हुसैन बिन रूह नौबख़्ती

wikishia से
(हुसैन बिन रूह नोबख़्ती से अनुप्रेषित)
अन्य उपयोगों के लिए, नौबख़्ती देखें।
हुसैन बिन रूह नौबख़्ती
हुसैन बिन रूह का मक़बरा
हुसैन बिन रूह का मक़बरा
उपनामनौबख़्ती, क़ुम्मी, रूही
निवास स्थानसामर्रा, बग़दाद
मृत्यु तिथि326 हिजरी
मृत्यु का शहरबग़दाद
समाधिबग़दाद
किस के साथीइमाम हसन अस्करी (अ), इमाम महदी (अ)
गतिविधियांनुव्वाबे अरबआ में से तीसरे नाएब


हुसैन बिन रूह नौबख़्ती (अरबी: الحسين بن روح النوبختي) (मृत्यु 326 हिजरी) इमाम महदी (अ) के चार विशेष प्रतिनिधियो (नुव्वाबे अरबआ) मे से तीसरे नायब हैं, जो 21 साल (305-326 हिजरी) तक इस विशेष पद के प्रभारी थे। आप इमाम अस्करी (अ) के सहाबी और बग़दाद में दूसरे प्रतिनिधि के करीबी साथी थे। मुहम्मद बिन उस्मान ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में इमाम ज़माना (अ) के आदेश से हुसैन बिन रूह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। कुछ समय बाद 305 हिजरी के शव्वाल की 5 तारीख़ को हुसैन बिन रूह की पुष्टि (ताईद) में इमाम महदी (अ) की तौक़ीअ (हस्ताक्षर) जारी हुई। अपने कार्यकाल की शुरुआत में, हुसैन बिन रूह का अब्बासी राजतंत्र में एक विशेष स्थान और सम्मान था, लेकिन बाद में वह मुसीबत में पड़ गए और कुछ समय के लिए गुप्त जीवन व्यतीत किया, और फिर पाँच साल कैद मे रहे।

हुसैन बिन रूह के युग की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक शलमग़ानी का फित्ना है जो उनके भरोसेमंद वकील थे, लेकिन उन्हे पथभ्रष्टी का सामना करना पड़ा, और उनकी निंदा मे इमाम ज़माना (अ) की तौक़ीअ जारी हुई। हुसैन बिन रूह नौबख्ती को कुछ फ़िक्ही किताबो के लेखन और इल्मी बहसो मे नाना प्रकार के विषयो में पर्याप्त बड़प्पन के कारण विशेषाधिकार प्राप्त माना गया है। कुछ हदीसी स्रोतों में उनकी ओर करामात मंसूब किए गए है।

जीवनी

हुसैन बिन रूह नौबख़्ती का जन्म वर्ष ज्ञात नहीं है। उनकी उपाधि अबुल-क़ासिम है और सूत्रों में नौबख़्ती, रूही[१] और कुम्मी[२] उपनामो का उल्लेख किया गया है। ईरान के आबे (सावा के निकट) शहर की भाषा बोलने और वहा के निवासीयो के साथ करीबी संबंधो और उठ बैठ के कारण आपके क़ुमी होने की संभावना है,[३][४][५] लेकिन अधिकतर स्रोतों में नौबख्ती से मशहूर है। ऐसा कहा जाता है कि माता की ओर से उनकी वंशावली नौबख्ती परिवार तक पहुचंती है।[६] कुछ ने यह भी कहा है कि वह क़ुम की बनु नौबख्त शाखा से थे और प्रथम नायब के समय में बग़दाद चले गए थे।[७]

इमाम हसन अस्करी (अ) के साथ संबंध

हुसैन बिन रूह की ज़रीह

हुसैन बिन रूह का इमाम हसन अस्करी (अ) के सहाबी होनो मे मतभेद है। इब्ने शहर आशोब ने अपनी किताब अल-मनाक़िब मे आपको इमाम हसन अस्करी (अ) के असहाब और विशेष साथी बताया है।[८] लेकिन दूसरे उलमा ए रिजाल (रावीयो की जिवनियां लिखने वालो) ने इस संबंध मे कोई बात नही कही है। दूसरे कुछ इतिहासकारो ने इस बात को स्वीकार करना कठिन बताया है। क्योकि इमाम हसन अस्करी (अ) का 260 हिजरी मे स्वर्गवास हो गया था। और नोबख़्ती का निधन 326 हिजरी मे हुआ।[९]

