शेख़ तूसी
- अन्य प्रयोगों के लिए, तूसी देखें।
पूरा नाम | मुहम्मद बिन हसन बिन अली बिन हसन |
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उपनाम | शेख़ तूसी और शेेख़ अल ताएफ़ा |
जन्म तिथि | रमज़ान वर्ष 385 हिजरी |
जन्म स्थान | तूस |
मृत्यु तिथि | सोमवार रात्रि 22 मुहर्रम वर्ष 460 हिजरी |
समाधि स्थल | मस्जिदे शेख़ तूसी (नजफ़) |
प्रसिद्ध रिश्तेदार | अबू अली तूसी (पुत्र) |
गुरू | शेख़ मुफ़ीद, इब्ने हाशिर बज़्ज़ाज़, सय्यद मुर्तज़ा |
शिष्य | अबुस्सलाह हल्बी, अबुल फ़तह कराजकी |
शिक्षा स्थान | बग़दाद |
संकलन | इस्तिब्सार, तहज़ीब, रेजाल, अमाली, अल-तिबयान, अल ख़ेलाफ़, अल ग़ैबा, अल फ़िहरिस्त |
अन्य | बग़दाद में न्यायशास्त्र और धर्मशास्त्र का नेतृत्व |
सामाजिक | शिया न्यायविदों के नेता |
मुहम्मद बिन हसन बिन अली बिन हसन (385-460 हिजरी), जिन्हे शेख़ तूसी और शेख़ अल-तायफ़ा (जिसका अर्थ है महान लोग/शियों के महान) के रूप में जाना जाता है, सबसे प्रसिद्ध शिया विद्वानों, मुहद्देसीन और न्यायविदों में से एक है। वह दो किताबों, अल-तहज़ीब और अल-इस्तिबसार के लेखक हैं, जो चार शिया हदीस किताबों में से एक है। 23 साल की उम्र में, वह ख़ुरासान से इराक़ चले आए और शेख़ मुफ़ीद और सय्यद मुर्तज़ा जैसे शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त किया। अब्बासी ख़लीफा ने बग़दाद में धर्मशास्त्र पढ़ाने की कुर्सी उनके हवाले की। जब शापूर का पुस्तकालय आग में जल गया, तो वह नजफ़ चले गये और वहाँ अपनी शिक्षण और वैज्ञानिक गतिविधियाँ शुरू कीं, जिससे धीरे-धीरे नजफ़ मदरसा (हौज़ा इल्मिया नजफ़) की स्थापना हुई।
उनके न्यायशास्त्रीय नज़रिये और लेखन, जैसे निहाया, अल-खिलाफ़ और अल-मबसूत, शिया न्यायविदों के लिए तवज्जो का केन्द्र हैं। अल-तिबयान उनकी महत्वपूर्ण तफ़सीर की पुस्तक है। शेख़ तूसी अन्य इस्लामी विज्ञानों जैसे रेजाल, कलाम और न्यायशास्त्र के सिद्धांतों के भी विशेषज्ञ थे, और उनकी पुस्तकें धार्मिक विज्ञानों की संदर्भ पुस्तकों में से हैं। उन्होंने शिया इज्तेहाद में परिवर्तन की शुरुआत की और इसके विषयों का विस्तार किया और इसे सुन्नी इज्तेेहाद से स्वतंत्रता प्रदान की। उनके सबसे प्रसिद्ध छात्र अबुल सलाह हलबी हैं।
जीवनी
शेख़ तूसी का जन्म रमज़ान 385 हिजरी में, तूस, ख़ुरासान के शहरों में से एक में हुआ था।[१] उनका उपनाम अबू जाफ़र है, कभी-कभी शेख़ कुलैनी और शेख़ सदूक़ दोनों के विपरीत जिनकी कुन्नियत अबू जाफ़र है उन्हे अबू जाफ़र तुतीय कहा जाता है। [२]
वह 408 हिजरी में, 23 साल की उम्र में, इराक़ चले गये और 5 साल तक शेख़ मुफ़ीद (मृत्यु 413 हिजरी) के छात्र रहे, वह 3 साल तक हुसैन बिन उबैदुल्लाह ग़ज़ायरी (मृत्यु 411 हिजरी) के शागिर्द रहे और वह इब्ने हाशिर बज्जाज, इब्ने अबी ज़ैद और इब्न अल सल्त के भी छात्र रहे। उनके और नज्जाशी (450-372 हिजरी) कुछ बुजुर्ग (मशायख़) सामान्य हैं। उन्होंने सय्यद मुर्तज़ा (436 ई) को भी देखा है।[३]
