इब्राहीम बिन महज़ियार

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इब्राहीम बिन महज़ियार अहवाज़ी (अरबी: إبراهيم بن مهزيار) तीसरी चंद्र शताब्दी के एक शिया हदीसकार (रावी) हैं, वह इमाम मुहम्मद तक़ी (अ) के साथियों में से एक हैं और उन्होने इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम हसन अस्करी (अ) से हदीसों का उल्लेख किया है।

शिया हदीस के स्रोतों में, इब्राहीम बिन महज़ियार से हदीसें उल्लेख हुई हैं। आयतुल्लाह ख़ूई के अनुसार, उनका नाम 50 से अधिक हदीसों की सनद में ज़िक्र हुआ है। शिया रेजाल शास्त्र के विद्वानों के बीच इब्राहिम बिन महज़ियार की हदीसों की प्रामाणिकता के बारे में सहमती नही पाई जाती हैं। उनकी विश्वसनीयता को साबित करने के लिए, यह तर्क दिया गया है कि उनका नाम किताब कामिल अल-ज़ियारात की कुछ हदीसों की दस्तावेजों (सनदों) में शामिल है।

जीवनी

इब्राहीम दौरक़, खुज़िस्तान के निवासी थे।[१] अहमद बिन अली नज्जाशी के अनुसार, उनके पिता एक ईसाई थे और उन्होने इस्लाम को स्वीकार कर लिया था।[२] इब्राहिम बिन महज़ियार के जन्म और मृत्यु की तारीख़ के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है; हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं ने कुछ कारणों का हवाला देते हुए 195-265 हिजरी के बीच उनके जीवन काल का अनुमान लगाया है।[३] इन कारणों में यह बातें शामिल है कि वह इमाम जवाद (अ) (शहादत 220 हिजरी) [४] के साथियों (असहाब) में से एक थे और इमाम हसन अस्करी (अ) (शहादत 260 हिजरी) की शहादत के बाद तक जीवित थे[५] और यह कि उन्हें एक हदीस में इमाम महदी (अ) के साथियों में से एक के रूप में भी जाना जाता था।[६]

अली और मुहम्मद इब्राहीम महज़ियार के पुत्र थे; मुहम्मद 11वें इमाम के साथियों में से एक थे[७] और एक रिवायत के मुताबिक उनकी मुलाक़ात इमाम ज़माना (अ.स.) से हुई।[८] अली अकबर गफ़़्फ़ारी के मुताबिक अली का नाम रेजाल की किताबों में नहीं आया है।[९]

कुछ शिया धार्मिक और हदीसी स्रोतों में उनके उपनाम अबू इसहाक़ का उल्लेख किया गया है।[१०]

इमामों के सहाबी

शेख़ तूसी ने इब्राहीम बिन महज़ियार को इमाम मुहम्मद तक़ी (अ)[११] और इमाम अली नक़ी (अ) [१२] के सहाबियों में शुमार किया है। मुहम्मद बिन इब्राहिम बिन महज़ियार से किताब अल-काफ़ी में उल्लेख की गई हदीस के अनुसार, उनके पिता, इब्राहिम बिन महज़ियार, शियों के 11वें इमाम के वकील थे।[१३] आयतुल्लाह ख़ूई ने इस हदीस को कमज़ोर (ज़ईफ़) माना है। [१४]

इमाम ज़माना (अ) के साथ मुलाक़ात

शेख़ सदूक़ द्वारा सुनाई गई हदीस के आधार पर, इब्राहीम बिन महज़ियार ने मक्का में इमाम ज़माना (अ) से मुलाकात की।[१५] आयतुल्लाह ख़ूई ने इस हदीस की वैधता पर संदेह ज़ाहिर किया है।[१६] इसी तरह से, एक हदीस में, इमाम महदी (अ) के वकीलों के साथ उनके संबंध का उल्लेख किया गया है [१७] और फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी ने उन्हें हज़रत महदी के राजदूतों में से एक माना है।[१८] अल्लामा हिल्ली ने इस हदीस को कमज़ोर (ज़ईफ़) माना है। [१९]

