संदेह के जवाब में, आयतुल्लाह जवादी आमोली मनुष्य के सार (गौहर) जो कि उसकी आत्मा है, का जिक्र करते हुए कहते हैं कि मनुष्य का सार इस तरह से बनाया गया है कि वह अचूकता के शिखर पर चढ़ने की क्षमता रखता है। क्योंकि मानव आत्मा, अपने ऊर्ध्वगामी मार्ग (ऊपर की ओर जाने वाले मार्ग) में, गलती, भूल चूक, उपेक्षा और अज्ञान से मुक्त रहने की क्षमता पाता है। उनके दृष्टिकोण से, यदि किसी की आत्मा अक़्ले नाब और कश्फ व शहूद की पूर्ण और सही घाटी में प्रवेश करती है, तो वह केवल सत्य को समझेगा और किसी भी संदेह, गलतियों, भूल चूक और लापरवाही से सुरक्षित रहेगा। इसलिए, ऐसा व्यक्ति, जो भौतिक, भ्रम और कल्पना की दुनिया को पार कर सत्य के स्रोत तक पहुंच गया है, अचूक (मासूम) हो जाता है।[६५]

  • अचूकता के विचार की उत्पत्ति

एक समूह के दृष्टिकोण से प्रारंभिक इस्लामी स्रोतों में अचूकता का विचार मौजूद नहीं था और यह एक विधर्म (बिदअत) है जिसने अहले किताब, प्राचीन ईरान, सूफीवाद या पारसी शिक्षाओं से इस्लामी शिक्षाओं में प्रवेश किया है।[६६]

जवाब में कहा गया कि पैगंबरों की अचूकता में विश्वास इस्लाम की शुरुआत में मुसलमानों के बीच आम था और इसकी जड़ें क़ुरआन और पैगंबर (स) की शिक्षाओं में हैं।[६७] अहले किताब अचूकता के विचार का मूल नही हो सकते, क्योंकि तौरैत (यहूदीयो की किताब) में सबसे बुरे पापों और कुरूपता का श्रेय पैगम्बरों को दिया जाता है।[६८] जब सूफीवाद का गठन नहीं हुआ था, तब अचूकता का विचार शियो के बीच प्रचलित था। इसलिए, सूफीवाद भी अचूकता के विचार का मूल नहीं हो सकता।[६९] इस धारणा के आधार पर कि अचूकता का सिद्धांत इस्लाम और पारसी धर्म के बीच साझा किया जाता है, यह लेख इस बात का प्रमाण नहीं है कि एक दूसरे से प्रभावित है; बल्कि, ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी दिव्य धर्मों का सार समान है और वे सिद्धांतों में एक-दूसरे के अनुकूल हैं।[७०]

किताब इस्मत अज़ मंज़रे फ़रीक़ैन लेखक सय्यद अली हुसैनी मीलानी

मोनोग्राफ़ी

अचूकता के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं; उनमे से कुछ निम्नलिखित है:

  • अल-तन्बीह अल-मालूम; अल बुरहान अला तंज़ीह अल मासूम अनिस सहवे वन निस्यान, शेख हुर्रे आमोली द्वारा लिखित।
  • इस्मत अज़ मंज़रे फ़रीक़ैन (शिया और सुन्नी), सय्यद अली हुसैनी मिलानी द्वारा लिखित।
  • पुज़ूहिशी दर इस्मत मासूमान (अ), अहमद हुसैन शरीफी और हसन यूसुफियान द्वारा लिखित।
  • इस्मत अज़ दीदगाह शिया व अहले तसन्नुन, फातिमा मुहक़्क़िक़ द्वारा लिखित।
  • इस्मत, ज़रूरत व आसार, सय्यद मूसा हाशमी तुनकाबुनी द्वारा लिखित।
  • अंदीशा ए कलामी इस्मत; पयामदहाए फ़िक़्ही व उसूल फ़िक़्ही, बहरोज़ मिनाई द्वारा लिखित है। इस पुस्तक में, न्यायशास्त्र और न्यायशास्त्र के सिद्धांतों में अचूकता पर विश्वास करने के प्रभावों पर चर्चा की गई है।[७१]
  • मनश ए इस्मत अज़ गुनाह व ख़ता; नज़रयेहा व दीदगाहा, अब्दुल हुसैन काफ़ी द्वारा लिखित।