अब्बासी ख़लीफ़ा, अल-क़ायम बे अमरिल्लाह ने उन्हें बग़दाद में धर्मशास्त्र की कुर्सी सौंपी। उनके छात्रों में 300 विद्वान थे।[४] वह इसी स्थिति में थे यहां तक कि बग़दाद पर सलजूक़ी तुर्कों को विजय प्राप्त हुई और 447 में, तुग़रल ने बग़दाद में प्रवेश किया और शापूर के पुस्तकालय को जला दिया। [५]
वर्ष 448 हिजरी में बग़दाद में शियों और सुन्नियों के बीच संघर्ष हुआ। इस वर्ष की घटनाओं में, इब्ने जौज़ी ने अबू जाफ़र तूसी के बग़दाद से निकलने और 449 हिजरी में उनके घर कीे लूटने के बारे में बात की है। उसके बाद, शेख़ नजफ़ चले गए और नजफ़ मदरसा (हौज़ा इल्मिया नजफ़) की स्थापना की, हालांकि यह कहा गया है कि यह मदरसा उनके पहले से मौजूद था। [६]
शेख़ तूसी ने अपने जीवन के अंतिम 12 वर्ष नजफ़ में बिताए।[७]
परिवार
शेख़ तूसी के एक बेटे का नाम हसन था, जो अपने पिता की मृत्यु के बाद नजफ़ में रहे और शिया मरजए तक़लीद बने। उनके बेटे हसन से, शेख़ के मुहम्मद नाम का एक पोते थे, जिसका उपनाम अबुल हसन था, वह भी नजफ़ में थे और एक शिया मरजए तक़लीद बने और 540 हिजरी में उनकी मृत्यु हुई।[८]
वफ़ात
शेख़ तूसी 12 साल तक नजफ़ में रहे और सोमवार, 22 मुहर्रम, 460 हिजरी की रात को उनकी मृत्यु हुई, और उनके छात्रों हसन बिन महदी सलीक़ी, हसन बिन अब्दुल वाहिद ऐन ज़र्बी और अबुल हसन लूलूवी ने उन्हें ग़ुस्ल दिया और उन्हें उनके घर में दफ़्न कर दिया।[९]
शेख़ की वसीयत के अनुसार इस घर को मस्जिद में बदल दिया गया था। शेख़ तूसी मस्जिद (जिसे अल-शेख़ अल-तूसी मस्जिद भी कहा जाता है) आज नजफ़ की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद की, जो मशराक़ मुहल्ले में स्थित है, अब तक कई बार पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार और बुनियादी मरम्मत की जा चुकी है।[१०]
शिक्षक और छात्र
शेख़ तूसी के बहुत से बुज़ुर्ग (मशाएख़) और शिक्षक रहे हैं। मिर्ज़ा हुसैन नूरी ने मुसतदरक वसायल अल-शिया[११] में 37 लोगों का उल्लेख किया है। जिन से उन्होने ज़्यादा कर हदीसों की रिवायत की है। उनमें से 5 यह हैं:[१२]
- अहमद बिन अब्दुल वाहिद बिन अहमद बज़्ज़ाज़, जिन्हें इब्ने हाशिर और इब्ने अब्दून के नाम से जाना जाता है, की मृत्यु 423 हिजरी में हुई।
- अहमद बिन मुहम्मद बिन मूसा, जिसे इब्ने सलत अहवाज़ी के नाम से जाना जाता है, की मृत्यु 408 हिजरी में हुई।
- हुसैन बिन ओबैदुल्लाह बिन ग़ज़ायरी, 411 हिजरी में मृत्यु हुई।
- शेख अबुल हुसैन अली बिन अहमद बिन मुहम्मद बिन अबी जिद, जिनकी मृत्यु 408 हिजरी के बाद हुई थी।
- शेख़ मुफ़ीद, जिनकी मृत्यु 413 हिजरी में हुई थी।
छात्र
300 से अधिक शिया मुज्तहिद और बहुत से सुन्नी शेख़ तुसी के छात्रों में से थे। उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:[१३]
- आदम बिन यूनुस बिन अबी मोहाजिर नसीफी
- अबू बक्र अहमद बिन हुसैन बिन अहमद ख़ज़ाई नैशापूरी
- अबू तालिब इसहाक़ बिन मुहम्मद बिन हसन बिन हुसैन बिन मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन बाबवैह क़ोमी।