रेजाल शास्त्र में स्थान

आयतुल्लाह ख़ूई के अनुसार, शिया रेजाल शास्त्र के विद्वानों में इब्राहिम बिन महज़ियार के बारे में मतभेद है; अल्लामा मजलिसी ने उन्हें सिक़ह (मोतबर)[२०] और इब्ने दाऊद हिल्ली ने उन्हें ममदूह[२१] माना है[२२] और अब्दुल नबी अल-जज़ायरी ने हाविल अक़वाल में उन्हें रेजाल के ऐतेबार से कमज़ोरो (ज़ईफ़ों) की सूची में शामिल किया है।[२३]

अब्दुल्लाह मामक़ानी और कुछ अन्य लोगों ने इब्राहिम बिन महज़ियार की विश्वसनीयता और प्रशंसा के कुछ कारणों पर भरोसा किया है; जिसमें अली बिन महज़ियार की ओर से अभिभावक (वसी) होना और उनकी ओर हज़रत महदी (अ) का राजदूत होना शामिल है।[२४] मोजम रेजाल अल-हदीस के 23-खंड संग्रह के लेखक सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई ने इन मामलों के आधार पर उनकी प्रशंसा करने और उन्हें मान्य क़रार देने को कमजोर माना है, और उन्होंने स्वयं इब्राहिम इब्न महज़ियार की प्रामाणिकता पर उनका नाम कामिल अल-ज़ियारात[२५] की हदीसों के दस्तावेज़ में शामिल होने का तर्क दिया है।[२६] कुछ समकालीन शोधकर्ताओं ने पुस्तक कामिल अल-ज़ियारत के हदीसकारों (रावियों) को एक सामान्य पुष्टि (आम तौसीक़) के रूप में शुमार किया है।[२७] इस लिये कि इब्ने क़ुलूवैह ने कामिल अल-ज़ियारत के पूर्ण परिचय में, कहा है कि इस पुस्तक में उन्होंने केवल सिक़ह (भरोसंमंद) के कथाकारों से हदीसों को उद्धृत किया है।[२८]

हदीसें

शिया हदीस के स्रोतों जिनमें कुतुबे अरबआ की पुस्तकें भी शामिल हैं, में इब्राहिम बिन महज़ियार द्वारा हदीसें उद्धृत हैं।[२९] आयतुल्लाह ख़ूई के अनुसार, उनका नाम 50 से अधिक हदीसों की सनद में वर्णित है।[३०]

शियों के 10वें और 11वें इमाम[३१] से इब्राहिम बिन महज़ियार ने सीधे तौर पर हदीस सुनीं हैं। [३२] उन्होंने अपने भाई अली बिन महज़ियार,[३३] सालेह बिन सिंदी, इब्ने अबी उमैर, हुसैन बिन अली बिन बिलाल जैसे हदीसकारों के माध्यम से, ख़लीलियान बिन हेशाम और उनके भाई दाऊद बिन महज़ियार से एक वास्ते से हदीसें बयान की हैं।[३४] इसके अलावा, अब्दुल्लाह बिन जाफ़र हिमयरी, [३५] साद बिन अब्दुल्लाा अशअरी,[३६] मुहम्मद बिन अहमद बिन यहया और मुहम्मद बिन अली बिन महबूब उन लोगों में से हैं जिन्होने उनसे हदीसें सुनाई है।[३७]

इब्राहिम ने इमामों की शहादत के समय और उनकी उम्रों जैसे विषयों पर,[३८] और इसी तरह से पैगंबर (स) की मस्जिद[३९] और कूफा की मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत, [४०] इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत का पुन्य[४१] और इसी तरह से नमाज़[४२] और हज [४३] के नियमों (अहकाम) के बारे में हदीसों को उद्धृत किया है। साहिब जवाहर जैसे कुछ शिया न्यायविदों ने नमाज़ के अहकाम (नियमों) के बारे में उनसे एक हदीस का हवाला दिया है।[४४]

नज्जाशी ने इब्राहिम बिन महज़ियार को अल-बशारात नाम की एक किताब का श्रेय दिया है।[४५] कुछ विद्वानों ने संभावना व्यक्त की है कि अल-बशारात उनके भाई अली बिन महज़ियार[४६] की वही किताब है, जिसे इब्राहिम बिन महज़ियार ने नक़्ल किया है[४७] और नज्जाशी ने उसे उनसे ही संबंधित कर दिया है। [४८]

