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सादात से मुलाक़ात (रस्म)

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ईदे ग़दीर के दिन सादात से मुलाक़ात और मेज़बान द्वारा ईदी का दान।[]

सादात से मुलाक़ात करने की रस्म (फ़ारसी: دیدار سادات (آیین)) आधिकारिक ईरानी रस्म है जिसमें लोग ईदे ग़दीर पर सादात से मुलाक़ात करने जाते हैं। सादात भी अपने मेहमानों को ईदी देते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, लोकप्रिय धारणा में, सादात द्वारा ईदी में दिया गया पैसा, जो आमतौर पर इमाम अली (अ) के नाम की मुहर या ज़र्कुब के साथ उत्कीर्ण बैंकनोट होते हैं, जो खर्च नहीं किए जाते हैं और आशीर्वाद के रूप में रखे जाते हैं। कुछ लोग सादात की मुलाक़ात के इतिहास को ग़दीर खुम के दिन शिया बुज़ुर्गों की इमामों से मुलाकात की परंपरा की निरंतरता मानते हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि इस रस्म की जड़ें ईदे ग़दीर के दिनों में शिया बुज़ुर्गों की उनके इमामों के साथ बैठक में हैं, जो विशेष प्रतिनिधियों और शिया विद्वानों की यात्रा के साथ इमाम ज़मान (अ) की अनुपस्थिति के दौरान जारी रही और अब भी जारी है जिसे अब सादात से मुलाक़ात के रूप में जाना जाता है।

ग़दीर के दिन सादात से मुलाक़ात

ईदे ग़दीरे ख़ुम में सादात से मुलाक़ात के लिए जाना ईरानी रीति-रिवाजों में से एक है,[] जिसमें लोग सादात (विशेष रूप से सादात रूहानी (मौलाना) के परिवार और बुज़ुर्ग सादात[]) से मिलने जाते हैं और मेज़बान मेहमानों का मिठाइयों और ईदी देकर स्वागत करता है।[]

रिपोर्टों के अनुसार, कुछ ईरानी लोग, एक लोकप्रिय धारणा के अनुसार, इस दिन सात सय्यद के हाथ या छाती को चूमने को बहुत सवाब और फायदेमंद मानते हैं।[] कुछ क्षेत्रों में, यह भी प्रथा है कि सभी सादात, सियादत के विशेष चिन्ह, जैसे हरी शॉल या टोपी, के साथ एक जगह इकट्ठा होते हैं और लोग उनसे मिलने जाते हैं।[]

इसके अलावा, सादात से मुलाक़ात की रस्म के दौरान, कवि और गायक इमाम अली (अ) और ईदे ग़दीर की प्रशंसा में क़सीदे और शेअर पढ़ते हैं।[] कुछ स्थानों पर इस ईद की एक और रस्म यह है कि ज़रूरतमंद सादात को खुम्स या ईदी के रूप में कुछ राशि दी जाती है।[] कुछ लोगों के अनुसार इस रस्म का संबंध ईदे ग़दीरे ख़ुम से इतना गहरा है कि ईरान के कुछ क्षेत्रों में इस दिन को "ईदे सादात", "ईदे सय्यदा [सय्यदहा]" [] और "रोज़े इकरामे सादात" भी कहा जाता है।[१०]

सादात द्वारा लोगों की मेज़बानी

इमाम अली (अ) की उपाधि से विभूषित नोट जो सादात ईदे ग़दीर के दिन ईदी के तौर पर देते हैं।

सादात से मुलाक़ात के अनुष्ठान में, ईदे ग़ुदीर से कुछ दिन पहले, सादात अपने घरों को झाड़-पोंछकर (सफ़ाई करके) मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार करते हैं।[११] इस दिन, सादात लोगों को, विशेषकर अपने मेहमानों को ईदी देते हैं, जो आमतौर पर इमाम अली (अ) की उपाधि और व्यक्ति के नाम की मुहर के साथ उत्कीर्ण नए बैंकनोट होते हैं।[१२] जो उस पर एक वृत्त के रूप में और सादात की पसंद के आधार पर उत्कीर्ण होता है जिसे कुछ चॉकलेट, लेखन पत्र या एक किताब के साथ दिया जाता है।[१३]

रिपोर्टों के अनुसार, लोगों का मानना है कि उन्हें सादात से उपहार के रूप में प्राप्त धन को खर्च नहीं करना चाहिए; बल्कि, वे इसे अपने भरण-पोषण में आशीर्वाद बढ़ाने के लिए आशीर्वाद के रूप में अपने पास रखते हैं।[१४] कुछ क्षेत्रों में, वे इस पैसे को "माय ए कीसेह" के रूप में संदर्भित करते हैं।[१५]

इतिहास

पूरे इतिहास में, सादात का, पैग़म्बर (स) से इन्तेसाब (सम्बंधित होने) के कारण, हमेशा सामान्य मुस्लिम समुदाय द्वारा सम्मान किया गया है, और यहां तक कि शासकों और राज्यपालों ने भी उनके लिए विशेष सम्मान दिखाया है।[१६] ईद ग़दीर के दिन सादात पर ध्यान देना धार्मिक विद्वानों की जीवनियों में भी स्पष्ट है; इसीलिए मुल्ला हादी सब्ज़ेवारी, एक रहस्यवादी और शिया दार्शनिक, हमेशा ईद ग़दीर के दौरान सादात का सबसे अधिक सम्मान और एहतेराम करते थे।[१७]