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. हुसैनी मिलानी, जवाहिर अल कलाम फ़ी मारफत अल इमामते वल इमाम, 1389 शम्सी, भाग 2, पेज 38-39
  2. देखेः तूसी, अल इक्तेसाद फ़ीमा यताअल्लको बिल एतेकाद, 1396 हिजरी, पेज 260, 350; अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 155, 184; फ़य्याज लाहिजी, सरमाया ए ईमान, 1372 शम्सी, पेज 90, 114
  3. देखेः तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 2, पेज 13-134 भाग 5, पेज 78-80, भाग 11, पेज 162-164; सुब्हानी, मशूर जावेद, 1383 शम्सी, भाग 4, पेज 3-140; मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 17, पेज 297-305
  4. ज़ेयाई फ़र, ताशीर दीदगाहाए कलामी बर उसूल फ़िक़्ह, पेज 323
  5. हुसैनी, इस्मत अज़ दीदगाह अहले किताब (यहूदीयान व मसीहीयान), वेबगाह आयंदे रोशन
  6. मुफ़ीद, तस्हीह ऐतेकादात अल इमामीया, 1414 हिजरी, पेज 128; सय्यद मुर्तज़ा, रसाइल अल शरीफ अल मुर्तज़ा, 1405 हिजरी, भाग 3, पेज 326; अल्लामा हिल्ली, बाब अल हादी अशर, 1365 शम्सी, पेज 9
  7. क़ाज़ी अब्दुल जब्बार, शरह अल उसूल अल खम्सा, 1422 हिजरी, पेज 529; तफ़ताज़ानी, शरह अल मक़ासिद, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 312-313
  8. फ़ाज़िल मिक़दाद, अल लवामेअ अल इलाहीया, 1422 हिजरी, पेज 242; रब्बानी गुलपाएगानी, इमामत दर बीनिश इस्लामी, 1387 शम्सी, पेज 215
  9. सय्यद मुर्तज़ा, रसाइल अल शरीफ़ अल मुर्तज़ा, 1405 हिजरी, भाग 3, पेज 326; अल्लामा हिल्ली, बाब अल हादी अशर, 1365 शम्सी, पेज 9; फ़ाज़िल मिक़दाद, अल लवामेअ अल इलाहीया, 1422 हिजरी, पेज 243
  10. अल्लामा हिल्ली, अल बाब अल हादी अशर, 1365 शम्सी, पेज 9
  11. जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पजे 280; तफ़ताज़ानी, शरह अल मक़ासिद, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 312-313
  12. जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 280
  13. तूसी, तलख़ीस अल मोहस्सिल, 1405 हिजरी, पेज 369; जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 281; तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 11, पेज 162; जवादी आमोली, वही व नबूवत दर क़ुरआन, 1392 शम्सी, पेज 197; मिस्बाह यज़्दी, राह व राहनुमाई शनासी, 1395 हिजरी, पेज 285-286
  14. सुब्हानी, मंशूरे जावेद, 1383 शम्सी, भाग 4, पेज 12-14; सुब्हानी, अल इलाहीया, 1412 हिजरी, भगा 3, पेज 185-159
  15. सुब्हानी, मंशूरे जावेद, 1383 शम्सी, भाग 4, पेज 20
  16. क़दरदान क़रामलकी, कलाम इस्लामी, 1383 शम्सी, पेज 388-390
  17. मुफ़ीद, तस्हीह अल ऐतेकादात अल इमामीया, 1414 हिजरी, पेज 128; सय्यद मुर्तज़ा, अल ज़खीरा, 1411 हिजरी, पेज 189
  18. अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 186
  19. फ़ाज़िल मिक़्दाद, अल लवामेअ अल इलाहीया, 1422 हिजरी, पेज 224; तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 5, पेज 79, भाग 11, पेज 162-163, भाग 17, पेज 291; सुब्हानी, अल इलाहीयात, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 159-161
