अस्करीयैन का रौज़ा

wikishia से
हरमे अस्करीयैन
स्थापनाचौथी शताब्दी
उपयोगकर्ताज़ियारतगाह
स्थानसामर्रा
अन्य नामहरमे इमामैन अस्करीयैन
स्थितिसक्रिय
शैलीइस्लामी
पुनर्निर्माणरौज़ा पुनर्निर्माण मुख्यालय (सेताद बाज़साज़ी अतबात) और आयतुल्लाह सिस्तानी का कार्यालय
वेबसाइटالعتبة العسکریة المقدسة


हरमे अस्करीयैन (अरबी:حرم الإمامين العسكريين (ع)) या हरमे इमामैन अस्करीयैन इमाम अली नक़ी (अ) (शहादत 254 हिजरी) और उनके बेटे इमाम हसन अस्करी (अ) (शहादत 260 हिजरी) का रौज़ा है। यह रौज़ा सामर्रा शहर में स्थित है और इराक़ में महत्वपूर्ण शिया तीर्थस्थलों में से एक है।

इमाम हसन अस्करी (अ) की पत्नी और इमाम महदी (अ) की माँ, नरजिस ख़ातून, इमाम मुहम्मद तक़ी (अ) की बेटी हकीमा और कई अन्य सादात और शिया विद्वानों को भी इस हरम (रौज़े) में दफ़्न किया गया है।

इमाम नक़ी (अ) को वर्ष 254 हिजरी में और इमाम अस्करी (अ) को वर्ष 260 हिजरी में उनके घर में ही दफ़नाया गया था। वर्ष 328 हिजरी में, इन दोनों इमामों की क़ब्र के ऊपर पहला गुंबद बनाया गया था, और उसके बाद इसे अलग-अलग अवधियों में बहाल, पूर्ण और पुनर्निर्मित किया गया है। वर्ष 1384 और 1386 शम्सी में एक आतंकवादी विस्फोट में इसके कुछ हिस्से नष्ट हो गए थे। इन हमलों के बाद, रौज़ा पुनर्निर्माण मुख्यालय (सेताद बाज़साज़ी अतबात) और आयतुल्लाह सिस्तानी के कार्यालय ने क्रमशः इन दो इमामों के हरम और ज़रीह का पुनर्निर्माण किया।

स्थान

हरमे अस्करयैन (अ) दो शिया इमामों का रौज़ा है और इराक़ में शिया तीर्थ स्थलों में से एक है। यह हरम (रौज़ा) सामर्रा शहर (बग़दाद से 120 किमी उत्तर में एक शहर) में स्थित है।[१] शिया रवायतों में, इमामों के रौज़े पर जाने की सिफ़ारिश की गई है।[२] हर साल, विश्व के विभिन्न हिस्सों से अधिक मात्रा में शिया सामर्रा में इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) की ज़ियारत के लिए आते हैं।

इतिहास

इमाम नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ), शियों के 10वें और 11वें इमाम, उनकी शहादत के बाद उन्हें सामर्रा में उनके घर में ही दफ़नाया गया था।[३] इमाम नक़ी (अ) ने इस घर को दलील बिन याक़ूब नसरानी से खरीदा था।[४] ज़बीहुल्लाह महल्लाती के अनुसार, जिस घर में इमाम नक़ी (अ) और इमाम अस्करी को दफ़नाया गया था, वह वर्ष 328 हिजरी तक उसी मूल स्थिति में था, हालाँकि उस पर एक खिड़की लगाई गई थी, और कुछ लोग घर के बाहर से ही इमामों की क़ब्र की ज़ियारत करते थे।[५] महल्लाती ने मुहम्मद समावी (1370-1292 हिजरी) की कविता का हवाला देते हुए कहा है कि; नसिरुद दौला हमदानी (शासनकाल, 323-356), आले हमदान के शासकों में से एक, उन्हें पहला व्यक्ति माना है जिसने इस घर में मरम्मत की और वर्ष 328 हिजरी में दो इमामों की क़ब्र के ऊपर एक गुम्बद का निर्माण किया।[६] उसके बाद, इमाम नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) के हरम की विभिन्न मरम्मत और नवीनीकरण किए गए हैं। आले बुयेह शासकों में से मोइज़ अल दौला दैलमी[७] और उज़्ज़ुद दौला दैलमी[८] (शासनकाल वर्ष 322-448 हिजरी), अर्सलान बेसासिरी (मृत्यु वर्ष 451 हिजरी),[९] सलजूक़ी राजाओं से सुल्तान बरकियार्क (मृत्यु वर्ष 498 हिजरी),[१०] अहमद अल-नासिर लेदीनिल्लाह , अल-मुस्तनसिर बिल्लाह अब्बासी ख़लीफ़ा (वर्ष 575-622 हिजरी),[११] सुल्तान हसन जलायरी (मृत्यु वर्ष 776 हिजरी),[१२] सुल्तान हुसैन सफ़वी (शासनकाल वर्ष 1105-1135 हिजरी)[१३] सफ़वी राजाओं में से एक, अहमद खान दुंबोली,[१४] हसन कुली खान दुंबोली (मृत्यु वर्ष 1297 हिजरी),[१५] नसिरुद्दीन शाह क़ाचार (शासनकाल वर्ष 1313-1264 हिजरी) और मिर्ज़ा शिराज़ी (वर्ष 1312-1230 हिजरी)[१६] यह उन लोगों में से थे जिनके आदेशानुसार इमाम नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) के रौज़े की मरम्मत या पुनर्निर्माण किया गया था।

