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किंदा क़बीला

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किंदा क़बीला
अन्य नामबनी किंदा
जनजातिसौर (किंदा) बिन अफ़ीर बिन अदी के वंशज माने जाते हैं, जो कहलान बिन सबा के वंशज हैं
जातिअरब के क़हतानी
से शाखितबनी कहलान
परिवार का मुखियाकिंदा बिन अफ़ीर
मूलयमन
असरइस्लाम से पहले और बाद में
को शाखाबानू मुआविया, बानू वहब, बानू बदाअ, बानू राएश, सुकून, ताजिब, बानू अदी और बानू साद
धर्मशिया धर्म
इस्लाम में परिवर्तन का समयइस्लाम के प्रारंभ मे
निवास स्थानयमन, कूफ़ा
विशेषताअरब के क़हतानी क़बीलों में से
घटनाएँइमाम अली (अ) और इमाम हुसैन (अ) द्वारा जनजाति के कुछ सदस्यों का समर्थन और सहायता
शासन की शुरूआतलगभग 5वीं शताब्दी मे
शासन का अंतइस्लाम से पहले
शासन का दायरायमन और हेजाज़ के क्षेत्र
शासकआकल अल-मुराद
मशहूर हस्तियाँहुज्र बिन अदी, अश्अस बिन क़ैस, शुरैह क़ाज़ी,
विद्वानअबू यूसुफ़ किंदी


किंदा क़बीला (फ़ारसी: قبیله کنده) यमन के बड़े और प्रसिद्ध शिया क़बीलों में से एक था, जिसने इस्लाम के शुरुआती दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस्लाम से पहले, उन्हें यमनी क़बीलों के बीच काफ़ी प्रभाव प्राप्त था, और उन्होंने यमन और हिजाज़ के कुछ क्षेत्रों में कुछ समय तक शासन भी किया।

किंदा क़बीले के लोगों ने पैग़म्बर मुहम्मद (स) द्वारा भेजे गए सहाबा (साथियों) के माध्यम से और मदीना में अपने प्रतिनिधियों की उपस्थिति के माध्यम से इस्लाम स्वीकार किया। पैग़म्बर (स) के निधन के बाद, किंदा के कुछ क़बीलों ने इस्लाम से मुंह मोड़ लिया (मुर्तद हो गए) और जक़ात (धार्मिक कर) देने से इनकार कर दिया।

कूफ़ा शहर की स्थापना के बाद, उनमें से बड़ी संख्या में लोग इस शहर में आकर बस गए और इस्लामी विजयों में भाग लिया। किंदा क़बीले के लोग इमाम अली (अ) की ख़िलाफ़त के दौरान इमाम के साथ जुड़ गए और जमल, सिफ्फ़ीन और नहरवान की लड़ाइयों में भाग लिया। इस क़बीले के कुछ लोग; जैसे अश्अस बिन क़ैस आदि, उन लोगों में से थे जिन्होंने सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में "हक्मियत" (मध्यस्थता) का मुद्दा उठाया और इसे इमाम अली (अ) पर थोपा।

किंदा क़बीले के लोगों ने कर्बला की घटना में दोनों पक्षों में सक्रिय भूमिका निभाई। कर्बला के कुछ शहीद इस क़बीले से थे, जबकि कुछ लोग उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद की सेना में भी शामिल थे।

हुज्र बिन अदी, अश्अस बिन क़ैस, अम्रुलक़ैस बिन आबिस, शुरैह क़ाज़ी और हुसैन बिन नुमैर इस क़बीले के कुछ प्रसिद्ध लोग थे।

स्थिति

किंदा क़बीला या बनी किंदा[] को यमन क्षेत्र के प्रसिद्ध शिया क़बीलों[] में से एक माना जाता है।[] वे अरब के क़हतानी[] क़बीलों में से हैं और सौर (किंदा) बिन अफ़ीर बिन अदी के वंशज माने जाते हैं, जो कहलान बिन सबा के वंशज हैं जिन्हें "किंदा" की उपाधि दी गई थी।[]

