हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत

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हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत (अरबीःعصمة السيدة فاطمة الزهراء عليها السلام) पैग़म्बर (स) की बेटी फ़ातिमा (स) की पाप और गलतियों से पवित्रता और प्रतिरक्षा है। शेख़ मुफ़ीद के अनुसार, हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत मुसलमानो के बीच सर्वसम्मति का मामला है, और अल्लामा मजलिसी के अनुसार, यह शियो के बीच सर्वसम्मति का मामला है। हज़रत फ़ातिमा (स) के मासूम होने का लाज़्मा यह है कि उनमे पैग़म्बरों और इमामो (अ) के कुछ गुण है, जैसे उनके भाषण,आचरण और तक़रीर (कोई व्यक्ति उनके सामने कुछ कहे या कोई कार्य करे और वो उसकी बात को सुनकर या कार्य को देख कर ख़ामोश रहे कुछ न कहें उसे तक़रीर कहते है) का हुज्जत होना, इसी तरह धर्म और धार्मिक शिक्षाओ का वर्णन और व्याख्या करने की क्षमता रखने के अलावा उनका व्यावहारिक पाठ्यक्रम (सीर ए अमली) और रुख हक़ और बातिल में अंतर करने के मानदंड हैं साथ ही, उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक आदर्श मॉडल माना जाता है।

हज़रत ज़हरा (स) की इस्मत के लिए जो तर्क प्रस्तुत किए गए हैं उनमे से कुछ इस प्रकार हैं: आय ए ततहीर, हदीस ए बज़्आ और वो हदीसे जो अहले-बैत (अ) की इस्मत पर दलालत करती है जैसे; हदीस सक़लैन और हदीस सफ़ीनासुन्नी टिप्पणीकार फ़ख़्रे राज़ी, जिन्हें इमाम अल-मुशक्केकीन के नाम से जाना जाता है, हज़रत फ़ातिमा की इस्मत मे विश्वास रखते हैं।

महत्व एवं स्थान

शियो के अनुसार पैग़म्बर (स) की बेटी फ़ातिमा को इस्मत का दर्जा प्राप्त है[१] और वह पाप और गलतियों से प्रतिरक्षित है[२]शेख़ मुफ़ीद[३] ने मुसलमानों की सर्वसम्मति और अल्लामा मजलिसी[४] ने आपकी इस्मत पर शियो की निश्चित सहमति (इज्माअ क़त्ई) का उल्लेख किया है।

शोधकर्ताओं ने हज़रत ज़हरा (स) की इस्मत को साबित करने के लिए कार्य प्रकाशित किए हैं, जिनमे कुछ इस प्रकार हैं:

  • पैग़म्बरों और इमामों के कुछ गुण और अधिकार का होना: हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत साबित होने की स्थिति मे आपके लिए पैग़म्बरों और इमामों के कुछ गुण हासिल है, जैसे आपके भाषण, आचरण और तक़रीर (कोई व्यक्ति उनके सामने कुछ कहे या कोई कार्य करे और वो उसकी बात को सुनकर या कार्य को देख कर ख़ामोश रहे कुछ न कहें उसे तक़रीर कहते है) का हुज्जत होना और धर्म की व्याख्या तथा उसके वर्णन करने की क्षमता रखना इत्यादि।[५]
  • सही को गलत से अलग करने का मानदंड: फ़ातिमा (स) की इस्मत इस बात का कारण बनती है कि आपका व्यावहारिक पाठ्यक्रम (सीर ए अमली) विभिन्न मुद्दो मे आप (स) का स्टेंड हक़ और बातिल के बीच अंतर का मानदंड है जैसे इमाम अली (अ) की ख़िलाफ़त और फ़दक की ज़ब्तीकरण मे आप (स) की आपत्ति और विरोध हक़ और बातिल के बीच अंतर का मानदंड है।[६]
  • एक आदर्श मॉदल होना: हज़रत ज़हरा (स) की इस्मत को स्वीकार करने की स्थिति मे उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों में एक आदर्श मॉडल माना जा सकता है; जैसा कि क़ुरआन[७] की कुछ आयतो मे पैगम्बरो के बारे मे इसकी व्याख्या की गई है।[८]

