काफ़िर
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काफ़िर (अरबीःالكافر)वह व्यक्ति है जो ईश्वर, उसकी एकता, पैग़म्बर (स) की नबूवत, क़यामत या सामान्य रूप से धर्म के मूल सिद्धांतों को नकारता है। काफिरों के कुछ प्रकार हैं: काफ़िरे किताबी, काफ़िरे ज़िम्मी, काफ़िरे हर्बी, मुर्तद (धर्मत्यागी), और काफ़िरे तबई। इनमें से प्रत्येक प्रकार के काफ़िर के अपने विशिष्ट न्यायशास्त्रीय नियम हैं। न्यायविदों ने सभी प्रकार के काफिरों के बीच साझा नियम (मुशतरक अहकाम) भी बताए हैं। उदाहरण के लिए, वे काफिर को नजिस मानते हैं और मानते हैं कि एक मुस्लिम महिला किसी काफ़िर पुरुष से विवाह नहीं कर सकती, और एक मुस्लिम पुरुष किसी काफ़िर महिला से विवाह नहीं कर सकता।
क़ाएदा नफ़ी सबील का हवाला देते हुए न्यायशास्त्री मानते हैं कि ईश्वर ऐसा कोई नियम नहीं बनाता, जिसके द्वारा कोई काफिर किसी मुसलमान पर प्रभुत्व जमा सके। उन्होंने इस नियम से कुछ और विस्तृत अहकाम निकाले हैं; अन्य बातों के अलावा, यदि किसी कुंवारी मुस्लिम लड़की का पिता काफिर है तो उसकी शादी उसके पिता की अनुमति के बिना भी वैध है। क्योंकि काफिर पिता की अनुमति लेना प्रभुत्व का एक रूप माना जाता है। इसके अलावा, एक काफिर न्यायाधीश दो मुसलमानों के बीच मध्यस्थता नहीं कर सकता; क्योंकि निर्णय करना विवाद में पक्षकारों पर प्रभुत्व स्थापित करने का एक तरीका है।
परिभाषा और महत्व
काफ़िर वह व्यक्ति है जो ईश्वर, उसकी एकता, पैग़म्बर (स) की नबूवत, क़यामत या सामान्य रूप से धर्म के मूल सिद्धांतों को नकारता है।[१] "काफ़िर" शब्द "कुफ़्र" से लिया गया है और इसका अर्थ है ढकना और छिपाना;[२] इसलिए, जो कोई इनमें से एक या सभी चीज़ों से इनकार करता है उसे काफ़िर कहा जाता है।[३] दूसरे शब्दों में, कोई व्यक्ति जो ईश्वर के अस्तित्व और उसकी एकता को इंगित करने वाली आयतों को ढकता और छिपाता है उसे काफ़िर कहा जाता है।[४] "काफ़िर" शब्द शब्दार्थिक रूप से नास्तिक,[५] विधर्मी,[६] बहुदेववादी,[७] और बहुदेववादी जैसे शब्दों से संबंधित है।[८]
ऐसा कहा जाता है कि "कुफ्र" शब्द और इसके विभिन्न व्युत्पन्न, जैसे "काफ़िर", कुरान में पाँच सौ से अधिक बार आया हैं[९] और उसको अज़ाब का वादा दिया गया है।[१०] न्यायशास्त्र के विभिन्न अध्यायों में, लेन-देन और धार्मिक फैसलों दोनों में, काफिरों पर फैसलों और उनके साथ बातचीत करने के तरीके के बारे में मुसलमानों के कर्तव्यों पर चर्चा की गई है।[११]
काफ़िर के प्रकार
इस्लामी न्यायशास्त्र में काफिरों की विभिन्न प्रकार हैं, और इनमें से प्रत्येक प्रकार के लिए नियम बताए गए हैं:
काफ़िर किताबी
- मुख्य लेख: अहले किताब
काफ़िरे किताबी या अहले किताब उन धर्मों के अनुयायी हैं जिनके पास यहूदियों और ईसाइयों की तरह आसमनी किताब है।[१२] न्यायविदों के अनुसार, वे सभी जिनके बारे में संदेह है कि उनके पास कोई दिव्य पुस्तक है या नहीं, उन्हें अहले किताब माना जाता है। इस कारण से, मजूस या ज़रतुश्तियो को अहले किताब माना जाता है।[१३]
काफ़िर असली
काफ़िरे असली मुर्तद के मुक़ाबिल मे है[१४] वह व्यक्ति है जो काफ़िर माता पिता से पैदा हुआ हो और उसका इस्लाम का कोई पिछला इतिहास न रहा हो।[१५] शिया न्यायविदों की सर्वसम्मति के अनुसार,[१६] एक काफ़िर असली, अगर वह मुसलमान बन जाता है, तो काफ़िर रहने की अवस्था मे जो नमाज़ और रोज़े उसके कज़ा हुए मुसलमान होने के बाद उनकी क़ज़ा बजा लाने की आवशयकता नही है।[१७]