किंदा यमन क्षेत्र के बड़े और महत्वपूर्ण क़बीलों में से एक था।[] उन्हें उस क्षेत्र के क़बीलों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था[] और उनकी बड़ी आबादी और प्रमुख हस्तियों के कारण, उन्होंने इस्लाम के शुरुआती दौर की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।[] किंदा के लोगों का पहले ख़लीफ़ा, तीसरे खलीफा और इमाम हसन (अ) के साथ निकट संबंध उनके प्रभाव और शक्ति को बढ़ाने में सहायक रहा।[]

एक रिवायत के अनुसार, पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने किंदा को सबा की अच्छी संतानों में से एक बताया।[१०] उन्होंने किंदा क़बीले को कुछ अन्य क़बीलों के साथ सराहा भी है।[११] इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर के संकेतों से संबंधित ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, ख़ोरासान में किंदा क़बीले के लोगों द्वारा झंडा उठाना, ज़ुहूर के संकेतों में से एक है।[१२]

इस्लाम से पहले

इस्लाम से पहले, किंदा क़बीले के लोग मूर्तिपूजक थे और दो प्रसिद्ध मूर्तियों, "ज़र्रीह"[१३] और "अल जल्सद"[१४] की पूजा करते थे।[१५] कुछ स्रोतों में यह भी उल्लेख किया गया है कि उनके बीच यहूदी धर्म[१६] और ईसाई धर्म[१७] का प्रभाव था।[१८] इस्लाम से पहले, किंदा क़बीले ने यमन और हिजाज़ के कुछ अरब क़बीलों[१९] पर शासन किया था।[२०]

इस्लाम स्वीकार करना

ऐतिहासिक रिपोर्ट्स के अनुसार, किंदा क़बीले ने इस्लाम धर्म को उन सहाबा (पैग़म्बर के साथियों) के माध्यम से स्वीकार किया, जिन्हें पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने उनकी ओर एक सरिय्या (सैन्य अभियान) के लिए भेजा था।[२१] साथ ही, मदीना[२२] में उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने भी इस्लाम स्वीकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कहा जाता है कि यह क़बीला उन क़बीलों में से एक था, जिन्हें पैग़म्बर (स) ने अपने एक सफ़र के दौरान इस्लाम धर्म की दावत दी, लेकिन उन्हें उनकी या उनके एक नेता की ओर से मुख़ालिफ़त[२३] का सामना करना पड़ा।[२४]

सहाबा का सरिय्या के लिए भेजा जाना

पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने वर्ष 9 हिजरी में तबूक की लड़ाई के दौरान ख़ालिद बिन वलीद को दुमतुल जंदल के क्षेत्र में भेजा, जो किंदा क़बीले के शासन वाला इलाक़ा था। ख़ालिद ने उन्हें हराया और उनके शासक को बंदी बनाकर और बड़ी मात्रा में ग़नीमत (युद्ध लूट) लेकर वापस लौटा।[२५] इसके बाद, पैग़म्बर (स) ने दुमतुल जंदल के लोगों के लिए एक पत्र लिखा।[२६] यह पत्र उन पत्रों की तरह था, जो अन्य क़बीलों के प्रतिनिधिमंडलों (विफ़्द) के लिए लिखे गए थे और इसमें जक़ात और नमाज़ जैसे कुछ शरई अहकाम (धार्मिक नियम) शामिल थे।[२७]

मदीना में प्रतिनिधि भेजना

वर्ष 10 हिजरी में, किंदा क़बीले के साठ[२८] या अस्सी लोग[२९] अश्अस बिन क़ैस के साथ पैग़म्बर मुहम्मद (स) के पास आए और मुसलमान हो गए।[३०] इस घटना को "विफ़्द ए किंदा" (किंदा का प्रतिनिधिमंडल) के नाम से जाना जाता है।[३१] कुछ स्रोतों में इस क़बीले के अन्य प्रतिनिधिमंडलों के मदीना[३२] आने का भी उल्लेख है, जैसे "विफ़्द ए तजीब"।[३३] कहा जाता है कि इस क़बीले का एक समूह पैग़म्बर (स) के पास आया और उन्होंने इस्लाम स्वीकार करने को पैग़म्बर (स) के बाद अपनी जगह लेने की शर्त से जोड़ दिया, जिसे पैग़म्बर (स) ने अस्वीकार कर दिया।[३४] कुछ रिपोर्ट्स में, मुबाहिला की घटना में इस क़बीले के एक व्यक्ति को नजरान के लोगों के प्रतिनिधि के रूप में उल्लेख किया गया है।[३५]

