सय्यद मुहम्मद बिन अली अल-हादी

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सय्यद मुहम्मद अली बिन अल-हादी
नामसय्यद मुहम्मद
भूमिकाशिया इमामज़ादों में से एक
उपाधिअबू जाफ़र, अबू अली
जन्मदिन228 हिजरी
जन्म स्थानसरया-मदीना
मृत्यु252 हिजरी
दफ़्न स्थानबलद शहर, सामर्रा के क़रीब
उपनामसब्उद दुजैल, सब्उल जज़ीरा
पिताइमाम अली नक़ी (अ)
आयु24 वर्ष
दफन निर्देशांक33°59′47″N 44°11′34″E / 33.996333°N 44.192709°E / 33.996333; 44.192709


मुहम्मद बिन अली अल-नक़ी (अ) (अरबी: محمد بن علي الهادي (ع)) (वफ़ात 252 हिजरी) सय्यद मुहम्मद और सबउद-दुजैल (दुजैल के शेर) के नाम से जाने जाते हैं, इमाम अली नक़ी (अ) के बेटे हैं, जिनके बारे में कुछ लोग ऐसा गुमान करते थे कि उनके पिता के स्वर्गवास पश्चात इमामत उन्ही को मिलेगी; लेकिन अपने पिता के जीवनकाल में उनकी मृत्यु के साथ, इमाम हसन अस्करी (अ) इमाम बन गए। सय्यद मुहम्मद की नस्ल उनके पोते शम्सुद्दीन मुहम्मद -जिन्हें मीर सुल्तान बुखारी के नाम से जाना जाता है- के माध्यम से आगे बढ़ी। इसी तरह सादाते आले-बआज जो इराक़ और ईरान के कुछ हिस्सों में रहते हैं, उनके वंशज माने जाते हैं।

सय्यद मुहम्मद का इराकियों के बीच एक विशेष स्थान है: वे उनके नाम की क़सम नहीं खाते, उनके चमत्कार प्रसिद्ध हैं, और आमतौर पर जो लोग सामरा में असकरीयैन की दरगाह पर जाते हैं, वो सय्यद मुहम्मद की भी ज़ियारत के लिए जाते हैं। उनकी मृत्यु 252 हिजरी में सामर्रा के दक्षिण शहर मे बलद में हुई और उन्हें वहीं दफ़नाया गया। सय्यद मुहम्मद की क़ब्र पर पहली बार दरगाह का निर्माण चौथी चंद्र शताब्दी मे हुआ और उसके बाद इसे धार्मिक विद्वानों, मराज ए तक़लीद और शासको द्वारा विभिन्न अवधियों में पुनर्निर्मित किया गया। आले बुयेह शासक अजदुद दौला दैलमी, सफ़वी शासक शाह इस्माईल सफ़वी, चौहदवी शताब्दी के शिया मरजा ए तक़लीद मिर्ज़ा शीराज़ी और शिया मुहद्दिस मिर्ज़ा हुसैन नूरी ने अलग-अलग समय में सय्यद मुहम्मद की दरगाह का पुनर्निर्माण या मरम्मत कराई।

सय्यद मुहम्मद के बारे में रचनाएँ लिखी गई हैं, उनमें से अधिकांश उनके जीवन और करामात के बारे में हैं। उनमें से मुहम्मद अली ओरदुबादी (1312-1380 हिजरी) द्वारा अरबी भाषा मे लिखित किताब "हयात व करामात अबू जाफर मुहम्मद इब्न अल-इमाम अली अल-हादी (अ)" है, जिसका फारसी में "सितारा ए दुजैल" शीर्षक के तहत अनुवाद हुआ है।