विशेषताएँ

शेख़ तूसी की किताब अल-ग़ैबा के अनुसार हुसैन बिन रूह नौबख़्ती अपने समय के सबसे विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति थे। और विरोधीयो के साथ उठ बैठ मे तक़य्या से काम लेते थे,[१०] यहा तक कि अपने एक दास (गुलाम) को मुआविया को अपशब्द कहने के कारण उसको निलंबित कर दिया था।[११]

इमाम ज़माना (अ) की ग़ैबत की सियासी तारीख़ नामक किताब मे जासिम हुसैन के अनुसार, हुसैन बिन रूह को इस मुकाम तक पहुचाने वाली उनकी वयक्ति गत विशेषताएँ, खूबियां और कार्यकुशलता थी, जिसने उन्हें इमाम ज़माना (अ) के प्रतिनिधि के पद के योग्य बना दिया।[१२] मुहम्मद बिन उस्मान की बेटी उम्मे कुलसूम, अपने पिता के साथ हुसैन बिन रूह के रिश्ते के बारे में कहती हैं कि हुसैन उनके विश्वासनीय और क़रीबी रिश्तेदारों में से थे और मेरे पिता हुसैन बिन रूह नौबख्ती से अपने जीवन के निजी मुद्दों के बारे में परामर्श लिया करते थे।[१३]

अबू सहल नौबख्ती ने हुसैन बिन रूह की गोपनीयता के बारे में कहा, अगर उन्होने इमाम को अपने दामन मे छुपा रखा हो और उसके शरीर को कैंची से टुकड़ों में काट दिया जाए ताकि इमाम को ज़ाहिर कर दे तो वह कदापि ऐसा नही करेगें।[१४]

निधन

हुसैन बिन रूह नौबख़्ती का निधन 18 शाबान 326 हिजरी मे हुआ। बग़दाद शहर के नोबख्तिया महल्ले के अत्तारान या शूरचे बाज़ार मे उनकी क़ब्र है जोकि वर्तमान समय मे "मक़ामे हुसैन बिन रूह" के नाम से प्रसिद्ध है और शियों का तीर्थ स्थल है।[१५]

नियाबत

मुख्य लेखः विशेष नियाबत

305 हिजरी मे इमाम ज़माना (अ) के दूसरे नायब (प्रतिनिधि) के निधन पश्चात हुसैन बिन रूह नियाबत के पद पर नियुक्त हुए। इससे पहले आप मुहम्मद बिन उस्मान के भरोसेमंद और करीबी साथी होने के साथ-साथ आप वित्तीय सहायक[१६][१७] तथा बग़दाद मे उनके वकीलो के साथ राबित भी थे।[१८]

इमाम ज़माना (अ) के पत्र द्वारा हुसैन बिन रूह की पुष्टि:

"हम उसे (हुसैन बिन रूह) को जानते हैं, ईश्वर उसे सारी अच्छाई और वह चीज़ें जो ईश्वर के राज़ी होने का कारण बनती हैं उसकी पहचान कराऐ और अपनी कृपा से उसे खुश करे। हमें उनके पत्र के बारे में सूचित किया गया था और हमें उन्हें सौंपी गई ज़िम्मेदारी पर पूरा भरोसा है। हमारे यहाँ उनका एक ख़ास मक़ाम है जो उनकी ख़ुशी का कारण बनेगी। ईश्वर उस पर अपनी कृपा बढ़ाए।"

