ग़दीर के दिन खाना खिलाना

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ग़दीर के दिन खाना खिलाना (फ़ारसी: اطعام غدیر) यह ग़दीर के दिन की याद में शियाें के रीति-रिवाजों में से एक है, हदीसों में जिसकी सिफ़ारिश की गई है। इमाम रज़ा (अ) द्वारा वर्णित एक हदीस के अनुसार, ग़दीर के दिन खाना खिलाने का सवाब सभी पैग़म्बरों और सिद्दीक़ीन को खाना खिलाने के सवाब के समान है, और शियों को ग़दीर के दिन खाना खिलाने में जितना संभव हो उतना भाग लेने के लिए कहा गया है।

ग़दीर के खाना खिलाना अलग-अलग देशों जैसे ईरान, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और तुर्की और भारत में अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से किया जाता है। ईरान में लोग घरों, मस्जिदों और हुसैनिया में भोजन कराते हैं। 1402 शम्सी (2023) में तेहरान में आयोजित ग़दीर के 10 किमी उत्सव में, 1,300 मूकिब ने प्रतिभागियों का स्वागत किया।

शिया परंपरा

ईदे ग़दीर पर खाना खिलाना या दूसरों को भोजन देना ग़दीर दिवस पर शियों के रीति-रिवाजों में से एक माना जाता है।[१] ग़दीर के दिन खाना खिलाना उन परंपराओं में से एक माना जाता है जो शिया ग़दीर दिवस मनाने और इमाम अली (अ) के प्रति अपनी निष्ठा को नवीनीकृत करने के लिए करते हैं।[२] इमाम सादिक़ (अ) से वर्णित हदीस में ग़दीर के दिन का नाम इत्आम अल तआम के नाम पर रखा गया है।[३]

ईदे ग़दीर पर 20,000 लोगों को खाना खिलाने की तैयारी (शाह अब्दुल अज़ीम हसनी का रौज़ा, 8 जुलाई, 2023 ईस्वी)[४]

ग़दीर के दिन खाना खिलाने ने विभिन्न देशों के शियों का ध्यान आकर्षित किया है; अफ़गानिस्तान में, सादात अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भोजन और नज़्र का समान देते हैं।[५] पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे लाहौर, कराची, क्वेटा और पेशावर में ग़दीर का उत्सव मनाते समय खाना खिलाया जाता है।[६] भारत में भी ग़दीर के दिन उत्सव (महफ़िल के नाम से) मनाया जाता है और उत्सव समाप्त होने पर भोजन दिया जाता है और घरों में नज़्र भी की जाती है पड़ोसियों और रिश्तेदारों का एक दूसरों के घरों में आना जाना होता है। तुर्की के कुछ क्षेत्रों में अलवियान ईदे ग़दीर पर, हरीसे नामक भोजन वितरित करते हैं।[७]

ईरान में, यह परंपरा लोगों द्वारा घरों, मस्जिदों और हुसैनिया में निभाई जाती है।[८] ग़दीर के 10 किलोमीटर के उत्सव में, जो वर्ष 1402 शम्सी (2023) में तेहरान में लाखों लोगों की उपस्थिति के साथ आयोजित किया गया था, 1,300 से अधिक मूकिब ने प्रतिभागियों का स्वागत किया।[९] आस्ताने क़ुद्स रज़वी ने "इत्आमे ग़दीर" अभियान की स्थापना करके और लोगों की भागीदारी को आकर्षित करके वर्ष 1400 शम्सी (2021) में पूरे ईरान में दस लाख भोजन वितरित किए थे।[१०]

ग़दीर के दिन खाना खिलाने में इमामों का आदेश और परंपरा

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, आइम्मा, शियों को ग़दीर के दिन खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित करते थे; जैसा कि हदीस में, उपवास के साथ साथ ग़दीर के दिन खाना खिलाने, ईदी देने और सिल ए रहम की सिफ़ारिश की गई है।[११] इमाम रज़ा (अ) की एक हदीस में, शियों से कहा गया है कि जितना संभव हो ग़दीर के दिन खाना खिलाने में भाग लें।[१२]

शेख़ तूसी (मृत्यु: 413 हिजरी) द्वारा लिखित मिस्बाह अल-मुतहज्जद जैसी विभिन्न पुस्तकों में वर्णित हदीसों के अनुसार, इमाम रज़ा (अ) ने ईदे ग़दीर की शाम इफ़्तार के लिए अपने विशेष साथियों को अपने पास रोका और उनके परिवारों को उपहार के साथ भोजन भेजा।[१३]