जीवनी

सैय्यद मुहम्मद इमाम अली नक़ी (अ) के बेटे हैं।[१] कहा जाता है कि उनकी माँ का नाम हदीस या सलिल था।[२] उनका जन्म मदीना के पास सरया नामक देहात में 228 हिजरी के आसपास हुआ था।[३] वर्ष 233 हिजरी में जब इमाम अली नक़ी (अ) को मुतवक्कुल अब्बासी के आदेश से सामरा में बुलाया गया था, तो सय्यद मुहम्मद सरया में ही रहे।[४] वहाँ से किस वर्ष अपने पिता के पास सामरा गए इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह कहा जाता है कि वह 252 हिजरी[५] में सामरा से मदीना की ओर सफर किया और जब बलद पहुंचे, तो बीमारी के कारण उनका निधन हो गया और उन्हे वहीं दफ़ना दिया गया।[६] उनके उपनाम सय्यद मुहम्मद, अबू जाफ़र और अबू अली थे।[७] सय्यद मुहम्मद बआज,[८] सब्उद दुजैल और सब्उल जज़ीरा भी उनके दूसरे उपनाम है।[९]

आईएसआईएस के हमले में सय्यद मुहम्मद के हरम को नुकसान (2016 ईसवी)

पौत्र

14वीं चंद्र शताब्दी के एक शिया इतिहासकार शेख़ अब्बास क़ुम्मी के अनुसार, सय्यद हसन बराक़ी (मृत्यु 1332 हिजरी) के हवाले से लिखते है कि सय्यद मुहम्मद की पीढ़ी उनके पोत्र शम्सुद्दीन मुहम्मद (मृत्यु 832 या 832) के माध्यम से आगे बढ़ी।[१०] शम्सुद्दीन का वंश चार नसलो के माध्यम से सय्यद मुहम्मद के बेटे अली तक पहुंचता है, और क्योंकि वह बुखारा में पैदा हुए और पालन-पोषण हुआ, इसीलिए मीर सुल्तान बुखारी के नाम से जाने जाते है, और उनके बच्चे बुखारीयो के नाम से प्रसिद्ध थे।[११] वहाँ से वो रोम के इलाक़े की ओर चले गए और बरूसा शहर को अपना निवास स्थान बनाया और वहीं पर दफ़्न है।[१२] शेख़ अब्बास क़ुम्मी ने भी सय्यद हसन बराकी के माध्यम से सय्यद मुहम्मद बआज को सय्यद मुहम्मद का वंशज जाना हैं।[१३] कहा जाता है कि सादाते आले-बआज इराक़ के मयसान, ज़ीक़ार, वासित, क़ादसिया, बग़दाद और नजफ़[१४] और ईरान के खुज़िस्तान मे रहते है। सय्यद मुहम्मद के वंश अली और अहमद के भी वंशज हैं।[१५]

महत्व

शिया विद्वान बाकिर शरीफ़ क़रशी (मृत्यु 1433 हिजरी) के अनुसार सय्यद मुहम्मद की नैतिकता और व्यवहार ने उन्हें दूसरों से अलग किया।[१६] इसलिए, कुछ शियों ने यह गुमान किया कि इमाम अली नक़ी (अ) के बाद वही इमाम होंगे।[१७] सय्यद मुहम्मद हमेशा अपने भाई इमाम हसन अस्करी (अ) के साथ रहते थे।[१८] और बाकिर शरीफ़ क़रशी के अनुसार, इमाम अस्करी (अ) उनके पालन-पोषण और शिक्षा के प्रभारी थे।[१९] शेख अब्बास क़ुम्मी के अनुसार इमाम हसन अस्करी (अ) ने सय्यद मुहम्मद के निधन पर अपना गिरेबान फाड़ दिया था, और जो लोग आपके इस काम (गिरेबान फ़ाड़ने) पर आपत्ति जताने वालो के जवाब में हारून की मौत पर हज़रत मूसा (अ) का गिरेबान फ़ाड़ने का उल्लेख करते थे।[२०]

