सहल बिन ज़ियाद आदमी

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सहल बिन ज़ियाद आदमी (अरबी: سهل بن زياد الآدمي) (255 हिजरी में जीवित), तीसरी शताब्दी हिजरी में शिया मोहद्दिसों में से एक हैं। उन्होंने इमाम मुहम्मद तक़ी (अ), इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) से हदीसें वर्णित की हैं। उनके नाम का उल्लेख 2300 से अधिक हदीसों में किया गया है। हालाँकि, शिया विद्वान उनकी प्रामाणिकता (वेसाक़त) को लेकर असहमत हैं। अहमद बिन अली नजाशी, इब्ने ग़ज़ाएरी और सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई जैसे समूह ने ग़ुलू के आरोप में क़ुम से उनके निष्कासन का हवाला देते हुए उन्हें कमज़ोर (ज़ईफ़) माना है। लेकिन वहीद बेहबहानी, मोहद्दिस नूरी और सय्यद मुहम्मद महदी बहरुल उलूम जैसे विद्वानों ने उनकी पुष्टि (तौसीक़) की है। शेख़ इजाज़ा होना, हदीसों की बहुलता, कुतुबे अरबआ के लेखकों का उन पर विश्वास, शेख़ तूसी की अल रेजाल किताब में उनकी विश्वसनीयता की पुष्टि, और उनकी हदीसों के आधार पर न्यायविदों द्वारा फ़तवे जारी करना, इन सब चीज़ों को उनके सिक़ह होने के कारणों के रूप में उल्लेख किया गया है।

अल्लामा मजलिसी और सय्यद मुहम्मद महदी बहरुल उलूम का मानना है कि अगर सहल बिन ज़ियाद की प्रामाणिकता स्वीकार नहीं भी की जाए, इस कारण से कि वह शेख़ इजाज़ा थे उनकी हदीसें सहीह हैं।

रेजाली चरित्र और उनकी हदीसों की विश्वसनीयता सिद्ध करने के दृष्टिकोण से बहुत सारी रचनाएँ लिखी गई हैं। इनमें मुहम्मद जाफ़र तब्सी की किताब मुसनद सहल बिन ज़ियाद अल आदमी है, जिसमें उनके द्वारा वर्णित हदीसों को न्यायशास्त्रीय अध्यायों के क्रम में पाँच खंडों में संग्रहित किया गया है।

जीवनी

सहल बिन ज़ियाद आदमी तीसरी शताब्दी हिजरी में हदीस कथावाचकों में से एक हैं। वह कुछ समय तक क़ुम में रहे, अहमद बिन मुहम्मद बिन ईसा अशअरी ने उन्हें झूठा और ग़ाली कहा और क़ुम से बाहर निकाल दिया। इसलिए, वह रय में बस गए।[१] इसके अलावा, सहल ने वर्ष 255 हिजरी के रबीअ अल सानी के मध्यम में इमाम हसन अस्करी (अ) के साथ एक पत्राचार किया था।[२] यह पत्र तौहीद के बारे में है और शेख़ सदूक़ ने इसे किताब तौहीद में उद्धृत किया है।[३] सहल की उपाधि अबू सईद थी।[४]

रेजाली चरित्र

शिया रेजाल लेखक अली नमाज़ी शाहरुदी (मृत्यु 1364 शम्सी) के अनुसार, सहल बिन ज़ियाद के रेजाली चरित्र के बारे में दो मत पाए जाते हैं:

  1. तज़ईफ़: नजाशी[५] इब्ने ग़ज़ाएरी,[६] शेख़ तूसी अल फ़ेहरिस्त में[७] और आयतुल्लाह ख़ूई[८] जैसे रेजालियों का यही मत है। इस समूह के कारणों में से एक अहमद इब्ने मुहम्मद इब्ने ईसा अशअरी द्वारा सहल को झूठा और ग़ाली कहकर क़ुम से उनका निष्कासन है।[९] हालाँकि, नमाज़ी शाहरुदी ने कहा है कि उनकी हदीसों में, उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो उनके ज़ईफ़ होने का और उनके अक़ीदे में ग़ुलू का उल्लेख करता हो, और यह संभव है कि ग़ूलू की निस्बत (श्रेय) का स्रोत उन हदीसों का वर्णन है जो अहले बैत (अ) की स्थिति और गरिमा को इंगित करती हैं।[१०] इसके अलावा, सय्यद मुहम्मद महदी बहरुल उलूम का मानना है कि यदि ये बाते सच्ची होती, तो अन्य कमज़ोर (ज़ईफ़) कथावाचकों की तरह, इनकी निंदा में भी इमामों की हदीस उद्धृत (नक़्ल) होती।[११]
  1. तौसीक़: वहीद बेहबहानी,[१२] अब्दुल्लाह मामकानी, मोहद्दिस नूरी,[१३] सय्यद मुहम्मद महदी बहरूल उलूम[१४] और किताब रेजाल में शेख़ तूसी[१५] उन लोगों में से हैं जिन्होंने उनकी पुष्टि (तौसीक़) की है। इस समूह का सहल बिन ज़ियाद के सिक़ह होना कारण, हदीसों की बहुलता, शेख़ तूसी की किताब अल रेजाल में उनकी विश्वसनीयता (वेसाक़त) की घोषणा, कुतुबे अरबआ के लेखकों, विशेष रूप से मुहम्मद बिन याक़ूब कुलैनी का उन पर विश्वास,[१६] उनका शेख़ इजाज़ा होना और उनकी हदीसों के आधार पर न्यायविदों द्वारा फ़तवे जारी करना, है।[१७] आयतुल्लाह ख़ूई ने सुझाव (एहतेमाल) दिया है कि किताब रेजाल अल तूसी में सहल बिन ज़ियाद की विश्वसनीयता (तौसीक़) लेखकत्व कॉपीराइटरों (नुस्ख़ा नवीसों) द्वारा जोड़ी गई होगी या फिर शेख़ तूसी की सह्व अल क़लमी (लिखने में भूल) के कारण है।[१८]

हदीसों पर भरोसा

अल्लामा बहरुल उलूम और अल्लामा मजलिसी के दृष्टिकोण से, इस धारणा पर यदि सहल बिन ज़ियाद की प्रामाणिकता (वेसाक़त) स्वीकार नहीं भी की जाए, फिर भी उनकी रियावात, “हदीसे सहीह” हैं। क्योंकि वह मशाईख़ इजाज़ा (जो हदीसों की बहुलता और हदीस को रिकॉड (ज़ब्त) और वर्णन में सटीकता के कारण, मरजईयत (लोग उनके पास आते हैं) रखते हैं) में से एक हैं।[१९]

हदीसों का वर्णन

मोअजम रेजाल अल हदीस में आयतुल्लाह ख़ूई के अनुसार, सहल का नाम 2304 दस्तावेजों (असनाद) में वर्णित है।[२०] किताब “सहल बिन ज़ियाद दर आईना ए इल्मे रेजाल” में हसन महदवी के अनुसार, अल काफ़ी में 1537, तहज़ीब में 442, इस्तिब्सार में 139, कामिल अल ज़ियारात में 9, मन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह में 7 और अमाली सदूक़ में 3 हदीसें सहल से वर्णित हैं।[२१] इसके अलावा, दो किताबों अल तौहीद और अल नवादिर को उनकी रचनाओँ में से माना गया है।[२२]

सहल बिन ज़ियाद ने इमाम मुहम्मद तक़ी (अ), इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) से हदीसें वर्णित की हैं।[२३] उनकी हदीसें एतेक़ादात (विश्वास) और न्यायशास्त्रीय विषयों में हैं।[२४] मुहम्मद जाफ़र तब्सी द्वारा लिखित मुसनदे सहल बिन ज़ियाद अल आदमी मिन असहाब अल इमाम अल जवाद व अल हादी व अल अस्करी अलैहेमस्सलाम में, सहल बिन ज़ियाद की हदीसों को वसाएल अल शिया के क्रमश के अनुसार पाँच खण्डों में एकत्र किया गया है। इस किताब में हदीसा का उल्लेख, संपूर्ण दस्तावेज़ और किताब मिर्आत अल उक़ूल, बिहार अल अनवार, अल वाफ़ी और शरहे उसूले काफ़ी के विवरण के साथ किया गया है।[२५]

देरासत फ़ी शख़्सीयत सहल बिन ज़ियाद व रेवायतेह, हैदर अब्दुल करीम द्वारा लिखित

अहमद बिन फ़ज़्ल बिन मुहम्मद हाशमी, मुहम्मद बिन अहमद बिन यह्या, मुहम्मद बिन हसन बिन सफ़्फ़ार, इब्ने क़ूलवैह, अली बिन इब्राहीम, अबुल हुसैन असदी, आदि ने उनसे हदीसें वर्णित की हैं।[२६]