- अबू इब्राहिम इस्माइल, उक्त इसहाक़ के भाई।
- अबुल खैर बरकह बिन मुहम्मद बिन बरका असदी
- अबुल सलाह हलबी
- अबू इब्राहिम जाफ़र बिन अली बिन जा़फर हुसैनी
- शम्स अल-इस्लाम हसन बिन हुसैन बिन बाबवैह क़ोमी, जिन्हें हस्का के नाम से जाना जाता है
- अबू मुहम्मद हसन बिन अब्दुल अज़ीज़ बिन हसन जबहानी
- शेख़ तूसी के पुत्र अबू अली तूसी
- मोवाकुद्दीन हुसैन बिन फ़तह वाइज़ जुर्जानी
- मुहिद्दीन अबू अब्दुल्लाह हुसैन बिन मुज़फ्फर बिन अली बिन हुसैन हमदानी
- अबुल अल-समसाम और अबुल वज़ाह जुल्फिकार बिन मुहम्मद बिन मअबद हुसैनी मरोज़ी
- ज़ैन बिन अली बिन हुसैन हुसैनी
- ज़ैन बिन दाई हुसैनी
- साद अल-दीन बिन बराज
- अबुल हसन सुलेमान बिन हसन बिन सलमान सहरिश्ती
- मआलिम अल-उलमा और अल-मनाक़िब के लेखक इब्ने शहर आशोब के पूर्वज शहर आशोब सरवी माज़ंदरानी
- साईद बिन रबिया बिन अबी ग़ानेम
- अब्दुल जब्बार बिन अब्दुल्लाह बिन अली अल-मक़रा राज़ी को मुफ़ीद के नाम से जाना जाता है
- अबू अब्दुल्लाह अब्द अल-रहमान बिन अहमद हुसैनी खज़ाई नैशापूरी को मुफ़ीद के नाम से जाना जाता है
- मोवफ़कुद्दीन अबुल क़ासिम ओबैदुल्लाह बिन हसन बिन हुसैन बिन बाबवैह
- अली बिन अब्दुल समद तमीमी सब्ज़वारी
- ग़ाजी बिन अहमद बिन अबी मंसूर सामानी
- कुर्दी बिन अकबर बिन कुर्दी फारसी
- जमाल अल-दीन मुहम्मद बिन अबी अल-कासिम तबरी आमोली
- अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन अहमद बिन शहरयार ख़ाज़िन ग़रवी
- रौज़ा अल-वायेज़ीन के लेखक मुहम्मद बिन हसन फ़त्ताल नैशापूरी
- अबुल सलत मुहम्मद बिन अब्दुल कादिर बिन मुहम्मद
- अबुल फ़तह मुहम्मद बिन अली कराजकी
- अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली बिन हसन हलबी
- अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन हिबतुल्लाह अल-तराबलसी
- सैयद मुर्तुज़ा अबुल हसन मुताहर बिन अबी अल-कासिम अली बिन अबी अल-फ़ज़ल मुहम्मद हुसैनी दीबाजी
- मुतहा बिन अबी ज़ैद बिन कियाबकी हुसैनी जुरजानी
- मंसूर बिन हुसैन आबी
- अबू इब्राहिम नासिर बिन रज़ा बिन मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह अलवी हुसैनी[१४]
रचनाएँ
- मुख्य लेख: शेख़ तूसी की रचनाएँ
शेख़ तूसी की धार्मिक विज्ञानों जैसे फ़िक़्ह, कलाम, तफ़सीर, रेजाल और अन्य में बहुत सी किताबें और रचनाएं हैं। उनके कुछ काम खो गए हैं। आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी ने पुस्तक निहाया के प्रस्तावना में उनके कार्यों की एक सूची का उल्लेख किया है।[१५]
विचार और बौद्धिक और धार्मिक स्थिति
शेख़ तूसी बग़दाद[१६] के तर्कसंगत धर्मशास्त्रीय विद्यालय के नेताओं में से एक थे और उन्होंने अपने स्वामी सय्यद मुर्तज़ा और शेख़ मुफ़ीद की पद्धति को जारी रखा और उसे उंचाईयों कर पहुचाया। शेख़ तूसी ने धार्मिक विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में किताबें लिखीं और शिया वैज्ञानिक समुदाय में उनके प्रभाव और उनके द्वारा प्रशिक्षित बहुत से छात्रों के माध्यम से, शिया विद्वानों