तूसी, अल ग़ैबा, 1411 हिजरी, पृष्ठ 372

दूसरे नायब के बग़दाद मे लगभग 10 वकील होने के बावजूद मुहम्मद बिन उस्मान ने अपनी बीमारी मे हुसैन बिन रूह को अपना उत्तराधिकारी और इमाम ज़माना (अ) का प्रतिनिधि बनाया और शियों से अपनी मृत्यु के पश्चात उनका (हुसैन बिन रूह) अनुसरण करने की सिफारिश की।[१९] अतः अल्लामा मजलिसी ने लिखा कि जिस दिन मुहम्मद बिन उस्मान का निधन हुआ हुसैन बिन रूह उनके घर पर थे मुहम्मद बिन उस्मान के ग़ुलाम ने एक संदूक –जिसमे वदायेए इमामत थे- लाकर हुसैन बिन रूह को दिया।[२०] मुहम्मद बिन उस्मान के निधन के कुछ दिन पश्चात अर्थात 5 शव्वाल 305 हिजरी को इमाम ज़माना (अ) द्वारा हुसैन बिन रूह की पुष्ठि मे एक पहली तौक़ीअ (हस्ताक्षर प्लेट) जारी हुई।[२१]

कुछ एतिहासिक स्रोतो से ज्ञात होता है कि शियों के बीच पहले और दूसरे नायब की तुलना मे हुसैन बिन रूह अधिक प्रसिद्ध थे इसीलिए कुछ शिया अपने क्षेत्र के वकीलो की अनदेखी करते हुए सीधे हुसैन बिन रूह से संपर्क मे रहने का प्रयास करते थे।[२२]

वकील और काम करने वाले लोग

हुसैन बिन रूह ने बग़दाद में दस वकीलों और अन्य इस्लामिक देशों मे अन्य वकीलों के सहयोग से इमाम ज़माना (अ) की ग़ैबत मे अपनी गतिविधियां शुरू कीं। उनके कुछ वकीलों और काम करने वाले लोगो के नाम इस प्रकार हैं:

  • अहवाज़ मे मुहम्मद बिन नफ़ीस, के माध्यम से हुसैन बिन रूह की नियाबत के दौर मे इमाम ज़माना (अ) की पहली तौक़ीअ जारी हुई।
  • जाफ़र बिन अहमद बिन मतील
  • अबु अब्दिल्लाह कातिब
  • अहमद बिन मतील
  • अहमद बिन इब्राहीम नौबख़्ती
  • अबू सहल नौबख़्ती
  • बल्ख़ मे मुहम्मद बिन हसन सैरफी
  • रय मे मुहम्मद बिन जाफ़र असदी राज़ी
  • नसीबैन मे हसन बिन अली विजना ए नसीबी
  • मुहम्मद बिन हमाम इस्काफ़ी
  • आज़रबाइजान मे क़ासिम बिन अला
  • मुहम्मद बिन अली शलमग़ानी जोकि बाद मे पदभ्रष्ठ हो गए थे और वकालत से निलंबित हो गए थे।[२३]

राजतंत्र मे स्थान

हुसैन बिन रूह का मुहम्मद बिन उस्मान की नियाबत के युग मे अब्बासी राजतंत्र मे विशेष स्थान और सम्मान था राजतंत्र की ओर से माली सहायता भी होती थी।[२४] नियाबत का पद संभालने के पश्चात भी मुक़्तदर अब्बासी के दौर मे भी अब्बासीयो मे उनका प्रभाव था और सम्मान किया जाता था। राजतंत्र मे उनके इस सम्मान और प्रभाव का कारण एक तो नौबख़्ती परिवार का अस्र और रसूख था और दूसरी ओर आले फ़ुरात के "अबुल हसन अली बिन मुहम्मद" का मौजूद मंत्रालय जोकि शियाओ का समर्थन करता था।[२५][२६] मुहम्मद बिन उस्मान की बेटी उम्मे कुलसूम के कथन अनुसार उस समय आले फ़ुरात की ओर से हुसैन बिन रूह के यहां कभी कभी माली सहायता भी पहुंचती थी।[२७] राजतंत्र मे उनके स्थान और सम्मान का एक दूसरा कारण उनका सावधानीपूर्ण व्यवहार भी उल्लेखनीय है। जिसके आधार पर आपने स्वंय को क़रामेता जैसे समूह की प्रतिरोधी आंदोलन का हिस्सा बनने से दूर रखा।[२८]

परंतु हामिद बिन अब्बास के पदभार संभालने के पश्चात शिया विरोधी गुर्गो के कारण आपको राजतंत्र मे कठिनाईयो का सामना करना पड़ा।[२९]

