यअला बिन मुनया
याअला बिन मुनया | |
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उपाधि | अबा ख़ालिद |
उपनाम | अबू सफ़वान |
निवास स्थान | मक्का, यमन |
मुहाजिर | मुहाजिर |
जनजाति | बनी तमीम जनजाति |
प्रसिद्ध रिश्तेदार | उमय्या बिन अबी उबैदा(पिता), ज़ुबैर बिन अवाम |
मृत्यु की तिथि और स्थान | 37 हिजरी या 47 हिजरी |
इस्लाम लाने का समय | फ़त्हे मक्का के समय |
युद्धों में भागीदारी | (ग़ज़वात) तबूक, हुनैन और ताइफ का युद्ध और इमाम अली (अ) के ख़िलाफ़ जमल की लड़ाई में भाग लिया |
विशेष भूमिकाएँ | नाकेसीन की वित्तीय सहायता |
अन्य गतिविधियां | तीनो ख़लीफ़ाओं के समय विभिन्न क्षेत्रों के शासक और पैगंबर (स) से रिवायत नक़ल की |
याअला बिन मुनया या याअला बिन उमय्या (अरबीःیَعْلَی بْنِ مُنْیَه یا یعلی بن اُمَیّه) पैगंबर (स) के सहाबी और नाकेसीन के नेताओं में से एक थे। मक्का की विजय (फ़त्हे मक्का) के दौरान मुस्लिम हुए और पैगंबर (स) के कुछ अभियानों (ग़ज़वात) में भाग लिया। पैग़ंबर (स) की रिवायतो को बयान किया है। याअला मक्का के अमीर लोगों में से एक था और एक उदार (सख़ावतमंद) व्यक्ति था जिसने तीसरे खलीफा उस्मान बिन अफ़्फ़ान के साथ रहकर और उसकी उदारता से लाभ उठाकर बहुत सारी संपत्ति अर्जित की।
उन्होंने तीनों खलीफ़ा का सहयोग किया। उन्हे अबू बक्र की ओर से असहाबे रिद्दा से निपटने के लिए कुछ क्षेत्रों में भेजा गया था। याअला उस्मान बिन अफ़्फ़ान के सलाहकार होने के साथ उच्च पद रखते थे।
याअला पैगंबर (स) और तीनो खलीफा के समय में यमन के विभिन्न हिस्सों का गवर्नर था, लेकिन इमाम अली (अ) ने खिलाफ़त संभालने के बाद उसे यमन के गर्वनर पद से हटा दिया। अपनी बर्खास्तगी का प्रतिशोध लेने के लिए यमन का सम्पूर्ण खर्च अपने साथ लेकर मक्का पहुंच गया और उन विद्रोहियों में शामिल हो गया जिन्होंने उस्मान के रक्तपात के बहाने विद्रोह किया था। उसने विद्रोही सेना का समर्थन किया और उस पर बहुत सारा धन खर्च किया। जमल की लड़ाई में हार के बाद याअला भाग गया और मुआविया के शासनकाल के अंत तक जीवित रहा, हालाँकि कुछ लोगों का मानना है कि वह सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में इमाम अली (अ) की ओर से लड़ता हुआ शहीद हुआ।
नाम, वंश और उपनाम
याअला बिन मुनया या याअला बिन उमय्या बिन अबी उबैदा[१] बनी तमीम[२] जनजाति से था जिसका उपनाम अबू सफ़वान[३] और उपाधी अबा ख़ालिद है।[४] उसे दो नामों से जाने जाने का तर्क यह है कि कुछ मामलों में पिता को और कुछ मामलों में उनकी मां या नानी को जिम्मेदार ठहराया जाता है।[५] हालांकि उनकी मां या नानी के लिए उनकी वंशावली अधिक प्रसिद्ध है।[६] उनके नाम को दर्ज करने के स्रोतों में मतभेद के कारण उन्हें कभी याअला बिन मनबा के नाम से भी जाना जाता है।[७]
याअला और उनके पिता जाहिली काल के दौरान कुरैश जनजाति के सहयोगी थे[८], जबकि कुछ लोगों ने इस गठबंधन को अब्दुल-मुत्तलिब[९] या नौफ़िल बिन अब्द मुनाफ़[१०] या अब्दे शम्स के परिवार के साथ माना है।[११] उनका कुरैश के साथ भी एक अनौपचारिक संबंध था; क्योंकि ज़ुबैर बिन अवाम का दामाद था।[१२]
पैंगबर (स) के सहाबी
याअला बिन मुनया ने पैगंबर (स) के समय मे थे और मक्का की विजय (फ़त्हे मक्का) के समय मुस्लमान हुए।[१३] एक कथन के अनुसार याअला अपने पिता, भाई[१४] और बहन[१५] के साथ पैगंबर (स) के पास जाकर मुसलमान हुए; इसी कारण वंश उनका परिवार अर्थात् उनके भाई सलमा[१६] और अब्दुर रहमान[१७] और उनकी बहन नफीसा को पैगंबर (स) के साथियों में माना जाता है।[१८]
अल-इस्तिआब फ़ि मारफ़ा अल-अस्हाब पुस्तक में इब्ने अब्दुल बिर के अनुसार, पैगंबर (स) ने याआला इब्ने मुनया और उनके पिता के प्रवासियों में से एक के रूप में पहचाने जाने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।;[१९] हालाँकि, अनसाब अल-अशराफ़ में बलाज़री ने पैगंबर (स) के चाचा अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की मध्यस्थता से उनके अनुरोध को स्वीकार किए जाने के बारे में एक रिवायत सुनाई।[२०] और इब्ने असीर ने भी उन्हें (याअला बिन मुनया) को उनके पिता और भाई के साथ मुहाजेरीन मे गणना की है।[२१] याअला[२२] रसूले खुदा (स)[२३] के मशहूर सहाबी थे और कहा गया है कि उनकी प्रसिद्धी अपने पिता से अधिक है।[२४]
