नियाबती हज

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(हज मे नियाबत से अनुप्रेषित)

नियाबती हज या हज में नियाबत (अरबीःالنيابة في الحج أو الحج بالنيابة) किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से हज करने को नियाबती हज कहा जाता है जिसके सही अंजाम देने से संबंधित व्यक्ति से हज़ का कर्तव्य अदा हो जाता है। हदीस मे इस काम के लिए बहुत अधिक अज्र व सवाब का उल्लेख मिलता है। वाजिब हज मे किसी व्यक्ति का नायब अर्थात प्रतिनिधि बनना केवल उस स्थिति मे वैध है कि वह व्यक्ति हज़ के फ़रीज़े को अंजाम देने मे असमर्थ हो।

अगर कोई व्यक्ति मर जाता है और उसने हज नहीं किया है, जो वैध और वाजिब है, या उसने हज करने के लिए वसीयत की है, तो उसके उत्तराधिकारियों को हज करने के लिए उसकी ओर से नायब बनाना चाहिए; मगर यह कि अगर उसकी संपत्ति हज की लागत से कम हो।

नियाबती हज मे नायब और जिसका नायब है दोनो का मुसलमान होना, नायब का आक़िल होना और खुद उसके ज़िम्मे वाजिब हज का न होना भी शर्त है। विशेष रूप से, किसी ऐसे व्यक्ति की नियाबत जिसने अभी तक हज नही किया है उसकी नियाबत के सही होने के बारे मे न्यायविदों के बीच फतवे में मतभेद है।

एहराम बाधने और हरम मे प्रवेश करने के बाद नायब की मृत्यु के मामले में उसका हज सहीह है। एक व्यक्ति की ओर से कई लोगों को नायब बनाना तो सहीह है, लेकिन एक व्यक्ति का कई लोगों की ओर से नायब बनना मुस्तहब हज के अलावा सही नही है। नायब पर वाजिब है कि वह हज़ के आमाल को अपने मरज़ा तक़लीद के फ़त्वे के अनुसार अंजाम दे और उस से अंजाम पाने वाले आमाल का कफ़्फ़ारा भी उसे स्वंय अदा करना ज़रूरी है।

परिभाषा और महत्व

नियाबती हज, नियाबती इबादत के प्रकारों में से एक है और इसका मतलब है कि एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से हज के आमाल अंजाम दे[१] कुछ हदीस[२] की और फ़िक़्ह[३] की किताबो मे नियाबती हज के लिए एक या एक से अधिक अध्याय समर्पित किए गए है। कुछ हदीसो मे आया है कि जो व्यक्ति हज की अदाएगी मे किसी व्यक्ति का नायब बने उसको नौ या दस हज का सवाब मिलेगा। जबकि जिस व्यक्ति की ओर से हज किया गया है उसे केवल एक हज का सवाब मिलेगा।[४] फ़िक्ह की किताबो मे हज की सभी क्रियाओ मे नियाबत के विषय के अलावा हज़ के कुछ आमाल जैसेः परिक्रमा (तवाफ़), नमाज़े तवाफ़, और सई इत्यादि मे नायब बनने के विषय पर भी अलग से चर्चा की गई है।[५]

नियाबती हज का हुक्म

13वीं शताब्दी के शिया न्यायविद् साहिब जवाहर के अनुसार, मुसलमानों के बीच नियाबती हज की मशरूईयत और जवाज़ के बारे में कोई विवाद नहीं है[६] और नियाबत मे हज करना किसी के अनुरोध पर हो या ख़ुद से अंजाम दे दोने परिस्तिथियो मे यह एक मुस्तहब अमल गिना जाएगा।[७] हालांकि नियाबत स्वीकार करने और उजरत (मजदूरी) लेने की स्थिति मे हज का अंजाम देना नायब पर वाजिब हो जाएगा।[८] वाजिब और मुस्तब हज तमत्तोअ मे किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से नायब बनना जो दुनिया से चला गया हो या किसी जीवित व्यक्ति की ओर से मुस्तहब हज मे नायब बनना पुर्णरूप से सही है, लेकिन किसी जीवित व्यक्ति की ओर से वाजिब हज मे नायब बनना केवल उस स्थिति मे जायज़ है जब जीवित व्यक्ति हज अजाम देने मे असमर्थ हो।[९]