किंदा क़बीले का मुर्तद (धर्मत्यागी) होना

पैग़म्बर (स) के निधन के बाद, किंदा क़बीले दो हिस्सों में बंट गए। कुछ क़बीलों ने इस्लाम पर डटे रहने का फैसला किया, जबकि कुछ ने जक़ात देने से इन्कार कर दिया और विद्रोह कर दिया।[३६] कहा जाता है कि यह विभाजन अश्अस बिन क़ैस और अम्रुलक़ैस के बीच इस्लाम पर बने रहने को लेकर हुए विवाद के बाद हुआ।[३७] अश्अस ने किंदा क़बीले के मुर्तद होने और इस्लाम के खिलाफ़ उनके नेतृत्व में अहम भूमिका निभाई।[३८] यह फ़ित्ना (उपद्रव) अश्अस बिन क़ैस की हार और गिरफ्तारी के साथ खत्म हुआ। अबू बक्र ने उसे माफ़ कर दिया और अपनी बहन उम्मे फ़र्वा का विवाह उससे कर दिया।[३९]

कूफा की ओर पलायन और इस्लामी विजयों में भागीदारी

वर्ष 17 हिजरी में कूफ़ा शहर की स्थापना के बाद,[४०] बड़ी संख्या में यमनी लोग, विशेष रूप से किंदा क़बीले के लोग, धीरे-धीरे इस शहर में आकर बस गए।[४१] किंदा के विभिन्न क़बीलों ने कूफ़ा की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया; यहां तक कि कहा जाता है कि वर्ष 50 हिजरी में, किंदा और रबीआ क़बीलों ने मिलकर कूफा की एक-चौथाई आबादी पर नियंत्रण कर लिया था।[४२] कूफ़ा की मस्जिद के एक दरवाज़े का नाम "बाबे किंदा" (किंदा का दरवाज़ा) था, जो इस्लाम के शुरुआती दौर की महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बना।[४३]

किंदा क़बीले ने अश्अस बिन क़ैस के नेतृत्व में कूफ़ा में एक प्रमुख स्थान प्राप्त किया। उन्होंने कई मस्जिदों का निर्माण किया, जिनमें से एक का नाम अश्अस बिन क़ैस के नाम पर रखा गया।[४४] इस मस्जिद को कुछ रिवायतों में "मलऊना मस्जिद" (अभिशप्त मस्जिद) में से एक बताया गया है।[४५] एक रिवायत के अनुसार, इमाम अली (अ) ने लोगों को इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से मना किया था।[४६] इमाम बाक़िर (अ) की एक हदीस के अनुसार, यह मस्जिद उन मस्जिदों में से एक थी, जिन्हें इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद कूफ़ा की सेना की जीत के जश्न के रूप में दोबारा बनाया गया था।[४७]

किंदा क़बीले ने इस्लामी विजयों में व्यापक रूप से भाग लिया। कहा जाता है कि क़ादेसिय्या की लड़ाई में अश्अस बिन क़ैस[४८] के नेतृत्व में किंदा क़बीले के लगभग 2,300 लोग शामिल थे।[४९] इस क़बीले के कई लोग यरमूक,[५०] मदायन, जलूला और नहावंद की लड़ाइयों में भी शामिल हुए।[५१] अश्अस ने नहावंद की लड़ाई में सेना के दाएं हिस्से का नेतृत्व किया[५२] और इस्फ़हान की विजय में भी भाग लिया।[५३]