याअला हदीस वर्णन करने वालों में से एक थे[२५] उनके माध्यम से पैगंबर (स) की हदीसे सुनाई गई[२६], कुछ स्रोतों में हदीसों की संख्या 28 है, और उनमें से तीन हदीसे सुन्नियो के सर्वाधिक विश्वासनीय हदीसी सोत्र सहीह बुखारी और मुस्लिम में हैं।[२७] कई कथावाचकों ने याअला बिन उमय्या के हवाले से पैगंबर (स) की हदीसों को बयान किया है।[२८]
वर्ष 5 हिजरी शताब्दी में एक शिया विद्वान शेख़ तूसी, याअसा बिन उमय्या को पैगंबर (स) का सहाबी मानते हुए उनके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया[२९], हालंकि बाद के स्रोतों में उनका उल्लेख "पैगंबर के दुष्ट सहाबी" के रूप में किया गया था।[३०] शरफ अल-नबी पुस्तक में वर्णित है कि वह पैगंबर (स) के एक चमत्कार के गवाह थे।[३१]
अभियानो में उपस्थिति
याअला बिन मुनया को पैगंबर (स) के समय के मुजाहिदों में से एक के रूप में जाना जाता है[३२] और वह तबूक,[३३] हुनैन और ताइफ की लड़ाई में पैगंबर (स) की सेना में मौजूद थे।[३४] वह तबूक की लड़ाई मे स्वंम को पैगबर (स) के साथ होने को अपने सर्वोत्तम कार्यों मे से जानता है;[३५]क्योंकि इस युद्ध में उनकी उपस्थिति और पैगंबर (स) से उनके न्यायिक प्रश्नों से संबंधित कहानियां स्रोतों में परिलक्षित होती हैं।[३६] इब्न असीर जिन्होंने उन्हें प्रवासियों में से गिना था, का मानना है कि वह बद्र की लड़ाई मे भी मौजूद था।[३७]
तीनो ख़लीफ़ाओं के साथ सहयोग और यमन पर शासन
बाज़ान की मृत्यु पश्चात याअला बिन मुनया ने पैगंबर (स) के आदेश से यमन के एक हिस्से के शासन का पद भार संभाला।[३८] वह पहले ख़लीफ़ा अबू बक्र के समय में खोलान क्षेत्र के अमीरात के प्रभारी थे।[३९] उसे हुलवान क्षेत्र में रदा के सहाबीयो से मुकबला करने के लिए भेजा गया[४०] उसने उन्हें हराने के बाद माल और बंदीयो को अपने नियंत्रण मे ले लिया।
उनका शासन दूसरे खलीफा[४१] उमर बिन खत्ताब के शासनकाल के दौरान मे भी जारी रहा और इस अवधि में वह नजरान,[४२] ताइफ़,[४३]] सन्आ,[४४] या यमन के अन्य क्षेत्रों के गवर्नर बने।[४५] और यहां तक कि उन्हें सीरिया की यात्रा पर दूसरे खलीफा के साथियों में से एक माना गया है;[४६] हालांकि उमर की खिलाफत के अंतिम समय मे उमर नाराज हो गए और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, और उमर ने चाहा कि वह यमन से पैदल मदीना लौट जाए, पांच या छह दिनों की पैदल यात्रा के बाद उमर ने उनकी मृत्यु का समाचार सुना घोड़े पर सवार होकर स्वंय को मदीना में उस्मान बिन अफ्फान तक पहुंचा दिया।[४७] उस्मान बिन अफ्फान की खिलाफत के समय मे याअला यमन के सन्आ[४८] का गवर्नर भी था।[४९] उन्हें उस्मान के सलाहकारों में भी माना जाता है[५०] और उनके समीप उनका उच्च पद था।[५१] लेकिन इमाम अली (अ) ने उन्हें यमन के अमीरात से हटा दिया, और उनके स्थान पर उबैदुल्लाह बिन अब्बास को यमन का गवर्नर नियुक्त किया।[५२]
इतिहासकारों का मानना है कि यमन पर शासन करने की अवधि के दौरान[५३], याअला बिन मुनया अपने पत्रों में हिजरी तारीख का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे।[५४] उन्होंने यमन में न्यायाधीश का पद भी संभाला था।[५५]
सामाजिक स्थिति
याअला बिन मुनया को एक महान पद[५६] और यहां तक कि मक्का में साहिबे फ़तवा भी माना जाता है।[५७] इसके अलावा, वह मक्का के धनी निवासी था[५८] मृत्यु के समय जिनकी चल संपत्ति पचास हजार दीनार और कई अचल संपत्तियों के रूप में किया गया था, और उनकी अचल संपत्तियो मे से कछ का मूल्य तीन लाख दिरहम तक बताया गया है।[५९] उन्होंने दूसरों को देने के लिए इसी संपत्ति का उपयोग किया;[६०] इस हद तक कि याअला को अपने समय के सबसे अमीर लोगों में से एक माना जाता था[६१] और यहां तक कि उनके द्वारा बैतुल माल (राजकोष) के दुरुपयोग की खबरो का भी वर्णन हैं।[६२] कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति उस्मान बिन अफ़्फ़ान के साथ रहने से प्राप्त हुई थी।[६३] और तदनुसार, वह उन साथियों की सूची में शामिल है जिन्होंने उस्मान के समय में बड़ी संपत्ति हासिल की।[६४]
