इज़राइल
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| आधिकारिक धर्म | यहूदियत \ ज़ायोनिज़्म | ||
|---|---|---|---|
| राजधानी | यरूशलम (क़ब्ज़े वाला क़ुद्स)/तेल अवीव | ||
| कुल जनसंख्या | 9 मिलियन 842 हज़ार लोग (2024)[१] | ||
| आधिकारिक भाषा | हिब्रू | ||
| मुस्लिम आबादी | 10 लाख 728 हज़ार लोग (वर्ष 2022) / शिया: 6,000 से 10,000 लोग | ||
| मुसलमानों का प्रतिशत | 18% (वर्ष 2022) | ||
| ऐतिहासिक घटनाएँ | 1948 में फिलिस्तीन पर कब्ज़ा | ||
| धार्मिक स्थल | रास अल-हुसैन (अस्क़लान) | ||
इज़राइल, या ज़ायोनी शासन (अरबीःإسرائيل أو الكيان الصهيوني), ने 1948 ई. में फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर कब्ज़ा करके ज़ायोनीवाद के विचार के आधार पर अपने अस्तित्व की घोषणा की। मुसलमान इज़राइल को एक जअली (नक़ली) शासन और इस्लाम का मुख्य दुश्मन मानते हैं। शिया न्यायविद इज़राइल के साथ किसी भी तरह के लेन-देन या संबंध को हराम मानते है और फ़िलिस्तीन से उस शासन को खदेड़ने का आह्वान करते है।
अधिकृत फ़िलिस्तीन और इज़रायल क्षेत्र में शामिल कुछ शिया केंद्र और धार्मिक स्थल इस प्रकार हैं: अस्क़लान में मक़ाम ए रास अल-हुसैन (अर्थात वह स्थान जहा पर इमाम हुसैन (अ) का सर रखा गया था), यरुशलम से याफ़ा जाने वाले रास्ते पर मक़ाम ए इमाम अली (अ), फ़ातिमा इमाम हुसैन (अ) की बेटी से मंसूब मज़ार, और सकीना इमाम हुसैन (अ) की बेटी से मंसूब मज़ार।
ऐसा कहा जाता है कि कुछ इज़राइली विश्वविद्यालयों में इस्लाम शनासी और शिया शनासी की पढ़ाई होती है। यरुशलम, हयफ़ा, तेल अवीव और बार-इलान यूनिवर्सिटीयो को इज़रायल में इस्लामी अध्ययन के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों का नाम दिया गया है।
इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सीरिया, इराक, मलेशिया, सऊदी अरब, यमन और ईरान (क्रांति के बाद) जैसे कई इस्लामी देश ज़ायोनी शासन को मान्यता नहीं देते हैं और उसके साथ राजनीतिक और व्यावसायिक संबंध नहीं रखते हैं।
इज़राइल की स्थापना और फ़िलिस्तीन पर कब्जे के परिणामस्वरूप कई फ़िलिस्तीनियों की मृत्यु और विस्थापन हुआ, फ़िलिस्तीन और आसपास के क्षेत्रों में प्रतिरोध और जन विद्रोह की धुरी का गठन हुआ तथा वैश्विक विरोध प्रदर्शन हुए। रिपोर्टों के अनुसार, 2023 ई. तक, फिलिस्तीन का 15 प्रतिशत से भी कम हिस्सा (ग़ज़्ज़ा पट्टी और वैस्ट बैंक के बिखरे हुए हिस्सों सहित) फिलिस्तीनी हाथों में रह गया था।
ज़ायोनीवादियों ने फ़िलिस्तीन में इज़राइल की स्थापना के लिए कई तर्क और कारण दिए हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि यहूदी चुने हुए लोग हैं और फ़िलिस्तीन यहूदियों के लिए वादा किया गया देश है। इसलिए, फ़िलिस्तीनी अरबों का निष्कासन यहूदियों और ज़ायोनीवादियों का अधिकार है। नरसंहार और "बिना लोगों के ज़मीन, बिना ज़मीन वाले लोगों के लिए" का नारा उनके अन्य तर्कों में से हैं।
1948 में अपने अस्तित्व की घोषणा के बाद से, इज़राइल ने फ़िलिस्तीन, लबनान और इस क्षेत्र के मुस्लिम देशों के लोगों पर बार-बार हमले किए हैं, और युद्ध छेड़े हैं जिनमें बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए और भारी विनाश हुआ है। इज़रायल ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों पर भी बार-बार हमले किए हैं, जिनमें 2008, 2012, 2014 और 2023 शामिल हैं। इस शासन ने फ़िलिस्तीन पर अपने क़ब्ज़े के दौरान फ़िलिस्तीन और आसपास के इलाकों में कई नरसंहार और हत्याएँ की हैं। फ़िलिस्तीनी सूचना केंद्र के अनुसार, 1948 से 2023 ई तक, ज़ायोनीवादियों ने 1,00,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों की हत्या की, जिसे उन्होंने नरसंहार कहा। इसके अलावा, समाचार एजेंसियों के अनुसार, इज़राइल ज़ायोनीवादियों ने 2,700 से ज़्यादा हत्याएँ की हैं, जिसके लिए इज़राइली ख़ुफ़िया एजेंसी (मोसाद) को "इज़रायल की क्रूर हत्या मशीन" कहा गया है।
