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मूकिब

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मूकिब (अरबी: موکب) या शिविर एक सर्विस स्टेशन है जहां शिया धार्मिक स्थलों या अवसरों पर तीर्थयात्रियों और लोगों को मुफ्त भोजन, चाय और शरबत वितरित किया जाता है। अरबईन पैदल मार्ग पर, आवास, स्वास्थ्य और उपचार सेवाओं, शरीर और पैरों की मालिश, और उपकरण की मरम्मत के लिए मूकिब होते हैं। मूकिब शब्द इराकी शिया संस्कृति में आम था और ईरानी कैलेंडर के 90 के दशक में इसे ईरान में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पहले, ईरान में मूकिब के समान अर्थ वाला शब्द "ईस्तगाहे सलावाती" अर्थात निशुल्क सेवा का प्रयोग होता था।

मूकिब शब्द का उपयोग अरब शिया संस्कृति में "शोक जुलूस" को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है। इराक़ मे़ दो शब्द "मूकिबे अज़ा अर्थात शोक शिविर" और "मूकिबे ख़िदमी अर्थात सेवा शिविर" का प्रयोग होता है। भारत और पाकिस्तान मे भी मूकिब लगाने का रिवाज है। शिविर अर्थात मूकिब के बजट का प्रबंध आमतौर पर लोगो और लाभार्थियो (ख़य्येरीन) द्वारा किया जाता है।

शब्दार्थ और इतिहास

इमाम रज़ा (स) का मोकिब, नजफ़-कर्बला पैदल मार्ग,स्तंभ 285

शिविर या मूकिब ऐसे सर्विस स्टेशन को कहा जाता है[] जहां शिया धार्मिक स्थलों[] या अवसरों[] पर तीर्थयात्रियों और लोगों को मुफ्त भोजन, चाय और शरबत वितरित किया जाता है। मूकिब कपड़े से बने तंबूओ या इमारतों में आयोजित किए जाते हैं।[]

पृष्ठभूमि

मूकिब शब्द अरब शिया संस्कृति में डैलीगेशन[] शोक दल[] और अन्य समूह आंदोलनों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है जो शोक और मार्च के रूप में किया जाता है।[][नोट १] 1347 शम्सी अर्थात 1968 के आसपास लिखी गई किताब अदबुत-तफ में मूकिब (शोक दलो) के संबंध मे सूचना दी गई है[] कि अरबाईन के करीब के दिनों में कर्बला के आस-पास के विभिन्न क्षेत्रों से आते थे तंबू लगाते थे और तीर्थयात्रियों का स्वागत और सत्कार करते थे।[]

1395 शम्सी (2016 ई) में इराक से प्रकाशित होने वाली किताब "फरहंगे सोग शीई" के अनुसार, अरबाईन के दिनों मे तीर्थयात्रियों का स्वागत और सत्कार करने वाले टेंट और स्थानों को भी मूकिब कहा जाता है।[१०] इस देश मे मूकिब जहां अज़ादारी होती है या जहा सेवाए प्रदान की जाती है उनके बीच अंतर करने के लिए दो शब्दो "मूकिबे अज़ा अर्थात शोक शिविर" और " मूकिबे ख़िदमी अर्थात सेवा शिविर" का उपयोग किया जाता है।[११]

मूकिब शब्द ईरानी कैलेंडर के 90 के दशक में इराक़ से ईरान स्थानांतरित कर दिया गया;[१२] इससे पहले, ईरान में मूकिब के समान अर्थ वाला शब्द "ईस्तगाहे सलावाती" अर्थात निशुल्क सेवा[नोट २] का प्रयोग होता था।[१३] दो शब्द "मूकिब" और "स्टेशन" " ईस्तगाहे सलावाती" अर्थात निशुल्क सेवा ईरान के फ़ारसी बोलने वालों के बीच एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किया जाता है।[१४]

सेवाएं

शिविरो, सेवा केंद्रो मे प्रदान की जाने वाली सेवाए निशुल्क होती है जिनमे भोजन, चाय, शरबत[१५] जूता पॉलिश[१६] इत्यादि का वितरण सम्मिलित है। अरबाईन वॉक मे मूकिबो मे भोजन, आवास, स्वास्थ्य और उपचार सेवाओं के अलावा, शरीर और पैरों की मालिश और उपकरणों की मरम्मत भी की जाती है।[१७]

