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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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=== शिम्र ज़िल-जोशन का शरण पत्र ===
=== शिम्र ज़िल-जोशन का शरण पत्र ===
मुहर्रम की नौवीं रात को शिम्र ने इमाम हुसैन (अ) के असहाब के सामने खड़े होकर कहा: मेरे भांजे कहाँ हैं?! अब्बास, जाफ़र और उस्मान तंबू से बाहर आए और कहा: क्या चाहते हो? शिम्र ने कहा: आप सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा: यदि तुम हमारे मामा हो, तो तुम्हारे और तुम्हारे शरण पत्र पर अल्लाह लानत करे। केवल हमारे लिए शरण पत्र लाए और [[पैगंबर (स)]] के बेटे को छोड़ दिया।<ref>अबू मख़नफ़, मक़तलुल हुसैन, पेज 104; तबरी, तारीखे तबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भगा 4, पेज 315; शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 89; तबरसी, ऐलाम उल-वरा, दार उल कुतुब उल-इस्लामीया, भाग 1, पेज 454; दमिश्की, जवाहेरूल मतालिब, 1416 हिजरी, भाग 2, पेज 281</ref>
मुहर्रम की नौवीं रात को शिम्र ने इमाम हुसैन (अ) के असहाब के सामने खड़े होकर कहा: मेरे भांजे कहाँ हैं?! अब्बास, जाफ़र और उस्मान तंबू से बाहर आए और कहा: क्या चाहते हो? शिम्र ने कहा: आप सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा: यदि तुम हमारे मामा हो, तो तुम्हारे और तुम्हारे शरण पत्र पर अल्लाह लानत करे। केवल हमारे लिए शरण पत्र लाए और [[पैगम़्बर (स)]] के बेटे को छोड़ दिया।<ref>अबू मख़नफ़, मक़तलुल हुसैन, पेज 104; तबरी, तारीखे तबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भगा 4, पेज 315; शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 89; तबरसी, ऐलाम उल-वरा, दार उल कुतुब उल-इस्लामीया, भाग 1, पेज 454; दमिश्की, जवाहेरूल मतालिब, 1416 हिजरी, भाग 2, पेज 281</ref>


इब्ने आसिम (मृत्यु 314 हिजरी) इस प्रकार लिखता है कि जब शिम्र ने [[उम्मुल बनीन]] के बेटो को आवाज़ दी हुसैन (अ) ने अपने भाईयो से कहाः उसका जवाब दीजिए, चाहे फासिक़ ही क्यो ना हो, क्योकि वो तुम्हारा मामा है। हज़रत अब्बास (अ) और उनके भाईयो ने शिम्र से कहाः क्या कहा?  शिम्र ने कहाः हे मेरे भांजो! तुम लोग सुरक्षित हो। हुसैन के साथ खुद को मत मारो और [[अमीरुल मोमिनीन (उपनाम)|अमीरुल मोमिनीन]] [[यज़ीद]] की बात मानो। उस समय, अब्बास बिन अली ने कहा: डूब मर शिम्र! हे खुदा के दुश्मन तुझ पर और तेरे शरण पत्र पर खुदा लानत करे! हमसे दुश्मन की आज्ञा मानने और अपने भाई की मदद करना बंद करने के लिए कह रहा हैं?।<ref>इब्ने आसिम, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 94</ref>
इब्ने आसिम (मृत्यु 314 हिजरी) इस प्रकार लिखता है कि जब शिम्र ने [[उम्मुल बनीन]] के बेटो को आवाज़ दी हुसैन (अ) ने अपने भाईयो से कहाः उसका जवाब दीजिए, चाहे फासिक़ ही क्यो ना हो, क्योकि वो तुम्हारा मामा है। हज़रत अब्बास (अ) और उनके भाईयो ने शिम्र से कहाः क्या कहा?  शिम्र ने कहाः हे मेरे भांजो! तुम लोग सुरक्षित हो। हुसैन के साथ खुद को मत मारो और [[अमीरुल मोमिनीन (उपनाम)|अमीरुल मोमिनीन]] [[यज़ीद]] की बात मानो। उस समय, अब्बास बिन अली ने कहा: डूब मर शिम्र! हे खुदा के दुश्मन तुझ पर और तेरे शरण पत्र पर खुदा लानत करे! हमसे दुश्मन की आज्ञा मानने और अपने भाई की मदद करना बंद करने के लिए कह रहा हैं?।<ref>इब्ने आसिम, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 94</ref>
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