शिया विद्वानों द्वरा इज़राइल का विरोध
शिया विद्वानों ने हमेशा इज़राइल की स्थापना का विरोध किया है और उसके अपराधों की निंदा की है। सय्यद मुहम्मद हादी मिलानी[२], इमाम खुमैनी[३] और मुहम्मद फ़ाज़िल लंकरानी[४] जैसे कुछ न्यायविदो के अनुसार इज़राइल के साथ किसी भी प्रकार का लेन-देन और इज़राइली वस्तुओं का उपभोग हराम है। सय्यद महसिन तबातबाई हकीम, सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई, आयतुल्लाह बुरूजर्दी, सय्यद अब्दुल हुसैन शरफ़ुद्दीन और सय्यद अबुल क़ासिम काशानी[५] और इमाम खुमैनी[६] जैसे एक अन्य समूह ने इज़राइल के अपराधों की निंदा की है और उस शासन को फ़िलिस्तीन से खदेड़ने का आह्वान किया है। 14वीं शताब्दी के शिया न्यायविद अब्दुल करीम ज़ंजानी ने 1948 ई./1327 शम्सी में इज़राइल राज्य के अस्तित्व की घोषणा और अरबों के साथ इज़राइली युद्ध के बाद इज़राइल के विरुद्ध जिहाद का फ़तवा जारी किया था।[७]
इमाम खुमैनी ने इज़राइल को इस्लाम, कुरआन और पैग़म्बर (स) का मुख्य दुश्मन बताया, जो इस्लामी देशों को लूटने में कोई भी अपराध करने से नहीं हिचकिचाता।[८] मुर्तज़ा मुताहरी के अनुसार, इज़राइल मुसलमानों का सबसे कट्टर और खतरनाक दुश्मन है।[९]
मैं इज़राइली स्वतंत्रता योजना का समर्थन करना और उसे मान्यता देना मुसलमानों के लिए एक आपदा और इस्लामी राज्यों के लिए एक विस्फोट मानता हूँ, और मैं इसका विरोध करना इस्लाम का एक महान कर्तव्य मानता हूँ।[१०]
इमाम मूसा सद्र इज़राइली शासन को एकाधिकार, अत्याचार, कब्ज़ा और निर्दयता का एक आदर्श प्रतीक मानते हैं।[११] आयतुल्लाह ख़ामेनेई ज़ायोनी शासन को एक हड़पने वाला और अपराधी,[१२] झूठा,[१३] बच्चों का हत्यारा और जल्लाद,[१४] जाअली (नक़ली),[१५] शिकारी और दुष्ट व्यक्ति,[१६] इस्लाम और मानवता का सबसे बुरा दुश्मन मानते हैं।[१७]
मुस्लिम देशों के इज़राइल के साथ संबंध
मुस्लिम देशों और इज़राइल के बीच संबंध उतार चढ़ाव के रहे हैं। इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सीरिया, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, कुवैत, लबनान, लीबिया, मलेशिया, ओमान, कतर, सोमालिया, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, यमन और ईरान (क्रांति के बाद) जैसे कई मुस्लिम देश ज़ायोनी शासन को मान्यता नहीं देते हैं।[१८]
हालाँकि, कुछ इस्लामी देशों ने इज़राइल के साथ अपने संबंधों को सामान्य कर लिया है, जिनमें मिस्र, जॉर्डन, बहरैन, संयुक्त अरब अमीरात, सूडान और मोरक्को शामिल हैं।[१९] तुर्की को इज़राइल के साथ संबंध और सहयोग स्थापित करने वाला पहला मुस्लिम देश माना जाता है। तुर्की ने मार्च 1949 ई में इज़राइल को मान्यता दी और 1952 ई में उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए।[२०]
ईरान ने मार्च 1950 ई में इज़राइल को मान्यता दी और उसके साथ राजनीतिक संबंध स्थापित किए।[२१] दो साल बाद, मुहम्मद मुसद्दिक़ के सत्ता में आने के साथ, सरकार ने आधिकारिक तौर पर इज़राइल के साथ संबंध तोड़ लिए।[२२] मुहम्मद रज़ा पहलवी के शासनकाल के दौरान, ईरानी-इज़राइली संबंध फिर से शुरू हुए और सितंबर 1967 में, ईरान में आधिकारिक तौर पर इज़राइली दूतावास खोला गया, जो ईरान की इस्लामी क्रांति तक सक्रिय रहा।[२३] 22 फरवरी 1979 ई को ईरान की इस्लामी क्रांति की जीत के साथ, ईरान ने इज़राइल के साथ संबंध तोड़ दिए और इज़राइली दूतावास फिलिस्तीनी दूतावास बन गया।[२४]
