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फ़ातिमिया के दिन वह हैं जिनमें शिया हज़रत फ़ातेमा (अ) की शहादत का ग़म मनाते हैं। जमादी अल अव्वल की 13वीं और जमादी अल सानी की तीसरी तारीख़ हज़रत फ़ातेमा की शहादत की तारीखों के तौर पर मशहूर होने के कारण, फातेमिया के दिनों को फ़ातेमिया 1 और फ़ातेमिया 2 का नाम दिया गया है। जमादी अल-अव्वल के 11वें, 12वें और 13वें दिन को फ़ातेमिया 1 कहा जाता है, और जमादी अल-सानी के तीसरे, चौथे और पांचवें दिन को फ़ातेमिया 2 कहा जाता है। बेशक, कुछ लोग 10वें से 20वें दिन को मानते हैं। जमादी अल-अव्वल को फ़ातेमिया 1 के रूप में, और जमादी अल-सानी की पहली से 10वीं तारीख को फ़ातेमिया 2 के रूप में।
हज़रत फ़ातिमा (अ) की शहादत की सही तारीख़ ज्ञात नहीं है और इसके बारे में मतभेद है। किताब अल मौसूआ अल कुबरा अन फ़ातिमतज़ ज़हरा (अ) लेखक इस्माइल अंसारी ज़ंजानी (मुत्यु 1388 शम्सी) में हज़रत फ़ातेमा की शहादत के समय के बारे में 21 कथन बयान हुए हैं। पुस्तक दानिश नाम ए फ़ातेमी के लेखकों में से एक सय्यद मुहम्मद जवाद शुबैरी (जन्म 1345 शम्सी) के अनुसार आप (अ) की शहादत के सिलसिले में जमादी अल-सानी का तीसरा दिन शियों के बीच अधिक प्रसिद्ध है। उन्होंने इस बात को इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के साथ प्रलेखित किया है, जिसे दलाई अल-इमामा पुस्तक में उद्धृत किया गया है।
फ़ातेमिया के दिनों में ईरान के विभिन्न शहरों में शोक समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह समारोह तब से अधिक लोकप्रिय हो गया है जब ईरान में हज़रत फ़ातेमा की शहादत के दिन के रूप में तीसरे जमादी अल-सानी को बंद घोषित कर दिया गया है 1979 ईसवी में, आयतुल्लाह वहीद खुरासानी के सुझाव पर और इस्लामिक सरकार की मंजूरी के आधार पर ईरान गणराज्य, जमादी अल-सानी का तीसरा हज़रत फ़ातिमा (अ) की शहादत के अवसर पर बंद कर दिया गया था। इसकी आधिकारिक घोषणा की गई थी। हुसैन वहीद खुरासानी (1300 में पैदा हुए) और आयतुल्लाह लुतफुल्लाह साफ़ी गुलपायेगानी (मृत्यु 1400 शम्सी)) तक़लीद के अधिकारी इस दिन मातम व अज़ादारी करने वालों के समूह में उपस्थित होते हैं जो हज़रत मासूमा (अ) की दरगाह की ओर चलते हैं।
अन्य विशेष रुप से प्रदर्शित लेख: क़ासित बिन ज़ुहैर तग़लेबी – ज़ुस सफ़ेनात – आयत ए तब्लीग़
- ... आसमानी पुकार, इमाम महदी (अ) के ज़हूर के निश्चित संकेतों (ज़हूर की निश्चिंत निशानियों) में से एक है?
- ... इद्दत, एक निश्चित अवधि है जिसमें महिला अपने पति से अलग होने के बाद या उसकी मृत्यु के बाद विवाह नहीं कर सकती है।?
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- ... एतेकाफ़, रोज़े के साथ एक निश्चित अवधि (कम से कम तीन दिन) के लिए मस्जिद में रहने को कहते है।?
- ... क़िसास अर्थात प्रतिशोध, का अर्थ जानबूझकर किए गए अपराधों के बदला लेने को प्रतिशोध कहते है।?
- इब्राहीम का मूर्ति तोड़ना « से तात्पर्य पैग़म्बर इब्राहीम (अ) के हाथों बहुदेववादियों की मूर्तियों को तोड़ने की कहानी से है। इस घटना का उल्लेख क़ुरआन में सूर ए अम्बिया और सूर ए साफ़्फ़ात में किया गया है।»
- इफ़्क की घटना «इस्लाम के प्रारम्भिक दिनो मे पैग़म्बर (स) की पत्नियों में से एक पर वेश्यावृत्ति का आरोप लगाने वाले लोगों के एक समूह की कहानी है।»
- इमाम अली (अ) का दीवान « अरबी भाषा में इमाम अली (अ) की शायरी का संग्रह है। »
- फ़दक की घटना «पवित्र पैग़म्बर (स) के स्वर्गवास के बाद हुई घटनाओं में से एक है, जिसमें मुसलमानो के पहले खल़ीफ़ा अबू बक्र के आदेश से फ़दक को हज़रत फातिमा (स) से छीन कर राजकोष मे सम्मिलित किया गया। »
- इमामत की अमानतें « नबियों, इमाम अली (अ) और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (अ) की वह वस्तुएं हैं जो शिया इमामों के पास थीं और जिन्हे इमाम को पहचानने के लिए मापदंड के रूप में जाना जाता था।»
- इरतेमासी वुज़ू «वुज़ू के तरीकों में से एक है, जिसमें नीयत के बाद,चेहरे और फिर हाथों को वुज़ू के उद्देश्य से पानी में डुबो दिया जाता है।»
- हज़रत फ़ातिमा (स) के घर पर हमले की घटना «से तात्पर्य, उमर बिन ख़त्ताब और उसके साथियों की पैग़म्बर (स) की बेटी फ़ातिमा ज़हरा (स) के घर के सामने उपस्थिति से है»
- इस्तेलामे हजर «काले पत्थर को छूना और तबर्रुक के इरादे से उसे चूमने को कहते है।»
- उम्मे वलद «उस कनीज़ को कहते है जिसका अपने मालिक से बच्चा हो। दासी माँ से पैदा हुआ बच्चा आज़ाद होगा और माँ की ग़ुलामी उस तक नहीं पहुँचेगी। »
- सक़ीफ़ा बनी साएदा की घटना « वर्ष 11 हिजरी में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के स्वर्गवास के बाद पहली घटना थी, जिसमें अबू बक्र बिन अबी क़ुहाफ़ा को मुसलमानों के ख़लीफ़ा के रूप में चुना गया।»
- सहीफ़ा सज्जादिया की सैतीसवीं दुआ
- सहीफ़ा सज्जादिया की छत्तीसवीं दुआ
- सूर ए साद
- क़ुरआन का अविरुपण
- सहीफ़ा सज्जादिया की पैतीसवीं दुआ
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- सूर ए फ़त्ह
- सूर ए फ़ुस्सेलत
- सूर ए ग़ाफ़िर
- सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ
- क़ाज़ी शोरैह को इमाम अली का पत्र
- सूर ए ज़ारियात
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- मंतक़ा अलफ़राग़
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