तिबयान फ़ी तफ़सीरिल क़ुरआन (किताब)

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अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन, (अरबी: التبيان في تفسير القرآن (كتاب)) शेख़ तूसी (460-385 हिजरी) द्वारा क़ुरआन की व्याख्या पर एक किताब, जिसे पहली पूर्ण शिया तफ़सीर माना जाता है। शिया व्याख्या पर अल-तिबयान का बहुत प्रभाव पड़ा है और शिया टीकाकारों (मुफ़स्सेरीन) ने इसका उदाहरण लिया है।

तिबयान फ़ी तफ़सीरिल क़ुरआन (किताब)

इस किताब में कुरआन की सभी आयतों की व्याख्या है। उसकी विशेषताओं में से एक यह है कि उनके पास एक व्यापक दृष्टिकोण था और उन्होंने कुरान की व्याख्या में विभिन्न विज्ञानों का इस्तेमाल किया है।

इस पुस्तक में, शेख़ तूसी ने अन्य इस्लामी धर्मों के टीकाकारों और धर्मशास्त्रियों के दृष्टिकोण का उल्लेख किया है, उनकी जांच की और उनकी आलोचना की है। छठी चंद्र शताब्दी के शिया विद्वानों में से, इब्ने इदरिस हिल्ली और इब्ने काल ने इस पुस्तक को तलख़िल अल-तिबयान शीर्षक के तहत संक्षेपित किया है।

लेखक

मुख्य लेख: शेख़ तूसी

मुहम्मद बिन हसन तूसी (460-385 हिजरी), जो शेख़ तूसी के नाम से जाने जाते हैं, पाँचवीं चंद्र शताब्दी में एक महान शिया न्यायविद थे।[१] सय्यद मुर्तज़ा की मृत्यु के बाद, उन्होंने शिया धार्मिक नेतृत्व संभाला। उन्होंने बहुस से छात्रों को प्रशिक्षित किया और दर्जनों किताबें लिखीं।[२]

शेख़ तूसी क़ुतुबे अरबआ से दो पुस्तकों के लेखक हैं, जो शिया हदीस के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं: तहज़ीब अल-अहकाम और अल-इस्तिबसार[३]

लेखक प्रेरणा

पुस्तक के प्रस्तावना में शेख़ तूसी के अनुसार, कुरआन की व्याख्या में, उस समय तक, या तो पूरे कुरान को को शामिल नहीं किया जाता था या विभिन्न विज्ञानों के दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या नहीं की जाती थी; इसके बजाय, इसमें केवल एक ही ज्ञान शामिल होता था जैसे लेक्सोलॉजी (लुग़त शेनासी) या अरबी ग्रामर (नहव व सर्फ़)। कुछ तफ़सीरों में, हदीसों का उल्लेख करना पर्याप्त समझा जाता था और हदीसों का ठीक से विश्लेषण नहीं किया गया था। [४] यहां तक ​​​​कि उन तफ़सीरों में जो जामेअ (व्यापक) थी बहुत अधिक विवरण दिया गया था और उन में बहुत सारी असंबद्ध सामग्री शामिल हो गई थीं। ​​[५]

उन्होंने लिखा है कि इन कमियों को ध्यान में रखते हुए उनका लक्ष्य क़ुरआन की ऐसी व्याख्या प्रस्तुत करना था जिसमें कुरान को समझने के सभी विज्ञानों का इस्तेमाल किया गया था। जैसे क़राअत, मआनी, ऐराब, कलाम शास्त्र और इसी तरह से अन्य धर्मों के धार्मिक संदेहों के उत्तर भी दिये गये हो। यह एक औसत पुस्तक होनी चाहिए: इतनी विस्तृत नहीं होनी चाहिए कि यह पाठक को परेशान करे, और इतनी संक्षिप्त भी नहीं होनी चाहिए कि यह सही ढंग से अर्थ को ना पहुचा सके। [६]

रुतबा

अल-तिबयान को पहली पूर्ण और व्यापक शिया तफ़सीर की पुस्तक माना जाता है।[७] मोहम्मद हादी मारेफ़त के अनुसार, अल-तिबयान ने अपने समय की सभी तफ़सीर की पुस्तकों को पार कर लिया; क्योंकि उनके विपरीत, उसने खुद को व्याख्या के केवल किसी एक पहलू तक सीमित नहीं किया और अपने से पहले के सभी टिप्पणीकारों के दृष्टिकोणों को शामिल किया।[८] वह इस पुस्तक को "एक औसत व्याख्या के साथ व्यापक और पूर्ण और पिछली व्याख्याओं के सभी गुण शामिल करने वाली मानते हैं।[९] इसके अलावा, लेख "अहले-बैत (अ) की हदीसों का वर्णन करने में अल-तिबयान और मजमा अल-बयान की दो व्याख्याओं के अनुमानित दृष्टिकोण के लेखक अल-तिबयान को शिया इज्तिहाद की पहली तफ़सीर मानते है जिसमें चौथी और पाँचवीं चंद्र शताब्दियों के वातावरण से उत्पन्न तर्कवाद स्पष्ट है।[१०] उनके अनुसार इस किताब के लेखक, शेख़ तूसी ने इस तफ़सीर को लिखने में शिया और सुन्नी कार्यों का उपयोग किया है।[११]