साथियों का सहयोग
याअला बिन मुनया को तल्हा बिन उबैदुल्लाह, जुबैर बिन अवाम, अब्दुल्लाह बिन आमिर, सईद बिन आस, वलीद बिन अक़्बा और अन्य उमय्या के साथ जमल की लड़ाई[६५] के मुख्य मंच प्रबंधकों में से एक माना जाता है। उस्मान के खून का बहाना[६६] और अपनी रुचि के कारण बसराइयों ने मारे गए खलीफा के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया[६७] और बसरा में बहुत विचार-विमर्श के बाद जमल समूह के साथ बसरा की ओर रवाना हो गया।[६८]
जो उस्मान के खून का बदला लेने के लिए उठे थे याअला ने उनके साथ उन्हे हथियार मुहैया कराने का वादा किया।[६९] उसने आयशा को उस्मान के हत्यारों से छुटकारा पाने और विद्रोहियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने और उकसाने में भूमिका निभाई थी[७०] और अब्दुल्लाह बिन आमिर के साथ, उन्होंने जमल कोर के लिए वित्तीय सहायता का कार्य भार संभाला।[७१] याअला बिन मुनया को इस तरह यमन के खराज से लाभ हुआ।[७२] इमाम अली (अ) द्वारा यमन की सरकार से हटाए जाने के बाद उसने खराज एकत्रित कर अपने साथ उसे मक्का ले गया[७३] जिसका अनुमान लगभग 400[७४] से 600 ऊंटों तक था, और राशि 600 हजार दिरहम थी।[७५] इस धन से उसने सेना के लिए बहुत सारी संपत्ति खर्च की।[७६] और उसने कुरैश के सत्तर लोगों को सुसज्जित किया[७७] और तल्हा और जुबैर को चार लाख दिरहम की सहायता दी[७८] और जमल की सेना के लिए हथियार और उपकरण प्रदान किए;[७९] इस तरह कि उसने प्रत्येक योद्धा को हथियारों और घोड़ों से सुसज्जित किया और इसके अलावा, उसने प्रत्येक योद्धा को कर के रूप में 30 दीनार का भुगतान किया।[८०] आयशा का ऊंट, जिसे असकर के नाम से जाना जाता था, उसको भी याअला ने अस्सी[८१] या दो सौ दीनार[८२] मे खरीदा था।
इस कारण से, इमाम अली (अ) से प्रसारित कुछ कथनों में, याअला को एक विश्वासघाती व्यक्ति[८३] के साथ-साथ देशद्रोह में सबसे तेज़ लोगों[८४] और विद्रोह के वित्तीय समर्थक के रूप में पेश किया गया है;[८५] जैसा कि जमल की लड़ाई से संबंधित एक अन्य हदीस में इमाम अली (अ) ने याअला का उल्लेख किया है और उसे सबसे अमीर लोगों में उल्लेख किया है, और इसके साथ-साथ जुबैर बिन अवाम की बहादुरी और तल्हा बिन उबैदुल्लाह की उदारता या इबादत और निश्चित रूप से आयशा की लोकप्रियता, जमल की लड़ाई में उनकी स्थिति की कठिनाई का कारण मानता है।[८६]
मृत्यु
याअला बिन मुनया जमल की लड़ाई में हार के बाद भाग गया, और कुछ के अनुसार, जैसे कि तारिख अल-इस्लाम के लेखक जह़बी, वह मुआविया इब्ने अबी सुफियान की खिलाफत के अंत तक जीवित था।[८७] इब्ने अब्दुल बिर ने अल-इस्तिआब में एक वर्णन दिया है जिसके आधार पर याअला इब्ने मुनया इस तथ्य के बावजूद कि वह जमल की लड़ाई में आयशा के साथ और इमाम अली (अ) के खिलाफ लड़ा था, वह सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में इमाम अली (अ) की ओर से लड़ा था।[८८] और 37 हिजरी[८९] या 38 हिजरी[९०] में हत्या कर दी गई।[९१] इसके आधार पर, अब्दुल्लाह मामकानी जैसे कुछ लोगों ने कहा हे कि उनका सुखद अंत हुआ।[९२] हालांकि, एक रिपोर्ट यह भी है कि याआला बिन मुनया 47 हिजरी तक जीवित था।[९३]
फ़ुटनोट
- ↑ बलाज़री, अनसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 145; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, पेज 747
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, पेज 1586; इब्ने हज़्म, जमहरत अनसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पेज 229; बग़दादी, अल मनमक़, 1405 हिजरी, पेज 253
- ↑ ज़ुबैदी, ताज अल उरूस, 1414 हिजरी, पेज 696
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, पेज 1585; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 188
