बनी हाशिम का महल्ला

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बनी हाशिम के महल्ले में इमाम सादिक़ (अ) से मंसूब घर का चित्र[१]

बनी हाशिम का महल्ला (अरबी: محلة بني هاشم) मदीना में बनी हाशिम का निवास स्थान, जो मस्जिद अल नबी और बक़ीअ क़ब्रिस्तान के बीच स्थित था। इमाम सज्जाद (अ) और इमाम सादिक़ (अ) का घर इसी महल्ले में स्थित था। शिया शोक अनुष्ठान में, इस महल्ले और इसकी गलियों को, बनी हाशिम के महल्ले में हुई घटना जिसके कारण हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की शहादत हुई के कारण याद किया जाता है। इस महल्ले के अवशेष वर्ष 1985 ईस्वी तक रहे, लेकिन वहाबियों द्वारा नष्ट कर दिए गए।

जगह

बनी हाशिम का महल्ला, मस्जिद अल नबी के बाबे जिब्राईल और बाब अल निसा के सामने की गलियां और घर थें, जो बक़ीअ क़ब्रिस्तान तक थे।[२] इमाम सज्जाद (अ)[३] और इमाम सादिक़ (अ)[४] और अबू अय्यूब अंसारी के घर, मदीना में प्रवास करने के बाद जहां पैग़म्बर (स) सात महीने तक रहे थे।[५] इसी महल्ले में स्थित थे। शिया स्रोतों में, इमाम सज्जाद (अ) और इमाम सादिक़ (अ) के घर में नमाज़ पढ़ने की सिफ़ारिश की गई है।[६]

परिवर्तन

वर्ष 91 हिजरी में, उमय्या ख़लीफ़ा वलीद बिन अब्दुल मलिक के आदेश से बनी हाशिम के महल्ले में पहला परिवर्तन हुआ, मस्जिद अल नबी का विकास करने के उद्देश्य से पैग़म्बर (स) के घरों को नष्ट कर दिया गया। इस कार्रवाई पर मदीना के लोगों की ओर से नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई। लोगों की नाराज़गी का कारण यह था कि वे चाहते थे कि पैग़म्बर (स) की चीज़ें उनके बीच संरक्षित रहें ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चले कि वह कितने सरल जीवन जीते थे।[७]

1985 से 1987 के वर्षों में, बनी हाशिम के महल्ले को आले सऊद द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था और बक़ीअ क़ब्रिस्तान तक का स्थान मस्जिद अल नबी आंगन की विकास योजना में शामिल किया गया था।[८] पूर्ण विनाश से पहले, इमाम सज्जाद (अ) का घर और इमाम सादिक़ (अ) का घर प्रसिद्ध रहा है।[९]

बनी हाशिम के महल्ले की घटना

मुख्य लेख: बनी हाशिम के महल्ले की घटना

इमाम सादिक़ (अ) द्वारा वर्णित एक हदीस में, फ़दक के बारे में अबू बक्र और हज़रत फ़ातिमा (स) के बीच बहस के बाद, फ़ातिमा (स) अबू बक्र के पास लौट आईं और अबू बक्र ने फ़ातिमा (स) के लिए कागज़ के एक टुकड़े पर फ़दक की अस्वीकृति लिखी। फ़ातिमा (स) का अबू बक्र के पास से चले जाने के बाद, उमर बिन ख़त्ताब ने उन्हें गली में देखा और उमर को फ़दक प्रमाणपत्र सौंपने से इंकार करने के बाद, उसने हज़रत फ़ातिमा (स) को मारा और ज़बरदस्ती उनसे फ़दक प्रमाणपत्र ले लिया और उसे फाड़ दिया। इस घटना में फ़ातिमा (स) गंभीर रूप से घायल हो गईं और 75 दिन बाद उनकी शहादत हो गई।[१०]

हाल के वर्षों में, फ़ातेमिया में, क़ुम और तेहरान जैसे कुछ ईरानी शहरों में, बनी हाशिम का महल्ला और हज़रत ज़हरा (स) के घर की प्रदर्शनियाँ और प्रतिकृतियाँ बनाई जाती हैं और जनता द्वारा देखी जाती हैं।[११]

फ़ुटनोट

  1. बनी हाशिम की गली और वह स्थान जहां फ़डक का प्रमाणपत्र फाड़ा गया था, अबना समाचार एजेंसी।
  2. क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 229।
  3. क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 406।
  4. क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 234 और 406।
  5. क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 406 और 407।
  6. मजलिसी, बिहार अल अनवार, 1403 हिजरी, खंड 97, पृष्ठ 225।
  7. जाफ़रयान, आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 298।
  8. क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1386 शम्सी, पृष्ठ 229; फ़ैज़ गीलानी, "शनीदनीहाए सफ़रे हज", पृष्ठ 158।
  9. फ़ैज़ गीलानी, "शनीदनीहाए सफ़रे हज", पृष्ठ 158।
  10. मुफ़ीद, अल इख़्तेसास, 1413 हिजरी, पृष्ठ 185।
  11. बनी हाशिम की गली की प्रदर्शनी, मेहर समाचार एजेंसी; बनी हाशिम का गली की प्रदर्शनी, इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी।

स्रोत

  • जाफ़रयान, रसूल, आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, तेहरान, मशअर पब्लिशिंग हाउस, 8वां संस्करण, 1386 शम्सी।
  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इख़्तिसास, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, 1413 हिजरी।
  • फ़ैज़ गिलानी, मुहम्मद अली, "शनीदनीहाए सफ़रे हज", मिक़ात हज पत्रिका, नंबर 48, ग्रीष्मकालीन 1383 शम्सी।
  • क़ायदान, असग़र,तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, तेहरान, मशअर पब्लिशिंग हाउस, 1386 शम्सी।
  • "बनी हाशिम की गली और वह स्थान जहां फ़दक के प्रमाणपत्र को फाड़ा गया था", अबना समाचार एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 24 फ़रवरदीन, 1392 शम्सी।
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार अल अनवार, बेरूत, दार एह्या अल तोरास अल अरबी, 1403 हिजरी।
  • "बनी हाशिम की गली की प्रदर्शनी", मेहर समाचार एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 25 इस्फंद, 1392 शम्सी।
  • "बनी हाशिम की गली की प्रदर्शनी", इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 10 फ़रवरदीन 1393 शम्सी।