मोहम्मद अली महदवी राद (जन्म 1334), ईरान के एक कुरआन विद्वान, ने यह भी लिखा कि उनके बाद के तफ़सीर लिखने वालों पर अल-तिबयान का बहुत प्रभाव था। इनमें फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी भी शामिल हैं, जिन्होंने इस पुस्तक की प्रशंसा की और अपनी तफ़सीर की पुस्तक मजमउल बयान में इसकी शैली को अपने मॉडल के रूप में इसका परिचय कराया है। [१२]

विशेषताएं

शेख़ तूसी ने अल-तिबयान में एक व्यापक दृष्टिकोण लिया है और कुरआन की व्याख्या में कुरआन (उलूमे क़ुरआन) के सभी विज्ञानों का उपयोग किया है; जैसे: शब्दावली, सस्वर पाठ (क़राअत), ऐराब, असबाब अल-नुजुल, नासिख़ व मंसूख़, और मक्की और मदनी होना।[१३] इसके अलावा, तफ़सीर व तावील, मोहकम व मुतशाबेह, कुरआन के चमत्कारों के पहलू और कुरआन और उसके सूरह के नामों का शोध किया है।[१४]

अन्य विशेषताएं जो इस पुस्तक के लिए सूचीबद्ध की गई हैं: कुरआन की कुरआन से तफ़सीर करना,[१५] कमजोर हदीसों को त्यागना और सही हदीसों का उपयोग करना, इस शर्त के साथ कि वे कुरआन और अक़्ल का खंडन नहीं करती हों[१६] और धार्मिक चर्चाओं की एक विस्तृत रूपरेखा।[१७]

इस किताब में प्रत्येक आयत का उल्लेख करने के बाद पहले अबोधगम्य शब्दों का परीक्षण किया जाता है और पाठों में अन्तर (इख़्तेलाफ़े क़राआत) बताया जाता है। फिर, इसके बारे में विभिन्न व्याख्यात्मक विचारों की जाँच की जाती है। उसके उसका अर्थ "शब्द की संक्षिप्तता और अर्थ की पूर्णता के साथ" बयान किया जाता है। साथ ही, आयत के नाज़िल होने के कारणों और संबंधित धर्मशास्त्रीय और न्यायशास्त्र संबंधी मुद्दों को उठाया जाता है, और विरोधी विचारों की शिष्टाचार के साथ आलोचना की जाती है। [१८]

सारांश

आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी (मृत्यु 1389 हिजरी), एक शिया ग्रन्थकार, ने अपनी किताब अल-ज़रीया में, शिया विद्वानों द्वारा तफ़सीर की दो पुस्तकों को मुख्तसर अल-तिबयान शीर्षक के तहत प्रस्तुत किया है, जो अल-तिबयान का सारांश है: उनमें से एक इब्ने इदरीस हिल्ली (मृत्यु लगभग 548 हिजरी)। द्वारा लिखित है। [१९] दूसरी अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन हारून द्वारा लिखी गई है, जिन्हे इब्ने काल (मृत्यु 597 हिजरी) के रूप में जाना जाता है। [२०]

पांडुलिपियाँ और पहले संस्करण

आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी के अनुसार, उन्होंने किसी भी पुस्तकालय में अल-तिबयान की पूरी पांडुलिपि नहीं देखी है, और इसके प्रत्येक भाग वाली विभिन्न पांडुलिपियाँ विभिन्न पुस्तकालयों में बिखरी हुई हैं।[२१] महदवी राद के अनुसार, पहली बार सय्यद मुहम्मद हुज्जत कोह कमराई (मृत्यु 1372 हिजरी) के प्रयास से, इसके बिखरे हुए हिस्सों को एक किताब प्रकाशित करने के लिए इकट्ठा किया गया था[२२]

अल-तिबयान का पहला संस्करण मिर्ज़ा अली आगा शिराज़ी और सय्यद अब्दुल रसूल रोगनिज़ादेह एस्फ़हानी द्वारा दो रेहली खंडों में प्रकाशित किया गया था। इसका पहला खंड 1362 हिजरी और दूसरा खंड 1365 हिजरी में प्रकाशित हुआ था।[२३] इसका दूसरा संस्करण नजफ़ में 1376 और 1382 हिजरी के बीच दस खंडों में छपा था, और इसके अधिकांश प्रूफरीडिंग और शोध कार्य अहमद हबीब क़सीर अल-आमेली द्वारा किया गया था।[२४]