गुप्त जीवन

हुसैन बिन रूह नियाबत का पदभार संभालने के कुछ समय पश्चात गुप्त होने पर विवश हुए। उनके इस गुप्त काल के संबंध मे कोई सटीक जानकारी नही है लेकिन यह संभावना है कि उन्होने हामिद बिन अब्बास[३०] के कार्यकाल मे 306 से 311 हिजरी तक राजतंत्र के हत्थे पड़ने से बचने के लिए गुप्त जीवन व्यतीत किया। शेख़ तूसी के अनुसार, हुसैन बिन रूह के गुप्तकाल मे शलमग़ानी उनके (हुसैन बिन रूह) और जनता के बीच बिचौलीया की भूमिका निभाता था।[३१] इस अवधि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

गिरफ्तारी

हुसैन बिन रूह नौबख़्ती को 312 से 317 हिजरी तक अब्बासी ख़लीफा मुक्तदर की जेल में कैद किया गया था। शिया स्रोतों में उनके कारावास का कोई कारण नहीं है, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं ने सुन्नीयो के आधार पर दो कारणो का उल्लेख किया हैं:

  1. हुसैन बिन रूह का सरकारी अदालत में संपत्ति का भुगतान करने से इंकार करना
  2. क़रामेता के साथ संबंध, जो उस समय बहरैन पर हावी थे।[३२]

कुछ शोधकर्ताओं ने उनके कारावास का कारण नियाबत के पद पर उनकी प्रसिद्धि, शियों के साथ उनके संबंध, शियों के बीच उनकी शोहरत और उस दौर मे शियों को व्यवस्थित और सक्रिय रखने मे पत्रों और शरई वुजूहात (ख़ुम्स और ज़कात इत्यादि) को इकट्ठा करने उन्हें हज़रत महदी (अ) तक पहुचाने के कारण उन्हे गिरफ्तार किया गया था।[३३] हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि उनकी गिरफ्तारी शलमग़ानी के साथ शत्रुता के कारण हुई थी जिसे मोहसिन बिन अली बिन फुरात (अली बिन फ़ुरात के बेटे के मंत्री और शलमग़ानी के समर्थक) ने 311-312 हिजरी में अली बिन फ़िरात के कार्यकाल के दौरान अंजाम दिया था।[३४]

जेल से छूटने के बाद, सरकार में नोबख्त परिवार के प्रसिद्ध व्यक्तियों की उपस्थिति के कारण, जो महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे, कोई भी उन्हें परेशान करने का साहस नहीं कर सकता था।[३५]

शलमग़ानी का फ़ित्ना

मुख्य लेखः शलमग़ानी

शलमग़ानी बग़दाद का शिया विद्वान और हुसैन बिन रूह का करीबी व्यक्ति था। हुसैन बिन रूह ने नियाबत के पद पर नियुक्त होने के बाद शलमग़ानी को अपना वकील परिचित कराया और शियों के मामलों को उन्हे सौंप दिया, यहा तक कि हुसैन बिन रूह के गुप्त जीवन और गिरफ्तारी के दौरान इमाम ज़माना (अ) की तौक़ीअ (हस्ताक्षर) हुसैन बिन रुह के माध्यम से शलमग़ानी द्वारा प्रसारित होती थी।[३६] लेकिन हुसैन बिन रूह की कैद के दौरान और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, उन्होंने पहले खुद को नायब के रूप में पेश किया और बाद में धर्मत्यागी हो गए और अकीदती इंहेराफ पाया गया। जब शलमग़ानी के धर्मत्यागी होने का पता चला तो हुसैन बिन रूह जोकि जेल मे थे उन्होने शियों को इस बारे में सूचित किया और उनके साथ संपर्क मे रहने से मना किया। यहा तक कि 312 हिजरी मे हज़रत महदी (अ) मे उन पर लानत करने के का आदेश जारी किया।[३७]

