हदीस पर प्रतिबंध

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हदीस पर प्रतिबंध या हदीस लिखने का निषेध (अरबीःمنع تدوين الحديث) पैगंबर (स) की हदीसो को सुनाने और लिखने पर 1 हिजरी शताब्दी मे था। हदीस पर रोक पहले और दूसरे ख़लीफ़ा के ख़िलाफ़त के दौरान शुरू हुई और उमर बिन अब्दुलअज़ीज़ की खिलाफत तक अर्थात लगभग 100 वर्षों तक जारी रही।

सुन्नी विद्वानों का मानना है कि पहले और दूसरे ख़लीफ़ा की इस नीति का कारण क़ुरआन के साथ हदीस के मिश्रण को रोकना, मुस्लिम मतभेदों को रोकना, कुरआन के अलावा किसी अन्य चीज़ मे लोगों का वयस्त होने का डर और हदीस के रावीयो की परिचितता की कमी है।

शिया विद्वानों का मानना है कि हदीस के लेखन पर प्रतिबंध लगाने की प्रेरणा इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइलो के प्रकाशन को रोकना और ख़लीफ़ाओं के शासन को साबित करने का प्रयास करना है। शियो के अनुसार, हदीस लिखने पर प्रतिबंध के कारण हदीस का मिथ्याकरण हुआ, हदीसी ग्रंथो का विनाश हुआ, विभिन्न धर्मों के उदय के साथ साथ पैगंबर (स) की सुन्नत मे बदलाव आया।

इतिहास

हदीस पर प्रतिबंध का तात्पर्य पैगंबर (स) की हदीसों को लिखने और सुनाने पर प्रतिबंध से है। इसकी मान्यता का इतिहास पहले ख़लीफ़ा और दूसरे ख़लीफ़ा के काल तक जाता है।[१] इससे पहले, हदीस लिखना मुसलमानों के बीच प्रचलित था[२] और पैगंबर ने अपने सहाबीयो को हदीस लिखने और सुनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।[३]

अबू बकर ने अपने खिलाफत के दौरान हदीसों के लेखन पर रोक लगाई और बहुत सारी हदीसों को नष्ट कर दिया।[४] इसी प्रकार ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, दूसरे खलीफा ने अपने राज्यपालों को पैगंबर (स) की रिवायतो को सुनाने के खिलाफ चेतावनी दी और उन्हें इस पर ध्यान देने तथा क़ुरआन की ओर आमंत्रित करते थे।[५] कुछ सुन्नी स्रोतों के अनुसार, उमर बिन ख़त्ताब ने पहले पैगंबर (स) की हदीसों को इकट्ठा करने और लिखने का फैसला किया; लेकिन कुछ समय बाद इस काम को करने से रुक गए और इसका कारण उन्होने कुरआन के साथ हदीसो के मिश्रित होने की संभावना बताया।[६]

हदीस सुनाने पर रोक

हदीसों को लिखने पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद, पैगंबर (स) के कुछ सहाबी लोगों को पैगंबर (स) की हदीसें सुनाते थे। इसलिए, दूसरे ख़लीफ़ा ने सहाबीयो का अनुमति के बिना मदीना से बाहर निकलने[७] और हदीसो के सुनाने पर रोक की घोषणा की।[८] उन्होने पैगंबर (स) की हदीस सुनाने के अपराध में अबू दर्दा और इब्ने मसऊद जैसे कुछ सहाबीयो को कैद कर लिया।[९] कुछ शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि हदीस लिखने पर प्रतिबंध, हदीस सुनाने पर प्रतिबंध के बाद लगाया गया।[१०]

प्रतिबंध हटाना

हदीस लिखने पर प्रतिबंध बनी उमय्या के आठवें खलीफा उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़ (63-101 हिजरी) के काल तक जारी रहा। उन्होंने मदीना के गवर्नर अबू बक्र बिन हज़म को एक पत्र लिखा और उनसे पैगंबर (स) की हदीसों को लिखने का आदेश दिया; क्योंकि हदीस के इल्म और हदीस के अहल लोगो के लुप्त होने की आशंका है।[११]

समर्थक और विरोधी

ऐसा कहा गया है कि ज़ैद बिन साबित, अबू मूसा, अबू सईद खदरी, अबू हुरैरा और इब्ने अब्बास सहित कई सहाबी और अनुयायी हदीस के लेखन को मकरूह मानते थे, और इमाम अली (अ) इमाम हसन (अ), अब्दुल्लाह बिन उमर, अनस बिन मालिक, अता बिन यसार और सईद बिन जुबैर जैसे लोग ने इसे जायज़ मानते थे।[१२]