फ़ुटनोट

  1. गुर्जी, तारीख़े फ़िक़्ह व फ़ुक़्हा, 1392, पृष्ठ 181।
  2. गुर्जी, तारीख़े फ़िक़्ह व फ़ुक़्हा, 1392, पृष्ठ 183।
  3. गुर्जी, तारीख़े फ़िक़्ह व फ़ुक़्हा, 1392, पृष्ठ 185।
  4. तूसी, अल-तिबयान, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 1, पृष्ठ 1।
  5. तूसी, अल-तिबयान, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 1, पेज 1-2।
  6. तूसी, अल-तिबयान, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 1, पेज 2।
  7. करीमी निया, "शेख़ तूसी व मनाबे वय दर अल-तिबयान", पृष्ठ 82; मारेफ़त, तफ़सीर व मुफ़स्सेरान, 1379, खंड 2, पृष्ठ 247।
  8. मारेफ़त, तफ़सीर व मुफ़स्सेरान, 1379, खंड 2, पृष्ठ 247।
  9. मारेफ़त, तफ़सीर व मुफ़स्सेरान, 1379, खंड 2, पृष्ठ 248।
  10. मूसवी दरेहबीदी और अहमदनेजाद, बरर्सी रूकर्दे तक़रीबी ए दो तफ़सीर अल-तिबयान व मजमा अल-बयान दर नक़्ले रिवायाते अहलेबैत (अ)", पृष्ठ 342।
  11. मूसवी दरेहबीदी और अहमदनेजाद, बरर्सी रूकर्दे तक़रीबी ए दो तफ़सीर अल-तिबयान व मजमा अल-बयान दर नक़्ले रिवायाते अहलेबैत (अ)", पृष्ठ 342।
  12. महदवी राद "अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन", पेज 186-187।
  13. ईरानी, ​​रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पृष्ठ 62।
  14. मारेफ़त, तफ़सीर व मुफ़स्सेरान, 1379 हिजरी, पृष्ठ 248।
  15. ईरानी, ​​रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पृष्ठ 93।
  16. ईरानी, ​​रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पीपी। 127-128।
  17. ईरानी, ​​रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पृष्ठ 159।
  18. मारेफ़त, तफ़सीर व मुफ़स्सेरान, 1379, पृष्ठ 248।
  19. तेहरानी, ​​अल-ज़रीया, 1403 हिजरी, खंड 20, पृष्ठ 184।
  20. तेहरानी, ​​अल-ज़रीया, 1403 हिजरी, खंड 20, पृष्ठ 185।
  21. तेहरानी, ​​अल-ज़रीया, 1403 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 329।
  22. महदवी राद, "अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन", पृष्ठ 187।
  23. तफ़सीर रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पेज। 40-39।
  24. ईरानी, ​​रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान, 1371, पृष्ठ 40।

स्रोत

  • आग़ा बुजुर्ग तेहरानी, ​​मोहम्मद मोहसिन, अल-ज़रिया इला तसानीफ अल-शिया, बेरूत, दार अल-अज़वा, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी।
  • ईरानी, ​​अकबर, रविशे शेख़ तूसी दर तफ़सीरे तिबयान तफ़सीर, तेहरान, साज़माने तबलीग़ाते इस्लामी, 1371 में ।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरआन, बेरूत, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, बी ता।
  • करीमी निया, मुर्तुज़ा, "शेख़ तसी व मनाबे तफ़सीरी वय दर अल-तिबयान", दर फ़स्लनामा दानिश कदए इलाहियात व मआरिफ़ मशहद, संख्या 74, 1385।
  • गुर्जी, अबुल क़ासिम, तारीख़े फ़िक़्ह व फ़ुक़्हा, तेहरान, समित, 13वां संस्करण, 1379।
  • मारेफ़त, मोहम्मद हादी, तफ़सीर वा मुफ़स्सेरान, शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा अनुवादित, क़ुम, मोअस्सेसा फ़ंरहंगी व इंतेशाराती अल तमहीद, 1379।
  • मूसवी दरेहबीदी, सय्यद हुसैन और अमीर अहमदनेजाद, https://ptt.qom.ac.ir/article_2233.html बरर्सी रूकर्दे तक़रीबी ए दो तफ़सीर अल-तिबयान व मजमा अल-बयान दर नक़्ले रिवायाते अहलेबैत (अ), तुलनात्मक तफ़सीर शोध, संख्या 15, अप्रैल 1401.
  • महदवी राद, मोहम्मद अली, "अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन", बय्यानात, नंबर 3, 1373 शम्सी।