इल्मी मक़ाम और करामात

हुसैन बिन रूह ने फ़िक्ह मे अल-तादीब नामक किताब लिखी और इसे मूल्यांकन और टिप्पणी के लिए हदीस के एक केन्द्र क़ुम भेजा, और वहां के विद्वानों से उन बातो का उल्लेख करने के लिए कहा जो उनके अकीदे के खिलाफ़ हैं। पुस्तक की सामग्री (किताब का मैटर) का मूल्यांकन करने के बाद, क़ुम के विद्वानों ने एक मामले को छोड़कर इसकी पुष्टि करते हुए वापस भेज दिया।[३८]

उन्होंने अपने नियाबती कार्यकाल के दौरान बहस भी की थी, जो कि हदीसो स्रोतों में दर्ज हैं।[३९][४०][४१] हुसैन बिन रूह द्वारा इन वार्तालापों में उठाए गए सवालों के जवाब धार्मिक मुद्दों पर उनके बड़प्पन और उनके इल्मी मुकाम को भी दर्शाते हैं।[४२]

उन्होंने कुछ हदीसों भी नकल की है।[४३] शेख़ तूसी ने ज़ियारते रजबिया का हुसैन बिन रूह नौबख्ती के हवाले से उल्लेख किया है।[४४]

करामात

कुछ करामात हुसैन बिन रूह से मंसूब है। इस संबंध मे कहा जाता है कि कभी-कभी आप विरोधियों के संदेह को दूर करने और अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए कुछ रहस्यों से पर्दा उठाते थे और कुछ निशानीयो को जाहिर करते थे। अली बिन बाबवैह (शेख़ सदूक़ के पिता) का पत्र तीसरे नायब के नाम बच्चा होने के लिये हज़रत हुज्जत (अ) से दुआ के आग्रह के विषय पर,[४५] या इब्न बाबवैह (शेख़ सुदूक़ के पिता) का एक और पत्र हज यात्रा के लिए अपने कर्तव्यों का निर्धारण,[४६] अहमद बिन इस्हाक़ कुम्मी की मृत्यु की खबर,[४७] मुहम्मद बिन हसन सैरफी को खोए हुए सोने का पता बताना[४८] और इस प्रकार की दूसरी घटनाएं जो इस हवाले से बयान हुई है उनकी करामात के उदाहरण हैं।

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 225
  2. कश्शी, रेजाल कश्शी, 1348 शम्सी, पेज 557
  3. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 503-504
  4. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 195
  5. इक़बाल आशतीयानी, ख़ानदान नोबख्ती, 1345 शम्सी, पेज 214
  6. इक़बाल आशतीयानी, ख़ानदान नोबख्ती, 1345 शम्सी, पेज 214
  7. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 192
  8. इब्ने शहर आशोब, अल-मनाक़िब, 1379 हिजरी, भग 4, पेज 423
  9. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 192
  10. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 112
  11. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 386
  12. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 193-194
  13. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 372
  14. तूसी, अल-ग़ैबा, 1411 हिजरी, पेज 391
  15. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 238
  16. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 192
  17. ज़हबी, सैरे आलामुन नबला, 1413 हिजरी, भाग 15, पेज 222
  18. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 501-502
  19. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 371
  20. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 85, पेज 211
  21. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 372
  22. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 198
  23. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 196
  24. ग़फ़्फ़ार ज़ादे, जिंदगानी ए नव्वाबे खास इमाम ज़मान (अ), 1375 शम्सी, पेज 237
  25. जासिम हुसैन, तारीख सियासी ग़ैबत इमाम दवाजदहुम, 1385 शम्सी, पेज 198
  26. जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री वा सियासी आइम्मा, 1381 शम्सी, पेज 583
  27. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 372
  28. अज़ीम ज़ादे तेहरानी, एलल दस्तगीरी ए हुसैन बिन रूह नोबख़्ती, 1382 शम्सी
  29. जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री वा सियासी आइम्मा, 1381 शम्सी, पेज 583
  30. अज़ीम ज़ादे तेहरानी, एलल दस्तगीरी ए हुसैन बिन रूह नोबख़्ती, 1382 शम्सी
  31. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 303-304
  32. अज़ीम ज़ादे तेहरानी, एलल दस्तगीरी ए हुसैन बिन रूह नोबख़्ती, 1382 शम्सी बे नक़्ल अज़ ज़हबी दर तारीखे इस्लाम
  33. मूसवी, किसाई, पुज़ूहिशी पैरामून जिंदगी सियासी वा फ़रहंग नव्वाबे अरबआ, 1378 शम्सी
  34. अज़ीम ज़ादे तेहरानी, एलल दस्तगीरी ए हुसैन बिन रूह नोबख़्ती, 1382
  35. मूसवी, किसाई, पुज़ूहिशी पैरामून जिंदगी सियासी वा फ़रहंग नव्वाबे अरबआ, 1378 शम्सी
  36. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 251-252
  37. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 252-253
  38. अमीन, आयान उश शिया, 1421 हिजरी, भाग 6, पेज 22
  39. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 324, 373, 378, 388, 390
  40. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 519
  41. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 53, पेज 192
  42. सद्र, तीरीख उल ग़ैय्बा, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 192
  43. ख़ूई, मोजम रिजाल अल-हदीस, 1403 हिजरी, भाग 5, पेज 236
  44. तूसी, मिस्बाहुल मुताहज्जिद, 1411 हिजरी, पेज 821
  45. नज्जाशी, रिजाल नज्जाशी, 1407 हिजरी, पेज 261
  46. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 51, पेज 293
  47. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 518-519
  48. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 51, पेज 342