ग़दीर के दिन खाना खिलाने का सवाब

इमाम रज़ा (अ) की हदीस में वर्णित हुआ है कि ग़दीर के दिन एक मोमिन को खाना खिलाने का सवाब, सभी नबियों और सिद्दीक़ीन को खाना खिलाने के बराबर है;[१४] इसके अलावा, ग़दीर के दिन इमाम अली (अ) के एक उपदेश में, जिसे इमाम रज़ा (अ) द्वारा वर्णित किया है, यह कहा गया है: जो कोई भी ग़दीर के दिन मोमिन को इफ़्तारी देता है जैसे उसने फ़ेआम (लोगों का समूह) को इफ़्तारी दी है। इमाम अली (अ) ने प्रत्येक फ़ेआम की व्याख्या एक लाख नबी, सिद्दीक़ और शहीद के बराबर की है। इसी तरह इमाम ने यह भी गारंटी दी है कि जो इस दिन खाना खिलाएगा वह ईश्वर की ओर से कुफ़्र और फ़क़्र (गरीबी) से सुरक्षित रहेगा।[१५]

हदीसों में ग़दीर के दिन ज़रूरतमंदों,[१६] मोमिनों,[१७] धार्मिक भाइयों[१८] को खाना खिलाने और रोज़ेदारों[१९] को इफ़्तारी देने की सिफ़ारिश की गई है। ग़दीर के दिन उपवास का मुस्तहब होना[२०] शियों के बीच प्रसिद्ध है।[२१]

फ़ुटनोट

  1. “ग़दीर के दिन का खाना खिलाना; एक भूली हुई परंपरा", मेहर समाचार एजेंसी।
  2. "ईदे ग़दीर खुम के रीति-रिवाज और परंपराएँ क्या हैं?",मिज़ान समाचार एजेंसी।
  3. हिल्ली, अल-अदद अल-क़विया, 1408 हिजरी, पृष्ठ 169।
  4. "ईदे सईद ग़दीर ख़ुम के दिन 20,000 से अधिक भोजन की तैयारी / खाना बनाना और वितरण करना / फोटो: असदी", हज़रत अब्दुल अज़ीम का रौज़ा।
  5. "ईदे वेलायत मनाने के लिए विभिन्न देशों के रीति-रिवाज ", मेहर समाचार एजेंसी।
  6. देखें "पाकिस्तान में इमामत और विलायत के अनुयायियों के साथ ईद ग़दीर की रस्में आयोजित की गईं + वीडियो", IRNA समाचार एजेंसी।
  7. «Gadir Hum Nedir, Ğadir Hum Bayramı Nasıl Kutlanılır»، Bölge Gündem Haber.
  8. "अज़रबैजान से खुज़ेस्तान/सुफ़रा ए अलवी ग़दीर उत्सव पूरे ईरान में फैल गया" मेहर समाचार एजेंसी।
  9. "तेहरान में ग़दीर 10 किमी उत्सव का विवरण", जवान जर्नलिस्ट्स क्लब।
  10. "फ़ीड ग़दीर" अभियान की स्थापना और लोगों की भागीदारी को आकर्षित करते हुए, पूरे देश में दस लाख भोजन पकाया और वितरित किया गया", करामत रज़वी फाउंडेशन।
  11. हिल्ली, अल-अदद अल-क़विया, 1408 हिजरी, पृष्ठ 169।
  12. शेख़ तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 757।
  13. शेख तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 758; इब्ने ताऊस, इक़बाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 461।
  14. इब्ने ताऊस, इक़बाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 465।
  15. शेख तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 758; इब्ने ताऊस, इक़बाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, खंड 1, पृ. 463-464; कफ़अमी, अल-मिस्बाह, 1405 हिजरी, पृष्ठ 700; शेख़ हुर्रे आमोली, वसाएल अल-शिया, 1409 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 445।
  16. शेख़ तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 757; मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 94, पृष्ठ 117।
  17. इब्ने ताऊस, इकबाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 463।
  18. इब्ने ताऊस, इकबाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 475।
  19. शेख़ तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 758।
  20. ख़तीब बग़दादी, तारीख़े बग़दाद, बेरूत, खंड 8, पृष्ठ 284।
  21. "क्या इमाम सादिक़ (अ) की ग़दीर दिवस पर खाना खिलाने की हदीस सहीह है?", 8 दी न्यूज़।

स्रोत