काफिर असली के दो मुख्य प्रकार हैं:[१८]
- काफिर ज़िम्मी: अहले किताब का वह समूह जो इस्लामी ज़मीनों में रहता हैं और जिन्होंने इस्लामी शासक के साथ "ज़िम्मा" का अनुबंध किया है, उन्हें काफ़िरे ज़िम्मी कहा जाता है।[१९] ज़िम्मा एक अनुबंध है जिसमें अहले किताब को जिज़्या का भुगतान करने के बदले में अपने धर्म में बने रहने और इस्लामी सरकार द्वारा संरक्षित होने की अनुमति दी जाती है।[२०]
- काफ़िर हर्बी: वे काफिर जिनके पास कोई संधि नहीं है, जैसे कि ज़िम्मा का अनुबंध, अमान का अनुबंध, या मुसलमानों के साथ संघर्ष विराम की संधि, चाहे वे अहले किताब हों या नहीं, उन्हें काफ़िर हर्बी कहा जाता है।[२१] न्यायविदों के अनुसार, एक काफ़िरे हर्बी का जीवन और संपत्ति पवित्र नहीं है; हालाँकि, अगर मुसलमानों के साथ ज़िम्मा की संधि (जो केवल अहले किताब के लिए है) या सुरक्षा या युद्ध विराम की संधि (जो गैर अहले किताब के लिए है) संपन्न होती है, तो उसके जीवन और संपत्ति का सम्मान किया जाएगा।[२२]
- काफ़िर मुहादिन वे काफिर हैं जिनकी न तो मुसलमानों के साथ कोई संधि है और न ही वे उनके साथ युद्ध में हैं।[२३] शिया न्यायविद नासिर मकारिम शिराज़ी का मानना है कि सूर ए मुमतहेना की आयत 8 काफिरों के इस समूह के बारे में है और मुसलमानों को इस समूह के प्रति न्याय और दया का पालन करने का आदेश देती है।[२४]
काफ़िर तबई न्यायविदों के अनुसार, एक काफ़िर का बच्चा, यौवन तक पहुंचने से पहले, अपने काफ़िर माता-पिता के आधार पर काफ़िर माना जाता है, और उसे काफ़िर तबई कहा जाता है।[२५] न्यायविदों के अनुसार, अशुद्धता और पवित्रता के संदर्भ में काफ़िरे तबई के कुछ अन्य नियम वही हैं जो उसके माता-पिता पर लागू होते हैं।[२६]
मुर्तद्द धर्मत्यागी वह व्यक्ति होता है जिसने इस्लाम धर्म छोड़ दिया हो।[२७] न्यायविदों के अनुसार, धर्मत्यागी या तो फ़ित्री (प्राकृतिक) या मिल्ली होता है:[२८] धर्मत्यागी वह व्यक्ति होता है जो मुसलमान पैदा हुआ हो;[२९] जिसका अर्थ है कि उसके माता-पिता या उनमें से कोई एक मुसलमान है।[३०] फिर उसने इस्लाम छोड़ दिया।[३१] मुर्तद्द मिल्ली वह व्यक्ति होता है जो पहले गैर-मुस्लिम था, फिर इस्लाम में परिवर्तित हो गया और फिर इस्लाम से पलट गया।[३२]
अधिक जानकारी के लिए यह भी देखें: इरतेदाद, मुर्तद्द फ़ितरी और मुर्तद्द मिल्ली
सभी प्रकार के काफिरों के साझा नियम – मुशरक अहकाम
सभी प्रकार के काफिरों के लिए कुछ साझा नियम इस प्रकार हैं:
- साहिब जवाहर के अनुसार, इमामियाह न्यायविद यह कहने में एकमत हैं कि काफ़िर नजिस है, और इस हुक्म में, काफ़िरे असली, धर्मत्यागी, काफ़िरे किताबी और काफ़िरे हर्बी के बीच कोई अंतर नहीं है;[३३] बेशक, शिया न्यायविद मुहम्मद इब्राहीम जन्नाती के अनुसार, मशहूर राय के विपरीत, कुछ लोगों ने काफ़िरे किताबी की पवित्रता के बारे में फतवे जारी किए हैं।[३४]
अधिक जानकारी के लिए यह भी देखेः कुफ़्फ़ार की निजासत
- मुस्लिम महिला किसी काफ़िर पुरुष से शादी नहीं कर सकती है, और मुस्लिम पुरुष किसी काफ़िर महिला से शादी नहीं कर सकता है;[३५] हालाँकि, कुछ न्यायविदों का मानना है कि मुस्लिम पुरुष काफ़िर महिला के साथ अस्थायी विवाह कर सकता है।[३६]