आतंकी हमले में तबाही

मुख्य लेख: इमाम नक़ी और इमाम अस्करी के रौज़े की तबाही

वर्ष 2004 और 2006 में, तकफ़ीरी समूहों के आतंकवादी अभियानों में इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) के हरम को उड़ा दिया गया था, जिसके कारण इसका विनाश हुआ। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में मराजे ए तक़लीद और शियों की प्रतिक्रिया हुई। इस बमबारी में, ईंट और सोने के आवरण के साथ रौज़े का गुंबद और इसकी दीवारों पर टाइल की सजावट भी ढह गई, लेकिन गुंबद की नींव, मुख्य भाग और दीवारें बरकरार रहीं।[१७] ईरान के रौज़ा पुनर्निर्माण मुख्यालय (सेतादे बाज़साज़ी अतबाते आलियात) ने 2009-2014 के दौरान हरम (रौज़े) का पुनर्निर्माण किया।[१८] इस पुनर्निर्माण में, हरम के गुंबद को 23 हजार से अधिक ईंटों और सोने से मढ़ा गया था।[१९] इसके अलावा, नई ज़रीह का निर्माण आयतुल्लाह सिस्तानी के प्रतिनिधि सय्यद जवाद शहरिस्तानी की देखरेख में ईरान में किया गया था।[२०]

वास्तुकला और भवन

इमाम नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) का हरम विभिन्न भाग बना है, उनमें से कुछ यह हैं:

  • गुंबद: इमाम नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) के हरम का क्षेत्रफल 1,200 वर्ग मीटर है और यह शिया इमामों के हरमों का सबसे बड़ा गुंबद है।[२१]
  • गुलदस्ते: गुम्बद के दोनों ओर दो गुलदस्ते हैं, जिनके ऊपरी भाग पर सोना चढ़ा हुआ है।[२२]
  • ज़रीह: रौज़े के निर्माण में चार हजार 500 किलो चांदी और 70 किलो सोना इस्तेमाल किया गया था।[२३]
  • सहन: इमाम नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) के हरम है, जो 78 मीटर लंबे और 77 मीटर चौड़े क्षेत्र के साथ इमाम के सहन में बना है, मुसल्ला सहन 50 मीटर की लंबाई और 40 मीटर की चौड़ाई में बना है, और अल ग़ैबा- 64 मीटर लंबे और 61.5 मीटर चौड़े क्षेत्रफल में बना है।[२४]

दफ़्न किये गए लोग

मुख्य लेख: रौज़ा अस्करीयैन में दफ़्न लोगों की सूची

किताब माअसर अल कुबरा फ़ी तारीख़ सामर्रा में ज़बीहुल्लाह महल्लाती के अनुसार, हज़रत महदी (अ) की मां, इमाम मुहम्मद तक़ी (अ) की बेटी हकीमा, इमाम हसन अस्करी (अ) की मां, हुसैन बिन अली अल हादी इमाम अस्करी (अ) के भाई, जाफ़रे कज़्ज़ाब और अबू हाशिम जाफ़री जाफ़रे तय्यार के वंशजों में से, की क़ब्रे इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) की हरम में मौजूद हैं।[२५] इमाम नक़ी (अ) की माँ समाना मग़रिबिया,[२६] अहमद खान दुंबोली (मृत्यु वर्ष 1200 हिजरी) और उनके बेटे हुसैन क़ुली खान दुंबोली[२७] और आग़ा रज़ा हमदानी (मृत्यु वर्ष 1322 हिजरी)[२८] मिर्ज़ा शिराज़ी के छात्रों में से एक को भी सामर्रा में इसी रौज़े में दफ़नाया गया है।