इज़राइल में इस्लाम और शिया शनासी का अध्ययन
शियावाद और ईरान को इज़राइली विश्वविद्यालयों में शोध के विषयों के रूप में पहचाना गया है।[२५] "इस्लामिक स्टडीज़ इन इज़राइल" पुस्तक में कहा गया है कि इज़राइल ने दुनिया भर के कई शैक्षणिक केंद्रों और प्रमुख हस्तियों को संगठित करके अपनी शोध गतिविधियों का एक बड़ा हिस्सा इस्लाम, इस्लामी संप्रदायों, मुसलमानों और इस्लामी समाजों को समर्पित किया है।[२६]
महदीवाद भी उन विषयों में से एक है, जिसका, कुछ लोगों के अनुसार, ज़ायोनी यहूदियों द्वारा प्राच्यवादी शोध में आलोचनात्मक और पक्षपाती दृष्टिकोण से, और इसके ऐतिहासिक और कथात्मक आधारों और दस्तावेजों को कमज़ोर करके, और अधिक अध्ययन किया गया है।[२७] इज़राइली प्राच्यवादी, महदीवाद सहित शिया मुद्दों का एक संशयवादी दृष्टिकोण से विश्लेषण करने और शिया इतिहास में अस्पष्ट और संदिग्ध मुद्दों को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं।[२८]

यरुशलम, हयफ़ा, तेल अवीव और बार-इलान विश्वविद्यालयों को इज़राइल में इस्लामी अध्ययन के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों के रूप में नामित किया गया है।[२९] रिपोर्टों के अनुसार, यरुशलम में स्थित इज़राइल के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक, यरुशलम की हिब्रू यूनीवर्सिटी, शिया अध्ययन में एक विशेष विभाग संचालित करता है।[३०] इज़राइल की सबसे बड़ी यूनीवर्सिटी, तेल अवीव यूनीवर्सिटी को भी इस्लामी अध्ययन और शिया अध्ययन विभाग के रूप में पहचाना गया है।[३१]
इतान कोहलबर्ग की पुस्तक "अक़ीदा व फ़िक़्ह दर शिया इमामिया",[३२] ज़ोज़िफ इलयास की "शिया इमामिया बा निगाह बे सुन्नत रिवाई आनान",[३३] और सबाइन श्मिटके की "कलाम, फ़लसफा व इरफ़ान शिया दवाजदेह इमामी", जिन्हें 2002 में इस्लामी गणराज्य ईरान का विश्व पुस्तक पुरस्कार मिला,[३४] इज़राइली शिया विद्वानों की महत्वपूर्ण कृतियों में से हैं। इज़राइल में इस्लामी अध्ययन के लक्ष्य इस प्रकार हैं:
- इस्लाम धर्म, मुसलमानों और उनके संप्रदायों को समझना ताकि इज़राइली सरकार और विश्व की महाशक्तियों को इस्लामी देशों पर प्रभुत्व स्थापित करने में मदद मिल सके;
- इस्लामी संप्रदायों के बीच मतभेदों के मुद्दों को समझना और उनका उपयोग उन संप्रदायों के अनुयायियों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए करना;
- इस्लामी देशों और समाजों को प्रभावित करने के तरीकों को समझना।[३५]
अधिकृत फ़िलिस्तीन में शियो और शिया स्थानों की स्थिति
इज़राइल के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में रहने वाले शियो की संख्या के बारे में कोई सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। अधिकृत यरुशलम सांख्यिकी केंद्र ने 2007 में आधिकारिक शियो की संख्या 600 घोषित की थी; लेकिन यह आँकड़ा सटीक नहीं माना जाता क्योंकि कई शिया इज़राइली सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पहचाने जाने के डर से अपनी शिया पहचान छिपाते हैं। यमन के चैनल हफ़्त ने उसी वर्ष शियो की संख्या 6,000 घोषित की थी। यह संख्या 10,000 तक भी बताई गई है।[३६]
ऐसा कहा जाता है कि इज़राइल के अस्तित्व की घोषणा के बाद से ही शिया इज़राइल में रह रहे हैं, और "अब्दुर राफ़ेअ की संतान" और "हक़ीक़ी शिया" जैसे शिया समूह गुप्त रूप से सक्रिय हैं।[३७] 2022 में अधिकृत क्षेत्रों (इज़राइल) में रहने वाले मुसलमानों की संख्या 1,728,000 घोषित की गई थी।[३८]