- काफ़िर द्वारा ज़िब्हा किए गए जानवर का मांस खाना हराम है, और इस मामले में काफ़िरो के प्रकारों के बीच कोई अंतर नहीं है।[३७] शेख बहाई के अनुसार, न्यायविदों का एक छोटा समूह काफिरे किताबी द्वारा ज़िब्हा किए गए जानवरों को खाने को जायज़ मानता है।[३८]
अल्लाह ने मुसलमान पर काफिरों के किसी भी प्रभुत्व से इनकार किया है यह भी देखें: क़ाएदा नफ़ी सबील
- क़ाएदा ए नफ़ी सबील का हवाला देते हुए न्यायशास्त्री मानते हैं कि ईश्वर ऐसा कोई नियम नहीं बनाता जिसके द्वारा कोई काफ़िर किसी मुसलमान पर हावी हो सके;[३९] इसलिए:
- काफ़िर का अपने नाबालिग मुसलमान बच्चे पर उसका कोई विलायत नहीं रखता है।[४०] कुंवारी लड़की का विवाह उसके काफिर पिता की अनुमति के बिना वैध है,[४१] क्योंकि इसे वर्चस्व का एक रूप माना जाता है और ईश्वर ने इसका खंडन किया है।[४२]
- इमामिया न्यायविदों के अनुसार, एक काफ़िर न्यायाधीश दो मुसलमानों के बीच मध्यस्थता नहीं कर सकता; क्योंकि न्याय करना विवाद में पक्षों पर हावी होने का एक रूप है।[४३]
- इमामिया न्यायविदो की सर्वसम्मति के अनुसार, किसी मुसलमान के विरुद्ध काफ़िर का प्रतिनिधित्व, चाहे वह मुसलमान द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया हो या काफ़िर द्वारा, वैध नहीं है। क्योंकि वकील होना प्रभुत्व का एक रूप है।[४४]
फ़ुटनोट
- ↑ सुब्हानी, अल ईमान वल कुफ़्र फ़िल किताब वस सुन्ना, 1416 हिजरी, पेज 49
- ↑ जोहरी, अल सेहाह, 1404 हिजरी, कुफ्र शब्द के अंतर्गत
- ↑ राग़िब इस्फ़ह़ानी, मुफ़रेदात राग़िब, 1412 हिजरी, कुफ्र शब्द के अंतर्गत
- ↑ इब्न मंज़ूर, लेसान उल अरब, 1414 हिजरी, कुफ्र शब्द के अंतर्गत
- ↑ तबातबाई, अल मीज़ान, 1363 शम्सी, भाग 17, पेज 397
- ↑ मुताहरी, खिदमात मुताक़ाबिल ईरान व इस्लाम, 1390 शम्सी, पेज 399
- ↑ तबातबाई, अल मीज़ान, 1363 शम्सी, भाग 18, पेज 174
- ↑ तबातबाई, अल मीज़ान, 1363 शम्सी, भाग 17, पेज 397
- ↑ रूहानी, अल मोअजम अल एहसाई, 1368 शम्सी, भाग 1, पेज 530
- ↑ देखेः सूर ए फ़ातिर, आयत न 36; सूर ए नेसा, आयत न 151; तबातबाई, अलमीज़ान, 1363 शम्सी, भाग 20
- ↑ देखेः नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 6, पेज 41; भाग 21, पेज 48; भाग 29, पेज 207 और भाग 39, पेज 15
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 228
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 228
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 39, पेज 26; जमई अज़ नवीसंदेगान, अल मौसूआ अल फ़िक़्हीया अल कुवैतीया, 1404-1427 हिजरी, भाग 2, पेज 227
- ↑ संदूक़दार, अहकाम काफ़ेरान व मुरतद्दान दर फ़िक़्ह इस्लामी, पेज 3
- ↑ शेख तूसी, अल खिलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 443; इब्न जोहरा, ग़ुन्यतुन नुज़ूआ, 1417 हिजरी, पेज 100
- ↑ रूहानी, फ़िक़्ह अल सादिक़, 1392 शम्सी, भाग 8, पेज 422
- ↑ बहरानी, अल हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 22, पेज 192; संदूक़दार, अहकाम काफ़ेरान व मुरतद्दान दर फ़िक्ह इस्लामी, पेज 3
- ↑ मिशकीनी, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह, 1392 शम्सी, पेज 470