प्रेरणा और कारक

सुन्नी और शियो के बीच हदीस के लेखन को रोकने के कारण मे मतभेद हैं। सुन्नी विद्वानों का कहना है: हदीस पर प्रतिबंध लगाने का कारण हदीस का क़ुरआन के साथ मिश्रित होने का डर,[१३] मुस्लिम मतभेदों को रोकना,[१४] हदीसो को कंठिस्थ करने पर पर्याप्त ध्यान न देने और केवल लिखने पर भरोसा करने की चिंता,[१५] कुरआन के अलावा किसी अन्य चीज़ मे लोगों का व्यस्त होने का डर।[१६] अविश्वसनीय हदीसों के प्रकाशन को रोकने के लिए,[१७] कुरआन के साथ एक किताब के अस्तित्व मे आने की चिंता[१८] और हदीसो के रावीयो की परिचितता मे कमी था।[१९]

मन्ओ तदवीन अल हदीस नामक किताब मे शहरिस्तानी के अनुसार, अधिकांश शिया लेखकों का मानना है कि हदीस के निषेध का एक कारण इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल के प्रकाशन को रोकना था।[२०] इसके प्रमाणों में यह है कि सहा ए सित्ता के लेखकों में से एक, निसाई ने इब्न अब्बास से नकल किया कि उन्होंने इमाम अली के प्रति नफरत के कारण पैगंबर (स) की सुन्नत को छोड़ दिया।[२१] इसी तरह खलीफाओ की दीनी अहकाम पर पकड़ ना होने और उनके राजनीतिक संप्रभुता के साथ-साथ शरई शासन साबित करने का प्रयास हदीस पर प्रतिबंध लगाने के लिए अन्य प्रेरणाओं में से है।[२२]

बिदअत या सुन्नत?

हदीस के निषेध के समर्थक अपने दृष्टिकोण को साबित करने के लिए पैगंबर (स) की एक हदीस का हवाला देते हैं जिसमें कहा गया है: "जिसने मुझसे कुरआन के अलावा कुछ और लिखा है, उसे इसे नष्ट कर देना चाहिए।"[२३] दूसरी ओर हदीस के निषेध के विरोधी पैगंबर (स) की उन रिवायतो का हवाले देते है जिनमे आप (स) ने हदीस लिखने की सिफारिश की है; उन हदीसो मे अब्दुल्लाह बिन उमर को हदीस लिखने की सलाह दी गई थी। इस कथन के आधार पर, क़ुरैश ने पैगंबर (स) की हदीसो को लिखने और संरक्षित करने के लिए अब्दुल्लाह बिन उमर की आलोचना करते थे, लेकिन पैगंबर (स) ने उन्हें हदीस लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।[२४] इसी तरह यह हदीस " कोई ज्ञान या मुझ से कोई हदीस नक़्ल करे, जब तक वह लेखन बाकी रहता है उसके लिए सवाब है।"[२५]

कुछ लोगो के अनुसार, पैगंबर (स) के जीवनकाल के दौरान कुछ सहाबीयो ने सहिफ़ा के शीर्षक के तहत हदीस संग्रह एकत्र किया; जिसमें इमाम अली (अ) का सहीफ़ा और उबैय बिन राफ़य का सहीफ़ा शामिल है, जिसमें न केवल पैगंबर के निषेध का सामना नहीं करना पड़ा[२६], बल्कि उनमें से कुछ पैगंबर (स) की अनुमति से अंजाम दिए गए थे।[२७]

गोल्डज़िहेर का सिद्धांत

गोल्डज़िहर, एक यहूदी प्राच्यविद्, दूसरी शताब्दी के उत्तरार्ध में इस्लामी हदीस संग्रह के निर्माण में विश्वास करता हैं। उसका मानना है कि हदीस लिखने पर रोक लगाने की परंपरा और इसे लिखने की अनुमति देने की परंपरा दोनों नकली हैं और वास्तव में इस्लाम की शुरुआत में मतभेदों को दर्शाते हैं।[२८]

परिणाम

शिया विद्वानों की राय के अनुसार, हदीस के लेखन को रोकने के महत्वपूर्ण नकारात्मक परिणाम हुए हैं, जिनमें हदीस के ग्रंथों का विनाश, हदीस की जालसाजी, पैगंबर (स) की सुन्नत में बदलाव और धर्मों का उदय शामिल है:

  • हदीसी ग्रंथों का विनाश: इस अवधि के दौरान पैगंबर (स) के करीबी सहाबीयो द्वारा लिखी गई हदीस नष्ट हो गई और पहुंच से बाहर हो गई।[२९] आयशा के अनुसार, अबू बक्र ने रसूले खुदा की 500 हदीसों को जला दिया।[३०] इसी प्रकार, कुछ हदीसें जो सहाबीयो को कंठिस्त थीं, लिखने की मनाही के कारण लिखी नहीं गईं और सहाबीयो की मृत्यु के बाद अनुपलब्ध अर्थात पहुंच से बाहर हो गईं।[३१]
  • हदीस का गढ़ना: हदीस पर प्रतिबंध लगाने की नीति के कार्यान्वयन और पैगंबर (स) के कथनों के गायब होने के साथ, नकली कथनों का प्रसारण और उनका श्रेय पैगंबर (स) को देना आम हो गया।[३२] राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों में सद्गुण विकसित करने के उद्देश्य से हदीसो को पैगंबर (स) से मंसूब किया गया और इन हस्तियो मे ऐसे लोग भी शामिल किए गए जो पैगंबर (स) के बाद पैदा हुए थे।[३३] हदीसों की जालसाजी की संख्या इतनी है कि सहीह बुखारी किताब में 2761 गैर-दोहराई गई हदीसें हैं, जिन्हे लगभग 6 लाख हदीसो मे से चुना गया है[३४] और सहीह मुस्लिम में चार हजार हदीस गैर-दोहराई गई है। इसके लेखक के अनुसार इन्हे 3 लाख हदीसो ने निकाला गया है।[३५]
  • पैगंबर की सुन्नत मे परिवर्तन: कुछ लोगों का कहना है कि हदीस के संकलन पर प्रतिबंध के कारण समाज में पैगंबर (स) की सुन्नत में बदलाव आया है।[३६] इस बात को साबित करने के लिए कुछ ऐतिहासिक प्रमाणो का हवाला दिया गया है; शाफ़ेई ने वहब बिन कैसान से नक़ल किया है कि रसूले खुदा (स) की सभी सुन्नत यहा तक की नमाज़ भी बदल गई थी।[३७]
  • धर्मों का उदय: सुन्नत के लुप्त होने और नकली रिवयतो की संख्या में वृद्धि तथा वैयक्तिकरण एंवम समय बीतने के साथ विभिन्न धर्म और कलामी और फ़िक़्ही मशरब उभरे[३८] क्योंकि पसंद के साथ हदीस की जालसाजी भी हुई और लोगों के एक समूह को इस्लामी समाज से अलग करना और एक नये धर्म की स्थापना हुई।[३९]