की सोच पर उनका स्थायी प्रभाव पड़ा। शिया न्यायशास्त्र और अक़ायद में इज्तेहाद और तर्कवाद शेख़ तूसी के प्रयासों से शियों के बीच प्रमुख पद्धति बन गई और कई सदियों से अख़बारवादी पद्धति के वर्चस्व को समाप्त कर दिया। [स्रोत की आवश्यकता] उन्हें न्यायशास्त्र के सिद्धांतों (उसूले फ़िक़्ह) और इज्तेहाद के विज्ञान का पुनरुत्थानवादी और शिया न्यायशास्त्र में इज्तेहाद को प्रवेश दिलाने वाला पहला व्यक्ति माना गया है।[१७]
नजफ़ मदरसा की स्थापना
- मुख्य लेख: नजफ़ सेमिनरी
बग़दाद पर सलजूक तुर्कों के हमले और उसके बाद की घटनाओं, जैसे शापुर पुस्तकालय में आग लगना और बग़दाद में शिया-सुन्नी संघर्ष, के बाद शेख़ नजफ़ चले गए और उन्होने इस शहर में अपनी वैज्ञानिक गतिविधियां शुरू की, और नजफ़ मदरसा (हौज़ ए इल्मिया) उनके प्रयासों से स्थापित किया गया था।[१८] शेख़ नजफ़ में अराजक और अव्यवस्थित शैक्षिक स्थिति को व्यवस्थित और अध्ययन कक्षा मंडलियों को संगठित करने में सक्षम हुए। बग़दाद से शेख़ के साथ नजफ़ जाने वाले एक छोटी संख्या या उनकी प्रसिद्धि के बारे में सुनने वाले उनके साथ जुड़ गये और जल्द ही नजफ़ शहर शिया धर्म का वैज्ञानिक और बौद्धिक केंद्र बन गया। बेशक, कुछ लोगों का मानना है कि शेख़ के आगमन से पहले नजफ़ में वैज्ञानिक और शैक्षिक हलकों का गठन किया जा चुका था, और शेख़ की भूमिका नजफ़ के हौज़ा इल्मिया को स्थिर और अनुशासित करने की थी। [स्रोत की आवश्यकता]
शिया न्यायशास्त्र के विकास में शेख तूसी की भूमिका
न्यायशास्त्र की व्युत्पत्ति में तर्कवादी और तार्किक पद्धति के परिचय को अक्सर शिया न्यायशास्त्र के इतिहास में शेख़ तूसी की सबसे प्रमुख उपलब्धि के रूप में पहचाना जाता है। शेख़ से पहले, हदीस-उन्मुख पद्धति शिया न्यायशास्त्र में प्रमुख थी। अल-मबसूत किताब में शेख़ तूसी ने बुनियादी नियमों (उसूली क़ायदों) के आधार पर हदीसों से शरई अहकाम प्राप्त करने (इस्तिंबात) के लिए इज्तेहाद की पद्धति का इस्तेमाल किया। शेख़ द्वारा इज्तेहाद की पद्धति का शिया न्यायशास्त्र के ऐतिहासिक पाठ्यक्रम पर गहरा प्रभाव पड़ा और इस पद्धति का उपयोग लंबे समय तक शिया न्यायविदों के बीच प्रतिद्वंद्वी के बिना होता रहा।[१९] शेख़ के बाद, उनके न्यायशास्त्र के विचारों को भी विद्वानों ने स्वीकार किया और किसी ने भी उनके विचारों के विरोध करने का साहस नही किया। यहां तक कि इब्ने इदरिस (वफ़ात 597 हिजरी) ने उनके खिलाफ़ विरोध करने के लिए रास्ता खोल दिया।[२०]
इमामों से प्राप्त परस्पर विरोधी हदीसों की समस्या (हदीसों के आपसी टकराव) का समाधान शेख़ तूसी की चिंताओं में से एक था। उन्होंने तहज़ीब अल-अहकाम और अल-इस्तिबसार किताबें लिखकर परस्पर विरोधी हदीसों को एकत्रित किया और संघर्षों की तावील व तौजीह की और इन हदीसों के संघर्ष को हल करने और शरई अहकाम प्राप्त करने की विधि का उपाय बताया। तुलनात्मक न्यायशास्त्र (फ़िक़हे ततबीक़ी या फ़िक़हे मुक़ारन) पर ध्यान शेख़ तूसी के न्यायशास्त्र की विशेषताओं में से एक है। इस क्षेत्र में उनका सबसे महत्वपूर्ण काम अल-खेलाफ़ फ़िल-अहकाम है।[२१]