फ़ुटनोट

  1. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पृष्ठ 253।
  2. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पृष्ठ 253।
  3. विगत, "इब्राहिम बिन महज़ियार", खंड 2, पृष्ठ 458।
  4. तूसी, रेजाल अल-तूसी, 1373, पृष्ठ 374।
  5. कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 518।
  6. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, पेज 453-445।
  7. तूसी, रेजाल अल-तूसी, 1373, पृष्ठ 402।
  8. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 442।
  9. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 466, फुटनोट।
  10. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी 1365, पृष्ठ 16; ममकानी, तंक़ीह अल-मक़ाल, 1431 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 17।
  11. तूसी, रेजाल अल-तूसी, 1373, पृष्ठ 374।
  12. तूसी, रेजाल अल-तूसी, 1373, पृष्ठ 374
  13. कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 518।
  14. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 305।
  15. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, पेज 453-445।
  16. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  17. कश्शी, रेजाल अल-कश्शी, 1409 हिजरी, पेज 531-532।
  18. तबरसी, आलाम अल वरा, 1390 हिजरी, पृष्ठ 416।
  19. अल्लामा हिल्ली, ख़ुलासतुल अक़वाल, 1417 हिजरी, पृष्ठ 51।
  20. अल्लामा मजलिसी, अल-वजीज़ा फ़िल-रेजाल, पृष्ठ 16; ममकानी, तंक़ीह अल-मक़ाल, 1431 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 31।
  21. इब्न दाऊद हिल्ली, किताब अल-रेजाल, 1342, पृष्ठ 19।
  22. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 304।
  23. जज़ायरी, हावी अल अक़वाल, 1418 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 249।
  24. ममकानी, तंक़ीह अल-मक़ाल, 1431 हिजरी, खंड 5, पेज 18-31; नूरी, मुस्तद्रक अल-वसायल, 1408 हिजरी, खंड 4, निष्कर्ष, पेज 26-29।
  25. देखें: इब्ने कुलुवैह, कामिल अल-ज़ियारात, 1356, पेज। 21, 25, 31, 49, 85, 155, 191।
  26. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  27. इरवानी, दुरुस तहमीदियह फ़िल-कवायद अल-रेजालियह, 1431 हिजरी, पृष्ठ 35।
  28. इब्ने कुलुवैह, कामिल अल-ज़ियारात, 1356, पृष्ठ 4।
  29. उदाहरण के लिए, देखें: कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, पेज 457, 461, 463; सदूक़, मन ला यहज़ोरोह अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 263, खंड 2, पृष्ठ 444।
  30. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  31. उदाहरण के लिए, देखें: सदूक़, मन ला यहज़ोरोह अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 263।
  32. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  33. कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, पेज 457, 461, 463।
  34. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  35. उदाहरण के लिए: कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 457 देखें।
  36. कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 457।
  37. ख़ूई, मोजम रेजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 307।
  38. उदाहरण के लिए: कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, खंड 1, 457, 461, 463, 472, 475, 486, 491, 497, 518 देखें।
  39. इब्ने कुलुवैह, कामिल अल-ज़ियारात, 1356, पृष्ठ 21।
  40. इब्ने कुलुवैह, कामिल अल-ज़ियारात, 1356, पेज 31-32।
  41. इब्ने कुलुवैह, कामिल अल-ज़ियारात, 1356, पृष्ठ 155।
  42. सदूक़, मन ला यहज़ोरोह अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 263।
  43. सदूक़, मन ला यहज़ोरोह अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 444।
  44. नजफी, जवाहिर अल कलाम, खंड 8, पृष्ठ 63; आमेली, मिफ्ताह अल-करामह, 1419 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 458।
  45. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पृष्ठ 16।
  46. तूसी, फेहरिस्त कुतुब अल शिया, 1420 हिजरी, पृष्ठ 265।
  47. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पृष्ठ 254।
  48. विगत, "इब्राहिम बिन महज़ियार", खंड 2, पृष्ठ 458।

स्रोत

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