कुछ मूकिब अप्रत्याशित घटनाओं जैसे बाढ़ और भूकंप में भोजन, टेंट, कंबल और पानी जैसी आवश्यक वस्तुओं का वितरण करते हैं।[१८] मूकिब के बजट का प्रबंध और इसमें प्रदान की जाने वाली सेवाएं सार्वजनिक दान[१९] और कभी-कभी सरकार के माध्यम से किया जाता है।[२०]

मूकिब का समय और स्थान

इराक़ में अरबाईन पदयात्रा पर मोकिब की व्यवस्था

शिया धार्मिक अवसरों जिनमें अरबाईन वॉक[२१], मुहर्रम[२२], 15 शाबान[२३], और मासूमों की शहादत और जन्म दिवस पर[२४] शिया निवासी स्थानो मे मूकिब लगाए जाते है। इसी प्रकार शिया धार्मिक स्थानों, जैसे आइम्मा (अ) की दरगाहो अर्थात हरम में तीर्थयात्रीयो को सेवा प्रदान करने के लिए मूकिब लगाए जाते हैं।[२५]

15 शाबान वॉक में भी जोकि हर साल 15 शाबान के दिनों में नजफ़ से कर्बला तक के मार्ग पर मूकिब लगाए जाते है।[२६] इसके अलावा ईद ग़दीर 2022 में "मेहमानी ए दह किलो मितरी" नामक उत्सव में लगभग 350 मूकिब तेहरान में लगाकर लोगों का स्वागत सत्कार किया गया।[२७]

अरबाईन वॉक पर मूकिब

मुख़्य लेख: अरबाईन वॉक

अरबाईन वॉक पर इराक के धार्मिक समुदायों, क्षेत्र के स्थानीय खानाबदोशों और प्रत्येक मार्ग के आसपास के गांवों के निवासियों द्वारा मूकिब लगाए जाते हैं[२८] और उनका प्रबंधन इराकी सरकार की ओर से स्वतंत्र है।[२९]

इमाम हुसैन (अ) और हज़रत अब्बास (अ) के हरम की देखरेख में काम करने वाले "एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ़ राइट्स, प्रोसेशंस एंड श्राइन्स इन इराक़" की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अरबाईन मे पूरे इराक़ देश में 32 हज़ार मूकिब लगाए गए थे।[३०] हज़रत अब्बास (अ) के हरम की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अरबाईन के दौरान कर्बला और इसकी ओर जाने वाली सड़कों पर 14500 मूकिब सक्रिय थे, जिनमें से 300 मूकिब ईरान सहित अन्य देशों के थे।[३१] हज़रत अब्बास (अ) के हरम ने 2022 के अरबाईन मे कर्बला और इसकी ओर आने वाली सड़को पर वितरित भोजन की संख्या चार मिलियन से अधिक बताई है।[३२]

शिया देशों मे मूकिब

इराक़ और ईरान को छोड़कर, कुछ अन्य शिया निवासी देशों में मूकिब लगाए जाते हैं।[३३] पाकिस्तान और भारत में इन स्थानो पर जब वे पेय वितरित करते हैं तो "सबील" कहते है[३४] और जब भोजन वितरित करते है तो "नियाज़े- हुसैन" कहते हैं।[३५][नोट ३] पाकिस्तान में सुन्नी मुस्लमान भी मुहर्रम के महीने मे सबील और नियाज़े हुसैन का प्रबंध करते हैं।[३६] पाकिस्तान मे इन दिनो हलीम और बिरयानी वितरित की जाती हैं।[३७]

