"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
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इमाम हादी की हदीसों को शिया हदीस के स्रोतों जैसे, [[कुतुबे अरबआ]], तोहफ़ अल-उक़ूल, मिस्बाह अल-मुतहज्जिद, [[अल-इहतेजाज]] और तफ़सीर अयाशी में वर्णित किया गया है। उनसे सुनाई गई हदीसें उनसे पहले के [[शियों के इमाम|इमामों]] से कमतर हैं। अतारुदी इसका कारण अब्बासी सरकार की देखरेख में सामर्रा में जबरन उनके रहने को मानते हैं, जिससे उन्हें शास्त्रों और ज्ञान को फैलाने का अवसर नहीं मिला। | इमाम हादी की हदीसों को शिया हदीस के स्रोतों जैसे, [[कुतुबे अरबआ]], तोहफ़ अल-उक़ूल, मिस्बाह अल-मुतहज्जिद, [[अल-इहतेजाज]] और तफ़सीर अयाशी में वर्णित किया गया है। उनसे सुनाई गई हदीसें उनसे पहले के [[शियों के इमाम|इमामों]] से कमतर हैं। अतारुदी इसका कारण अब्बासी सरकार की देखरेख में सामर्रा में जबरन उनके रहने को मानते हैं, जिससे उन्हें शास्त्रों और ज्ञान को फैलाने का अवसर नहीं मिला। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, पृष्ठ 10।</ref> इमाम हादी द्वारा उल्लेखित हदीसों में, उनके अलग-अलग नामों का उल्लेख किया गया है जैसे अबी अल-हसन अल-हादी, अबी अल-हसन अल सालिस, अबी अल-हसन अल-अख़ीर। अबी अल-हसन अल-अस्करी, अल-फ़कीह अल-अस्करी, अल-रजुल अल-तैयब, अल-अख़ीर, अल-सादिक़ बिन अल-सादिक़ वल-फ़कीह। उल्लेख किया गया है कि इन अलग-अलग नामों का उपयोग करने का एक कारण तक़य्या था। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, पृष्ठ 10।</ref> | ||
इमाम हादी से [[तौहीद|एकेश्वरवाद]], [[इमामत]], तीर्थयात्रा, व्याख्या और [[न्यायशास्त्र]] के विभिन्न अध्यायों जैसे [[तहारत|पवित्रता]], [[नमाज़]], [[उपवास]], [[ख़ुम्स]], [[ज़कात]], [[विवाह]] और शिष्टाचार के क्षेत्र में हदीसें उल्लेख की गईं हैं। एकेश्वरवाद और तंज़ीह के बारे में इमाम हादी (अ.स.) से 21 से अधिक हदीसें सुनाई गई हैं। | इमाम हादी से [[तौहीद|एकेश्वरवाद]], [[इमामत]], तीर्थयात्रा, व्याख्या और [[न्यायशास्त्र]] के विभिन्न अध्यायों जैसे [[तहारत|पवित्रता]], [[नमाज़]], [[उपवास]], [[ख़ुम्स]], [[ज़कात]], [[विवाह]] और शिष्टाचार के क्षेत्र में हदीसें उल्लेख की गईं हैं। एकेश्वरवाद और तंज़ीह के बारे में इमाम हादी (अ.स.) से 21 से अधिक हदीसें सुनाई गई हैं। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 एएच, पीपी 84-94।</ref> | ||
[[जब्र व इख़्तेयार]] के विषय पर इमाम हादी (अ.स.) ने एक ग्रंथ अपने पीछे छोड़ा है। इस ग्रंथ में, हदीस ला जहबा वला तफ़वीज़ बलिल अम्रो बैनल अमरैन '''"«لا جبر و لا تفویض بل امر بین الاَمرین»،"''' को [[क़ुरआन]] के आधार पर समझाया गया है, और जब्र व तफ़वीज़ के मसले में शिया धर्म के नज़रिये से प्रस्तुत किया गया है। | [[जब्र व इख़्तेयार]] के विषय पर इमाम हादी (अ.स.) ने एक ग्रंथ अपने पीछे छोड़ा है। इस ग्रंथ में, हदीस ला जहबा वला तफ़वीज़ बलिल अम्रो बैनल अमरैन '''"«لا جبر و لا تفویض بل امر بین الاَمرین»،"''' को [[क़ुरआन]] के आधार पर समझाया गया है, और जब्र व तफ़वीज़ के मसले में शिया धर्म के नज़रिये से प्रस्तुत किया गया है। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 एएच, पीपी. 198-213।</ref> इमाम हादी (अ) ने दलीलों के रूप में जो हदीसें सुनाई हैं, उनमें से अधिकांश जब्र और तफ़वीज़ के बारे में हैं। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 एएच, पीपी. 198-227।</ref> | ||