शिया न्यायविदों के अनुसार, कुछ परिस्तिथियो में नायब बनना वाजिब है:

  • जीवित व्यक्ति जिस पर हज वाजिब हुआ हो, अर्थात तमाम शर्ते के साथ हज वाजिब होने के बा वजूद हज अंजाम न दिया हो।[१०] और अब बहाने के कारण हज करने में असमर्थ है, उसे अपने लिए किसी को नायब बनाना वाजिब है।[११]
  • जिस व्यक्ति पर हज मुस्तक़र होने के बाद मर गया हो और उजरत के बिना उसकी ओर से हज़ अदा करने पर कोई तैय्यार न हो तो इस स्थिति मे उसके वारिसो पर वाजिब है कि उस के माल मे से किसी को उसकी ओर से हज अंजाम देने के लिए नायब बनाएं, मगर यह कि मृतक की पूरी संपत्ति नियाबती हज की लागत के लिए पर्याप्त न हो।[१२]
  • वह व्यक्ति जो हज मुसतकर होने से पहले मर जाए लेकिन उसने अपनी ओर से हज़ अंजाम देने की वसीयत की हो, उस स्तिथि मे नियाबती हज़ की उजरत मृतक के माल के एक तिहाई भाग से अधिक न हो तो उसके वारिसो पर उसकी ओर से हज़ अंजाम देने के लिए किसी को नायब बनाना वाजिब है।[१३]

नियाबत मे दोनो पक्षो की शर्ते

13 वीं शताब्दी के शिया न्यायविद साहिब जवाहर के अनुसार नायब के लिए मुसलमान होना, बुद्धिमान होना तथा खुद उसके जिम्मे वाजिब हज न होना शर्त है[१४] कुछ न्यायविद बुलूग़, ईमान, हज के अहकाम से परिचित होना और हज के कुछ कार्यो को अंजाम देने मे असमर्थ न होने को नियाबती हज मे नायब की शर्ते मानते है।[१५] न्यायविदों के अनुसार, पुरुष और महिला, उनमें से प्रत्येक, पुरुष या महिला का नायब बन सकते है।[१६]

अधिकांश न्यायविदों के अनुसार, अगर किसी जीवित व्यक्ति की ओर से वाजिब हज अंजाम दिया जा रहा है, तो उस व्यक्ति का हज करने में असमर्थ होना चाहिए; लेकिन बालिग़ और बुद्धिमान होना आवश्यक नहीं है।[१७]

सरूराह की नियाबत

न्यायशास्त्र की पुस्तकों में, जिसने अभी तक हज नहीं किया है उसे "सरुराह" कहा जाता है।[१८] सरुराह अगर खुद मुस्ततीअ न हो तो उसकी नियाबत के सही होने के संबंध में फ़तवे में मतभेद है।

कुछ लोग, जैसे कि पांचवीं चंद्र शताब्दी के शिया न्यायविद्, शेख तूसी, किसी सरूराह महिला की नियाबत को पूरी तरह से[१९] या किसी पुरुष[२०] की ओर से जायज़ नहीं मानते हैं, और कुछ लोग नियाबत को सही मानते हैं।[२१]

कुछ न्यायविदों के फतवे के अनुसार, एक जीवित व्यक्ति जो वाजिब हज करने में असमर्थ है, वह नायब बना सकता है, केवल एक सरुराह व्यक्ति ही उसकी नियाबत कर सकता है।[२२]

नियाबती हज के अहकाम

मशहूर न्यायविदों के अनुसार नियाबती हज के कुछ अहकाम इस प्रकार हैं:

  • नियाबत बिना पैसा लिए अथवा इजारा या जोआला के रूप मे अंजाम दी जा सकती है।[२३]
  • हज, तनहा, नियाबती हज को सही रुप से नायब द्वारा अंजाम देने के बाद, उस व्यक्ति से (जिसने नायब बनाया था) साक़ित हो जाता है। केवल ऐगरीमेंट करने से साक़ित नही होता।[२४]
  • यदि नायब एहराम बांधने और हरम में प्रवेश करने के बाद मर जाता है, तो हज सही है और नायब और मनूब को उसके पद से हटा दिया जाएगा।[२५]
  • यदि कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में असमर्थता के कारण हज के लिए नायब बनाता है और उसका उज़्र खत्म हो जाए, तो प्रसिद्ध न्यायविदों के अनुसार उसे दोबारा स्वयं हज करना चाहिए। बेशक, कुछ न्यायविद नियाबती हज को पर्याप्त मानते हैं।[२६]
  • कई लोगों द्वारा एक व्यक्ति को नायब बनाना केवल मुस्तहब हज में ही संभव है, वाजिब हज मे नही[२७] लेकिन कई व्यक्तियो द्वारा एक व्यक्ति की नियाबत करना वाजिब और मुस्तहब हज मे शर्तो की रियायत करते हुए संभव है[२८] वाजिब या मुस्तहब हज का सवाब अमल अंजाम पाने के बाद या पहले एक या कई लोगो को हदिया करना संभव है।[२९]
  • नियत मे मनूब अन्ह का निर्धारित करना ज़रूरी है; लेकिन सभी स्थितियों में नाम लेना अनिवार्य नहीं है; बल्कि मुस्तहब है।[३०]
  • अगर नायब और मनूब अन्हो के मरजा तकलीद अलग-अलग हो, नायब को अपने मरज ए तकलीद के अनुसार हज करना होगा[३१] और हज के दौरान संभावित कफ़्फ़ारो का भुगतान स्वंय नायब कीजिम्मेदारी है।[३२]

फ़ुटनोट

  1. शुबैरी ज़ंजानी, सय्यद मूसा, मनासिक अल हज, 1421 हिजरी, पेज 25
  2. शेख हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 11, पेज 163-210; अल्लामा मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 96, पेज 115-119; मोहद्दिस नूरी, मुस्तदरक अल वासइ, 1408 हिजरी, भाग 8, पेज 63-75
  3. हल्बी, अल काफ़ी फ़ी अल फ़िक्ह, 1403 हिजरी, पेज 219-220; मुहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 765-779; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 17, पेज 356-410; शेख हुर्रे आमोली, हिदाय उल उम्मा, 1412 हिजरी, भाग 5, पेज 370-52; खानसारी, जामेअ अल मदारिक, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 303-328; मदनी काशानी, रज़ा, बराहीन अल हज, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 191-211
  4. शेख हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 11, पेज 163
  5. देखेः कन, यज़्दी, अल उरवा अल वुस्का (अल मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 591
  6. नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 17,पेज 356
  7. शेख हुर्रे आमोली, हिदाय उल उम्मा, 1412 हिजरी, भाग 5, पेज 37
  8. मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1395 शम्सी, भाग 3, पेज 241
  9. इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 111
  10. नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 17,पेज 298
  11. मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 50-53; मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1395 शम्सी, भाग 3, पेज 239
  12. मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 50; मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1395 शम्सी, भाग 3, पेज 238
  13. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 571; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 134
  14. नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 17,पेज 356
  15. मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 45; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 134
  16. इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 117
  17. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 537; मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 46; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 114
  18. तुरैही, मजमा अल बहरैन, 1416 हिजरी, भाग 3, पेज 365; अब्दुर रहमान, अब्दुल मुन्इम, मोअजम अल मुस्तलेहात वल अलफ़ाज़ अल फ़िक़्हीया, भाग 2, पेज 367
  19. शेख तूसी, अल निहाया, 1400 हिजरी, पेज 280
  20. शेख तूसी, अल इस्तिबसार, 1390 हिजरी, भाग 2, पेज 322
  21. मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 767; शेख हुर्रे आमोली, हिदाया अल उम्मा, 1412 हिजरी, भाग 5, पेज 41
  22. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 538; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 119; महमूदी, मनासिक हज (मोहश्शी), 1429 हिजरी, पेज 89
  23. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 538
  24. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 538; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 123
  25. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 539; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 124
  26. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 436
  27. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 568-569; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 130; मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 51
  28. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 569-570
  29. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 568 और 597; मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 55
  30. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 538
  31. इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 131; मूसवी शाहरूदी, जामेअ अल फ़तावा, 1428 हिजरी, पेज 52
  32. यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी) 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 558; इफ्तेख़ारी गुलपाएगानी, आरा अल मराजेअ फ़ील हज, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 127