- ↑ मिशकीनी, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह, 1392 शम्सी, पेज 280-281
- ↑ जमीई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग फ़िक़्ह फ़ारसी, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 763
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 21, पेज 103 और भाग 38, पेज 8
- ↑ अहकाम काफ़िर, पाएगाह इत्तेला रसानी दफ़्तर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी
- ↑ अहकाम काफ़िर, पाएगाह इत्तेला रसानी दफ़्तर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी
- ↑ ख़ूई, मौसूआ अल इमाम अल ख़ूई, मोअस्सेसा एहया आसार अल इमाम अल ख़ूई, भाग 8, पेज 312
- ↑ ख़ूई, मौसूआ अल इमाम अल ख़ूई, मोअस्सेसा एहया आसार अल इमाम अल ख़ूई, भाग 8, पेज 312
- ↑ मूसवी अर्दबेली, फ़िक्ह अल हूदूद वत तअज़ीरात, 1427 हिजरी, भाग 4, पेज 44-46
- ↑ मोहक़्क़िक हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 4, पेज 170-171
- ↑ मोहक़्क़िक हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 4, पेज 170
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 41, पेज 602
- ↑ मोहक़्क़िक हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 4, पेज 170
- ↑ मोहक़्क़िक हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 4, पेज 171
- ↑ देखेः नजफ़ी जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 6, पेज 41-42
- ↑ जिन्नाती, तहारत अल किताबी फ़ी फ़तवा अल सय्यद अल हकीम, 1390 हिजरी, पेज 20
- ↑ मोहक़्क़िक़ करकी, जामेअ अल मक़ासिद, 1414 हिजरी, भाग 12, पेज 391
- ↑ देखेः वहीद खुरासानी, तौज़ीह अल मसाइल, 1421 हिजरी, पेज 660 सीस्तानी, तौज़ीह अल मसाइल, 1415 हिजरी, पेज 501
- ↑ शहीद सानी, अल रौज़ा उल बहिया फ़ी शरह अल लुमआ अल दमिश्क़िया, 1410 हिजरी, भाग 7, पेज 208
- ↑ शेख बहाई, हुरमत ज़बाहे अहले किताब, 1410 हिजरी, पेज 60
- ↑ मूसवी बिजनवरदी, अल क़वाइद अल फ़िक़्हिया, 1377 शम्सी, भाग 1, पेज 187-188
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भा 29, पेज 206; तबातबाई यज़्दी, अल उरवातुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, भाग 5, पेज 624
- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल अफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 7, पेज 166-167
- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल अफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 7, पेज 166-167
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल उरवातुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, भाग 6, पेज 417; सुब्हानी, नेज़ाम अल क़ज़ा वश शहादत फ़िश शरीयतिल इस्लामीया अल गर्रा, 1376 शम्सी, भाग 1, पेज 34
- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल अफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 5, पेज 270
स्रोत
- इब्ने जोहरा, हमज़ा बिन अली, खुनयतुन नुज़ूआ, तहक़ीक़ इब्राहीम बहादुरी, क़ुम मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ), 1417 हिजरी
- इब्ने मंज़ूर, मुहम्मद बिन मुकर्रम, लेसान उल अरब, बैरुत, दार सादिर, 1414 हिजरी
- बहरानी, यूसुफ़, अल हदाइक अल नाज़ेरा, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, 1405 हिजरी