  20. तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 11, पेज 163
  21. तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 5, पेज 79
  22. मिस्बाह यज़्दी, राह व राहनुमा शनासी, 1395 शम्सी, पेज 302
  23. मिस्बाह यज़्दी, राह व राहनुमा शनासी, 1395 शम्सी, पेज 303-304
  24. देखेः फ़ज़्लुल्लाह, तफसीर मिन वही अल क़ुरआन, बैरूत, 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 155-156
  25. रब्बानी गुलपाएगानी, इमामत दर बीनिश इस्लामी, 1387 शम्सी, पेज 217
  26. अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 186; फ़ाज़िल मिक़्दाद, अल लवामे अल लाहीया, 1422 हिजरी, पेज 243; जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 281
  27. जवादी आमोली, सीरा पयाम्बर अकरम (अ) दर क़ुरआन, 1385 शम्सी, भाग 9, पेज 24
  28. तबातबाई, अल मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 11, पेज 162-163
  29. मिस्बाह यज्दी, दर परतौ ए विलायत, 1383 शम्सी, पेज 57-58
  30. मिस्बाह यज्दी, दर परतौ ए विलायत, 1383 शम्सी, पेज 57-58
  31. अनवारी, नूरे इस्मत बर सीमा ए नबूवत, 1397 शम्सी, पेज 52
  32. सादेक़ी अरदकानी, इस्मत, 1388 शम्सी, पेज 19
  33. रब्बानी गुलपाएगानी, कलाम तत्बीकी, 1385 शम्सी, पेज 94-98
  34. अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 155
  35. देखेः सूर ए हश्र, आयत न 7
  36. देखेः कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 202-203; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 14, पेज 103 भाग 12, पेज 348, भाग 4, पेज 45; सदूक़, ओयून अखबार अल रज़ा, 1378 हिजरी, भाग 1, पेज 192-204
  37. करीमी, नबूवत (पुजूहिशि दर नबूवत आम्मे वा खास्सा), 1383 शम्सी, पेज 134; अशरफ़ी व रजाई, इस्मते पयामबरान दर क़ुरआन व अहदैन, पेज 87
  38. सुब्हानी, मंशूरे जावेद, 1383 शम्सी, भाग 5, पेज 51-52; सुब्हानी, इस्मत अल अम्बिया फ़ि अल क़ुरआन अल करीम, 1420 हिजरी, पेज 69,70, 91-229; जवादी आमोली, वही व नबूवत दर क़ुरआन, 1392 शम्सी, पेज 246-286; मकारिम शिराज़ी, पयाम क़ुरआन, 1386 शम्सी, भाग 7, पेज 101-160
  39. मीलानी, इस्मत अज़ मंज़रे फ़रीकैन, 1394 शम्सी, पेज 102-103
  40. मीलानी, इस्मत अज़ मंज़रे फ़रीकैन, 1394 शम्सी, पेज 101-102
  41. देखेः तूसी, अल इक़तेसाद फ़ीमा यतअल्लक़ो बिल एतेक़ाद, 1396 हिजरी, पेज 305; अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 184; फ़य्याज़ लाहिजी, सरमाया ए ईमान, 1372 शम्सी, पेज 114; सुब्हानी, अल इलाहीयात, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 116
  42. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 25, पेज 209, 350, 351
  43. अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 184; जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 351