फ़ातिमा (स) की इस्मत का उल्लेख तफ़सीर की किताबो मे और क़ुरआन की कुछ आयतो के तहत किया गया है, और वही से यह धर्मशास्त्रीय स्रोतों (कलामी माखज़ो) और न्यायशास्त्र के सिद्धांतों में भी शामिल हो गया है[९] कहा गया है कि हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत के उल्लेख की तारीख रसूले खुदा (स) के समय, आपके कुछ फ़रमान और क़ुरआन की कुछ आयतो से जाकर मिलती है, क़ुरआन की आयते जैसे आय ए मुबाहेला और आय ए ततहीर मे हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत का उल्लेख मिलता है।[१०] हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत के बारे में पहली ऐतिहासिक रिपोर्ट भी पैग़म्बर (स) के स्वर्गवास के बाद के समय और फ़दक के ज़ब्तीकरण की घटना की ओर पलटती है, जिसमे इमाम अली (अ)[११] ने आय ए ततहीर के आधार पर हज़रत ज़हरा (स) की इस्मत का वर्णन किया है।[१२]

हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत साबित करने के लिए आय ए ततहीर का हवाला

मुख्य लेख: आय ए ततहीर

शिया विद्वानों ने हज़रत फ़ातिमा (स) की बेगुनाही साबित करने के लिए आय ए ततहीर का हवाला दिया है[१३] शिया[१४] और सुन्नियो[१५] से प्रसारित रिवायतो के अनुसार, यह आयत असहाबे केसा के सम्मान मे नाज़िल हुई है। इसलिए आयत मे अहले-बैत पंजेतन पैग़म्बर (स), इमाम अली (अ), हज़रत ज़हरा (स), हसन और हुसैन (अ) है।[१६] और कुछ दूसरी रिवायतो के आधार पर पैग़म्बर (स) हर दिन फ़ज्र की नमाज़, कुछ दूसरी रिवायतो के आधार पर हर नमाज़ मे हज़रत फ़ातिमा (स) के घर के द्वार पर आकर सलाम करते थे और कहते थेः हे अहले-बैत नमाज़ नमाज़! और फिर आय ए ततहीर का पाठ करते थे।[१७] फ़ख़्रे राज़ी आय ए ततहीर की शाने नुज़ूल मे और असहाब केसा के संबंध मे बयान की जाने वाली रिवायतो को हदीसी विद्वानो और टिप्पणीकारो के बीच सहमती समझते है।[१८] इस आयत मे अहले-बैत (अ) से घृणित चीजों से दूर रखने के संबंध मे परमात्मा की इच्छा का उल्लेख हुआ है और अहले-बैत (अ) को घृणित चीजों और अशुद्धता से पवित्र रखने का इस्मत कहते है।[१९]

पैग़म्बर (स) की एक हदीस मे उल्लेख किया गया है कि जिनकी शान मे आय ए ततहीर नाज़िल हुई, वो मासूम है और उसके उदाहरण: अली और फ़ातिमा (स), हसन और हुसैन है।[२०] हज़रत अली (स) फ़दक की घटना के संबंध मे आय ए ततहीर के माध्यम से हज़रत ज़हरा (स) की हर पाप से पवित्रता को साबित किया है।[२१] कहा जाता है कि आय ए मुबाहेला भी हज़रत फ़ातिमा (स) इस्मत पर दलालत करती है।[२२]

हदीस बिज़्आ से हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत साबित करना

मुख्य लेख: हदीस बिज़्आ

हज़रत ज़हरा (स) के मासूम होने के तर्को मे से एक तर्क हदीस बिज़्आ है।[२३] इस हदीस को अल्लामा मजलिसी ने मुतावातिर माना है,[२४] इस हदीस का सार यह है कि जिसने फ़ातिमा को कष्ट और पीड़ा पहुचाई उसने अल्लाह के रसूल (अ) को पीड़ा पहुचाई और जिसने फ़ातिमा (स) को प्रसन्न किया उसने अल्लाह के रसूल (अ) को प्रसन्न किया। इस आधार पर यदि हज़रत ज़हरा (स) किसी पाप मे लिप्त होती तो पूर्ण रूप से हर स्थिति मे उनको कष्ट और पीड़ा पहुचाना अल्लाह के रसूल (स) को कष्ट और पीड़ा पहुचाना नही माना जाएगा; क्योंकि उदाहरण के लिए, यदि किसी ने फ़ातिमा (स) को पाप करने से रोककर कष्ट पहुँचाया, तो उसका कष्ट अनावश्यक होता और इस कारण से पैग़म्बर (स) को उनके आदेशों की अवज्ञा करने से कष्ट नहीं होता,[२५] चूँकि ईश्वर केवल नेक कर्मों से प्रसन्न होता है और पाप और उसके आदेशों की अवज्ञा को स्वीकार नहीं करता है, यदि हज़रत ज़हरा (स) ने कोई पाप किया होता, तो वह किसी ऐसी चीज़ से प्रसन्न थी जिससे ईश्वर अप्रसन्न है।[२६] इस हदीस के अनुसार कुछ विद्वान, गुनाह से इस्मत और कुछ जैसे की आयतुल्लाह वहीद ख़ोरासानी ने पूर्णरूप से अचूकता (पाप और त्रुटि से निर्दोषता) मानी है।[२७]]