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 554; इब्ने साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 11; इब्ने हज़्म, जमहरत अनसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पेज 213, 229; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 747
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 747; मामाक़ानी, तंक़ीह अल मक़ाल, भाग 3, पेज 332; शूसतरी, क़ामूल अल रेजाल, 1410 हिजरी, भाग 11, पेज 143
- ↑ इब्ने क़ुतैबा दैनूरी, अल मआरिफ़, 1992 ईस्वी, पेज 208; इब्ने जौज़ी, अल मुनतज़म, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 183
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, पेज 1586; इब्ने हजर, अल इसाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 538
- ↑ ज़ूबैदी, ताज अल उरूस, 1414 हिजरी, भाग 19, पेज 696
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, पेज 1586; इब्ने साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 11; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1402 हिजरी, भाग 4, पेज 747
- ↑ बसवी, अल मारफ़ा वल तारीख, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 308
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, पेज 1587; बलाज़री, अनसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 146; इब्ने क़ुतैबा दैनूरी, अल मआरिफ़, 1992 ईस्वी, पेज 276
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तिआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1585; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 747; ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 326
- ↑ इब्ने साद , अल तबक़ात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 11
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 554
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 272
- ↑ अब्ने हजर, अल इसाबा, भाग 4, पेज 244
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1919; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 6, पेज 283
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 106
- ↑ बलाज़री, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 145-146
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 272
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 106; इब्ने हज़्म, जमहरा अल अंसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पेज 213; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क़, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 186; ज़रकुली, अल आलाम, 1989 ईस्वी, भाग 8, पेज 204
- ↑ इब्ने हजर, अल इसाबा, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 268
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 106; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 142
- ↑ बेहक़ी, दलाइल अल नबूवत, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 664
- ↑ इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क़, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 186; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 748; इब्ने हजर, अल इसाबा, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 268; बैयहक़ी, दलाइल अल नबूवत, 1405 हिजरी, भाग 5, पेज 204; सालेही अल शामी, सबल अल हुदा, 1414 हिजरी, भाग 8, पेज 222, 237
- ↑ नौवी, तहज़ीब अल अस्मा वल लुग़ात, 1430 हिजरी, पेज 364
- ↑ ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 326
- ↑ शेख़ तूसी, रेजाल तूसी, 1373 शम्सी, पेज 51
- ↑ नमाज़ी शाहरूदी, मुस्तदरेकात इल्म रेजाल अल हदीस, 1414 हिजरी, भाग 8, पेज 281
- ↑ वाइज़ ख़रगोशी, शरफ अल नबी, 1361 शम्सी, पेज 170
- ↑ इब्ने क़ुतैबा दैनूरी, अल मआरिफ़, 1992 ईस्वी, पेज 275
- ↑ वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 3, पेज 1012; इब्ने साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 11