तीसरी और चौथी शताब्दी के शिया पंथ लेखको साद बिन अब्दुल्लाह अश्अरी और हसन बिन मूसा नौबख्ती की रिपोर्टों के अनुसार, इमाम अली नक़ी (अ) की शहादत के बाद शियों के एक समूह ने सय्यद मुहम्मद की मृत्यु से इनकार करते हुए उनकी इमामत के मोतक़िद हो गए और सय्यद मुहम्मद को अपने पिता का उत्तराधिकारी और महदी ए मौऊद मानते थे; क्योंकि इमाम हादी (अ) ने उन्हें इमामत के लिए नामित किया था, और चूंकि झूठ को इमाम से जोड़ना जायज़ नहीं है और कोई बदा भी हासिल नही हुआ है, अतः वह वास्तव में मरे नहीं है बल्कि उनके पिता ने उन्हें लोगों से छुपाया दिया है।[२१] उपर्युक्त सभी मामले तब हुए जब सय्यद मुहम्मद का निधन इमाम हादी (अ) के जीवनकाल के दौरान हुआ था[२२] और इमाम हादी (अ) ने सय्यद मुहम्मद के निधन वाले दिन आपके पास संवेदना व्यक्त करने के लिए आने वालो लोगो के सामने इमाम हसन अस्करी (अ) की इमामत की ओर इशारा किया था।[२३] एक रिवायत के अनुसार उस समय, अबी तालिब की संतान, बनी हाशिम और कुरैश इत्यादि के लगभग 150 लोग मौजूद थे।[२४]

शिया मोहद्दिस मिर्ज़ा हुसैन नूरी (मृत्यु 1320 हिजरी) के अनुसार सय्यद मुहम्मद के करामात निरंतर सुने जाते हैं और सुन्नियों के बीच भी प्रसिद्ध हैं; इसीलिए इराक़ के लोग उनके नाम की क़सम खाने से डरते हैं, अगर किसी पर पैसे चोरी करने का आरोप लगाया जाता है, तो वह पैसे वापस कर देगा, लेकिन सय्यद मुहम्मद की क़सम नहीं खाएगा।[२५] कुछ स्रोतो मे सय्यद मुहम्मद के करामात का उल्लेख हुआ है। मुहम्मद अली उर्दूबादी (1380-1312) ने अपनी किताब "हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमाम अली अल-हादी (अ)" में उनकी लगभग 60 करामातो का उल्लेख किया है।[२६]

रौज़ा

सय्यद मुहम्मद का मज़ार बलद शहर में स्थित है, जो काज़मैन से 85 किमी उत्तर और सामर्रा से 50 किमी दक्षिण में स्थित है, और इसे इराक़ में शिया तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। आमतौर पर, जो लोग अस्करीयैन की ज़ियारत करने के लिए सामर्रा जाते हैं, वो सय्यद मुहम्मद की दरगाह पर ज़ियारत के लिए भी जाते हैं।[२७]

सय्यद मुहम्मद की दरगाह के मूल निर्माण की तारीख़ के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है; हालांकि, यह कहा गया है कि 1379 से 1384 हिजरी में उनके तीर्थ भवन (हरम) में की गई मरम्मत से ज्ञात हुआ कि पहली इमारत चौथी चंद्र शताब्दी की है, जो कि आले बुयेह शासक उजवुद दौला दैलमी के आदेश से बनाई गई थी।[२८] दूसरी इमारत 10 वीं चंद्र शताब्दी से संबंधित है जो सफ़वी शासक शाह इस्माईल सफ़वी के आदेश से फत्हे बग़दाद के बाद बनाई गई थी।[२९] जबकि 1189 हिजरी मे भी सय्यद मुहम्मद के हरम के नवीनीकरण का उल्लेख मिलता है।[३०]

इसके अलावा सय्यद मुहम्मद महदी बहरुल उलूम के शिष्यों में से एक ज़ैनुल आबेदीन बिन मुहम्मद सलमासी (मृत्यु 1266 हिजरी) ने 1208 हिजरी में अमीर हुसैन खान सरदार के आदेश से सय्यद मुहम्मद की दरगाह पर ईंट और चूने की इमारत का निर्माण और तीर्थयात्रियों के रहने के लिए निवास स्थान का निर्माण किया।[३१] 1244 हिजरी में मुल्ला मुहम्मद सालेह कज़विनी हायरी ने पुरानी इमारतों को ध्वस्त कराकर नया निर्माण शुरू किया, जो 1250 हिजरी में पूरा हुआ।[३२] इसी प्रकार मराज ए तक़लीद मीर्ज़ा शीराज़ी (1230-1312 हिजरी) ने सामर्रा में रहने के बाद, और मिर्ज़ा मुहम्मद तेहरानी अस्करी (1281-1371 हिजरी) ने सय्यद मुहम्मद के हरम की मरम्मत कराते हुए उसमें कक्ष जोड़े।[३३] आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी के अनुसार, मिर्जा हुसैन नूरी (1254-1320 हिजरी) ने 1317 हिजरी में इसकी मरम्मत कराई थी।[३४]