तफ़सीर लेखन में नवीनता
- मुख्य लेख: अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन
शेख़ तूसी अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन के लेखक हैं। किताब अल-तिबयान शियों द्वारा लिखी गई क़ुरआन की पहली तफ़सीर है जिसमें कुरआन के सभी सूरह शामिल हैं। शेख़ तूसी से पहले शियों की व्याख्या केवल कुरआन की आयतों की व्याख्या में कथनों को उद्धृत करने तक ही सीमित थी। शिया और सुन्नी विद्वानों के मतों की ओर शेख तूसी का ध्यान और अन्य टीकाकारों की व्याख्याओं की आलोचना और समीक्षा, इस्लाम से पहले अरब साहित्यिक ग्रंथों का उपयोग और कुरान के अजीब शब्दों के बारे में जानकारी का प्रावधान और अंतर कुरान की आयतों का (क़राअत की भिन्नताओं) पढ़ना और न्यायशास्त्रीय, धर्मशास्त्रीय और अलंकारिक मुद्दे इस व्याख्या की विशेषताओं में से हैं।[२२]
कुछ के अनुसार, शेख़ तूसी की व्याख्या पद्धति की एक अन्य विशेषता क़ुरआन की व्याख्या करने में उनका इज्तेहाद और तर्कसंगत दृष्टिकोण है, जो उनके पहले के टिप्पणीकारों के हदीसों के वर्णनात्मक दृष्टिकोण (तफ़सीरे रेवाई) से अलग था। कुरआन की आयतों का ज़िक्र करते हुए, शेख तूसी कुरान को एक पाठ के रूप में मानते हैं जिसे मानव मन द्वारा समझा जा सकता है और उन हदीसों को स्वीकार नहीं करते है जो कुरआन को समझने का एकमात्र तरीका हदीसों को संदर्भित करना मानते हैं।[२३]
अधिक जानकारी के लिये
- तूसी अनुसंधान (शेख़ तूसी की राय, स्थिति और कार्यों पर लेखों का संग्रह); मेहदी कुंपानी ज़ारे के प्रयास से लेखकों का एक समूह, प्रकाशक, ख़ान ए किताब, तेहरान, 1392। इस पुस्तक में 852 पृष्ठ हैं और इसमें शेख़ तूसी की जीवनी और कार्यों के बारे में 35 लेख हैं। [24]
- हज़ार ए शेख़ तूसी, तरतीब और परिचय, अली दवानी, तेहरान, अमीर कबीर, 1362 शम्सी।
- शेख़ तूसी के राजनीतिक विचार, सय्यद मोहम्मद रजा मूसवियान, बूस्ताने किताब प्रकाशन, क़ुम, 2009 ई।
फ़ुटनोट
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 161।
- ↑ https://www.edub.ir/education/view/22479:Services+of+Sheikh+Tusi+to+Shiite+scholarly+heritage
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 161।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 161।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 161।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 161।, 162
- ↑ दवानी, सैरी दर ज़िन्दगी ए शेख़ तूसी, 1362, पृ.20।
- ↑ अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 9, 160।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 162।
- ↑ अलवी, रहनुमाए मुसव्विर सफ़रे ज़ियारती इराक़ इलस्ट्रेटेड गाइड टू इराक पिलग्रिमेज, 1389, पृष्ठ 150।
- ↑ मुस्तर्दक अल-वसायल, खंड 3, पृष्ठ 509।
- ↑ शेख़ तूसी, निहायह, नशरे क़ुद्स, पेज 32-31।
- ↑ शेख़ तूसी, निहायह, नशरे क़ुद्स, पेज 36-39.