इमाम अली (अ) का साथ देना

किंदा क़बीले के लोगों ने इमाम अली (अ) के खिलाफ़त के दौरान होने वाली घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इमाम अली (अ) के खिलाफ़त संभालने के बाद, किंदा के कुछ क़बीलों जैसे "तजीब" और "सकून" शाम (सीरिया) चले गए; लेकिन उनमें से एक बड़ी संख्या ने इमाम (अ) का साथ दिया और जमल,[५४] सिफ्फ़ीन[५५] और नहरवान[५६] की लड़ाइयों में इमाम की मदद की। उन्होंने शिया समुदाय के शुद्ध और वफ़ादार अनुयायियों की पहली पीढ़ी बनाई।[५७] स्रोतों में किंदा क़बीले के उन लोगों का भी उल्लेख है, जो मुआविया की सेना में शामिल हुए और इमाम के समर्थक किंदा क़बीले के लोगों के साथ टकराव में रहे। इनमें से एक मामला हुज्र बिन अदी और हुज्र बिन यज़ीद के बीच का टकराव था,[५८] जो इतिहास में "हुज्र ए खैर" (अच्छे हुज्र) और "हुज्र ए शर" (बुरे हुज्र) के नाम से प्रसिद्ध हुआ।[५९] किंदा क़बीले के कुछ लोगों, जैसे अश्अस ने, हक्मिय्यत (मध्यस्थता) की घटना में अहम भूमिका निभाई और इसे इमाम अली (अ) पर थोपा।[६०] अश्अस ने नहरवान की लड़ाई के बाद इमाम अली (अ) का विरोध किया और अपनी सेना को कूफा वापस ले गया, जिसके कारण इमाम ने उसे लानत (श्राप) दिया।[६१]

कहा जाता है कि किंदा क़बीले के कुछ लोगों ने इमाम हसन (अ) की सेना के विघटन में भी भूमिका निभाई। इमाम हसन (अ) ने किंदा क़बीले के एक आदमी को चार हज़ार सैनिकों के साथ मुआविया से लड़ने के लिए भेजा, लेकिन उसने इमाम के साथ गद्दारी करते हुए मुआविया की सेना में शामिल हो गया। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, इमाम हसन (अ) ने एक खुत्बा (भाषण) दिया और उस किंदी आदमी की निंदा की।[६२]

कर्बला की घटना में भूमिका

किंदा क़बीले के लोगों ने कूफ़ा में मुस्लिम बिन अक़ील के क़याम (आंदोलन) में सक्रिय भूमिका निभाई।[६३] मुस्लिम शहर में प्रवेश करने के बाद, किंदा क़बीले में छिप गए और अंत में इसी क़बीले में शरण ली।[६४] वह किंदा क़बीले के एक व्यक्ति के घर में छिपे हुए थे।[६५]

किंदा क़बीले के लोगों ने कर्बला की घटना में दोनों पक्षों में भाग लिया। कर्बला के कुछ शहीद किंदा क़बीले से थे, जिनमें शामिल हैं: जुन्दब बिन हुजैर कूफ़ा के प्रसिद्ध और नामी शिया,[६६] यज़ीद बिन ज़ियाद बिन महासिर, बश्र बिन अम्र बिन अह्दूस हज़रमी किंदी,[६७] अबू शाअसा किंदी बह्दली,[६८] हारिस बिन अम्रुलक़ैस किंदी, और ज़ाहिर बिन अम्र किंदी।[६९]

किंदा क़बीले के कुछ लोग उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद की सेना में भी शामिल थे। कहा जाता है कि इस क़बीले के एक व्यक्ति, मालिक बिन नुसैर ने तलवार से इमाम हुसैन (अ) के सिर पर वार किया, जिसके बाद इमाम ने उसे लानत (श्राप) दिया।[७०] कर्बला की घटना के बाद, किंदा क़बीले के कुछ लोग शहीदों के सिर कूफा ले गए।[७१] स्रोतों में उनका उल्लेख मुख्तार के क़याम (आंदोलन) और इब्राहीम बिन अश्तर की सेना में भी मिलता है।[७२]

प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति

किंदा क़बीले में इस्लामी इतिहास के कई प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति हुए हैं, जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:

  • हुज्र बिन अदी किंदा क़बीले के बड़े नेताओं में से एक[७३] और इमाम अली (अ) के सेनापतियों में से थे। उन्होंने इमाम हसन (अ) की सुल्ह (शांति संधि) का विरोध किया, लेकिन हमेशा अहले बैत (अ) के समर्थक और प्रेमी रहे।[७४]
  • अश्अस बिन क़ैस किंदा क़बीले के प्रमुख,[७५] और इमाम अली (अ) के सेनापतियों में से एक उसने हक्मिय्यत (मध्यस्थता) को इमाम अली (अ) पर थोपने में अहम भूमिका निभाई।[७६] उसके बच्चों में मुहम्मद, क़ैस और जअदा (इमाम हसन (अ) की पत्नी) शामिल थे।
  • अम्रुलक़ैस बिन आबिस किंदी कूफ़ा के प्रसिद्ध शायरों में से एक,[७७] उन्होंने इस्लामी विजयों में भाग लिया और यरमूक की लड़ाई में शामिल थे।[७८]
  • शुरैह बिन हारिस जिन्हें "शुरैह क़ाज़ी" के नाम से जाना जाता है।[७९]
  • सअलबा बिन अबी मालिक जिसे अब्दुल्लाह बिन साम के नाम से भी जाना जाता है। वह यहूदी था और मदीना में बनी क़ुरैज़ा क़बीले से जुड़ा था। उसे बनी क़ुरैज़ा का इमाम माना जाता था।[८०] उसने इस्लाम स्वीकार करने के बाद उमर और उस्मान से रिवायतें (हदीसें) बयान कीं।[८१]
  • मुआविया बिन हुदैज मुआविया के सेनापतियों में से एक और मुहम्मद बिन अबी बक्र का हत्यारा।[८२]
  • हुसैन बिन नुमैर मुआविया के सेनापतियों[८३] में से एक और किंदा क़बीले के सकून शाखा[८४] से था। कहा जाता है कि वह हमेशा आले अली (अ) का दुश्मन रहा।[८५]
  • अबू यूसुफ़ किंदी जिसे "अरब का फ़िलास्फ़र" (फ़िलासुफ़ ए अरब) कहा जाता है और वह अम्रुलक़ैस का वंशज था। वह दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, ज्यामिति, गणित, संगीत और खगोलशास्त्र जैसे विभिन्न विषयों में मशहूर था उसने कई किताबें लिखीं।[८६]

क़ैस बिन फ़हदान प्रसिद्ध शिया शायर,[८७] साइब बिन यज़ीद उमर बिन ख़त्ताब के सहाबा (साथियों) में से एक,[८८] अब्दुल्लाह बिन यह्या जिसने "तालिब ए हक़" (सत्य का खोजी) के नाम से जाना जाता था और वह अबाज़ी मज़हब का था,[८९] इब्ने मुल्जम मुरादी,[९०] जो इमाम अली (अ) के हत्यारा था, हुवैय बिन मातेअ बिन ज़रआ अम्मार बिन यासिर के हत्यारों में से एक,[९१] जिब्रील बिन यसार हज्जाज बिन यूसुफ़ के बाद बसरा का गवर्नर,[९२] हुरमला बिन अम्र तजीबी, तजीब क़बीले के बड़े नेताओं में से एक और इमाम शाफ़ेई का साथी,[९३] शरहबील बिन हसना,[९४] और अदी बिन फ़र्वा[९५] किंदा क़बीले के प्रसिद्ध लोगों में से एक माने गए हैं।