  44. क़ाज़ी अब्दुल जब्बार, अल मुग़नी, 1962-1965 ईस्वी, भाग 15, पेज 251, 255 भाग 20, पहला खंड, पेज 26, 84, 95, 98, 215, 323; जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 351; तफ़ताज़ानी, शरह अल मक़ासिद, 1409 हिजरी, भाग 5, पेज 249
  45. जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 8, पेज 351; तफ़ताज़ानी, शरह अल मक़ासिद, 1409 हिजरी, भाग 5, पेज 249
  46. देखेः इब्न तैमीयाह, मिनहाज अल सुन्ना अल नबवीया, 1406 हिजरी, भाग 2, पेज 429, भाग 3, पेज 381; इब्न अब्दुल वहाब, रेसाला फ़ि अल रद्द अलल राफ़ेज़ा, रियाद, पेज 28; क़फ़्फ़ारी, उसूल मजहब अल शिया अल इमामीया, 1431 हिजरी, भाग 2, पेज 775
  47. सुब्हानी, मंशूरे जावेद, 1383 शम्सी, पेज 251
  48. फ़ाज़िल मिक़्दाद, अल लवामे अल इलाहीया, 1422 हिजरी, पेज 323; मुज़फ़्फ़र, दलाइल अल सिद्क़, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 220
  49. देखेः तूसी, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, दार एहया अल तुरास अल अरबी, भाग 3, पेज 236; तबरसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 3, पेज 100; बहरानी, मिनार अल हुदा, 1405 हिजरी, पेज 113-114; मुज़फ़्फ़र, दलाइल अल सिद्क़, 1422 हिजरी, भाग 4, पेज 221
  50. सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ि अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 3, पेज 134-135; बहरानी, मिनार अल हुदा, 1405 हिजरी, पेज 646-647; सुब्हानी, अल इलाहीयात, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 125
  51. देखेः अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1382 शम्सी, पेज 196 रब्बानी गुलपाएगानी, इमामत दर बीनिश इस्लामी, 1387 शम्सी, पेज 274-280
  52. देखेः मुफ़ीद, अल मसाइल अल जारूदीया, 1413 हिजरी, पेज 42 इब्न अतीया, अबही अल मदाद, 1423 हिजरी, भाग 1, पेज 131 बहरानी, मिनार अल हुदा, 1405 हिजरी, पेज 671
  53. मीर हामिद हुसैन, अबक़ात उल अनवार, भाग 23, पेज 655-656
  54. सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ि अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95
  55. सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ि अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95
  56. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 11, पेज 124
  57. देखेः मुहक़्क़िक़, इस्मत अज़ दीदगाहे शिया व अहले तसन्नुन, 1391 शम्सी, पेज 130-132
  58. फ़य्यज़ लाहिजी, गौहर मुराद, 1383 शम्सी, पेज 425 फ़ख़्रे राज़ी, अल तफसीर अल कबीर, 1420 हिजरी, भाग 22, पेज 136
  59. देखेः तूसी, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, दार एहया अल तुरास अल अरबी, भाग 10, पेज 50 तबरसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 10, पेज 477
  60. देखेः फ़य्याज़ लाहिजी, गौहर मुराद, 1383 शम्सी, पेज 426