मोनोग्राफ़ी

सहल बिन ज़ियाद के रेजाली चरित्र और उनकी हदीसों के बारे में फ़ारसी और अरबी भाषाओं में किताबें लिखी गई हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • "सहल बिन ज़ियाद दर आईना ए इल्मे रेजाल" लेखक हसन महदवी: यह पुस्तक सहल बिन ज़ियाद की प्रामाणिकता (वेसाक़त) को सिद्ध करने के दृष्टिकोण से लिखी गई है।[२७] सहल के शिक्षकों (मशाईख़) और वर्णनकर्ताओं का परिचय, उनके बारे में रेजालियों के दृष्टिकोण की समीक्षा और सहल की हदीसों की विश्लेषणात्मक समीक्षा पुस्तक के अनुभागों के शीर्षकों में से हैं।[२८] यह पुस्तक मरकज़े फ़िक़ही आइम्मा ए अतहार द्वारा प्रकाशित की गई है।
  • "देरासत फ़ी शख़्सीयते सहल बिन ज़ियाद व रेवायातेही" लेखक हैदर अब्दुल करीम मस्जिदी: यह किताब, अल-काफ़ी में सहल बिन ज़ियाद द्वारा वर्णित हदीसों पर आधारित और अरबी भाषा में लिखी गई है। सहल के चरित्र, उनके वर्णनकर्ताओं और सहल के शिक्षकों की समीक्षा पुस्तक के शीर्षकों में से है।[२९]
  • "सहल बिन ज़ियाद अल आदमी बैना अल वेसाक़त व अल ज़अफ़" लेखक मुहम्मद जाफ़र तब्सी: यह पुस्तक मरकज़े फ़िक़ही आइम्मा ए अतहार द्वारा प्रकाशित की गई थी।[३०]

फ़ुटनोट

  1. नजाशी, रेजाल अल नजाशी, 1365 शम्सी, पृष्ठ 185।
  2. नजाशी, रेजाल अल नजाशी, 1365 शम्सी, पृष्ठ 185।
  3. शेख़ सदूक़, अल तौहीद, 1398 हिजरी, पृष्ठ 101-102।
  4. तूसी, रेजाल, 1373 शम्सी, पृष्ठ 387।
  5. नजाशी, रेजाल अल नजाशी, 1365 शम्सी, पृष्ठ 185।
  6. इब्ने ग़ज़ाएरी, अल रेजाल, 1422 हिजरी, पृष्ठ 66-67।
  7. तूसी, फ़ेहरिस्त, 1420 हिजरी, पृष्ठ 228।
  8. ख़ूई, मोजम रेजाल अल हदीस, 1410 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 340।
  9. नमाज़ी शाहरुदी, मुस्तद्रकात इल्म रेजाल अल हदीस, 1414 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 176; ख़ूई, मोजम रेजाल अल हदीस, 1410 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 339।
  10. नमाज़ी, मुस्तद्रकात इल्म रेजाल अल हदीस, 1414 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 176-177।
  11. बहरुल उलूम, अल फ़वाएद अल रेजालिया, 1363 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 25।
  12. ख़ूई, मोजम रेजाल अल हदीस, 1410 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 339।
  13. नूरी, ख़ातेमा अल मुस्तद्रक, मोअस्सास ए आले-अल-बैत, खंड 5, पृष्ठ 213-230।
  14. बहरुल उलूम, अल फ़वाएद अल रेजालिया, 1363 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 23।
  15. तूसी, रेजाल अल तूसी, 1373 शम्सी, पृष्ठ 387।
  16. बहरुल उलूम, अल फ़वाएद अल रेजालिया, 1363 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 24।
  17. नमाजी, मुस्तद्रकात इल्म रेजाल अल हदीस, 1414 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 176-177।
  18. ख़ूई, मोजम रेजाल अल हदीस, 1410 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 340।
  19. बहरुल उलूम, फ़वाएद अल रेजालिया, 1363 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 25; अल्लामा मजलिसी, अल वजिज़ा फ़ी अल रेजाल,वज़ारते फ़र्हंग व इरशादे इस्लामी, पृष्ठ 91।
  20. ख़ूई, मोजम रेजाल अल हदीस, 1410 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 341-342।
  21. महदवी, सहल बिन ज़ियाद दर आइना ए इल्मे रेजाल, 1391 शम्सी, पृष्ठ 153।
  22. नजाशी, रेजाल अल नजाशी, 1365 शम्सी, पृष्ठ 185।
  23. तूसी, इख़्तियार मारेफ़त अल रेजाल, 1404 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 837।
  24. महदवी, सहल बिन ज़ियाद दर आइना ए इल्मे रेजाल, 1391 शम्सी, पृष्ठ 154-177।
  25. तबसी, मुसनद सहल बिन ज़ियाद अल आदमी, 1395 शम्सी, पृष्ठ 60।
  26. तूसी, तहज़ीब अल अहकाम, 1365 शम्सी, अल मशीख़ा, खंड 10, पृष्ठ 54।
  27. महदवी, सहल बिन ज़ियाद दर आइना ए इल्मे रेजाल, 1391 शम्सी, पृष्ठ 150।
  28. महदवी, सहल बिन ज़ियाद दर आइना ए इल्मे रेजाल, 1391 शम्सी, पृष्ठ 13।
  29. "सहल बिन ज़ियाद और हदीसों के व्यक्तित्व पर अध्ययन", शिया हदीस सूचना आधार।
  30. तबसी, "सहल बिन ज़ियाद अल आदमी अल सेक़ात व अल ज़अफ़ के बीच", मरकज़े फ़िक़ही आइम्मा अतहार।