फ़ुटनोट

  1. महल्लाती, रियाहिन अश शरिया, तेहरान, खंड 6, पृष्ठ 275।
  2. अमीन, आयान अश शिया, मोहसिन अल अमीन, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 514 515।
  3. हजरी यमनी, मजमूअ बुल्दान अल यमन व कबाइलोहा, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 666; शौकी ज़ैफ, तारीख अल अदब अल अरबी अल अस्र अल जाहिली, बेरूत, खंड 1, पृष्ठ 232।
  4. अब्दी, "क़बीला किंदा क़ब्ल मिन अल इस्लाम"।
  5. मिक़रेज़ी, इम्ताअ अल अस्मा, 1420 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 243; हजरी यमनी, मजमूअ बुल्दान अल यमन व कबाइलोहा, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 666; इब्ने अदीम, बग़ीयत अत तलब फी तारीख हलब, बेरूत, खंड 4, पृष्ठ 1896।
  6. अब्दी, "क़बीला किंदा क़ब्ल मिन अल इस्लाम"।
  7. मुहम्मदी, "क़बीला किंदा व नक़्शुहा फी अहम्म अल हवादिस अल अस्र अल जाहिली व सद्र अल इस्लाम", पृष्ठ 111।
  8. मुहम्मदी, "क़बीला किंदा व नक़्शुहा फी अहम्म अल हवादिस अल अस्र अल जाहिली व सद्र अल इस्लाम", पृष्ठ 124।
  9. मुहम्मदी, "क़बीला किंदा व नक़्शुहा फी अहम्म अल हवादिस अल अस्र अल जाहिली व सद्र अल इस्लाम", पृष्ठ 128।
  10. समआनी, अल अनसाब, 1382 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 19।
  11. मुत्तकी हिंदी, कंज़ अल उम्माल, 1401 हिजरी, खंड 12, पृष्ठ 90।
  12. फ़त्ताल निशापुरी, रौज़त अल वाइज़ीन, 1375 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 262; क़ुम्मी, अल अनवार अल बहिया, क़ुम, खंड 1, पृष्ठ 377; अरबली, कश्फ अल ग़ुम्मा, 1381 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 457।
  13. इब्ने हबीब, अल मुहब्बर, बेरूत, पृष्ठ 318; इब्ने हज़्म, जम्हरत अंसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पृष्ठ 493।
  14. याक़ूत हमवी, मोअजम अल बुल्दान, 1995 ई., खंड 2, पृष्ठ 151; कहाला, मोअजम कबाइल अल अरब, 1388 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 1000।
  15. ज़र्कली, अल आलाम, 1989 ई., खंड 5, पृष्ठ 234।
  16. इब्ने क़ुतैबा, अल मआरिफ, 1992 ई., पृष्ठ 621; इब्ने हज़्म, जम्हरत अंसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पृष्ठ 491।
  17. इब्ने सअद, अत तबक़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 126; बैहक़ी, दलाइल अन नुबुव्वा, 1405 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 250।
  18. इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 212।
  19. इब्ने आअसम कूफ़ी, अल फ़ुतूह, तर्जुमा, पावरक़ी मोहक़्क़िक़, 1372 शम्सी, पृष्ठ 930।
  20. कहाला, मोअजम कबाइल अल अरब, 1388 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 998।
  21. मसऊदी, अत तंबीह व अल इशराफ़, काहिरा, पृष्ठ 236।
  22. तबरी, तारीख अत तबरी, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 138।
  23. इब्ने जौज़ी, अल मुंतज़िम, 1412 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 16।
  24. इब्ने हिशाम, अस सीरा अन नबविया, बेरूत, खंड 1, पृष्ठ 424।
  25. मसऊदी, अत तंबीह व अल इशराफ़, काहिरा, पृष्ठ 236; इब्ने सअद, अत तबक़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 126; बैहक़ी, दलाइल अन नुबुव्वा, 1405 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 250।
  26. इब्ने सअद, अत तब्क़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 220।
  27. जाफ़रयान, सीरत रसूल अल्लाह (स), 1383 शम्सी, पृष्ठ 652।
  28. तबरी, तारीख अत तबरी, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 138।
  29. इब्ने हिशाम, अस सीरत अल नब्विया, बेरूत, खंड 2, पृष्ठ 585; हजरी यमनी, मजमूअ बुल्दान अल यमन व कबाइलोहा, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 666।
  30. बैहक़ी, दलाइल अन नुबुव्वा, 1405 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 370।