अधिकृत क्षेत्रों में अहले-बैत से संबंधित स्थान

इज़राइल के शिया केंद्रों में अस्क़लान मे मक़ाम ए रास उल हुसैन भी शामिल है, जिसे कुछ शोधकर्ताओं ने अधिकृत फ़िलिस्तीन में अहले-बैत (अ) से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध दरगाह माना है।[३९] इस स्थान की प्रसिद्धि और महत्व का कारण यह है कि, कुछ लोगों के अनुसार, यहाँ इमाम हुसैन (अ) का सिर दफ़न है।[४०] ऐसा कहा जाता है कि छठी शताब्दी हिजरी के मध्य में इमाम का सिर क़ाहिरा स्थानांतरित कर दिया गया था; लेकिन अस्क़लाम मे मक़ाम ए रास उल हुसैन लोगों द्वारा सम्मान और ज़ियारत गाह बना हुआ है।[४१]
इमाम अली (अ) से संबंधित कई स्थान हैं; इनमें यरुशलम से याफ़ा (तेल अवीव) जाने वाले मार्ग पर स्थित इमाम अली (अ) की दरगाह और मज़ार भी शामिल है, जिसे नष्ट कर दिया गया है। नाब्लस शहर में, रामल्लाह के पश्चिम में बदरस गाँव में, अक्का शहर में और लुद शहर में इमाम अली (अ) की एक दरगाह भी है।[४२] अल-खलील शहर में, फ़ातिमा इमाम हुसैन (अ) की बेटी की एक दरगाह है, और तिबरिया शहर में, सकीना इमाम हुसैन (अ) की बेटी की एक दरगाह है।[४३]
अधिकृत फ़िलिस्तीन और इज़राइल के अस्तित्व की औपचारिक घोषणा
- मुख्य लेख: अधिकृत फ़िलिस्तीन
14 मई, 1948 को, फ़िलिस्तीन पर ब्रिटिश शासनादेश की समाप्ति के साथ,[४४] इज़राइल राज्य के जनक और निर्माता डेविड बेन-गुरेयुन (David Ben-Gurion)[४५]ने तेल अवीव असेंबली हॉल में यहूदी राज्य इज़राइल की स्वतंत्रता और स्थापना की घोषणा की।[४६]उसके बाद से फ़िलिस्तीन पर आधिकारिक कब्ज़ा शुरू हुआ।[४७]
इज़राइल के अस्तित्व की घोषणा के एक दिन बाद, पाँच अरब देशों (मिस्र, लबनान, सीरिया, जॉर्डन और इराक)[४८] की सेनाओं ने फ़िलिस्तीन के समर्थन में इज़राइल के साथ युद्ध में प्रवेश किया।[४९] इस युद्ध के बाद, अधिकृत क्षेत्रों का क्षेत्रफल 78% तक पहुँच गया।[५०]
रिपोर्टों के अनुसार, 2023 ई. तक फ़िलिस्तीनी क्षेत्र (ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी तट के बिखरे हुए हिस्सों सहित) का 15 प्रतिशत से भी कम हिस्सा फ़िलिस्तीनी हाथों में रह गया था, और शेष क्षेत्रों पर ज़ायोनी शासन का उदय हो चुका था।[५१]
जिस दिन इज़राइल को एक राज्य घोषित किया गया था, उसे फ़िलिस्तीनियों के बीच "नकबत" या "आपदा" दिवस के रूप में जाना जाता है, और वे हर साल इस दिन की निंदा करते हैं और इस दिन प्रदर्शन करते हैं।[५२] यरुशलम और फ़िलिस्तीन पर अपने कब्ज़े के कारण इज़राइल को यरुशलम पर कब्ज़ा करने वाला शासन या ग़ासिब इज़राइली शासन कहा जाता है।[५३]



इज़राइल के अस्तित्व की घोषणा के परिणाम
इज़राइल के अस्तित्व की आधिकारिक घोषणा और फ़िलिस्तीन पर कब्ज़े के फ़िलिस्तीन और इस्लामी दुनिया पर परिणाम हुए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
फ़िलिस्तीनी लोगों की हत्या और विस्थापन: फ़िलिस्तीन सूचना केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1948 ई. से 2023 ई. तक फ़िलिस्तीन पर कब्ज़े के परिणामस्वरूप 1,00,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं।[५४] इस केंद्र ने आनरवा का हवाला देते हुए 2020 ई तक फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की संख्या 64 लाख घोषित की है।[५५]