स्रोत

  • इब्ने ग़ज़ाएरी, अहमद बिन हुसैन, अल रेजाल, मुहम्मद रज़ा हुसैनी जलाली द्वारा शोध, क़ुम, मोअस्सास ए इल्मी फ़र्हंगी दारुल हदीस, 1422 हिजरी।
  • ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, मोजम रेजाल अल हदीस, क़ुम, मरकज़े नशरे आसारे शिया, 1410 हिजरी/1369 शम्सी।
  • "सहल बिन ज़ियाद और हदीसों के व्यक्तित्व पर अध्ययन", शिया हदीस सूचना आधार, तिथि: 27 उर्दबहिश्त, 1400 शम्सी।
  • शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल-तौहीद, हाशिम हुसैनी द्वारा संपादित, क़ुम, जामेआ मुदर्रेसीन, 1398 हिजरी।
  • तबसी, मुहम्मद जाफ़र, मुसनद सहल बिन ज़ियाद अल अदामी मिन असहाब अल इमाम अल जवाद व अल हादी व अल अस्करी (अ), क़ुम, मरकज़े फ़िकही आइम्मा ए अतहार, 1395 शम्सी।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल अहकाम, मुहम्मद आखुंदी और हसन खोरसान द्वारा सुधार, तेहरान, दार अल किताब अल इस्लामिया, 1365 शम्सी।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, रेजाल अल तूसी, जवाद क़य्यूमी इस्फ़हानी द्वारा संपादित, क़ुम, मोअस्सास ए अल नशर अल इस्लामी अल ताबेआ ले जामेआ अल मुदर्रेसीन बे क़ुम अल मुक़द्देसा, तीसरा संस्करण, 1373 शम्सी।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, फ़ेहरिस्ते कुतुब अल शिया व उसूलेहीम व अस्मा अल मुसन्नेफ़ीन व असहाब अल रसूल, अब्दुल अज़ीज़ तबातबाई द्वारा शोध, क़ुम, मकतबा अल मोहक्क़िक़ अल तबातबाई, 1420 हिजरी।
  • अल्लामा मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, अल वजीज़ा फ़ी अल रेजाल, मुहम्मद काज़िम रहमान सताइश द्वारा शोध, तेहरान, वेज़ारते फ़र्हंग व इरशादे इस्लामी, बी ता।
  • महदवी, हसन, सहल बिन ज़ियाद दर आइना ए रेजाल, क़ुम, मरकज़े फ़िक़ही आइम्मा ए अतहार (अ), 1391 शम्सी।
  • नजाशी, अहमद बिन अली, रेजाल अल नजाशी, मूसा शोबैरी ज़ंजानी का शोध, क़ुम, मोअस्सास ए अल नशर अल इस्लामी, 1365 शम्सी।
  • नमाज़ी शाहरुदी, अली, मुस्तद्रकात इल्मे रेजाल अल हदीस, तेहरान, 1414 हिजरी।
  • नूरी, मिर्ज़ा हुसैन, ख़ातेमा मुस्तद्राकात अल वसाएल, क़ुम, मोअस्सास ए आले-अल-बैत ले एहिया अल तोरास बी ता।