शिया मरजा ए तक्लीद आक़ा हुसैन क़ुम्मी के पुत्र सय्यद मोहम्मद तबताबाई ने अपने पिता की मरजेइयत के दौरान सय्यद मुहम्मद के हरम के लिए एकत्र की गई संपत्ति से 1379-1384 हिजरी मे एक नई इमारत का निर्माण कराया। जिसमे 150 वर्गमीटर पर आधारित सहन, गुंबद, मीनार और एक ज़रीह स्थापित की।[३५] अतबाते अलियात के पुनर्निर्माण कमैटी ने सय्यद मुहम्मद के धर्मस्थल का 1392 शम्सी मे पुनर्निर्माण शुरू किया।[३६] हालांकि 7 जुलाई 2016 को सय्यद मुहम्मद के हरम पर आतंकवादी गुट आईएसआईएस के हमले मे दरगाह के कुछ हिस्सो को नकसान पहुंचा[३७] लेकिन इसके पुनर्निर्माण 2018 के वसंत तक जारी रहा।[३८]

मोनोग्राफ़ी

सय्यद मुहम्मद के संबंध मे लिखित रचनाओ[३९] मे से कुछ निम्मलिखित हैः

  • हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमाम अली अल-हादी (अ) मुहम्मद अली उर्दूबादी (1312-1382 हिजरी) द्वारा अरबी भाषा मे लिखित किताब है जिसको अली अकबर महदीपूर ने “सितारा ए दुजैल” के नाम से फारसी भाषा मे अनुवाद किया है। किताब के दो खंड है। पहले खंड मे सय्यद मुहम्मद और उनके हरम[४०] का परिचय कराया गया है। जबकि किताब के दूसरे खंड मे उनसे जाहिर होने वाली करामात को बयान किया गया है।[४१] उर्दूबादी ने किताब के पहले खंड मे हसन बिन मूसा नौबख्ती की ओर से सय्यद मुहम्मद से मंसूब संप्रदाय की चर्चा के अंतर्गत सामर्रा मे आपका निधन[४२] होने की ओर संकेत करते हुए बलद शहर मे आपके मज़ार की प्रसिद्धि को चमकते हुए सूरज से तुलना की है।[४३]
  • रिसाला ई दर करामात सय्यद मुहम्मद बिन अली अल-हादी जाबिर आले अब्दुल ग़फ़्फ़ार कश्मीरी (मृत्यु 1320) द्वारा लिखित है, शिया ग्रंथकार आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी (मृत्यु 1389 हिजरी) का कहना है कि इस रिसाले को मिर्ज़ा हुसैन नूरी के अनुरोध पर लिखा गया था।[४४]
  • रिसाला फ़ी करामात अल-सय्यद मुहम्मद इब्न अल-इमाम अली अल-हादी (अ) मुहम्मद अली बुलदावी (मृत्यु 1305 हिजरी) द्वारा लिखित इन्होने करामात को लिखने मे सय्यद क़ासिम बुलदावी द्वारा लिखित अल-फ़ज़ाइल अल-फ़ाख़ेरा किताब का उपयोग किया है।[४५]