  61. फरिश्तो की इस्मत के लिए देखेः बे रास्तीन व कोहनसाल, इस्मते फरिश्तेगान, शवाहिद मुवाफ़िक़ व मुखालिफ़, पेज 117-121
  62. देखेः मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 11, पेज 124 रास्तीन व कोहनसाल, इस्मते फ़रिश्तेगान, शवाहिद मुवाफ़िक़ व मुखालिफ़, पेज 121
  63. मकारिम शिराज़ी, पयाम इमाम अमीर अल मोमिनीन (अ), 1386 शम्सी, भाग 1, पेज 167-168
  64. अमीन, ज़ुहल इस्लाम, 2003 ईस्वी, भाग 3, पेज 229-230
  65. जवादी आमोली, वही व नबूवत दर क़ुरआन, 1392 शम्सी, पेज 201-203
  66. देखेः शरीफ़ी व युसुफयान, पुज़ूहिशी दर इस्मते मासूमान (अ), 1388 शम्सी, पेज 79-85
  67. शरीफ़ी व युसुफयान, पुज़ूहिशी दर इस्मते मासूमान (अ), 1388 शम्सी, पेज 80-82
  68. शरीफ़ी व युसुफयान, पुज़ूहिशी दर इस्मते मासूमान (अ), 1388 शम्सी, पेज 80-81
  69. शरीफ़ी व युसुफयान, पुज़ूहिशी दर इस्मते मासूमान (अ), 1388 शम्सी, पेज 83
  70. शरीफ़ी व युसुफयान, पुज़ूहिशी दर इस्मते मासूमान (अ), 1388 शम्सी, पेज 86
  71. अंदीशे कलामी इस्मत (पयामद हाए फ़िक़्ही व उसूल फ़िक़्ही), वेबगाह पुज़ुहिशगाह उलूम व फ़रहंग इस्लामी, पुज़ूहिश कदे फ़िक्ह व हुक़ूक़

स्रोत

  • इब्न तैमीयाह, अहमद बिन अब्दुल हलीम, मिन्हाज अल सुन्ना अल नबवीया फ़ी नक़ज कलाम अल शिया अल कद़रीया, शोधः मुहम्मद रशाद सालिम, जामेअतुल इमाम मुहम्मद बिन सऊद अल इस्लामीया, पहला संस्करण 1406 हिजरी
  • इब्न अब्दुल वहाब, मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब बिन सुलेमान, रेसाला फ़ि अल रद्द अलल राफ़ेज़ा, शोधः नासिर बिन साद अल रशीद, रियाद, जामेअतुल इमाम मुहम्मद बिन सऊद अल इस्लामीया, ( इस रेसाले के 12 भाग मे संकलनकर्ता मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब से संबंधित है)
  • इब्न अतीया, मकातिल, अब्ही अल मदाद फ़ी शरह मोतमिर उलेमा बगदाद, शरह व संशोधन मुहम्द जमील हम्मूद, बैरुत, मोअस्सेसा अल आलमी, पहला संस्करण, 1423 हिजरी
  • इब्न मंज़ूर, मुहम्मद बिन मुकर्रम, लेसान अल अरब, दार सादिर, तीसरा संस्करण
  • अशरफी, अब्बास व उम्मुल बनीन रेज़ाई, इस्मत पयामबरान दर क़ुरआन व अहदैन, दर फसलनामा पुजूहिशनामा मआरिफ क़ुरआनी, क्रमांक 12, 1392 शम्सी
  • अमीन, अहमद, ज़ोहल इस्लाम, काहिरा, मकतब अल असरा, 2003 ईस्वी
  • अनवारी, जाफ़र, नूर इस्मत बर सीमा ए नबूवत, पासुख बे शुबहात क़ुरआनी, क़ुम, मोअस्सेसा आमूज़िशी व पुज़ूहिशी इमाम खुमैनी, पहला संस्करण, 1397 शम्सी
  • बहरानी, शेख अली, मिनार अल हुदा फ़ी अल नस्से अल इमामत अल आइम्मा इस्ना अशर, शोधः अब्दुज़ ज़हरा खतीब, बैरुत, दार अल मुंतज़िर, 1405 हिजरी
  • तफ़ताज़ानी, सादुद्दीन, शरह अल मक़ासिद, शोध एंव संशोधनः अब्दुर रहमान उमैरा, क़ुम, शरीफ रज़ी, पहला संस्करण 1409 हिजरी
  • जुरजानी, मीर सय्यद शरीफ़, शरह अल मुवाफ़िक़, शोधः बदरुद्दीन नेसाई, क़ुम, शरीफ़ रज़ी, पहाल संस्करण 1325 हिजरी