ईरान में ईद ग़दीर पर सादात से मुलाक़ात की प्रथा कब शुरू हुई, इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान की जड़ें ईद ग़दीर के दिनों में शिया बुजुर्गों की अपने इमाम के साथ मुलाकात में हैं, और यह प्रथा विशेष प्रतिनिधियों और शिया विद्वानों की यात्रा के साथ इमाम ज़मान (अ) की अनुपस्थिति के दौरान जारी रही और अब भी जारी है जिसे अब सादात से मुलाक़ात के रूप में जाना जाता है।[१८]

ग़दीर के दिन इमामत और विलायत के मुद्दे की केंद्रीयता

कुछ लोग रोज़े ग़दीर ख़ुम को रोज़े ईदे सादात के शीर्षक से असहमत हैं। उनका मानना है कि ईद ग़दीर ख़ुम के दिन मोमिनों से मुलाक़ात करना हदीसों में आदेशित अनुष्ठानों में से एक है; लेकिन वे कहते हैं कि इस दिन सादात से मुलाक़ात की प्रथा शिया धार्मिक स्रोतों में मौजूद नहीं है; इसलिए, यह संभव है कि इस उभरती हुई रस्म के कारण, इमामत और विलायत का मुद्दा, जो इस दिन का वास्तविक केंद्र है, किनारे पर धकेल दिया जाएगा और अंततः इसे भुला दिया जाएगा और इस दिन का मूल स्वरूप भी बदल जाएगा।[१९]

फ़ुटनोट

  1. ईदे ग़दीर और सुन्नते पसंदीदा सिल ए रहम, ख़बरगुज़ारी बैनन मेलली क़ुरआन।
  2. चेरा ईदे ग़दीर ख़ुम रा ईदे सय्यदहा मी नामंद?, मदरसा इल्मिया अल ज़हरा मीनूदश्त वेब्लॉग।
  3. "ईदे सादात व सियादत दर फ़र्हंगे ईरानी", जवान ऑनलाइन।
  4. मुक़द्दम गुल मोहम्मदी, तूयस्रकान, 1378 शम्सी, पृष्ठ 527; सालेह तबरी, बाबुल, 1378 शम्सी, पृष्ठ तबातबाई फ़र, रूस्ताए क़ातूल दर गुज़र ज़मान, 1381 शम्सी, पृष्ठ 228।
  5. मोअय्यिद मोहसेनी, फ़र्हंग आमयाने सैरजान, 1381 शम्सी, 254; शाकेरी, अत्रकनामे, 1365 शम्सी, पृष्ठ मुनिस अल दौला, ख़ातेराते मुनिस अल दौला, 1380 शम्सी, पृष्ठ 180।
  6. दीदार बा सादात दर रोज़े ईदे ग़दीर/ पूली के बरकते ज़िन्दगी मी शवद, मेहर समाचार एजेंसी।
  7. ईदे ग़दीर व दीदार बा सादात, सदा व सीमा समाचार एजेंसी।
  8. मुहम्मदी, तकाब अफ़शार, 1369 शम्सी, पृष्ठ 356।
  9. मुहम्मदी, तकाब अफ़शार, 1369 शम्सी, पृष्ठ 356; मोअय्यिद मोहसेनी, फ़र्हंग आमयाने सैरजान, 1381 शम्सी, 254; सफ़री, अर्दाबेल दर गुज़रगाहे तारीख़, 1353 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 121।
  10. "ईदे सादात व सियादत दर फ़र्हंगे ईरानी", जवान ऑनलाइन।
  11. दीदार बा सादात दर रोज़े ईदे ग़दीर/ पूली के बरकते ज़िन्दगी मी शवद, मेहर समाचार एजेंसी।
  12. बारिकानी, बर्रसी ए मर्दुम शनाख़्ती जम्बेहाए मुख़्तलिफ़ बर्गुज़ारी आयादे मज़हबी दर कलान शहरहा, 1391 शम्सी, पृष्ठ 103।
  13. दीदार बा सादात दर रोज़े ईदे ग़दीर/ पूली के बरकते ज़िन्दगी मी शवद, मेहर समाचार एजेंसी।
  14. अख्वान, आदाब व सोनने इज्तेमाई फ़ीने काशान, 1373 शम्सी, पृष्ठ 154-155।
  15. "ईदे सादात व सियादत दर फ़र्हंगे ईरानी", जवान ऑनलाइन।
  16. इस बात के लिए देखें, इब्ने ख़ल्कान, वाफ़ीयात अल आअयान, 1364 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 240-241; इब्ने हूक़ल, सूरत उल अर्ज़, 1938 ईस्वी, पृष्ठ 131-132।
  17. अयूज़ी, ऐन अल बुक्काऊन, 1389 शम्सी, पृष्ठ 102।
  18. बूतोराबी, ईदे ग़दीर, 1384 शम्सी, पृष्ठ 528।
  19. बसीरी, बा एहतेराम बे सादात; ईदे ग़दीर "ईदे विलायत" अस्त!, अतना साइट।