प्रतिरोध और जन-विद्रोह की धुरी का गठन: फ़िलिस्तीन और उसके आसपास के क्षेत्रों पर कब्ज़े के बाद, इज़राइल का सामना करने के लिए विभिन्न आंदोलन और संगठन जैसे 1959 ई में फ़तह आंदोलन,[५६] 1964 ई. में फ़िलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ),[५७] 1979 ई. में इस्लामी जेहाद आंदोलन फ़िलिस्तीन,[५८] और 1987 ई. में फ़िलिस्तीन में हमास आंदोलन[५९] और 1975 ई. में आमुल आंदोलन[६०]और 1982 ई. में हिज़्बुल्लाह लबनान[६१] का गठन किया गया।
अपनी ज़मीन पर कब्ज़े के दौरान फ़िलिस्तीनी लोगों ने कई बार इज़राइल के ख़िलाफ़ विद्रोह किया है।[६२] फ़िलिस्तीन में भी तीन इंतिफ़ादा हुए हैं: पहला इंतिफ़ादा (पत्थर इंतिफ़ादा) 1987 ई. में, दूसरा इंतिफ़ादा (अल-अक्सा इंतिफ़ादा) सितंबर 2000 ई में, और तीसरा इंतिफ़ादा (क़ुद्स इंतिफ़ादा) 1 अक्टूबर, 2015 ई को हुआ।[६३]
यह भी देखें: प्रतिरोध की धुरी
इज़राइल की स्थापना के लक्ष्य

मध्य पूर्व में यहूदी पहचान और एक प्रमुख क्षेत्रीय महाशक्ति के साथ एक महान राज्य (ग्रेटर इज़राइल) की स्थापना को इज़राइली शासन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बताया गया है।[६४] फ्रांसीसी लेखक और राजनीतिज्ञ रोजर गारौडी का मानना है कि ज़ायोनीवादियों का मूल लक्ष्य सभी यहूदियों को "मौऊद सर ज़मीन"[६५] में प्रवासित करना और फ़िलिस्तीन में एक यहूदी राज्य की स्थापना करना है।[६६] इमाम खुमैनी के अनुसार, फ़िलिस्तीन में इज़राइल की स्थापना का लक्ष्य इस्लामी दुनिया पर प्रभुत्व स्थापित करना और इस्लामी भूमि पर उपनिवेश स्थापित करना था।[६७]
इज़राइल की स्थापना के ज़ायोनीवादी कारण
"उनका दावा है कि तीन हज़ार साल पहले, हम दोनो [दाऊद और सुलैमान] ने कुछ समय के लिए वहाँ शासन किया था... इन दो-तीन हज़ार सालों में, फ़िलिस्तीन की ज़मीन यहूदियों की कब थी? ... इस्लाम से पहले यह उनकी नहीं थी, और इस्लाम के बाद भी यह उनकी नहीं रही। जिस दिन मुसलमानों ने फ़िलिस्तीन पर विजय प्राप्त की, फ़िलिस्तीन यहूदियों के नहीं, बल्कि ईसाइयों के हाथों में था। और वैसे, जब ईसाइयों ने मुसलमानों के साथ शांति स्थापित की, तो उन्होंने शांति संधि में एक बात यह भी शामिल की कि यहूदियों को यहाँ प्रवेश न दिया जाए। अचानक इसे यहूदी मातृभूमि का नाम कैसे मिल गया?"[६८]
ज़ायोनीवादियों ने फ़िलिस्तीन पर कब्ज़ा करने और वहाँ इज़राइल राज्य की स्थापना के लिए कारण और औचित्य बताए हैं, जिन्हें इज़राइल के मिथक या किंवदंतियाँ भी कहा जाता है।[६९] इन कारणों के धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों पहलू हैं: उनके धार्मिक कारणों में से एक यह है कि फ़िलिस्तीन "मौऊद सर ज़मीन" है,[७०] जिसके बारे में सिफ़्र पैदायश मे इब्राहीम (अ) के वंशजों को दिए जाने की बात कही गई है।[७१] ज़ायोनी दृष्टिकोण से, किसी विशिष्ट समूह को दिए गए देश से दूसरों को बेदखल करना न केवल एक अधिकार है, बल्कि एक कर्तव्य भी है।[७२]
होलोकॉस्ट ज़ायोनीवादियों के लिए गैर-धार्मिक कारणों में से एक है, और वे इसे इज़राइल राज्य की स्थापना का औचित्य और मुख्य कारण मानते हैं;[७३]यहाँ तक कि यह भी कहा गया है कि इज़राइल राज्य की स्थापना महान बलिदान के प्रति अल्लाह की प्रतिक्रिया थी।[७४]यहूदियों का मानना है कि इसी घटना में द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ियों ने साठ लाख यहूदियों को मार डाला था। हिटलर मारा गया था।[७५]इस घटना ने ज़ायोनीवादियों को अपने अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मुआवज़े की माँग करने पर मजबूर कर दिया। यूरोपीय लोगों ने इस क्षति की भरपाई के बहाने उनके लिए एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की भी सोची।[७६]हालाँकि, आलोचक इस यहूदी दावे और उनकी मृत्यु से संबंधित आंकड़ों को खारिज करते हैं।[७७]
युद्ध, नरसंहार और हत्याएँ