  • जवादी आमोली, अब्दुल्लाह, वही व नबूवत दर क़ुरआन (तफसीर मौज़ूई क़ुरआन करीम, भाग 3), शोध एंव क्रमः अली ज़मानी क़ुमशई, क़ुम, नसरे इस्रा, छठा संस्करण, 1392 शम्सी
  • हुसैनी, इस्मत अज़ दीदगाह अहले किताब (यहूदीयान व मसीहीयान), वेबगाह आयंदे रोशन, एंट्री की तारीख 1 उरदीबहिश्त 1388 शम्सी, वीजीट 12 उरदीबहिश्त 1402 शम्सी
  • हुसैनी मीलानी, सय्यद अली, जवाहिर अल कलाम फ़ी मारफ़त अल इमामते वल इमाम, क़ुम, मरकज अल हक़ाइक़ अल इस्लामीया, 1389 शम्सी
  • हुसैनी मीलानी, सय्यद अली, इस्मत अज़ मंज़रे फ़रीकैन (शिया व अहले सुन्नत), क़ुम, मरकज़ अल हक़ाइक़ अल इस्लामीया, 1394 शम्सी

* रास्तीन, अमीर व अली रज़ा कोहनसाल, इस्मत फ़रिश्तेगान, शवाहिद मुवाफ़िक़ व मुखालिफ़, फसलनामा अंदीशे नौवीन दीनी, क्रमांक 38, पाईज़ 1393 शम्सी

  • रब्बानी गुलापएगानी, अली, इमामत दर बीनिश इस्लामी, क़ुम, बूसताने किताब, दूसरा संस्करण, 1387 शम्सी
  • रब्बानी गुलपाएगानी, अली, कलाम तत्बीक़ी, क़ुम, इंतेशारात मरकज़ जहानी उलूम इस्लामी, 1385 शम्सी
  • सुब्हानी, जाफ़र, अल इलाहीयात अला हुदा अल किताब वल सुन्ना वल अक़्ल, कुम, अल मरकज़ अल आलमी लिलदेरासात अल इस्लामी, पहाल संस्करण, 1412 हिजरी
  • सुब्हानी, जाफ़र, इस्मत अल अम्बिया फ़ी अल क़ुरआन अल करीम, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ), 1420 हिजरी
  • सुब्हानी, जाफ़र, मंशूरे जावेद, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक (अ), 1383 शम्सी
  • सय्यद मुर्तज़ा, अली बिन हुसैन, अल ज़ख़ीरा फ़ि अल इल्म अल कलाम, क़ुम, नशरे इस्लामी, 1411 हिजरी
  • सय्यद मुर्तज़ा, अली बिन हुसैन, अल शाफ़ी फ़ि अल इमामा, संशोधन व तालीकाः सय्यद अब्दुज ज़हरा हुसैनी, तेहरान, मोअस्सेसा अल सादिक (अ), दूसरा संस्करण 1410 हिजरी
  • सय्यद मुर्तज़ा, अली बिन हुसैन, रसाइल अल शरीफ़ अल मुर्तज़ा, क़ुम, दार अल कुतुब, 1405 हिजरी
  • शरीफ़ी, अहमद हुसैन व हसन युसुफ़यान, पुज़ूहिशी दर इस्मत मासूमान (अ), तेहरान, पुज़ूहिशकदे फ़रहंग व अंदीशे इस्लामी, 1388 शम्सी
  • सादेक़ी अर्दकानी, मुहम्मद अमीन, इस्मत, क़ुम, इंतेशारात हौज़ा ए इल्मीया, 1388 शम्सी
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, ओयून अख़बार अल रज़ा (अ), शोधः महदी लाजवरदी, तेहरान, नशर जहान, पहला संस्करण, 1378 हिजरी
  • तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, क़ुम, नशरे इस्लामी, 1417 हिजरी
  • तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा अल बयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, तेहरान, नासिर ख़ुसरो, तीसरा संस्करण, 1372 शम्सी
  • तूसी, नसीरुद्दीन, तलखीस अल मोहस्सिल अल मारुफ़ बेनक़्द अल मोहस्सिल, बैरुत, दार अल अज़्वा, दूसरा संस्करण, 1405 हिजरी
  • तूसी, मुहम्द बिन हसन, अल इक़्तेसाद फ़ीमा यताअल्लक़ो बिल एतेक़ादात, बैरुत, दार अल अज़्वा, दूसरा संस्करण, 1406 हिजरी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, पहाल संस्करण
