सुफ़यानी का ख़ुरुज
सुफ़यानी का ख़ुरूज (अरबी: خروج السفياني) हज़रत महदी (अ) के ज़ुहूर से सम्बंधित पांच निश्चित घटनाओं में से एक है और यह शाम क्षेत्र में होगा। इमाम रज़ा (अ) की एक हदीस के अनुसार, क़ायम का ज़ुहूर, सुफ़यानी के ख़ुरूज के बिना नहीं होगा। अन्य हदीसों में, 9 महीने शाम पर शासन करने के बाद, सुफ़यान मदीना की ओर बढ़ेगा और बैदा नामक स्थान पर रूकेगा।
शिया और सुन्नी हदीसों में, सुफ़यान को अबू सुफ़यान का वंशज माना गया है, जो ख़ूनी और क्रूर है और लोग उसे देखकर डरेंगे। उनके कई नामों का उल्लेख किया गया है, जिनमें अनबसा बिन मर्रा भी शामिल है
जीवनी और विषेशताएं
शिया और सुन्नी हदीसी स्रोतों में, सुफ़यानी के विभिन्न नामों का उल्लेख है; इमाम अली (अ) की विभिन्न हदीसों में, उनका नाम, अंबासा बिन मर्रा,[१] हर्ब बिन अंबासा,[२] और उस्मान बिन अंबासा,[३] अबू सुफ़यान के वंशजों में से एक का उल्लेख किया गया है।[४] सुन्नी स्रोतों में उनका नाम, हर्ब बिन अंबासा[५] और मुआविया बिन अत्बा माना गया है।[६]
हदीसों में सुफ़यानी को बहुत ख़ूनी, क़ातिल और क्रूर के रूप में दर्शाया गया है।[७] इसके अलावा, इमाम अली (अ) द्वारा वर्णित हदीस के अनुसार, सुफ़यानी चार कंधों, चेहरे पर चेचक के दाग और एक आँख वाला व्यक्ति है जिसे देख कर लोग डरेंगे।[८] इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस के आधार पर जो बिहारुल अनवार में वर्णित हुई है, सुफ़यानी शियों का दुश्मन है और कूफ़ा में उसका दूत घोषणा करेगा कि जो कोई शिया का सिर काटेगा, वह उसे एक हज़ार दिरहम देगा।[९]
निश्चितता
इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस में सुफ़यानी का ख़ुरूज निश्चित माना गया है[१०] और यमानी का विद्रोह, आसमानी चीख़, नफ़्से ज़किया की हत्या और ख़स्फ़े बैदा, के साथ सुफ़यानी का ख़ुरूज भी क़ायम के ज़ुहूर से पहले होने पाँच संकेतों में से एक है।[११]
इसके अलावा, इमाम रज़ा (अ) की एक हदीस के अनुसार, ईश्वर की ओर से क़ायम का ज़ुहूर निश्चित है, और सुफ़यानी का ख़ुरूज भी निश्चित है, और सुफ़यानी के ख़ुरूज के बिना क़ायम का ज़ुहूर नहीं होगा।[१२] इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस में सुफ़यानी के ख़ुरूज को निश्चित और इसे रजब के महीने में माना गया है।[१३] इमाम बाक़िर (अ) की एक हदीस यह बताती है कि ख़ुरजे सुफ़यानी, सय्यद यमानी और सय्यद ख़ोरासानी, एक वर्ष, एक महीने और एक ही दिन में होगा।[१४]
ख़स्फ़े बैदा: सुफ़यानी का नाश
- मुख्य लेख: ख़स्फ़े बैदा
पैग़म्बर (स) की एक हदीस में, इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर के संकेतों में से एक सीरिया (शाम) से मक्का की ओर एक सेना का प्रस्थान और बैदा (मक्का और मदीना के बीच रेगिस्तान) नामक भूमि में उनका नाश होना है जिसका उल्लेख हदीसी स्रोतों ख़स्फ़े बैदा के नाम से किया गया है।[१५] एक अन्य हदीस के अनुसार, इमाम अली (अ) ने सूरा ए सबा وَ لَوْ تَرىٰ إِذْ فَزِعُوا فَلاٰ فَوْتَ وَ أُخِذُوا مِنْ مَكٰانٍ قَرِيبٍ (वा लौ तरा इज़ फ़ज़ेऊ फला फ़ौता वा ओख़िज़ू मिन मकानिन क़रीब) की आयत 51 के एक भाग के बारे में सुफ़यानी का उल्लेख किया, और कहा है कि 9 महीने वह शाम में शासन करेगा और मदीना की ओर बढ़ेगा, भगवान उसे बैदा में ज़मीन में धसा देगा।[१६]
वास्तविक या प्रतीकात्मक चिन्ह?