इज़राइल ने फ़िलिस्तीन, लबनान और क्षेत्र के मुस्लिम देशों के लोगों पर बार-बार हमले किए हैं और ऐसे युद्ध छेड़े हैं जिनके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए हैं और भारी विनाश हुआ है।[७८] 13 जून 2025 ई को, इज़राइल ने ईरान के विरुद्ध बारह-दिवसीय युद्ध शुरू किया, जिसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकना[७९] और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से नष्ट करना था।[८०]

इज़राइल ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों पर भी बार-बार हमला किया, जिसमें 2008 ई में 22-दिवसीय युद्ध, 2012 ई. में 8-दिवसीय युद्ध और 2014 ई. में 51-दिवसीय युद्ध शामिल हैं।[८१] अक्टूबर 2023 में, इज़राइल ने ऑपरेशन तूफ़ान अल-अक़्सा के जवाब में ग़ज़्ज़ा पट्टी पर हमला किया, जिसने 18 जनवरी, 2025 तक 47,000 से अधिक लोगों को मार डाला, 110,000 को घायल कर दिया और 11,000 से अधिक को लापता कर दिया।[८२] मृतकों में 17,000 से अधिक बच्चे और 12,000 से अधिक महिलाएं थीं।[८३]
“हाल के मानवीय अपराधों में, इस परिमाण और तीव्रता का कोई अपराध नहीं है। किसी देश पर कब्ज़ा करना और लोगों को उनके घरों और पैतृक ज़मीनों से स्थायी रूप से बेदखल करना, हत्या और अपराध के सबसे जघन्य रूपों के साथ, फसलों और पीढ़ियों का विनाश, और दशकों तक इस ऐतिहासिक उत्पीड़न का जारी रहना, वास्तव में मानवीय दुष्टता और बुराई का एक नया कीर्तिमान है।”[८४]
सामूहिक हत्याएँ
- मुख्य लेख: इज़राइली नरसंहारो की सूची
इज़राइल ने फ़िलिस्तीन पर अपने कब्ज़े के दौरान फ़िलिस्तीन और आसपास के इलाकों में कई नरसंहार किए हैं। कुछ समाचार एजेंसियों ने 120 मामलों का हवाला दिया है।[८५] फ़िलिस्तीन सूचना केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1948 ई से 2023 ई. तक, ज़ायोनीवादियों द्वारा 1,00,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए।[८६] फ़िलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इज़राइल के अपराधों और ज़ायोनी शासन द्वारा नागरिकों और बच्चों की हत्या को नसल कुशी कहा गया है।[८७]
हत्याएँ
- मुख्य लेख: '''हत्या'''
समाचार एजेंसी के आँकड़ों के अनुसार, इज़राइली ज़ायोनीवादियों ने अपने पूरे अस्तित्व में 2,700 से ज़्यादा हत्याएँ की हैं।[८८] अंग्रेज़ी समाचार पत्र द इंडिपेंडेंट ने "दुनिया के सबसे ख़तरनाक हत्यारे" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में इज़राइली ख़ुफ़िया एजेंसी (मोसाद) को "इज़राइल की निर्मम हत्या मशीन" कहा है।[८९] इस शासन की हत्याएँ सिर्फ़ फ़िलिस्तीनियों और प्रतिरोध के नेताओं व कार्यकर्ताओं तक ही सीमित नहीं थीं; बल्कि, उन्होंने दुनिया भर के कई राजनीतिक नेताओं और वैज्ञानिकों की हत्याएँ की हैं।[९०] मारे गए कुछ लोगों में हिज़्बुल्लाह लबनान के दूसरे महासचिव सय्यद अब्बास मूसवी; हिज़्बुल्लाह कमांडर एमाद मुग़निया; लबनानी प्रतिरोध के शहीदों के शेख़ के रूप में जाने जाने वाले शिया धर्मगुरु राग़िब हर्ब; फ़िलिस्तीन मुक्ति संगठन के सदस्य समीर क़िन्तार; इस्लामिक जिहाद के संस्थापक फ़त्ही शक़ाक़ी; और हमास नेता शेख़ अहमद यासीन शामिल हैं।[९१] ज़ायोनी शासन ने 2024 में लबनान और हमास में हिज़्बुल्लाह के कई नेताओं और कमांडरों की भी हत्या कर दी, जैसे सय्यद हसन नसरूल्लाह, इस्माईल हनिया, यहया सिनवार, फ़वाद शुक्र और इब्राहिम अक़ील; और जून 2025 में, कई वरिष्ठ ईरानी सैन्य कमांडरों, जैसे मुहम्मद बाक़री, हुसैन सलामी, अमीर अली हाजी ज़ादेह और गुलाम अली राशिद, और कुछ परमाणु वैज्ञानिकों, जैसे फ़रीदून अब्बासी और मुहम्मद महदी तेहरानची, की हवाई बमबारी से हत्या कर दी।[९२] दस्तावेज़ों और रिपोर्टों के अनुसार, इज़राइली ख़ुफ़िया संगठन (मोसाद) भी ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों, जैसे मसूद अली मुहम्मदी, माजिद शहरियारी, मुस्तफ़ा अहमदी रोशन, दारयूश रेज़ाईनेजाद और मोहसिन फ़ख़्रीज़ादेह की हत्या में शामिल रहा है।[९३]
अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और प्रस्तावों का उल्लंघन
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का विरोध करने के लिए इज़राइल को विश्व रिकॉर्ड धारक घोषित किया गया है।[९४] ऐसा कहा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 1948 ई. से 2016 ई. तक इज़राइल की निंदा करते हुए 102 से ज़्यादा प्रस्ताव पारित किए, और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने 2006 ई. से 2023 ई. तक इज़राइल की निंदा करते हुए 104 प्रस्ताव पारित किए।[९५] इज़राइल के समर्थन में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1972 ई. से 1996 ई. तक तीस बार इज़राइल की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों पर वीटो लगाया।[९६] इज़राइल के कार्यों की निंदा करते हुए पारित किए गए प्रस्तावों में शामिल हैं:
- सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 242: इस प्रस्ताव में, 22 नवंबर, 1967 ई. को, सुरक्षा परिषद ने 1967 ई. में अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों से ज़ायोनी शासन की सेनाओं को वापस बुलाने का आह्वान किया।[९७]
- 22 नवंबर, 1974 ई. को प्रस्ताव 3236: इस प्रस्ताव ने फ़िलिस्तीनियों के लिए फ़िलिस्तीन में आत्मनिर्णय और संप्रभुता के अधिकार और विस्थापितों को उनकी भूमि पर लौटने के अधिकार को मंजूरी दी; लेकिन इज़राइल ने इसका उल्लंघन किया।[९८]
- 10 नवंबर, 1975 ई. के प्रस्ताव 3379 ने ज़ायोनीवाद को नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता दी।[९९]
- 23 दिसंबर, 2016 ई. का सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2334: इस प्रस्ताव ने अधिकृत क्षेत्रों में इज़राइल की बस्तियों की गतिविधियों की निंदा करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया।[१००]
संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायिक निकाय, हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 19 जुलाई, 2024 ई. को घोषणा की कि फिलिस्तीनी भूमि पर इज़रइयल का क़ब्जा अंतर्राष्ट्रीय कानून के विपरीत है और इज़राइल से अपनी बस्तियाँ बसाने की गतिविधियों को रोकने और फ़िलिस्तीन पर अपने अवैध कब्जे को समाप्त करने का आह्वान किया। [१०१]
परमाणु वार्ता समाप्त होने के बाद, मैंने अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनीवादियों को यह कहते सुना कि फ़िलहाल, इन वार्ताओं के साथ, हम 25 वर्षों के लिए ईरान की चिंताओं से मुक्त हैं... मैं जवाब दूँगा... आप [इज़राइल] अगले 25 वर्ष नहीं देख पाएँगे। इंशाल्लाह अगले 25 वर्षों में, अल्लाह की तौफ़ीक़ से और अल्लाह के फ़ज़्ल से, इस क्षेत्र में ज़ायोनी शासन जैसी कोई चीज़ नहीं रहेगी।[१०२]
मोनोग़्राफ़ी
इज़राइल के गठन के इतिहास, उसकी नीतियों, युद्धों और उससे जुड़े मुद्दों पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- दानिशनामा ज़ायोनिज़्म और इज़राइल: यह कृति ज़ायोनिज़्म और इज़राइल की पहचान करने के उद्देश्य से माजिद सफ़ाताज द्वारा छह भागो और 1900 प्रविष्टियों में संकलित की गई थी और आर्वन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है;