मोनोग्राफ़ी

सय्यद अली शहरिस्तानी द्वारा लिखित पुस्तक "मन्ओ तदवीने अल हदीस, अस्बाब वा नताइज", पैगंबर (स) की हदीसों के लेखन को रोकने के कारणों और परिणामों के बारे में है। पुस्तक के अनुवादक के अनुसार, लेखक ने इस पुस्तक में साबित किया है कि "मकतबे इज्तेहाद वा राय" का गठन हदीस के निषेध का परिणाम है।[४०] यह पुस्तक अरबी में लिखी गई है, जिसे मोअस्सेसा अल आलमी लिलमतबूआत ने वर्ष 1418 हिजरी मे बैरूत से प्रकाशित किया है। मज्मा ए जहानी अहले-बैत ने अंग्रेजी और फ़ारसी में इसके अनुवाद भी प्रकाशित किए हैं।[४१]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 285; तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 4, पेज 204
  2. दयारी बेदगली, नक़्द व बर रसी एलल वा अंगीज़ह हाए मन्अ निगारिश हदीस, पेज 38
  3. देखेः अबी दाऊद, सुनन अबी दाऊद, अल मकतबा अल अस्रीया, भाग 3, पेज 318
  4. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 285
  5. तबरी, तारीख अल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 4, पेज 204
  6. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 291-292, हदीस 29474
  7. मुर्तज़ा आमोली, अल सहीह मिन सीरत अल नबी अल आज़म, भाग 1, पेज 77
  8. ज़हबी, तज़केरातुल हुफ़्फ़ाज़, 1419 हिजरी, भाग 1, पेज 11-12
  9. ज़हबी, तज़केरातुल हुफ़्फ़ाज़, 1419 हिजरी, भाग 1, पेज 12
  10. शहरिस्तानी, मन्अ तदवीन हदीस, 1418 हिजरी, पेज 31-32
  11. बुख़ारी, सहीह बुखारी, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 33
  12. मामाक़ानी, मिक़बास अल हिदाया, 1411 हिजरी, भाग 3, पेज 189-194 बे नक़्ल अज़ दयारी बेगदिली, नक़्द वा बर रसी एलल वा अंग़ीज़ेहाए मन्अ निगारिशे हदीस, पेज 38
  13. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 291-292, हदीस 29474
  14. ज़हबी, तज़केरातुल हुफ़्फ़ाज़, 1419 हिजरी, भाग 1, पेज 9
  15. अबू जोहरा, अल हदीस वल मुहद्देसून, 1378 हिजरी, पेज 13
  16. ग़ज़ाली, एहया अल उलूम, भाग 10, पेज 79 बे नक़्ल अज दयार बेगदिली, नक्द वा बर रसी एलल वा अंग़ीज़ेहाए मन्अ निगारिशे हदीस, पेज 44
  17. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 285
  18. ज़हबी, तज़केरातुल हुफ़्फ़ाज़, 1419 हिजरी, भाग 1, पेज291-292
  19. दयार बेगदिली, नक्द वा बर रसी एलल वा अंग़ीज़ेहाए मन्अ निगारिशे हदीस, पेज 40-48
  20. शहरिस्तानी, मन्अ तदवीन हदीस, 1418 हिजरी, पेज 57
  21. नेसाई, सुनन नेसाई, 1406 हिजरी, भाग 5, पेज 253
  22. शहरिस्तानी, मन्अ तदवीन हदीस, 1418 हिजरी, पेज 54, 85-126
  23. मुस्लिम, सहीह मुस्लिम, दार एहया अल अरबी, भाग 4, पेज 2298, हदीस 3004
  24. इब्ने दाऊद, सुनन अबी दाऊद, अल मकतबा अल असरीया, भाग , पेज 318
  25. सीवती, तारीख अल ख़ोलाफ़ा, 1425 हिजरी, भाग 1, पेज 77
  26. मूसवी बेरजिंदी, मन्अ किताबत वा इंतेशार हदीस, पेज 76
  27. इब्ने हब्बान, सहीह इब्ने हब्बान, 1414 हिजरी, भाग 1, पेज 265
  28. आज़मी, दरासात फ़ी अल हदीस अल नबवी वा तारीख तदवीनेह, 1405 हिजरी, भाग 1, पेज 82
  29. सुब्हानी, फ़रहंग अकाइद वा मज़ाहिब इस्लामी, 1378 शम्सी, भाग 1, पेज 91
  30. मुत्तक़ी हिंदी, कंजुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 10, पेज 285
  31. सुब्हानी, फ़रहंग अकाइद वा मज़ाहिब इस्लामी, 1378 शम्सी, भाग 1, पेज 92
  32. हुसैनी, पयामदहाए मनअ नक़ल हदीस, पेज 62
  33. सुब्हानी, फ़रहंग अकाइद वा मज़ाहिब इस्लामी, 1378 शम्सी, भाग 1, पेज 95
  34. खतीब बग़दादी, तारीख बगदाद, 1417 हिजरी, भाग 2, पेज 14
  35. खतीब बग़दादी, तारीख बगदाद, 1417 हिजरी, भाग 13, पेज 102
  36. हुसैनी, पयामदहाए मनअ नक़ल हदीस, पेज 67
  37. शाफ़ेई, अल उमम, 1410 हिजरी, भाग 1, किताब अल सलात अल ईदैन, अन यबदओ बिस सलाते कब्ल अल खुत्बा, पेज 269
  38. हुसैनी, पयामदहाए मनअ नक़ल हदीस, पेज 68
  39. सुब्हानी, फ़रहंग अकाइद वा मज़ाहिब इस्लामी, 1378 शम्सी, भाग 1, पेज 91
  40. शहरिस्तानी, मनअ तदवीन हदीस, 1390 शम्सी, मुकद्दमा सय्यद हादी हुसैनी (अनुवादक), पेज 19
  41. शहरिस्तानी, मनअ तदवीन हदीस, 1390 शम्सी, मुकद्दमा सय्यद हादी हुसैनी (अनुवादक), पेज 20

स्रोत

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