- ↑ शेख़ तूसी, निहायह, नशरे क़ुद्स, पेज 36-39.
- ↑ शेख़ तूसी, निहायह, दार अल-किताब अल-अरबी, पेज 14-28.
- ↑ फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरे इमामिया, 1394, पेज 55 और 103.
- ↑ फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरे इमामिया, 1394, पृष्ठ 103।
- ↑ फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरे इमामिया, 1394, पृष्ठ 56।
- ↑ रेज़ा ज़ादेह अस्करी, "नक़शे शेख़ तूसी दर ईजादे नहज़ते इल्मी", पृष्ठ 242।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, तबक़ात अल-शिया, 1430 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 162।
- ↑ "नक़्शे शेख़ तूसी दर तहव्वुल व पूयाइये फ़िक़्हे हुकूमती", इज्तेहाद वेबसाइट।
- ↑ ग़ुलामी, "निगाही बे नख़ुसतीन तफ़सीरे जामेअ व कामिले जहाने तशय्यो", पृष्ठ 86।
- ↑ (मजमूआ मक़ालाते दर बरर्सी आरा, अहवाल व आसारे शेख़ तूसी), किताब ख़ाना ए तख़स्सुसी अदबीयात।
स्रोत
- आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मोहम्मद मोहसिन, तबक़ात अल-शिया, बेरूत, दार अहया अल-तुरास अल-अरबी, 1430 हिजरी।
- अमीन, सैय्यद मोहसेन, आयान अल-शिया, शोधः हसन अल-अमीन, बेरूत, 1986-1406 ई.
- दवानी, अली, सैरी दर ज़िन्दगी ए शेख़ तूसी, हज़ार ए शेख़ तूसी, तेहरान, अमीर कबीर पब्लिशिंग हाउस, 1362।
- रेज़ा ज़ादेह अस्करी, ज़हरा, "नक़्शे शेख़ तूसी दर ईजादे नहज़ते इल्मी बा ताकीद बर ततव्वरे फ़िक़्ही", दर मजल्लए पिजोहिशी दीनी, नंबर 12, विंटर 2004।
- तूसी, मुहम्मद इब्न हसन, अल-निहाया फ़ी मुजर्रदे फ़िक़्ह वल-फ़तावा, बेरूत, दार अल-किताब अल-अरबी, बी ता।
- अलवी, सैयद अहमद (संकलनकर्ता), रहनुमाए मुसव्वर सफ़रे ज़ियारती इराक़ तीर्थयात्रा, क़ुम, मारूफ़, 2009।
- ग़ुलामी, ताहिरा, "निगाही बे नख़ुसतीन तफ़सीर जामेअ व कामिले जहाने तशय्यो; मुरुरी बर किताबे शेख़ तूसी व तफ़सीरे तिबयान, दर मजल्ला किताबे माहे दीन नंबर 176, ख़ुरदाद 1391 शम्सी।
- गुर्जी, अबुल कासेम, तारीख़े फ़िक़्ह व फ़ुक़हा, तेहरान, सम्त, 2005।
- फर्मानियान, मेहदी और मुस्तफा सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरो इमामिया; अज़ आग़ाज़ का ज़हूरे सफाविया, क़ुम, पिजोहिश गाहे उलूम व फंरहंगे इस्लामी, पहला संस्करण, 1394 शम्सी।
- (मजमूआ मक़ालात दर बरर्सी आरा, अहवाल व आसारे शेख़ तूसी), किताब ख़ाना ए तख़स्सुसी अदबीयात।
- "नक़्शे शेख़ तूसी दर तहव्वुले व पूयाइ ए फ़िक़्ह हुकूमती", इज्तिहाद वेबसाइट।