फ़ोटो गैलरी

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. क़ाएदान,अतबाते आलिया इराक़, 1387 शम्सी, पृष्ठ 193।
  2. उदाहरण के लिए देखें, शेख़ तूसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 93।
  3. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 315।
  4. ख़तीब बग़दादी, तारीख़े बग़दाद, 1422 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 518।
  5. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 317।
  6. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 318।
  7. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 321।
  8. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 324।
  9. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 344।
  10. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 347-348।
  11. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 350।
  12. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 377।
  13. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 379 - 380।
  14. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 386।
  15. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 393।
  16. सेहती सर्दरूदी, गुज़ीदेह सीमा ए सामर्रा, 1388 शम्सी, पृष्ठ 67।
  17. ख़ामेयार,तख़्रीबे ज़ियारतगाहाए इस्लामि दर किश्वरहाए अरब, 1393 शम्सी, पृष्ठ 29 व 30।
  18. फ़ार्स समाचार एजेंसी
  19. फ़ार्स समाचार एजेंसी
  20. क़ुम सेंटर रेडियो और टेलीविजन
  21. फार्स समाचार एजेंसी
  22. मशरिक़ न्यूज़
  23. क़ुम सेंटर रेडियो और टेलीविजन
  24. क़ाएदान, अतबाते आलियात इराक़, 1383 शम्सी, पृष्ठ 208।
  25. महल्लाती, माअसर अल-कुबरा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 315।
  26. क़ाएदान, अतबाते आलियात इराक़, 1383 शम्सी, पृष्ठ 206।
  27. क़ाएदान, अतबाते आलियात इराक़, 1383 शम्सी, पृष्ठ 218।
  28. क़ुम्मी, अल-फ़वाएद अल रिज़वीया, 1385 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 382।

स्रोत

  • फ़ार्स समाचार एजेंसी, सम्मिलित लेख, 4 आज़र 1399 शम्सी, 31 मुर्दाद 1401 को देखा गया।
  • ख़ामे यार, अहमद, तख़्रीबे ज़ियारतगाहाए इस्लामि दर किश्वरहाए अरब, क़ुम, दारुल आलाम ले मदरसते अहलुल बैत (अ), 1393 शम्सी।
  • ख़तीब अल-बग़दादी, अहमद बिन अली, तारीखे बग़दाद, बशार अवाद मारूत द्वारा शोध, बेरूत, दार अल-ग़रब अल-इस्लामी, पहला संस्करण, 1422 हिजरी/2002 ई।
  • क़ुम सेंटर रेडियो और टेलीविजन, 31 मुर्दाद, 1401 शम्सी को देखा गया।
  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-इरशाद फ़ी मारेफ़त हज्जुल्लाह अलल-ऐबाद, आल-अल-बैत (अ) फाउंडेशन द्वारा संपादित, क़ु, शेख मोफ़िद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
  • सेहती सर्दरूदी, मुहम्मद, गुज़ीदेह सिमाई सामर्रा सिनाई सेह मूसा, मअशर, तेहरान, 1388 शम्सी।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल-अहकाम, हसन मूसवी खोरसान, तेहरान द्वारा शोधित, दार अल-किताब अल-इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।
  • क़ाएदान, असग़र,अतबाते आलियाते इराक़, तेहरान, मशअर, 1387 शम्सी।
  • क़ुम्मी, शेख़ अब्बास, अल-फवाद अल-रज़विया फ़ी अहवाले उलमा अल मज़हब अल-जाफ़रिया, क़ुम, बोस्तान किताब, 1385 शम्सी।
  • मशरिक़ न्यूज, 2 खुर्दाद, 1400 शम्सी को पोस्ट किया गया, 31 मुर्दाद, 1401 को देखा गया।
  • महल्लाती, ज़बीहुल्लाह, माअसर अल कुबरा फ़ी तारीख़ सामर्रा, क़ुम, अल-मकतब अल-हैदरिया, 1384शम्सी/1426 हिजरी।