फ़ुटनोट

  1. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 311-312
  2. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 2
  3. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 2
  4. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 2
  5. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 4
  6. इब्ने सूफ़ी, अलमजदी फ़ी अंसाब अल-तालिबयीन, 1422 हिजरी, पेज 325
  7. हिरज़ुद्दीन, मराक़िद अल-मआरिफ़, 1371 शम्सी, भगा 2, पेज 262
  8. देखेः हिरज़ुद्दीन, मराक़िद अल-मआरिफ़, 1371 शम्सी, भगा 2, पेज 262
  9. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 2
  10. क़ुमी, मुन्तहल आमाल, 1379 शम्सी, भाग 3, पेज 1893
  11. हुसैनी मदनी, तोहफ़ातुल अज़्हार, अल-तुरास अल-मकतूब, भाग 3, पेज 461-462
  12. हुसैनी मदनी, तोहफ़ातुल अज़्हार, अल-तुरास अल-मकतूब, भाग 3, पेज 461-462
  13. क़ुमी, मुन्तहल आमाल, 1379 शम्सी, भाग 3, पेज 1893
  14. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 10
  15. हिरज़ुद्दीन, मराक़िद अल-मआरिफ़, 1371 शम्सी, भगा 2, पेज 262 (फ़ुटनोट 2)
  16. क़रशी, मोसूआ सीरते अहले-बैत अल-इमाम अल-हसन अल-अस्करी, 1433 हिजरी, भाग 34, पजे 26
  17. क़ुमी, मुन्तहल आमाल, 1379 शम्सी, भाग 3, पेज 1891 क़रशी, मोसूआ सीरते अहले-बैत अल-इमाम अल-हसन अल-अस्करी, 1433 हिजरी, भाग 34, पजे 26
  18. उर्दूबादी, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), पेज 21
  19. क़रशी, मोसूआ सीरते अहले-बैत अल-इमाम अल-हसन अल-अस्करी, 1433 हिजरी, भाग 34, पजे 26
  20. क़ुमी, सफ़ीनातुल बहार, 1414 हिजरी, भाग 2, पेज 410 अमीन, आयानुश शिया, 1403 हिजरी, भाग 10, पेज 5
  21. अश्अरी क़ुमी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 101 नोबख़्ती, फ़िरक़ अल-शिया, 1404 हिजरी, पेज 94
  22. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 101
  23. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1363 शम्सी, भाग 50, पेज 246
  24. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1363 शम्सी, भाग 50, पेज 245
  25. नूरी, नजम उस साक़िब, 1384 हिजरी, भाग 1, पेज 272
  26. उर्दूबादी, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), 1427 हिजरी, पेज 50 के बाद
  27. सय्यद मुहम्मद
  28. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 520
  29. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 520-521
  30. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 520-521
  31. बदावी, सब्उल जज़ीरा, मरकज़े सब्उद दुजैल लिल तबलीग वल इरशाद, पेज 8
  32. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 521
  33. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 521
  34. आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रीआ, 1408 हिजरी, भाग 17, पेज 289
  35. फ़क़ीह बहरूल उलूम वा ख़ामेयार, जियारत गाहहाई इराक, भाग 1, पेज 522
  36. चंद तरह बाज़साज़ी हरम इमाम जादेह सय्यद मुहम्मद आमादा ए बहरा बरदारी
  37. अल-सोवरः एहबाते मुहावलते तफ़जीरे मरक़द (सय्यद मुहम्मद) फ़ी बलद... वा मक़तले सलासा इंतेहारेयीन अमामा बवाबते दूखूल अल-ज़ाएरीन
  38. चंद तरह बाज़साज़ी हरम इमाम जादेह सय्यद मुहम्मद आमादा ए बहरा बरदारी
  39. अल-सय्यद मुहम्मद बिन अल-इमाम अल-हादी अलैहिस सलाम
  40. उर्दूबादी, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), 1427 हिजरी, पेज 50
  41. उर्दूबादी, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), 1427 हिजरी, पेज 50 के बाद
  42. नोबख़्ती, फ़िरक़ अल-शिया, 1404 हिजरी, पेज 94
  43. उर्दूबादी, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), 1427 हिजरी, पेज 35
  44. आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रीआ, 1408 हिजरी, भाग 17, पेज 289
  45. आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रीआ, 1408 हिजरी, भाग 17, पेज 289-290

