नोमान बिन अजलान ज़ुरक़ी अंसारी

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नोमान बिन अजलान ज़ुरक़ी अंसारी
अंसारअंंसार
जनजातिज़ुरैक जनजाति
युद्धों में भागीदारीजमल की लड़ाई, सिफ़्फ़ीन की लड़ाई
प्रसिद्धि का कारणमुआविया के साथ मिल जाना
विशेष भूमिकाएँसक़ीफ़ा में इमाम अली (अ) का साथ देना
अन्य गतिविधियांबहरैन और ओमान में इमाम अली (अ) के गवर्नर

नोमान बिन अजलान ज़ुरक़ी अंसारी(अरबी: نعمان بن عجلان زرقی) बहरैन और ओमान में इमाम अली (अ) के गवर्नर थे जो इमाम को छोड़ कर मुआविया के समूह में शामिल हो गए।

नोमान, सहाबियों, हदीसे ग़दीर के रावियों और जमल और सिफ़्फ़ीन के युद्धों में इमाम अली की सेना के सिपाहियों में से एक थे और वह अपनी कविताओं के माध्यम से इमाम का समर्थन किया करते था। बहरैन पर अपने शासन के दौरान, इमाम ने उन्हें एक पत्र लिखा और बनी ज़ुरैक़ को बैतुल-माल से धन देने के कारण ऐसा करने के खिलाफ़ चेतावनी दी। वह इमाम का पत्र प्राप्त करने और बैतुल-माल के ग़लत उपयोग करने में अपने विचलन का खुलासा होने के बाद मुआविया के गिरोह में शामिल हो गए।

परिचय एवं स्थिति

नोमान बिन अजलान को इमाम अली (अ.स.) का पत्र:

"जो कोई अमानत की उपेक्षा करता है और विश्वासघात (ख़यानत) करने की इच्छा दिखाता है और अपनी आत्मा और धर्म को शुद्ध नहीं रखता है, उसने इस दुनिया में ख़ुद को नुक़सान पहुंचाया है और बाद में (आख़िरत में) वह जिस चीज़ में फंस जाएगा वह अधिक कड़वा और स्थायी और बदतर और लंबे समय तक चलने वाला होगा। इसलिए भगवान से डरो। आप उस क़ौम से हैं जो योग्यता रखने वाले लोगों में से हैं, आपका व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि मुझे आपके प्रति अच्छा संदेह हो, और यदि मैंने जो सुना है वह सच है, तो आप वापस आएँ और अपने बारे में मेरी राय को न बदलें। अपने क्षेत्रों के ख़ेराज (टैक्स) की जाँच करके, मुझे एक पत्र लिखें; ता कि मैं आपके बारे में अपने नज़रिये की घोषणा करूँ। ईश्वर की इच्छा (इंशा अल्लाह)।[१]

नोअमान बिन अजलान ज़ुरक़ी अंसार और बनी ज़ुरैक जनजाति से थे[२] और पैग़म्बर (स)[३] और इमाम अली (अ)[४] के साथियों में से एक थे और कुछ समय के लिए वह इमाम अली (अ) की ओर से ओमान और बहरैन के शासक थे।[५] अंसार द्वारा उनका हमेशा सम्मान किया जाता था। [६] हमज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब की शहादत के बाद, नोमान ने हमज़ा की पत्नी ख़ौला बिन्त क़ैस से शादी की।[७] नोमान की बीमारी के दिनों में, पैगंबर (स) ने उनसे मुलाक़ात की और उनके लिए प्रार्थना की। [८] अंसाब अल-अशराफ़ (तीसरी शताब्दी में लिखित) में, नोमान को मुआविया के खिलाफ़ अहले-बैत (अ) के रक्षकों में से एक के रूप में पेश किया गया है।[९] इसी तरह से, अल्लामा अमीनी ने उन्हें ग़दीर की हदीस के वर्णनकर्ताओं में से एक के रूप में पेश किया है। [१०] नोमान जमल[११] और सिफ़्फ़ीन युद्ध में[१२] इमाम अली की सेना में थे। मनक़री ने वक़अतो सिफ़्फ़ीन पुस्तक में हाकेमियत की घटना के गवाहों में से एक के रूप में उनके नाम का उल्लेख किया है।[१३]

इमाम अली से अलगाव

सिफ़्फ़ीन की जंग के बाद, इमाम अली (अ) ने नोमान को बहरैन और ओमान का शासक नियुक्त किया।[१४] जब वह बहरैन के प्रभारी थे, तो वह बैतुल माल से बनी ज़ुरैक़ को धन दिया करते थे।[१५] तीसरी शताब्दी के एक इतिहासकार याक़ूबी के अनुसार, इमाम अली (अ) ने उन्हे एक पत्र लिखा। और ऐसा करने के खिलाफ़ चेतावनी दी। इमाम का पत्र प्राप्त करने और बैत अल-माल का दुरुपयोग करने में उनके चरित्र के उजागर होने के बाद, उन्होंने इमाम को छोड़ दिया और मुआविया के समूह में शामिल हो गए।[१६]

इमाम अली (अ) के समर्थन में कविताएँ

नोमान एक कवि थे।[१७] उन्होंने सकीफ़ा की घटना[१८] पर और सिफ़्फीन के दिन [१९] इमाम अली के समर्थन में कविताएँ लिखीं:

وَ كانَ هَوانا في عَليّ وَ إنَّهُ ... لَاَهْلٌ لَها مِنْ حَيْثُ تَدْري وَ لا تَدْري

وَصيُّ النَّبيِّ الْمُصْطَفى وَ ابْنُ عَمِّهِ ... وَ قاتِلُ فُرْسانِ الضَّلالَةِ وَ الْكُفْرِ


अनुवाद, हम अली को चाहते थे और वह खिलाफ़त के योग्य थे। चाहे आप जानते हों और चाहे आप नहीं जानते हों, उसके अनुसार वह ईश्वर के चुने हुए पैगंबर के उत्तराधिकारी और उनके चचेरे भाई हैं। उन्होंने गुमराही और अविश्वास के सवारों से युद्ध किया और उन्हें नष्ट कर दिया।[२०]

इब्न अबी अल-हदीद ने नहज अल-बलाग़ा के अपने विवरण में, नोमान की इस कविता को सकीफ़ा की घटना के बारे में अम्र आस की कविता की प्रतिक्रिया के रूप में माना है और इसमें निम्नलिखित पक्तियाँ जोड़ी हैं:

فذاک بعون الله یدعو إلی الهدی ... و ینهی عن الفحشاء و البغی و النکر [२१]

फ़ुटनोट

  1. याकूबी, तारिख़ याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 201।
  2. तूसी, रेजाल, 1373, पृष्ठ 83।
  3. इब्न असीर, उसदुल ग़ाबह, 1970, खंड 5, पृष्ठ 334।
  4. तूसी, रेजाल, 1373, पृष्ठ 83।
  5. तूसी, रेजाल, 1373, पृष्ठ 83।
  6. इब्न असीर, उसदुल ग़ाबा, 1970, खंड 5, पृष्ठ 334।
  7. इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 एएच, खंड 6, पृष्ठ 351।
  8. इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 एएच, खंड 6, पृष्ठ 351।
  9. बलाज़री, अंसाब अल-अशराफ़, 1417 एएच, खंड 5, पृष्ठ 30।
  10. अमिनी, अल-ग़दीर, 1416 एएच, खंड 1, पृष्ठ 142।
  11. मुफ़ीद, अल-जमल वन नुसरा, 1413 एएच, पेज 101-105।
  12. मनक़री, वक़आ सिफ़्फ़ीन, 1404 एएच, खंड 1, पृष्ठ 380।
  13. मनक़री, वक़आ सिफ़्फ़ीन, 1404 एएच, पृष्ठ 507।
  14. तूसी, रेजाल, 1373, पृष्ठ 83।
  15. इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 एएच, खंड 6, पृष्ठ 352।
  16. याकूबी, तारिख़ याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 201।
  17. इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 एएच, खंड 6, पृष्ठ 351।
  18. हुसैनी, नहज अल-बलाग़ा के स्रोत, खंड 3, पृष्ठ 334।
  19. मनक़री, वक़आ सिफ़्फ़ीन, 1404 एएच, पृष्ठ 380।
  20. मनक़री, वक़आ सिफ़्फ़ीन, 1404 एएच, पृष्ठ 380।
  21. इब्न अबी अल-हदीद, शरहे नहज अल-बलाग़ा, 1404 एएच, खंड 6, पृष्ठ 30-31।

स्रोत

  • इब्न अबी अल-हदीद, अब्द अल-हामिद बिन हिबतुल्लाह, शरहे नहज अल-बलाग़ा, क़ुम, मकतबा आयतुल्लाह अल-उज़मा अल-मरअशी अल-नजफ़ी, 1404 एएच।
  • इब्न असीर, अली इब्न मुहम्मद, उसद अल-ग़ाबा फ़ि मारेफ़त अल-सहाबा, बेरूत, दार अल-एहिया अल-तुरास अल-अरबी, 1970 ईं।
  • इब्न हजर असक्लानी, अहमद बिन अली, अल-इसाबा फ़ी तमयीज़ अल सहाबा, बेरूत, दार किताब अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1415 एएच।
  • अमिनी, अब्दुल होसैन, अल ग़दीर फ़िल-किताब वल सुन्नत वल-अदब, क़ुम, अल-ग़दीर सेंटर फॉर इस्लामिक स्टडीज़, 1416 एएच।
  • बलाज़ारी, अहमद बिन यहया, अंसाब अल-अशराफ़, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1417 एएच।
  • हुसैनी, अब्द अल-ज़हरा, मसादिर नहज अल-बलाग़ा व असनिदोहा, बेरूत, दार अल-ज़हरा, 1409 एएच।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, रेजाल अल-तूसी, क़ुम, इस्लामिक पब्लिशिंग हाउस (जामे मुद्रासिन), तीसरा संस्करण, 1373 शम्सी।
  • मोफिद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-जमल वल-नुसरा ले सैय्यद अल-इतरह फी हर्ब अल-बसरा, क़ुम, शेख़ मोफिद की कांग्रेस, 1413 एएच।
  • मनक़री, नस्र बिन मुज़ाहिम, वक़आ सिफ़्फीन, क़ुम, आयतुल्लाह अल-मरअशी अल-नजफ़ी पुस्तकालय, दूसरा संस्करण, 1404 एएच।
  • याकूबी, अहमद बिन अबी याकूब, तारिख़ याकूबी, बेरुत, दार सादिर, बी ता।