नोट

  1. चौथी और पांचवीं चंद्र शताब्दी की कुछ शब्दकोश पुस्तकों मे मूकिब का अर्थ "घुड़सवार अथवा पैदल चलने वाला समूह" माना जाता है। (इब्ने दुरैद, जमहरा तुल लुगत, वकब शब्द के अंतर्गत, 1988 ई, भाग 1, पेज 378; इब्ने सय्यदेह, अल-मोहकम वल मोहीत अल-आज़म, 1421 हिजरी, भाग 7, पेज 153) कुछ लोग इमाम हुसैन (अ) के कारवां का उल्लेख "अल-मूकिब अल-हुसैनी" को भी कहते हैं। (नकदी, ज़ैनब अल-कुबरा, मंशूराते मकतबतुल मुफ़ीद, पेज 93) हर साल आठ मोहर्रम को जो जुलूसे अज़ा ज़नजान के हुसैनिया ए आज़म से निकलता है, मूकिबे अज़ादारान हुसैने आज़म ज़नजान कहते है। दूसरी रिवायत मे योम ए अब्बास पर ज़नजान मे प्यार और स्नेह का वर्णन, खबर गुज़ारी जमहूरी इस्लामी
  2. सलावाती स्टेशन: धार्मिक पहलू का एक विशेष स्थान, जहाँ वे बिना भुगतान के सलवात का पाठ करने पर भोजन प्राप्त करते हैं। (मोईन, फ़रहंगे फ़ारसी मोईन, भाग 1 (आ-हा),1384 शम्सी ईस्तगाह शब्द के अंतर्गत)
  3. पाकिस्तान मे जहा भोजन का वितरण होता है लंगरे हुसैनी कहा जाता है। (Ashura observed peacefully in Khyber Pakhtunkhwa DAWN.)

