अली बिन अबी राफ़ेअ

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अली बिन अबी राफ़ेअ
प्रसिद्ध रिश्तेदारअबू राफ़ेअ(पिता) और ओबैदुल्लाह बिन अबी राफ़ेअ(भाई)
किस के साथीइमाम अली (अ)
गतिविधियांइमाम अली (अ) के शासनकाल के दौरान बैतुल माल के एक मुंशी और अधिकारी जमल, सिफ़्फ़ीन और नहरवान के युद्धों में भागीदारी
आसारन्यायशास्त्र पर एक किताब


अली बिन अबी राफ़ेअ, इमाम अली (अ.स.) के शासनकाल के दौरान बैतुल माल के एक मुंशी और अधिकारी थे। वह पैग़म्बरे इस्लाम (स) के एक प्रसिद्ध सहाबी अबू राफ़ेअ के बेटे है।

अली बिन अबी राफ़ेअ एक ताबेई और इमाम अली (अ) के सहाबी थे, जो सय्यद मोहसिन अमीन के अनुसार, जमल, सिफ़्फ़ीन और नहरवान की जंगों में इमाम अली (अ) की सेना में मौजूद थे। [१] इसी तरह से, सैय्यद मोहसिन अमीन उन्हें इस्लाम का पहला व्यक्ति मानते थे जिन्होंने न्यायशास्त्र के विषय पर एक पुस्तक लिखी। [२] शिया रेजाल शास्त्र के विद्वान अहमद बिन अली नज्जाशी के अनुसार उनकी पुस्तक में वुज़ू, नमाज़ और अन्य विषयों पर अध्याय शामिल हैं। [३] सैय्यद मोहसिन अमीन के अनुसार, वह शिया न्यायशास्त्रियों में से एक थे और उन्होंने हज़रत अली (अ.स.) से न्यायशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। [४]

अली बिन अबी राफ़ेअ इमाम अली (अ.स.) के मुंशी और उनके शासनकाल के दौरान ख़ज़ाने के प्रभारी थे। उनके द्वारा वर्णित एक हदीस के अनुसार, उस अवधि के दौरान जब वह इमाम अली (अ) के कोषाध्यक्ष थे, इमाम अली (अ) की बेटियों में से एक के अनुरोध पर, एक हार, जो जमल की लड़ाई में ग़नीमत के तौर पर प्राप्त हुआ था, उन्होने उसे ईद अल-अज़हा के अवसर पर गारंटी के बदले अमानत के रूप में उन्हे उपयोग के लिए दे दिया था। जब इमाम अली (अ.स.) को पता चला, तो उन्होंने इब्न अबी राफ़ेअ को बुलाया और उनसे बैतुल-माल का हार वापस करने के लिए कहा, और कहा यदि वह इस कृत्य को दोहराते हैं, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मेरी बेटी ने उस हार को अमानत के तौर पर और गारंटी की प्रतिज्ञा के रूप में नहीं लिया होता, तो वह दंडित होने वाली पहली हाशिमी महिला होती, और इस कार्रवाई के कारण के बारे में अपनी बेटी की प्रतिक्रिया के जवाब में, उन्होंने कहा कि क्या सारी आप्रवासी (मुहाजिर) महिलाएं ईद अल-अज़हा पर ऐसा हार पहन सकती हैं? [५] उपरोक्त हदीस को बैतुल माल से उधार लेने की चर्चा के बारे में न्यायशास्त्र की किताबों में उद्धृत किया गया है।

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फ़ुटनोट

  1. अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 151।
  2. अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 151।
  3. नज्जाशी, रेजाल, 1397 हिजरी, पृष्ठ 5।
  4. अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 151।
  5. तूसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 151।

स्रोत

  • अमीन, मोहसिन, आयान अल-शिया, बेरूत, दार अल-तराइफ़, 1406 हिजरी/1986 ई.
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल-अहकाम, हसन मूसवी ख़िरसान द्वारा शोध, दारुल किताब अल-इस्लामिया, तेहरान, 1407 हिजरी।
  • नज्जाशी, अहमद बिन अली, रेजाल, क़ुम, अल-दावरी स्कूल, 1397 हिजरी।