  31. उदाहरण के लिए देखें: इब्ने सअद, अत तबक़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 248; इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  32. इब्ने हजर अस्क़लानी, अल इसाबा, 1415 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 35।
  33. इब्ने सअद, अल तब्क़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 244 245।
  34. पेशवाई, तारीख ए इस्लाम, 1382 शम्सी, पृष्ठ 185 186।
  35. इब्ने सअद, अत तब्क़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 267; इब्ने हजर अस्क़लानी, अल इसाबा, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 196।
  36. इब्ने आअसम कूफ़ी, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 46।
  37. अधिक जानकारी के लिए देखें: इब्ने आअसम कूफ़ी, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 45 53।
  38. अधिक जानकारी के लिए देखें: इब्ने आअसम अल कूफ़ी, अल फ़ुतूह, खंड 1, पृष्ठ 45 68; बलाज़ोरी, फ़ुतूह अल बुल्दान, 1988 ई., पृष्ठ 105 106।
  39. बलाज़ोरी, फ़ुतूह अल बुल्दान, 1988 ई., पृष्ठ 105 106।
  40. तबरी, तारीख अत तबरी, 1387 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 40।
  41. जाफ़री, तशय्यु फी मसीर अत तारीख, 1380 हिजरी, पृष्ठ 128 131; कहाला, मोअजम कबाइल अल अरब, 1388 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 999।
  42. मासिनियों, खुतत अल कूफ़ा व शरह ख़रिततुहा, 2009 ई., पृष्ठ 28।
  43. उदाहरण के लिए देखें: मजलिसी, रौज़त अल मुत्तक़ीन, 1406 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 20।
  44. सफ़री फ़ुरोशानी, कूफ़ा अज़ पैदाइश ता आशूरा, 1391 शम्सी, पृष्ठ 144 137।
  45. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 490; शेख़ सदूक़, अल ख़िसाल, 1362 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 301; शेख़ तूसी, तहज़ीब अल अहकाम, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 250।
  46. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 490; शेख़ मुफ़ीद, किताब अल मज़ार, 1413 हिजरी, पृष्ठ 88।
  47. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 490।
  48. दीनवरी, अल अख़्बार अत तेवाल, 1368 शम्सी, पृष्ठ 122।
  49. तबरी, तारीख अल तबरी, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 563।
  50. इब्ने हबीब, अल मुहब्बर, बेरूत, पृष्ठ 261।
  51. तबरी, तारीख अल तबरी, 1387 हिजरी, खंड 11, पृष्ठ 544।
  52. बलाज़ोरी, फ़ुतूह अल बुल्दान, 1988 ई., पृष्ठ 298।
  53. इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 1506।
  54. शेख़ मुफ़ीद, अल जमल, 1413 हिजरी, पृष्ठ 320।
  55. अमीन, सीरत ए मासूमान, 1376 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 589।
  56. इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 329।
  57. मुहम्मदी, "क़बीला किंदा व नक़्शुहा फी अहम्म अल हवादिस अल अस्र अल जाहिली व सद्र अल इस्लाम", पृष्ठ 127।
  58. अमीन, सीरत ए मासूमान, 1376 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 602।
  59. उदाहरण के लिए देखें: मिन्क़री, वक़अत सिफ़्फ़ीन, 1413 हिजरी, पृष्ठ 243; अमीन, आयान अश शिया, 1403 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 486।
  60. इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  61. सय्यद रज़ी, नहज अल बलाग़ा, पृष्ठ 20।
  62. मसऊदी, इस्बात अल वसीया, 1384 शम्सी, पृष्ठ 158।
  63. उदाहरण के लिए देखें: समावी, सलाहशोरान ए तुफ़, 1381 हिजरी, पृष्ठ 101।
  64. यूसुफ़ी ग़र्वी, नख़ुस्तीन गोज़ारिश ए मुस्तनद अज़ नहज़त ए आशूरा, 1380 शम्सी, पृष्ठ 68।
  65. इब्ने सअद, अल तब्क़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 461; दीनवरी, अल अख़्बार अत तेवाल, 1368 शम्सी, पृष्ठ 239।
  66. जमई अज़ नेविसंदगान, पज़ूहेशी पिरामून ए शुहदा ए कर्बला, 1385 शम्सी, पृष्ठ 126।
  67. समावी, सलाहशोरान ए तुफ़, 1381 हिजरी, पृष्ठ 214।
  68. समावी, सलाहशोरान ए तुफ़, 1381 हिजरी, पृष्ठ 211।