'''तीर्थ''' | '''तीर्थ''' | ||
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:मुख्य लेख: [[ज़ियारत जामेआ कबीरा]] | :मुख्य लेख: [[ज़ियारत जामेआ कबीरा]] | ||
जामिया कबीरा ज़ियारत | जामिया कबीरा ज़ियारत <ref> सदूक़, मन ली यहज़ोरोहु अल-फ़कीह, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 609।</ref> और [[ज़ियारत ग़दिरिया]] इमाम हादी (अ) से वर्णित है। <ref> इब्न मशहदी, अल-मज़ार, 1419 एएच, पृष्ठ 263।</ref> जामेया कबीरा तीर्थयात्रा को इमाम अध्ययन का एक काल माना जाता है। <ref> ज़ियारत जामिया कबीरा इमामोलॉजी का एक पूरा कोर्स है, इकना।</ref> ग़दिरिया तीर्थयात्रा का केन्द्र [[तवल्ला]] और [[तबर्रा]] और इसकी सामग्री [[इमाम अली अलैहिस सलाम के फ़ज़ाइल|इमाम अली (अ.स.) के गुणों]] की अभिव्यक्ति है। <ref> ज़ियारत जामिया कबीरा इमामोलॉजी का एक पूरा कोर्स है, इकना।</ref> | ||
'''मुतवक्किल की सभा में इमाम हादी की कविता''' | '''मुतवक्किल की सभा में इमाम हादी की कविता''' | ||
चौथी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार मसऊदी के अनुसार, [[मुतवक्किल]] को सूचना दी गई कि इमाम (अ) घर में युद्ध उपकरण और शियों के उनको लिखे गए पत्र मौजूद हैं। इस कारण से, मुतवक्किल के आदेश पर, कई अधिकारियों ने इमाम हादी के घर पर अचानक हमला कर दिया। | चौथी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार मसऊदी के अनुसार, [[मुतवक्किल]] को सूचना दी गई कि इमाम (अ) घर में युद्ध उपकरण और शियों के उनको लिखे गए पत्र मौजूद हैं। इस कारण से, मुतवक्किल के आदेश पर, कई अधिकारियों ने इमाम हादी के घर पर अचानक हमला कर दिया। <ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 11।</ref> जब इमाम को मुतवक्किल की सभा में ले जाया गया, तो ख़लीफा के हाथ में शराब का जाम था और उसने उसे इमाम को पेश किया। <ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 11।</ref> इमाम ने यह कहते हुए कि मेरा मांस और खून शराब से दूषित नहीं है, मुतवक्किल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। <ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 11।</ref> फिर मुतवक्किल ने इमाम से एक ऐसी कविता सुनाने के लिए कहा जो उसे आनंदित कर दे। <ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 11।</ref> पहले तो, इमाम ने उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया; लेकिन उसके आग्रह पर उन्होंने ये पक्तियाँ पढ़ीं: | ||
:باتوا علی قُلَلِ الأجبال تحرسهم غُلْبُ الرجال فما أغنتهمُ القُللُ | :باتوا علی قُلَلِ الأجبال تحرسهم غُلْبُ الرجال فما أغنتهمُ القُللُ | ||