स्रोत

  • इब्ने ख़ल्कान, अहमद इब्ने मुहम्मद, वाफ़ियात अल आयान, क़ुम, मंशूराते अल रज़ी, 1364 शम्सी।
  • इब्ने हूक़ल, अबुल क़ासिम मुहम्मद बिन हूक़ल अल नसीबी, सूरत अल अर्ज़, बेरूत, दार सादिर, 1938 ईस्वी।
  • अख्वान, मुर्तज़ा, आदाब व सुनने इज्तेमाई फ़ीने काशान, काशान, नशरे मुर्तज़ा अख़्वान, 1373 शम्सी।
  • बारीकानी, समीरा, बर्रसी ए मर्दुम शनाख़्ती जम्बेहा ए मुख़्तलिफ़ बर्गुज़ारी आयादे मज़हबी दर कालान शहरहा (मोरिदे मुतालेआ कलान शहर तेहरान), पायाननामे कारशनासी अरशद, तेहरान, दानिशगाहे आज़ादे इस्लामी (वाहिदे तेहरान मरकज़ी), दानिशकदेह रवान शनासी व उलूमे इज्तेमाई, गीराइशे मर्दुम शनासी, 1391 शम्सी।
  • बसीरी, हमीद रज़ा, बा एहतेराम बे सादात; ईदे ग़दीर "ईदे विलायत" अस्त!, अतना साइट, पोस्टिंग की तारीख, 26 तीर, 1401 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 28 ख़ुर्दाद, 1403 शम्सी।
  • बूतोराबी, ख़दीजा, ईदे ग़दीर, दाएरतुल मआरिफ़ तशीई, खंड 11, तेहरान, इंतेशाराते वेज़ारते फ़र्हंग व इरशादे इस्लामी।
  • चेरा ईदे ग़दीर ख़ुम रा ईदे सय्यदहा मी नामन्द?, मदरसा इल्मिया अल ज़हरा मीनूदश्त ब्लॉग, देखे जाने की तारीख: 28 खुर्दाद 1403 शम्सी।
  • दीदार बा सादात दर रोज़े ईदे ग़दीर / पूली के बरकते ज़िन्दगी मी शवद, मेहर समाचार एजेंसी, 8 शहरिवर 1397 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 28 खुर्दाद 1403 शम्सी।
  • शाकेरी, रमज़ान अली, तारिख़े जामेअ क़ूचान, तेहरान, अमीर कबीर पब्लिशिंग हाउस, 1365 शम्सी।
  • सालेह तबरी, समद, बाबुल, सर ज़मीने तलाई ए सब्ज़, तेहरान, नशरे फ़िक्रे रोज़, 1378 शम्सी।
  • सफ़री, बाबा, अर्दाबेल दर गुज़रगाहे तारीख़, तेहरान, नशरे उम्मीद, 1353 शम्सी।
  • तबातबाई फ़र, रज़ा, रुस्ताए क़ातूल दर गुज़रे ज़मान, तेहरान, नक्शे बयान, 1381 शम्सी।
  • ईदे ग़दीर व सुन्नत पसंदीदा सिल ए रहम, ख़बर गुज़ारी ए बैनन मेलली क़ुरआन, पोस्टिंग की तारीख: 15 तीर, 1402 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 28 खुर्दाद, 1403 शम्सी।
  • ईदे ग़दीर व दीदार बा सादात, सदा व सीमा समाचार एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 18 मुर्दाद, 1399 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 28 ख़ुर्दाद, 1403 शम्सी।
  • ईदे सादात व सियादत दर फ़र्हंगे ईरानी, जवान ऑनलाइन, प्रवेश की तारीख: 2 आज़र 1389 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 28 ख़ुर्दाद 1403 शम्सी।
  • अयूज़ी, मजीद, ऐन अल बोक्काऊन: आदाब व सीर ए उल्मा व बुज़ुर्गान दर अज़ा ए सय्यद अल शोहदा (अ), तेहरान, सेयाम, आराम दिल, 1389 शम्सी, 1384 शम्सी।
  • मुहम्मदी, अली, तकाब अफ़शार, तेहरान, ईमान पब्लिशिंग हाउस, 1369 शम्सी।
  • मुक़द्दम गुल मुहम्मदी, मुहम्मद, तूयस्रकान: सैरी दर औज़ाअ तबीई,तारीख़, इक़्तेसादी व इज्तेमाई, तेहरान, नशरे इक़बाल, 1378 शम्सी।
  • मुनिस अल दौला, ख़ातेराते मुनिस अल दौला, सिरूस सादौदियान द्वारा प्रयास, तेहरान, ज़र्रीन प्रकाशन, 1380 शम्सी।
  • मोइद मोहसेनी, मेहरी, फ़र्हंग आमियान सैरजान, किरमान, मरकज़े किरमान शनासी, 1381 शम्सी।