स्रोत

  • इफ़्तेख़ारी गुलपाएगानी, अली, आरा अल मराजेअ फ़िल हज, ( फ़तावाए मराज ऐज़ामः ख़ुमैनी, ख़ूई, गुलपाएगानी, शुबैरी, सीस्तानी, बहजत, तबरेज़ी, वहीद, साफ़ी, मकारिम, नूरी व फ़ाजिल पैरामूने मनासिक हज), संशोधनः सद्रुद्दीन इफ़्तेखारी, क़ुम, नशर मशअर, दूसरा संस्करण 1428 हिजरी
  • हल्बी, तक़ीयुद्दीन, अल काफ़ी, फ़ी अल फ़िक्ह, शोधः रज़ा उस्तादी, इस्फ़हान, किताब खाना उमूमी इमाम अमीर अल मोमेनीन (अ), पहला संस्करण, 1403 हिजरी
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  • महमूदी, मुहम्मद रज़ा, मनासिक हज (मोहश्शा) (हमराह बा फ़तावा आयात एज़ामः ख़ुमैनी, ख़ूई, गुलपाएगानी, अराकी, फ़ाज़िल, बहजत, तबरेज़ी, सीस्तानी, ख़ामेनई, साफ़ी, मकारिम, नूरी) शोधः मुआवेनत आमूज़िश व पुज़ूहिश बेअसत मक़ाम मोअज्जम रहबरी, क़ुम, नशर, मशअर, 1429 हिजरी
  • मदनी काशानी, रज़ा, बराहीन अल हज़ लिल फ़ुक्हा वल हुजज, काशान, मदरसा इल्मिया आयतुल्लाह मदनी काशानी, तीसरा संस्करण, 1411 हिजरी
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  • मूसवी शाहरूदी, सय्यद मुर्तज़ा, जामेअ अल फ़तावी मनासिक हज,( फ़तावा मराजेअ ऐज़ाम खुमैनी, ख़ूई, गुलपाएगानी, सीस्तानी, बहजत, तबरेज़ी, साफ़ी, खामेनई, मकारिम व फ़ाज़िल पैरामून मनासिक हज), क़ुम, नशर मशअर, तीसरा संस्करण, 1428 हिजरी
  • नजफी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरह शराए अल इस्लाम, बा संशोधन अब्बास क़ूचानी व अली आख़ूंदी, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, सातवां संस्करण, 1404 हिजरी
  • हुवैदा, महदी हमज़ा व बयात, कूरूश, बर रसी राब्ते अक़द इजारे बा जुआले दर हुक़ूक ईरान, मजल्ला पुजूहिशनामा हुक़ूक़ ख़ुसूसी एहरार, क्रमांक 3, ताबिस्तान 1400
  • यज्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम तबातबाई, अल उरवा अल वुस्क़ा फ़ीमा तअम्मा बेहिल बलवा (अल मोहश्शी), (बा हवाशी आयात ऐज़ामः जवाहेरी, फ़ीरोज़ाबादी यज्द, नाईनी, अब्दुल करीम, हाएरी, ज़ियाउद्दीन इराक़ी, अबुल हसन इस्फ़हानी, आले यासीन, काशिफ अल ग़ेता, बुरूजर्दी, अब्दुल हादी शीराजी, हकीम, खानसारी, ख़ुमैनी, ख़ूई व गुलपाएगानी) शोधः अहमद मोहसिनी सब्जावीरी, क़ुम, दफ़्तर इंतेशारात इस्लामी (जामेअ मुदर्रेसीन) पहला संस्करण 1419 हिजरी