इनायतुल्लाह क़ुहपाई
पूरा नाम | इनायतुल्लाह क़ुहपाई नजफ़ी इस्फ़ाहानी |
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उपनाम | ज़क्का नजफ़ी |
जन्म स्थान | क़ुहपाया, (इस्फ़ाहान) या नजफ़ |
मृत्यु तिथि | वर्ष 1026 हिजरी के बाद |
गुरू | मुक़द्दस अर्दबेली, शेख़ बहाई, अब्दुल्लाह शुश्तरी इस्फ़ाहानी |
शिक्षा स्थान | नजफ़ |
संकलन | मजमा अल रेजाल |
इनायतुल्लाह क़ुहपाई (अरबी: عناية الله القُهْبائي) (निधन 1026 हिजरी के बाद), वह 11वीं सदी के शिया धार्मिक विद्वान (इल्मे रेजाल के माहिर) और प्रसिद्ध धार्मिक पुस्तकों (रेजाली किताब) में से एक मजमा अल-रिजाल के लेखक हैं।[१] इस पुस्तक में, उन्होंने रिजाले शिया (रिजाले कश्शी, रिजाले तूसी, तूसी की सूची (फ़ेहरिस्ते तूसी), रिजाले नज्जाशी, रेजाले इब्ने ग़ज़ायरी) की पाँच पुस्तकों में वर्णित रावियों का उल्लेख किया है, और इसे उन्होंने वर्णमाला के क्रम से व्यवस्थित किया है और इसमें कुछ अन्य चीजें भी जोड़ीं है।[२]
मजमा अल-रिजाल को लिखने से पहले इनायतुल्लाह क़ुहपाई ने इब्ने ग़ज़ाएरी के रेजाल को छोड़कर, शिया रेजाल की पाँच पुस्तकों में से प्रत्येक को स्वतंत्र रूप से वर्णानुक्रम में व्यवस्थित किया और उनमें हाशिये को जोड़ा।[३] उन्होंने मुहम्मद उस्तराबादी द्वारा लिखित मंहज अल-मक़ाल और मुस्तफ़ा तफ़रीशी द्वारा लिखित नक़द अल-रिजाल जैसी किताबों पर हाशिये भी लगाये हैं।[४]
इनायतुल्लाह क़हपाई मुक़द्दसे अर्दबेली, शेख़ बहाई और अब्दुल्लाह शुश्त्री इस्फ़हानी के क्लासों में भाग लेते थे,[५] हालांकि, उनके छात्रों में क़हपाई का उल्लेख नहीं हुआ है। हालांकि, आग़ा बुज़र्ग तेहरानी ने इल्मे रेजाल की एक किताब का उल्लेख किया जिसके लेखक ने खुद को क़हपाई के छात्र अबुल हसन बिन अब्दुल्लाह के रूप में पेश किया है।[६] आग़ा बुज़ुर्ग ने सुझाव दिया है कि उनका पूरा नाम अबुल हसन बिन अब्दुल्लाह कश्शी (1020 हिजरी के बाद मृत्यु) है।[७]
क़ुहपाई का उपनाम ज़की नजफ़ी है[८] और उनके मूल वंश के बारे में मतभेद है। कुछ जीवनी लेखको ने इस्फ़हान के पूर्व[९] में एक शहर क़ुहपायह से उनके संबंध बताया है और कुछ ने उनका ताल्लुक़ नजफ़ से उल्लेख किया है।[१०] जीवनीकार अब्दुल्ला आफेंदी उन्हे मूल रूप से नजफ़ का मानते हैं, लेकिन उनका जन्म स्थान क़ुहपायेह को कहते है।[११] क़हबाई, क़हबायेह से संबंध रखता है जो कि कोहपायह (फ़ारसी) से अरबी में आया है।[१२] उन्होंने नजफ़ और इस्फ़हान में और कुछ दिनों शाह अब्बास प्रथम के आदेश पर क़ुहपायह में जीवन बिताया।[१३]
क़ोहपाई के निधन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। समकालीन शिया धर्मशास्त्री और रेजाल के विद्वान जाफ़र सुबहानी ने क़ोहपाई के हाथ से मन ला यहज़ोरोह अल-फ़कीह पुस्तक के लेखन (किताबत) की तारीख़ से निष्कर्ष निकाला कि उनकी मृत्यु 1026 हिजरी के बाद हुई थी।[१४]
फ़ुटनोट
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410।
- ↑ अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, वॉल्यूम.8, पृष्ठ381।
- ↑ अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, भाग.8, पृ.381; आगा बुज़र्ग तेहरानी, अल-धरियाह, 1403 हिजरी, खंड 4, पेज. 65 और 66।
- ↑ ग़रवी, मअ उलमा अल-नजफ़ अल-अशरफ़, 1420 हिजरी, खंड 1, पृ.306।
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 102।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 226।
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410।
- ↑ मोदर्र्स तबरेज़ी, रेहानतुल-अदब, 1369, खंड 4, पृष्ठ 497; आग़ा बुज़र्ग तेहरानी, मुसाफ़्फ़ा अल-मक़ाल, 1337, पृष्ठ 343।
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410; अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, वॉल्यूम.8, पृष्ठ381।
- ↑ एफेंदी, रियाज अल-उलामा, 1431 हिजरी, खंड 4, पृ.302।
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410।
- ↑ ख़ुनसारी, रौज़ातुल-जन्नात, 1390 हिजरी, खंड 4, पृ.410।
- ↑ सुबहानी, मौसूआ तबक़ात अल-फ़ोक़हा, 1418 हिजरी, खंड 11, पृष्ठ 217।
स्रोत
- आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मोहम्मद मोहसिन, अल-जरिया एला-तसानीफ़ अल-शिया, अहमद बिन मोहम्मद हुसैनी, बेरूत, दार अल-अज़वा, 1403 हिजरी द्वारा संकलित।
- आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मोहम्मद मोहसिन, मुसाफ्फ़ा अल-मक़ाल फ़ी मुसनाफी इल्म अल-रिजाल, अहमद मुज़वी द्वारा संपादित, 1337।
- अफेंदी, अब्दुल्ला बिन ईसा बेग, रियाज अल-उलमा और हयाज अल-फ़ुज़ला, अहमद हुसैनी अशकवरी द्वारा शोध, ऐहतेमाम महमूद मरअशी, बेरूत, अल-तारिख़ अल-अरबी फाउंडेशन, 1431 हिजरी।
- अमीन, सैय्यद मोहसिन, आयान अल-शिया, बेरूत, दार अल-ताक़्किन, 1403 हिजरी।
- ख़ुनसारी, सैय्यद मोहम्मद बाक़िर, रौज़ात अल-जन्नात फ़ी अहवाले उलेमा वल-सादात, असदुल्ला इस्माइलियन द्वारा शोध, तेहरान, देहकानी (इस्माइलियन), 1390 हिजरी।
- सुबहानी, जाफ़र, मौसूआ तबक़ात अल-फ़ोक़हा, क़ुम, इमाम अल-सादिक (अ.स.), 1418 हिजरी।
- ग़रवी, मुहम्मद, मअ उलमा इन-नजफ़ अल-अशरफ़, बेरूत, दार अल-सक्लैन, 1420 हिजरी के विद्वानों के साथ।
- मुदर्रिस तबरेज़ी, मोहम्मद अली, रेहानतुल-अदब, अल-मारुफ़ीन बिल कुनियते वल-लक़ब, तेहरान, किताब फ़ुरूशी ख़य्याम, 1369 शम्सी।