हदीस बिज़्आ का सहीह बुख़ारी[२८] और सहीह मुस्लिम[२९] जैसे सुन्नी स्रोतों मे वर्णन किया गया है,[३०] कुछ हदीसो मे फ़ातिमा (स) की खुशी और नाराज़गी को परमेश्वर की खुशी और नाराज़गी माना गया है।[३१]

हदीस सक़लैन और सफ़ीना का उपयोग करके फ़ातिमा (स) की इस्मत साबित करना

अल्लामा मजलिसी के अनुसार, अहले-बैत (अ) की इस्मत साबित करने वाली हदीसें, जैसे हदीस सक़लैन और हदीस सफ़ीना को भी फ़ातिमा (स) की इस्मत की दलील माना जाता है[३२] क्योकि फ़ातिमा (स) निश्चित रूप से अहले-बैत (अ) की एक कड़ी है।[३३] अल्लामा मजलिसी के अनुसार वो हदीसे जो अहले-बैत (अ) का अनुसरण करने की आवश्यकता पर दलालत करती है जैसे हदीस सक़लैन और हदीस सफ़ीना, हज़रत फ़ातिमा (स) की इस्मत पर भी दलालत करती है क्योकि अनुसरण की आवश्यकता केवल मासूमो के लिए साबित है। जो शख्स गुनाह करता है, उससे न यह कि उसका अनुसरण करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि नही अज़ मुंकर के अध्याय (बुराई की मनाही के कारण) से उसे मना करना और इनकार करना भी अनिवार्य है।[३४]

एक हदीस मे है कि पैग़म्बर (स) ने स्वर्गारोहण की रात (शबे मेराज) फ़ातिमा और शियो के इमामो की रोशनी देखी और परमात्मा से पूछा कि वे कौन हैं, उन्हें बताया गया कि वे अली, फ़ातिमा, हसन, हुसैन और उनके बच्चे है जोकि पवित्र और मासूम हैं।[३५]

फ़ातिमा (स) की इस्मत के बारे मे सुन्नीयो का दृष्टिकोण

शहाबुद्दीन आलूसी (मृत्यु:1270हिजरी) जैसे क़ुरआन के सुन्नी मुफ़स्सिर وَإِذْ قَالَتِ الْمَلَائِكَةُ يَا مَرْيَمُ إِنَّ اللهَ اصْطَفَاكِ وَطَهَّرَكِ وَاصْطَفَاكِ عَلَىٰ نِسَاءِ الْعَالَمِينَ؛ वइज़ क़ालतिल मलाएकतो या मरयमो इन्नल्लाहस तफ़ाके व तह्हरके वस तफ़ाके अला नेसाइल आलमीना; और [याद करें] वह समय जब स्वर्गदूतों ने कहा: "हे मरयम, भगवान ने तुम्हें चुना है और तुम्हें शुद्ध किया है और तुम्हें दुनिया की महिलाओं पर श्रेष्ठता दी है"[३६] इस आयत के आधार पर हज़रत मरयम को पाप और त्रुटि से पवित्र माना गया है और फ़िर फ़ातिमा (स) को मरयम (स) से श्रेष्ठ माना गया है।[३७]

शिया विद्वान हसन हसनज़ादेह आमोली (निधन: 2021 ईस्वी), छटी शताब्दी हिजरी के सुन्नी टिप्पणीकार फ़ख़्रे राज़ी के अनुसार भले ही हर चीज़ पर संदेह करते थे और उन्हें "इमाम अल-मुशक्केकीन" के नाम से जाना जाता था, उन्हे हज़रत ज़हरा (स) की इस्मत पर कोई संदेह नही था।[३८]