- जमई अज़ नवीसंदेगान, अल मौसूअतुल फ़िक़्हीया अल कुवैतिया, दार अल सलासिल, 1405 -1427 हिजरी
- जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग फ़िक्ह फ़ारसी, क़ुम, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, 1387 शम्सी
- जिन्नाती, मुहम्मद इब्राहीम, तहारतुल किताबी फ़ी फ़त्वा अल सय्यद अल हकीम, नजफ़, मतबा अल क़ज़ा, 1390 हिजरी
- जौहरी, अबू नस्र, अल सेलाह ताज अल लुग़त व सेहाह अल अरबी, बैरूत, चौथा संस्करण, 1404 हिजरी
- ख़ूई, अबुल क़ासिम, मौसूआ अल इमाम अल ख़ूई क़ुम, एहया अल आसार अल इमाम अल ख़ूई, 1418 हिजरी
- राग़िब इस्फ़हानी, हुसैन बिन मुहम्मद, अल मुफ़रेदात फ़ी ग़रीब अल क़ुरान, बैरुत, दार अल क़लम, 1412 हिजरी
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- सुब्हानी, जाफ़र, अल ईमान वल कुफ़्र फिल किताब वल सुन्ना, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ) 1416 हिजरी
- सुब्हानी, जाफ़र, नेज़ाम अल क़ज़ा वश शहादा फ़िश शरीअतिल इस्लामिया अल ग़र्रा, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ), 1376 शम्सी
- सिस्तानी, सय्यद अली, तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम, इंतेशारात मेहर, 1415 हिजरी
- शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, अल रौज़ा अल बहीया फ़ी शरह अल लुमअतिद दमिश्क़िया, तालीक़ा सय्यद मुहम्मद कलांतर, क़ुम, इंतेशारात दावरी, 1410 हिजरी
- शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मसालिक अल अफ़हाम, क़ुम, मोअस्सेसा अल मआरिफ़ अल इस्लामिया, 1413 हिजरी
- शेख बहाई, मुहम्मद बिन हुसैन, हुरमतो जबाहे अहले किताब, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, 1410 हिजरी
- शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल खिलाफ़, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, 1407 हिजरी
- संदूक़दार, ज़मान, अहकाम काफ़ेरान, व मुरतद्दान दर फ़िक्ह इस्लामी, कांफ़्रेंस मिल्ली अंदीशेहाए नवीन व खल्लाक दर मुदीरीयत, हिसाबदारी, मुतालेआत हुक़ूक़ी व इज्तेमाई, 1397 शम्सी
- तबातबाई यज़्दी, सय्यद मुहम्मद हकीम, अल उरवातुल वुस्क़ा, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, पहला संस्करण, 1417 हिजरी
- तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, क़ुम, इंतेशारात इस्माईलीयान, 1363 शम्सी
- मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफ़र बिन हसन, शराए अल इस्लाम फ़ी मसाइल अल हलाल वल हराम, क़ुम, मोअस्सेसा इस्माईलीयान, 1408 हिजरी
- मिश्कीनी, अली, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह, क़ुम, नश्र अल हादी, 1392 शम्सी
- मुताहरी, मुर्तज़ा, खिदमात मुताक़ाबिल ईरान व इस्लाम, क़ुम, इंतेशारात सदरा, 1390 शम्सी
- मूसवी अर्दबेली, सय्यद अब्दुल करीम, फ़िक़्ह अल हुदूद वत तअज़ीरात, क़ुम, जामेअ अल मुफ़ीद, मोअस्सेसा अल नशर, 1427 हिजरी
- मूसवी, बिजनवरदी, सय्यद हसन, अल कवाइद अल फ़िक़्हीया, क़ुम, नश्र, अल हादी, 1377 शम्सी
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1362 शम्सी
- वहीद खुरासानी, हुसैन, तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम, मदरसा बाक़िर अल उलूम, 1421 हिजरी