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:أضحت مَنازِلُهم قفْراً مُعَطلة وساکنوها إلی الأجداث قد رحلوا.[۱۱۰] | :أضحت مَنازِلُهم قفْراً مُعَطلة وساکنوها إلی الأجداث قد رحلوا.[۱۱۰] | ||
<ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 11।</ref> | |||
अनुवाद: | अनुवाद: | ||
वे पहाड़ों की चोटी पर रहते थे और उनकी सुरक्षा बलवान पुरुषों द्वारा की जाती थी; लेकिन चोटियों ने उनके लिए कुछ नहीं किया। सम्मान के कारण, उन्हें उनके आश्रयों से बाहर निकाला गया और गड्ढों में रखा गया, और यह कितना बुरा नीचे आना था। जब वे क़ब्र में थे, तब किसी ने उन्हें पुकारा: "सिंहासन, मुकुट और आभूषण कहाँ गए? उन चेहरों का क्या हुआ जो आशीर्वाद के आदी थे और उसके सामने पर्दा लटका हुआ होता था?” और क़ब्र ने आवाज़ बुलंद की और बोली: “इन चेहरों पर कीड़े रेंग रहे हैं। लंबे समय तक उन्होने खाया और कपड़े पहने और लंबे भोजन के बाद उन्हे खाया गया। उन्होंने लंबे समय तक घर बनाए जब तक कि वे वहां सुरक्षित नहीं हो गए और वे अपने घरों और लोगों से दूर चले गए। बहुत समय तक उन्होंने धन संचय किया और उसे संग्रहित करके शत्रुओं के लिए छोड़ दिया। उनके घर खाली रह गए और उनके निवासी उनकी क़ब्रों की ओर कूच कर गए।" | वे पहाड़ों की चोटी पर रहते थे और उनकी सुरक्षा बलवान पुरुषों द्वारा की जाती थी; लेकिन चोटियों ने उनके लिए कुछ नहीं किया। सम्मान के कारण, उन्हें उनके आश्रयों से बाहर निकाला गया और गड्ढों में रखा गया, और यह कितना बुरा नीचे आना था। जब वे क़ब्र में थे, तब किसी ने उन्हें पुकारा: "सिंहासन, मुकुट और आभूषण कहाँ गए? उन चेहरों का क्या हुआ जो आशीर्वाद के आदी थे और उसके सामने पर्दा लटका हुआ होता था?” और क़ब्र ने आवाज़ बुलंद की और बोली: “इन चेहरों पर कीड़े रेंग रहे हैं। लंबे समय तक उन्होने खाया और कपड़े पहने और लंबे भोजन के बाद उन्हे खाया गया। उन्होंने लंबे समय तक घर बनाए जब तक कि वे वहां सुरक्षित नहीं हो गए और वे अपने घरों और लोगों से दूर चले गए। बहुत समय तक उन्होंने धन संचय किया और उसे संग्रहित करके शत्रुओं के लिए छोड़ दिया। उनके घर खाली रह गए और उनके निवासी उनकी क़ब्रों की ओर कूच कर गए।" <ref> पायनदेह, मोरुज अल-ज़हब द्वारा अनुवादित, 1374, खंड 2, पृष्ठ 503।</ref> | ||
मसऊदी ने अनुसार, है इमाम की कविता ने [[मुतवक्किल]] और उसके आसपास के लोगों को प्रभावित किया; ऐसे में मुतवक्किल का चेहरा रोने से गीला हो गया और उसने शराब की रैक हटाने और इमाम को सम्मान के साथ उनके घर लौटाने का आदेश दिया। | मसऊदी ने अनुसार, है इमाम की कविता ने [[मुतवक्किल]] और उसके आसपास के लोगों को प्रभावित किया; ऐसे में मुतवक्किल का चेहरा रोने से गीला हो गया और उसने शराब की रैक हटाने और इमाम को सम्मान के साथ उनके घर लौटाने का आदेश दिया। <ref> मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 12</ref> | ||
==साथी और कथावाचक== | ==साथी और कथावाचक== |