स्रोत

  • इब्ने सूफ़ी निसाबा, अल-मजदी फ़ी अंसाब अल-तालिबयीन, क़ुम, मकतबा आयतुल्लाह अल-मरअशी अल-नजफ़ी, 1422 हिजरी
  • उर्दूबादी, मुहम्मद अली, हयात व करामात अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अल-इमामम अली अल-हादी (अ), दार उल मोहज्जातुल बैय्ज़ा, 1427 हिजरी
  • अश्अरी क़ुमी, साद बिन अब्दुल्लाह, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, संशोधनः मुहम्मद जवाद मशकूर, तेहरान, मरकज़ ए इंतेशाराते इल्मी व फ़रहंगी, 1360 श्मसी
  • इस्फ़हानी, अब्दुल्लाह, सितारा ए दरख़शान मंतक़ ए दुजैल इराक – दरबार ए जिंदगी, फ़ज़ाइल व मकारिम इमाम ज़ादे सय्यद मुहम्मद, फ़रजंदे इमाम हादी (अ), दर मजल्ले फ़रहंग ज़ियारत, क्रमांक 24-25, दी माह 1393 शम्सी
  • अमीन, सय्यद मोहसिन, आयान अल-शिया, शोधः हुसैन अमीन, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1403 हिजरी
  • आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मुहम्मद मोहसिन, अल-ज़रिया एला तसानीफ अल-शिया, क़ुम व तेहरान, इस्माईलीयान व किताब खाना इस्लामीया, 1408 हिजरी
  • बदावी, अब्दुल्लाह अली हसन, सब्उल जज़ीरा इराक, मरकज सब्उद दुजैल लिलतबलीग वल इरशाद
  • हिरज़ुद्दीन, मुहम्मद, मराक़िद अल-मआरिफ़, हाशियाः मुहम्मद हुसैन हिरज़ुद्दीन, मंशूराते सईद बिन जबुरै, 1371 शम्सी
  • हुसैनी मदनी, ज़ामि बिन शदक़ुम, तोहफ़ातुल अज़्हार वा ज़ुलाल अल-अन्हार फ़ी नसबिल आइम्मातिल अत्हार, अल-तुरास अल-मकतूब
  • अल-सय्यद मुहम्मद बिन अल-इमाम अल-हादी अलैहिस सलाम, शब्का ए इमाम रज़ा, वीटीज 8 फ़रवरदीन 1399 शम्सी
  • सय्यद मुहम्मद, हज व ज़ियारात क़ुम, वीटीज 12 तीर 1399 शम्सी
  • अल-सौवरः एहबाते मुहावलते तफ़जीरे मरक़द (सय्यद मुहम्मद) फ़ी बलद... वा मक़तले सलासा इंतेहारेयीन अमाम बवाबते दुखूल अल-ज़ाएरीन, अल-आलम अल-जदीद, प्रकाशन 18 तीर 1395 शम्सी, वीजीट 17 इस्फ़ंद 1398 शम्सी
  • फ़क़ीह बहरूल उलूम वा खामेयार, मुहम्मद महदी वा अहमद, ज़ियारत गाहाए इराक (मोअर्रफ़ी ज़ियारत गाहाए मशहूर दर किश्वरे इराक), तेहरान, साज़माने हज व ज़ियारात
  • क़ुरशी, बाक़िर शरीफ़, मोसूअ सीरत अहले-बैत अल-इमाम अल-हसन अल-अस्करी, शोधः महदी बाक़िर क़ुरशी, नजफ़, मोअस्सेसा अल-इमाम अल-हसन, 1433 हिजरी
  • क़ुमी, अब्बास, सफ़ीनातुल बिहार वा मदीनातुल हकम वल आसार माअ ततीकिन नुसूसुल वारेदा अला बिहार अल अनवार, क़ुम, दार उल उसवा, 1414 हिजरी
  • क़ुमी, अब्बास, मुंतहल आमाल फ़ी तवारीख अल-नबी वा आल, क़ुम, दलीले मा, 1379 शम्सी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, शोधः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, तेहरान, दार उल कुतुब उल इस्लामीया, 1388 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार अल-जामेअते लेदोरारिल अखबार अल-आइम्मतिल अत्हार, तेहरान, इस्लामीया, 1363 शम्सी
  • मुफ़ीद, अल-इरशाद फ़ी मारफते हुजज अलल एबाद, क़ुम, कुंगरा ए शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • नोबख़्ती, हसन बिन मूसा, फ़िर अल-शिया, बैरूत, दार उल अज़्वा, 1404 हिजरी
  • नूरी, मिर्ज़ा हुसैन, नजम अल-साक़िब फ़ी अहवाल अल-इमाम अल-गायब, क़ुम, मस्जिद जमकरान, 1384 हिजरी