  69. समावी, सलाहशोरान ए तुफ़, 1381 हिजरी, पृष्ठ 213; मुहद्दिसी, फ़र्हंग ए आशूरा, 1417 हिजरी, पृष्ठ 193।
  70. अबू मख़्नफ़ कूफ़ी, वक़अत अत तुफ़, 1417 हिजरी, पृष्ठ 250।
  71. तबरी, तारीख अत तबरी, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 468; दीनवरी, अल अख़्बार अल तेवाल, 1368 शम्सी, पृष्ठ 259; इब्ने जौज़ी, अल मुंतज़िम, 1412 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 341।
  72. तबरी, तारीख अल तबरी, 1387 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 81।
  73. इब्राहीमी वरकियानी, तारीख ए तहलीली ए इस्लाम अज़ आग़ाज़ ता वक़अत ए तुफ़, 1390 शम्सी, पृष्ठ 294।
  74. मुंतज़िर अल क़ाएम, तारीख ए इमामत, 1386 शम्सी, पृष्ठ 126।
  75. इब्ने अब्दुल्लाह बिन उमर, खुलासा सीरत रसूल अल्लाह (स), 1382 शम्सी, पृष्ठ 185; अमीन, सीरत ए मासूमान, 1376 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 671; इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  76. इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  77. इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  78. इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दिमश्क़, 1415 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 246।
  79. इब्ने क़ुतैबा, अल मआरिफ, 1992 ई., पृष्ठ 433; इब्ने सअद, अल तबक़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 182।
  80. इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 292।
  81. इब्ने सअद, अत तब्क़ात अल कुब्रा, 1410 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 58; इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 212।
  82. इब्ने फ़ज़्लुल्लाह उमरी, मसालिक अल अब्सार फी ममालिक अल अम्सार, 1424 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264; इब्ने क़ाने बग़दादी, मोअजम अस सहाबा, 1424 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 4801।
  83. इब्ने फ़ज़्लुल्लाह उमरी, मसालिक अल अब्सार फी ममालिक अल अम्सार, 1424 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264।
  84. इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दिमश्क़, 1415 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 382 389।
  85. मुहद्दिसी, फ़र्हंग ए आशूरा, 1417 हिजरी, पृष्ठ 152।
  86. पायंदा, तारीख ए सियासी ए इस्लाम, 1376 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 690; शहरज़ूरी, तारीख अल हुकमा क़ब्ल ज़ुहूर अल इस्लाम व बअदह, पेरिस, पृष्ठ 410।
  87. अमीन, आयान अश शिया, मोहसिन अल अमीन, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 514 515।
  88. इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दिमश्क़, 1415 हिजरी, खंड 20, पृष्ठ 106 122।
  89. बामतरफ़, अल जामेअ, बग़दाद, खंड 2, पृष्ठ 766।
  90. तबरी, तारीख अत तबरी, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 144।
  91. बलाज़ोरी, अंसाब अल अशराफ, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 171।
  92. इब्ने हज़्म, जम्हरत अंसाब अल अरब, 1403 हिजरी, पृष्ठ 432।
  93. इब्ने असीर, अल लोबाब फी तहज़ीब अल अंसाब, 1414 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 207।
  94. इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 698।
  95. इब्ने अब्दुल बर्र, अल इस्तीआब, 1412 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 1060।

स्रोत

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  • समआनी, अब्दुल करीम बिन मुहम्मद, अल अनसाब, तहक़ीक़ अब्दुर्रहमान बिन यह्या अल मुआल्लिमी अल यमानी, हैदराबाद, मजलिस दाइरत अल मआरिफ अल उस्मानिया, 1382 हिजरी।
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  • शौकी ज़िफ़, अब्दुस्सलाम, तारीख अल अदब अल अरबी अल अस्र अल जाहिली, बेरूत, दार अल मआरिफ़, बिन तारीख।
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