फ़ुटनोट

  1. हमए चीज़ दर मोरिदे मूकिब हाए अरबाईन, बिलीत ईंजा
  2. देखेः मूकिब दारान सरासरे किश्वर अज़ ज़ाएरान दर जवारे हरमे मुताहरे इमाम रज़ा (अ) पज़ीराई मी कुनंद, खबर गुज़ारी ए तसनीम, मवाकेबुल खिदमतुल हुसैनीया तफततेहो मवाईदहा अल-रमज़ानियाता लेइफ़्तारिज़ जाएरीन, शबकतुल कफ़ीलुल आलमीया
  3. देखेः बरनामेहाए मोहर्रम व सफ़र दर मनतक़े 14, हमशहरी ऑन लाइन, (साइते ख़बरी रोज़नामे हमशहरी), 200 मूकिब मरदुमी अय्यामे नीमे शाबान दर क़ुम बे ज़ाएरान खिदमत रसानी मी कुनंद, खबर गुज़ारी तसनीम
  4. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  5. इस्हाक़ी, मूकिब, पेज 481
  6. देखेः बेमुशारेकते अकसर मिन 200 मूकिबे अज़ा ... अतबाते कर्बला, अल-अतबतुल हुसैनीया अल-मुकद्देसा
  7. मोहद्देसी, फ़रहंगे आशूरा, 1376 शम्सी, पेज 175
  8. इस्फ़ंदयारी, किताब शनासी तारीखे इमाम हुसैन (अ), 1380 शम्सी, पेज 178
  9. शब्बर, अदबुत-तफ़, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 42
  10. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  11. देखेः अल-अतबतुल अब्बासीया अल-मुकद्देसा तरफ़दा मवाक़िब अल-ख़िदमतुल हुसैनीया बे मवाद्दे ग़िज़ाइय्या, शबकतुल कफ़ीलुल आलमीया
  12. देखेः राह अंदाज़ी 100 मूकिब पज़ीराई हैअतहाए मज़हबी ऐलाम दर अरबईन 1396, ख़बर गुज़ारी जमहूरी इस्लामी (इरना), हज़ीने 60 मिलयारद तूमानी मूकिब दाराने ख़ूज़िस्तानी दर अय्यामे अरबाईन, खबर ग़ुज़ारी मेहेर
  13. देखेः दर सालरोज़े रहलते इमाम खुमैनी, पेज 199
  14. देखेः इन मूकिब 60 रोज़ मेज़बान बि ख़ानूमानहा अस्त, साइत रोज़ नामा हमशहरी, लीस्त ईस्तगाहाए सलवाती हमदान, ख़बरग़ुज़ारी फ़ार्स
  15. मूकिब हाए सरव ग़िज़ा दर प्यादारुए अरबाईन, अल-कौसर
  16. देखेः कफ़्फ़ाशाने मूकिब दर इंतेज़ार कफ्शहाए इमामे ज़मान (अ.त.), खबर गुज़ारी रस्मी हौज़ा
  17. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  18. देखेः मूकिब हाए उस्ताने मरकज़ी दर नुक़ाते सेल जद़े फ़आल शुद, सेताद बाज़साज़ी अत्बाते आलियात, बरपाए मूकिब 1000 नफ़री दर मनातिक़े ज़लजले ज़दे ग़रबे किश्वर, खबर गुज़ारी तस्नीम, [https://www.irna.ir/news/84513020 इस्तिक़रारे 6 मूकिबे अरबाईन दर मनातिक़े ज़लज़ले ज़दे अनदीका, खबर गुज़ारी जमहूरी इस्लामी (इर्ना)
  19. ऐना तहसिलो अल-मवाकिब अल-हुसैनीया अला तमवील, अल-सूमरया
  20. देखेः इस्तिक़रारे मूकिबहाए जिहादे किशावर्ज़ी उस्तान दर मर्ज़ मीर जावा बराय अरबाईन, खबर गुज़ारी दानिश जूयाने ईरान (इर्ना), इराए ख़िदमात बे ज़ायेराने हुसैनी दर 43 मूकिबे दाखेली वा ख़ारेजी दर कुर्दिस्तान, खबर गुज़ारी कुर्द प्रेस
  21. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  22. देखेः बरनामा हाए मोहर्रम वा सफ़र दर मनतक़े 14, हमशहरी ऑनलाइन (साइट खबरी रोज़नामा हमशहरी)
  23. देखेः 200 मुकिबे मरदुमी अय्यामे नीमे शाबान दर क़ुम बे जायराने ख़िदमत रसानी मी कुनंद, खबर गुज़ारी तस्नीम
  24. देखेः पज़ीराई बीश अज 20 नफ़र दर अय्यामे शहादत इमाम सादिक़ (अ), खबर गुज़ारी रस्मी हौज़ा, बरपाए मूकिब इमामे रजा (अ) दर दहे करामत, खबर गुज़ारी रज़वी
  25. देखेः मूकिब दारान सरासरे किश्वर अज़ ज़ायराने दर जवारे हरमे मुताहर इमाम रज़ा (अ) पज़ीराई मी कुनंद, खबर गुज़ारी तस्नीम, मवाकिबुल ख़िदमा अल-हुसैनीया तफततेहो मवाईदहा अल-रमज़ानीयाते लिल इफ्तारिज-ज़ायरीन, शबकतुल कफ़ील अल-आलमीया
  26. देखेः जुज़्ईयाते मेज़बानी मूकिबे ईरानी खुद्दामुल हुसैन अज़ जाय़रान प्यादारवी नीमा ए शाबान, खबर गुज़ारी दानिशजूयाने ईरान (इर्ना)
  27. दर महमूनी 10 किलीमित्री ख़याबाने वली अस्र चे गुज़्श्त, खबर गुज़ारी दानिशजू
  28. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  29. इस्हाक़ी, प्यादारवी अरबाईन, पेज 100
  30. एहसाइयाते हौला अददिल मवाकिब अल-खदमिया वल अज़ाइया वा वजबातित तआम वल ख़िदमात अल-तिब्बी वा अददिल मत्तूईन बिल अरबाईनीया, खबर गुज़ारी शफ़क़्ना
  31. ज़ुज्इयात ख़िदमात एराय शुदे अज सूए आस्ताने क़ुद्से अब्बासी दर अरबाईने हुसैनी, शबका ए जहानी अल-कफ़ील
  32. ज़ुज्इयात ख़िदमात एराय शुदे अज सूए आस्ताने क़ुद्से अब्बासी दर अरबाईने हुसैनी, शबका ए जहानी अल-कफ़ील
  33. देखेः Holding on to the tradition of setting up sabeels DAWN.
  34. देखेः Holding on to the tradition of setting up sabeels DAWN. इमाम हुसैन के यौमे विलादत पर शहर मे जगह जगह हुआ सबीलो का एहतेमाम, अखबार आप का
  35. Trend of ‘Niaz’ distribution on Ashura still alive across country»، Daily Pakistan؛ «Ashura observed peacefully in Khyber Pakhtunkhwa» DAWN.
  36. SWAT organized a Sabeel on the 10th of Muharram» Daily Azb.
  37. Trend of ‘Niaz’ distribution on Ashura still alive across country»، Daily Pakistan.

स्रोत्र