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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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=== हज़रत अब्बास (अ) का हरम ===
=== हज़रत अब्बास (अ) का हरम ===
:''मुख्य लेखः'' [[हज़रत अब्बास (अ) का हरम]]
:''मुख्य लेखः'' [[हज़रत अब्बास (अ) का हरम]]
हज़रत अब्बास (अ) की क़ब्र [[इमाम हुसैन (अ)]] के हरम से 378 मीटर उत्तर पूर्व में [[कर्बला शहर]] में स्थित है और शियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। हज़रत अब्बास (अ) के हरम और इमाम हुसैन (अ) के हरम के बीच की दूरी को बैनुल हरमैन कहा जाता है।<ref>हरम हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ), वेबगाहे मरकज़ तालीमात इस्लामी वाशिंग्टन</ref>
हज़रत अब्बास (अ) की क़ब्र [[इमाम हुसैन (अ)]] के हरम से 378 मीटर उत्तर पूर्व में [[कर्बला शहर]] में स्थित है और [[इमामिया|शियों]] के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। हज़रत अब्बास (अ) के हरम और इमाम हुसैन (अ) के हरम के बीच की दूरी को बैनुल हरमैन कहा जाता है।<ref>हरम हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ), वेबगाहे मरकज़ तालीमात इस्लामी वाशिंग्टन</ref>


बहुत से इतिहासकारों के अनुसार अब्बास (अ) को उनकी शहादत के स्थान पर नहरे अलक़मा के पास दफनाया गया है।<ref>ज़जाजी काशानी, सक़्क़ा ए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 135</ref> क्योंकि अन्य शहीदों के विपरीत [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|इमाम हुसैन (अ)]] ने उन्हें अपनी शहादत के स्थान से नहीं हटाया और उन्हे दूसरे शहीदो के पास लेकर नही गए।
बहुत से इतिहासकारों के अनुसार अब्बास (अ) को उनकी [[शहादत]] के स्थान पर नहरे अलक़मा के पास दफनाया गया है।<ref>ज़जाजी काशानी, सक़्क़ा ए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 135</ref> क्योंकि अन्य शहीदों के विपरीत [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|इमाम हुसैन (अ)]] ने उन्हें अपनी शहादत के स्थान से नहीं हटाया और उन्हे दूसरे शहीदो के पास लेकर नही गए।


अब्दुल रज़्ज़ाक़ मुक़र्रम जैसे कुछ लेखकों का मानना है कि इमाम हुसैन (अ) का हज़रत अब्बास के पार्थिव शरीर को ख़ैमे में नहीं ले जाने का कारण खुद हज़रत अब्बास का अनुरोध या हज़रत अब्बास के पार्थिव शरीर पर घावो के कारण स्थानांतरित करने में इमाम की अक्षमता नहीं थी। बल्कि इमाम हुसैन बिन अली (अ) चाहते थे कि उनके भाई का अलग हरम हो।<ref>मूसवी मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 262-263  ज़जाजी काशानी, सक़्क़ा ए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 135-137 </ref> मुक़र्रम ने अपने इस बयान के लिए किसी दस्तावेज का उल्लेख नहीं किया है।
अब्दुल रज़्ज़ाक़ मुक़र्रम जैसे कुछ लेखकों का मानना है कि इमाम हुसैन (अ) का हज़रत अब्बास के पार्थिव शरीर को ख़ैमे में नहीं ले जाने का कारण खुद हज़रत अब्बास का अनुरोध या हज़रत अब्बास के पार्थिव शरीर पर घावो के कारण स्थानांतरित करने में इमाम की अक्षमता नहीं थी। बल्कि इमाम हुसैन बिन अली (अ) चाहते थे कि उनके भाई का अलग हरम हो।<ref>मूसवी मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 262-263  ज़जाजी काशानी, सक़्क़ा ए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 135-137 </ref> मुक़र्रम ने अपने इस बयान के लिए किसी दस्तावेज का उल्लेख नहीं किया है।
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