स्रोत

  • अमीन, आमोली, सय्यद मोहसिन, आयान उश शिया, बेरूत, दार उत तआरूफ, 1421 हिजरी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमालुद्दीन वा तमामुन नेअमा, तेहरान, इस्लामीया 1395 हिजरी
  • नज्जाशी, अहमद बिन अली, रिजाल नज्जाशी, छाप मूसा शुबैरी ज़िंजानी, क़ुम, 1407 हिजरी
  • इब्ने शहर आशोब माजंदरानी, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िबे आले अबी तालीब, क़ुम, अल्लामा, 1379 हिजरी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, रिजाल अल-कशी (इख्तियारे मारफातुर रिजाल), मशहद, दानिश गाह मशहद, 1348 शम्सी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-ग़ैय्बा, क़ुम, मोअस्सेसा अलमआरिफ अलइस्लामीया, 1411 हिजरी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, मिस्बाहुल मुताहज्जिद, बैरूत, मोअस्सेसा फ़िक्ह अल-शिया, 1411 हिजरी
  • ज़हबी, सैरा ए आलामुन नबला, इशराफ व तखरीजः सुऐब अल-अरनऊत, शोधः इब्राहीम अलजैबक़, बैरूत, मोअस्सा अल-रिसालत, 1413 हिजरी
  • ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, मोजम रिजाल अल-हदीस, बैरूत, दार उज जहरा, 1403 हिजरी
  • सद्र, सय्यद मुहम्मद, तारीखे अल-ग़ैय्बा, बैरूत, दार उत तआरूफ, 1412 हिजरी
  • इक़बाल आशतियानी, अब्बास, ख़ानदान नोबख़्ती, तेहरान, 1345 शम्सी
  • जाफरयान, रसूल, हयाते फ़िक्री वा सियासी इमामान शिया, क़ुम, अंसारियान, 1381 शम्सी
  • जासिम मुहम्मद हुसैन, तारीखे सियासी ग़ैबत इमाम दवाज़दहुम, अनुवादः मुहम्मद तकी आयतुल्लाही, तेहरान, अमीर कबीर, 1385 शम्सी
  • ग़फ़्फ़ार ज़ादे, अली, जिंदगानी ए नव्वाब खास इमाम ज़मान, क़ुम, इंतेशाराते नुबूग, 1379 शम्सी
  • अज़ीम ज़ादे तेहरानी, ताहेरा, एलल दस्तगीरी ए हुसैन बिन रूह नोबख़्ती, तारीखे इस्लाम, बहार, 1382 शम्सी, क्रमांक 13
  • मूसवी, सय्यद हसन, किसाई, नूरुल्लाह, पुज़ूहिशी पैरामूने जिंदगी सियासी वा फ़रहंग नव्वाबे अरबआ, दानिश कदा अदबयात वा इल्म इंसानी दानिशगाह तेहरान, ताबिस्तान 1378 शम्सी, क्रमांक 150