फ़ुटनोट

  1. देखेः मुफ़ीद, अल फ़ुसूल अल मुख्तारोह, 1413 हिजरी, पेज 88; सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ी अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95; इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 232; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 335
  2. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 69
  3. मुफ़ीद, अल फ़ुसूल अल मुख़्तारोह, 1413 हिजरी, भाग 29, पेज 235
  4. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 335
  5. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 72
  6. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 72
  7. देखेः सूर ए अहज़ाब, आयत न 21 सूर ए मुम्तहेना, आयत न 4
  8. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 72
  9. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 72
  10. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 71
  11. देखेः सदूक़, एलल अल शराए, 1385 शम्सी, भाग 1, पेज 191-192
  12. काफ़ी व शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), पेज 71
  13. देखेः सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ी अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 335
  14. देखेः कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 287; बहरानी, ग़ायत अल मराम, 1422 हिजरी, भाग 3, पेज 193-211
  15. देखेः मुस्लिम नेशाबूरी, सहीह मुस्लिम, दार एहया अल तुरास अल अरबी, भाग 4, पेज 1883, हदीस 61; तिरमिज़ी, सुनन तिरमिज़ी, 1395 हिजरी, भाग 5, पेज 351, हदीस 3205 और पेज 352, हदीस 3206 तथा पेज 663, हदीस 3787; इब्ने हंबल, सुनन अल इमाम अहमद बिन हंबल, 1421 हिजरी, भाग 28, पेज 195, भाग 44, पेज 118-121
  16. बहरानी, ग़ायत अल मराम, 1422 हिजरी, भाग 3, पेज 193; तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 16, पेज 311; सुब्हानी, मंशूरे जावेद, 1383 शम्सी, भाग 4, पेज 387-392
  17. देखेः कूफ़ी, तफसीर फ़रात अल कूफ़ी, 1410 हिजरी, पेज 338-339; तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 16, पेज 318–319; तबरानी, अल मोजम अल कबीर, 1415 हिजरी, भाग 22, पेज 402
  18. फ़ख्रे राज़ी, अल तफसीर अल कबीर, 1420 हिजरी, भाग 8, पेज 247
  19. फ़ारयाब, इस्मत इमाम दर तारीख तफ़क्कुर इमामिया, 1390 शम्सी, पेज 335-336
  20. कूफ़ी, तफसीर फ़रात अल कूफ़ी, 1410 हिजरी, पेज 339-340
  21. देखेः सदूक़, एलल अल शराए, 1385 शम्सी, भाग 1, पेज 191-192
  22. देखेः अंसारी ज़ंजानी, मोसूआ अल कुबार, नश्र दलीलोना, भाग 21, पेज 132; आयात मुबाहेला, ततहीर व रेवायात, इस्मत हज़रत फ़ातिमा (स) रा साबित मी कुनद, खबरगुज़ारी शबिस्तान
  23. देखेः सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ी अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95; इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 333; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 335
  24. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 335
  25. सय्यद मुर्तज़ा, अल शाफ़ी फ़ी अल इमामा, 1410 हिजरी, भाग 4, पेज 95; इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 333; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 337-338
  26. सुब्हानी, पुज़ूहिशी दर शनाख्त व इस्मत इमाम, 1389 शम्सी, पेज 27
  27. देखेः रूही बरंदक़, क़लमरौ इस्मत फ़ातिमा ज़हरा (स) दर हदीस फ़ातिमा बिज़्अतो मिन्नी, पेज 83-85
  28. बुखारी, सहीह अल बुखारी, 1422 हिजरी, भाग 5, पेज 21 और 29
  29. मुस्लिम नेशाबूरी, सहीह मुस्लिम, दार एहया अल तुरास अल अरबी, भाग 4, 1902 और 1903
  30. देखेः मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 336-337; तबरानी, अल मोजम अल कबीर, 1415 हिजरी, भाग 22, पेज 404 और 405
  31. देखेः सदूक़, ओयून अखबार अल रज़ा (अ), 1378 हिजरी, भाग 2, पेज 46-47; मुफ़ीद, अल अमाली, 1413 हिजरी, पेज 95; तबरानी, अल मोजम अल कबीर, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 108 और भाग 22, पेज 401; इब्ने मग़ाज़ली, मनाक़िब अल इमाम अली बिन अबि तालिब, दार अल अज़्वा, पेज 284-285
  32. सुब्हानी, पुज़ूहिशी दर शनाख्त व इस्मत इमाम, 1389 शम्सी, पेज 27; मोहक़्क़िक़, इस्मत अज़ दीदगाह शिया व अहले सुन्नत, 1391 शम्सी, पेज 256
  33. मोहक़्क़िक़, इस्मत अज़ दीदगाह शिया व अहले सुन्नत, 1391 शम्सी, पेज 256
  34. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 29, पेज 340
  35. खज़्ज़ाज़ राज़ी, किफाया अल असर, 1401 हिजरी, पेज 185-186
  36. सूर ए आले इमरान, आयत न 42
  37. देखेः आलूसी, रूह अल मआनी, 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 149-150; मज़हरी, तफ़सीर अल मज़हरि, 1412 हिजरी, भाग 2, खंड 1, पेज 47-48
  38. हसन ज़ादा आमोली, हज़ार व यक नुकते, 1365 शम्सी, पेज 603, नुक्ते न 748