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन युसुफ़, कश्फ अल मुराद फ़ी शरह तजरीद अल एतेकाद किस्म अल इलाहीयात, बे कोशिश जाफ़र सुब्हानी, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक (अ), दूसरा संस्करण, 1382 शम्सी
  • फ़ाज़िल मिक़्दाद, मिक़्दाद बिन अब्दुल्लाह, अल लवामे अल इलाहीया फ़ि अल मबारिस अल कलामीया, शोद एंव तालीक शहीद क़ाज़ी तबातबाई, क़ुम, दफतर तबलीगात इस्लामी, दूसार संस्करण, 1422 हिजरी
  • फ़ख्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, अल तफसीर अल कबीर (मफातीह अल ग़ैब), बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, तीसरा संस्करण, 1420 हिजरी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, तफसीर मिन वही अल क़ुरआन, बैरुत, दार अल मेलाक लित तबाअत वल नशर, 1419 हिजरी
  • फ़य्यज़ लाहिजी, अब्दुर रज़्ज़ाक़, सरमाया ए ईमान दर उसूल एतेक़ादात, संशोधनः सादिक लारेजानी, तेहरान, इंतेशारात अल ज़हरा, तीसरा संस्करण, 1372 शम्सी
  • फ़य्याज़ लाहिजी, अब्दुर रज़्ज़ाक़, गौहर मुराद, तेहरान, नशर साया, पहला संस्करण, 1383 शम्सी
  • क़ाज़ी अब्दुल जब्बार, अब्दुल जब्बार बिन अहमद, अल मुग़नी फ़ि अबवाब अल तौहीद वल अद्ल, शोधः जार्ज कंवाती, क़ाहिरा, अल दार अल मिस्रीया, 1962 ईस्वी
  • क़दरदान क़रामल्की, मुहम्मद हसन, कलाम फ़लसफ़ी, क़ुम, वुसूक़, 1383
  • कफ़्फ़ारी, नासिर अब्दुल्लाह अली, उसूल मजहब अल शिया अल इमामीया, अर्ज व नक़द, जीज़ा, दार अल रज़ा, चौथा संस्करण, 1431 हिजरी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार अल जामेअ लेदोरर अखबार अल आइम्मा अल अत्हार, दार एहया अल तुरास अल अरबी, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी
  • मुहक़्क़िक़, फातेमा, इस्मत अज़ दीदगाह शिया व अहले तसन्नुन, कुम, आशयाना ए मेहर, पहाल संस्करण, 1391 शम्सी
  • मिस्बाह यज़्दी, मुहम्मद तक़ी, दर पर तौए विलायत, मुहम्मद महदी नादेरी, क़ुम, मोअस्सेसा आमूज़िशी व पुज़ूहिशी इमाम ख़ुमैनी (र), 1383 शम्सी
  • मिस्बाह यज़्दी, मुहम्मद तक़ी, राह व राहनुमाई शनासी, क़ुम, इंतेशारात मोअस्सेसा आमूज़िशी व पुज़ूहिशी इमाम खुमैनी (र), 1395 शम्सी
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन नौमान, तस्हीह अल एतेक़ादात अल इमामीया, क़ुम, कुंगरे शेख मुफ़ीद, दूसरा संस्करण, 1414 हिजरी
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन नौमान, अल मसाइल अल जारूदीया, क़ुम, अल मोतमेरा अल आलमी लिश शेख अल मुफ़ीद, पहला संस्करण, 1413 हिजरी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, पयाम इमाम अमीर अल मोमीनीन (अ), तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, पहाल संस्करण, 1386 शम्सी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफसीर नमूना, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1374 शम्सी
  • मुज़फ़्फ़र, मुहम्मद हुसैन, दलाइल अल सिद्क़, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहला संस्करण, 1422 हिजरी