सय्यद मुहम्मद सद्र (1322-1377), 14वीं शताब्दी के मराजे ए तक़लीद में से एक, अपनी पुस्तक तारीख़ अल-ग़ैबा अल-कुबरा में, सुफ़यानी को इस्लामी समाज में विचलन का प्रतीक मानते हैं।[१७] हालांकि, उनके जवाब में कहा गया है कि संकेतों के ज़ुहूर के संकेतों को एक रहस्य के रूप में जानना हदीसों के ज़ाहिर के विपरीत है।[१८] और ज़ुहूर के संकेत कारण बनते हैं और इसके द्वारा इमाम महदी (अ) और झूठे दावेदारों की पहचान होती है,[१९] को रद्द किया जाना है।[२०]
सम्बंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ इब्ने ताऊस, अल-तशरीफ़ बिलमेनन, 1416 हिजरी, पृष्ठ 296; फ़तलावी, अलामात अल महदी अल मुंतज़र, 1421 हिजरी, पृष्ठ 279।
- ↑ शुश्त्री, अहक़ाक़ अल-हक़, 1409 हिजरी, पृष्ठ 567; फ़तलावी, अलामात अल महदी अल मुंतज़र, 1421 हिजरी, पृष्ठ 337।
- ↑ ताज अल-दीन, मजालिस अल-महदविया, 1437 हिजरी, पृष्ठ 223।
- ↑ शुश्त्री, अहक़ाक़ अल-हक़, 1409 हिजरी, पृष्ठ 567; फ़तलावी, अलामात अल महदी अल मुंतज़र, 1421 हिजरी, पृष्ठ 337; ताज अल-दीन, मजालिस अल-महदविया, 1437 हिजरी, पृष्ठ 223।
- ↑ मुक़द्दसी, अक़द अल-दोरर, 1428 हिजरी, पृष्ठ 128।
- ↑ मुक़द्दसी, अक़द अल-दोरर, 1428 हिजरी, पृष्ठ 116।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें: इब्ने ताऊस, अल-तशरीफ़ बिलमेनन, 1416 हिजरी पृष्ठ 115-117; मुक़द्दसी, अक़द अल-दोरर, 1428 हिजरी, पृष्ठ 76।
- ↑ देखें: अल्लामा मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 52, पृष्ठ 205।
- ↑ अल्लामा मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 52, पृष्ठ 215।
- ↑ शेख़ सदूक़, कमाल अल-दीन, 1429 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 678, हदीस 5; पृष्ठ 680, हदीस 14 और 15।
- ↑ शेख़ सदूक़, कमाल अल-दीन, 1429 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 678, हदीस 5।
- ↑ हिमयरी, क़ुर्बुल अस्नाद, पृष्ठ 374, 1329 हिजरी।
- ↑ नोमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पृष्ठ 302।
- ↑ नोमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पृष्ठ 369।
- ↑ इब्ने ताऊस, अल-तशरीफ़ बिलमेनन, 1416 हिजरी, पृष्ठ 158, हदीस 205 और 206।
- ↑ नोमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पृष्ठ 305।
- ↑ सद्र, तारीख़ अल-ग़ैबा अल-कुबरा, 1412 हिजरी, पृष्ठ 484।
- ↑ मोहम्मदी रय शहरी, दानिश नामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 460।
- ↑ मोहम्मदी रय शहरी, दानिश नामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 414-415।
- ↑ मोहम्मदी रय शहरी, दानिश नामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 460।
स्रोत
- इब्ने ताऊस, अली इब्ने मूसा, अल-तशरीफ बिल मेनन फ़ी अल-तारीफ़ बिल फ़ेतन: या अल-मलाहिम वल फ़ेतन, इस्फ़ाहान, गुलबहार, 1416 हिजरी।
- ताज अल-दीन, महदी, अल मजालिस अल-महदविया, क़ुम, अल-हैदरिया संस्थान, 1437 हिजरी।
- हिमयरी, अब्दुल्लाह बिन जाफ़र, क़ुर्बुल अस्नाद, क़ुम, आल-अल-बैत फ़ाउंडेशन, 1413 हिजरी।
- शुश्त्री, नुरुल्लाह बिन शरीफ़ुद्दीन, अहक़ाक़ अल-हक़ व इज़हाक़ अल-बातिल, शहाबुद्दीन मर्शी नजफ़ी द्वारा मुक़द्दमे के साथ, क़ुम, आयतुल्लाह अल उज़मा मर्शी अल-नजफ़ी के स्कूल, 1409 हिजरी।
- शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमाल अल-दीन व तमाम अल-नेअमा, अली अकबर ग़फ़्फारी द्वारा शोध, क़ुम, अल-नशर अल-इस्लामी फाउंडेशन, 1429 हिजरी।
- सद्र, सय्यद मुहम्मद, तारीख़ अल-ग़ैबा अल-कुबरा, बैरूत, दार अल-तारीफ़ प्रकाशनों के लिए, 1412 हिजरी।
- अल्लामा मजलिसी, मोहम्मद बाक़िर, बिहारुल अनवार अल-जामेआ ले दोररे अख़्बार अल आइम्मा अल अतहार, बैरूत, अल-वफ़ा फाउंडेशन, 1403 हिजरी/1983 ई।
- फ़तलावी, महदी हम्द, अलामात अल महदी अल मुंतज़र अलैहिस सलाम फ़ी ख़तब अल इमाम अली अलैहिस सलाम व रेसाला व अहादीसिया, बैरूत, दार अल-हादी, 1421 हिजरी/2001 ईस्वी।
- मोहम्मदी रयशहरी, मुहम्मद, दानिश नामे इमाम महदी (अ.ज) बर पाय ए क़ुरआन (खंड 7), हदीस और तारीख़, क़ुम, दार अल-हदीस वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संस्थान, 1393 शम्सी।
- मुक़द्दसी शाफ़ेई सलमी, युसूफ बिन यहया, इक़्द अल दोरर फ़ी अख़्बार अल मुंतज़र, अब्दुल फ़त्ताह मोहम्मद हलू द्वारा शोध, अली नज़री मुनफ़रिद द्वारा संपादित , क़ुम, जमकरान मस्जिद, 1428 हिजरी।
- नोमानी, मुहम्मद बिन इब्राहीम, अल-ग़ैबा, अली अकबर गफ़्फ़ारी द्वारा संपादित, तेहरान, अल-सदूक़ स्कूल, 1397 हिजरी।