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1585; तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 554; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 747
- ↑ इब्ने साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 11; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 187
- ↑ वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 3, पेज 1012; सालेही अल शामी, सोबोल अल हुदा, 1414 हिजरी, भाग 5, पेज 449
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, पेज 4, पेज 747
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 3, पेज 318; मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्मा, 1420 हिजरी, भाग 14, पेज 225
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 3, पेज 427; इब्ने जौज़ी, अल मुंतज़म, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 71
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1586; बलाज़ुरी, फ़ुतूह अल बुलदान, 1988 ईस्वी, पेज 105; इब्ने हजर, अल इसाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 539
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 4, पेज 94; याक़ूबी, तारीख याक़ूबी, बैरूत, भाग 4, पेज 157; इब्ने जौज़ी, अल मुंतज़म, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 183
- ↑ इब्ने हजर, अल इसाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 539; ज़रकुली, अल आलाम, 1989 ईस्वी, भाग 8, पेज 204
- ↑ इब्ने असीर, अल बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 61
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 4, पजे 241; इब्ने जौज़ी, अल मुंतज़म, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 328
- ↑ इब्ने अबुदल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1586; इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 747
- ↑ इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 186
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1586; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 191
- ↑ इब्ने अबुदल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भगा 4, पेज 1586; ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 326
- ↑ बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 147
- ↑ बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 146
- ↑ बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 146; शूस्तरी, क़ामूस अल रेजाल, 1410 हिजरी, भाग 11, पेज 143; नमाज़ी इश्तेहारदी, मुस्तदरेकात इल्मे रेजाल अल हदीस, 1414 हिजरी, भाग 8, पेज 281
- ↑ बलअमी, तारीख नामा तबरी, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 610
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 390; ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 326
- ↑ तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 390; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, अल नाशिर दार अल फ़िक्र लित तबाअते वल नश्र वल तोज़ीअ, भाग 1, पेज 40; इब्ने असीर, अल बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 3, पेज 207
- ↑ इब्ने ख़य्यात, तारीख ख़लीफ़ा, 1415 हिजरी, पेज 107
- ↑ इब्ने अब्दुल बिर, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1586
- ↑ बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, भाग 12, पेज 146; इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, भाग 74, पेज 187; ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 326
- ↑ ज़रकली, अल आलाम, 1989 ईस्वी, भाग 8, पेज 204
- ↑ मस्ऊदी, मुरूज अल ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 333
- ↑ हाश्मी ख़ूई, मिंहाज अल बराआ, 1400 हिजरी, भाग 16, पेज 205
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स्रोत
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