स्रोत

  • आसूली, महमूद बिन अब्दुल्लाह, रूह अल-मआनी फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन अल-अज़ीम व अल-सब्अ अल-मसानी, शोधः अली अब्दुल बारी अत्या, बैरूत, दार अल कुतुब अल-इल्मीया, मंशूरात मुहम्मद अली बैज़ून, 1415 हिजरी
  • आयात मुबाहेला, ततहीर व रिवायात, इस्मत हज़रत फ़ातिमा (स) रा साबित मी कुनद, खबरगुज़ारी शबिस्तान, सम्मिलन की तारीख 19 इस्फ़ंद 1396 शम्सी, वीज़िट की तारीख 11 शहरिवर, 1400 शम्सी
  • इब्न हंबल, अहमद बिन मुहम्मद बिन हंबल, मुसनद अल इमाम अहमद बिन हंबल, शोधः शौएब अल-अरनवूत, आदिल मुरशिद व दिगरान, बैरूत, मोअस्सेसा अल रेसालत, पहला संस्करण, 1421 हिजरी
  • इब्न शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िब आले अबि तालिब (अ), क़ुम, अल्लामा, पहला संस्करण, 1379 हिजरी
  • इब्ने मग़ाज़ली, मनाक़िब अल इमाम अली बिन अबि तालिब, दार अल अज़्वा
  • अंसारी ज़ंजानी, इस्माईल, मोसूआ अल कुबरा अन फ़ातिमा अल ज़हरा (स), क़ुम, नशर दलीलोना
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  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली, ओयून अखबार अल रज़ा (अ), शोधः महदी लाजवरदी, तेहरान, नशर जहान, पहला संस्करण, 1378 हिजरी
  • तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी, दूसरा संस्करण, 1390 हिजरी
  • तबरानी, सुलैमान बिन अहमद, अल मोअजम अल कबीर, शोधः हमदी बिन अब्दुल मजीद अल सल्फी, क़ाहिरी, बिने तैमीयाह, दूसरा संस्करण, 1415 हिजरी
  • फ़ारयाब, मुहम्मद हुसैन, इस्मत इमाम दर तारीख तफक्कुर इमामिया ता पायान क़र्ने पंचम हिजरी, मोअस्सेसा आमूज़िशी व पुज़ूहिशी इमाम ख़ुमैनी, पहला संस्करण 1390 शम्सी
  • फ़ख्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, अल तफसीर अल कबीर (मफ़ातीह अल गैब), बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, तीसरा संस्करण 1420 हिजरी
  • काफ़ी, अबुदल हुसैन व जवाद शफ़ीईयान, इस्मत फ़ातिमा (स), दर दानिशनामा फ़ातेमी, (भाग 3), तेहरान, पुजूहिशगाह फ़रहंग व अंदीशे इस्लामी, पहला संस्करण 1393 शम्सी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याकूब, अल काफ़ी, शोधः अली अकबर गफ़्फ़ारी व मुहम्मद आख़ूंदी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी
  • कूफ़ी, फ़रात बिन इब्राहीम, तफसीर फरात अल कूफ़ी, शोध व संशोधनः मुहम्मद काज़िम, तेहरान, वज़ारत फ़रहंग व इरशाद इस्लामी, पहला संस्करण, 1410 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार अल-जामे लेदुरर अखबार अल आइम्मा अल अत्हार (अ), बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी
  • मुहक़्क़िक़, फ़ातिमा, इस्मत अज़ दीदगाह शिया व अहले सुन्नत, शोध व बररसीः ख़लील बख्शी ज़ादे, क़ुम, आशयाना मेहर, पहला संस्करण, 1391 शम्सी
  • मुस्लिम नेशाबूरी, मुस्लिम बिन हज्जाज, सहीह अल मुस्लिम, शोधः मुहम्मद फ़ुवाद अब्दुल बाक़ी, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी
  • मज़हरि, मुहम्मद सनाउल्लाह, तफसीर अल मज़हरि, पाकिस्तान, कोयटा, मकतब रशीदीया, पहला संस्करण 1412 हिजरी
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन नौमान, अल आमाली, शोधः हुसैन उस्ताद वली व अली अकबर गफ़्फ़ारी, क़ुम, कुंगरे शेख मुफ़ीद, पहला संस्करण, 1413 हिजरी
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन नौमान, अल फ़ुसूल अल मुख़्तारोह, क़ुम, कुंगरे जहानी शेख मुफ़ीद, पहला संस्करण 1413 हिजरी