- सियासत व दयानत दर इज़राइल, अब्दुल फ़त्ताह मुहम्मद माज़ी द्वारा लिखित और गुलाम रज़ा तहामी द्वारा अनुवादित: यह पुस्तक पहली बार सना प्रकाशन द्वारा 2002 में प्रकाशित हुई थी;
- तू ज़ूदतर बेकुशः रूनीन बर्गमैन द्वारा लिखित और वहीद ख़ज़ाब द्वारा अनुवादित चार खंडों का संग्रह: यह पुस्तक मोसाद हत्याकांड के साठ वर्षों से इज़राइली परिचालन और खुफिया बलों का वृत्तांत है; शहीद काज़मी पब्लिशिंग हाउस, क़ुम द्वारा 2020 मे प्रकाशित हुई।
- माजरा ए फिलिस्तीन व इज़राइलः मजीद सफ़ाताज द्वारा लिखित, तेहरान, इस्लामिक कल्चर पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रथम संस्करण 2001 मे प्रकाशित हुआ।
- दह ग़लत मशहूर दरबारा ए इज़राइल (ऐसी बातें जो कई लोग सच मानते हैं, लेकिन सच नहीं हैं): इज़राइली इतिहासकार इलान पापे द्वारा लिखित तखा वहीद ख़ज़ाब द्वारा अनुवादित। यह पुस्तक उन दस मिथकों और भ्रांतियों की आलोचनात्मक जाँच करती है जिन पर इज़राइल का निर्माण हुआ था।[१०३] इन भ्रांतियों में से एक ज़ायोनिज़्म को यहूदी धर्म और ज़ायोनिज़्म-विरोध को यहूदी-विरोध के समान समझना, जिसका खंडन इस पुस्तक के तीसरे अध्याय में किया गया है।[१०४] यह पुस्तक पहली बार 2020 में मारफ़त किताबिस्तान द्वारा प्रकाशित की गई थी;
- इस्लाम पुजूही दर इसराइल, अकबर महमूदी द्वारा लिखित: यह पुस्तक इस्लामी अध्ययन और इज़राइल में इस्लाम पुज़ूही पर सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों, व्यक्तियों, कार्यों और शोध का परिचय देती है।[१०५]
फ़ुटनोट
- ↑ jewish virtual library. ,«Vital Statistics: Latest Population Statistics for Israel»
- ↑ पाक निया तबरेज़ी, उलेमा ए शिया व दिफ़ा अज़ मुक़द्दस शरीफ़, पेज 160-161
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 2, पेज 139
- ↑ मोहतशमीपूर, मुरूरी बर शकल गीरी रज़ीम इशग़ालगर क़ुद्स, पेज 122
- ↑ देखेः पाकनिया तबरेज़ी, उलेमा ए शिया व दिफ़ा अज़ मुक़द्दस शरीफ़, पेज 156-163
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 2, पेज 139, भाग 6, पेज 469
- ↑ सरहदी, उलमा ए कि निसबत बे मस्अले फ़िलिस्तीन वाकनुश निशान दादंद, पुज़ूहिशकदे तारीख मआसिर
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 19, पेज 28
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 26, पेज 340
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 16, पेज 293
- ↑ इज़राइल बातिल मुतलक अस्त, साइट मोअस्सेसा तहक़ीक़ाती फ़रहंगी इमाम मूसी सद्र
- ↑ सुखंरानी तिलवीज़यूनी बे मुनासेबत रोज़े जहानी क़ुद्स, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ़्तर हिफ़्ज व नशर आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ बयानात दर मरासिम गुशाइश कुंफ़्रांस बैनुल मिल्ली हमायत अज़ इंतेफ़ाज़ा फ़िलिस्तीन, पाएगाह इत्तेला रसानी दफ़्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ बयानात दर दीदार मसऊलान निज़ाम व सुफ़राए किशवरहाए इस्लामी, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई बयानात दर दीदार दस्त अंदरकारान दोव्वूमीन कुंगरे मिल्ली शोहदा ए वरज़िशकारान , पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ बयानात दर दीदार मस्ऊलान निज़ाम व सुफ़राए किश्वरहाए इस्लामी, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ https://farsi.khamenei.ir/speech-content?id=45665
- ↑ बयानात दर दीदार जमई अज़ ख़ानवादेहाए शोहदा व आज़ादगान, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ दहक़ान, आशनाई इजमाली बा रज़ीम ग़ासिब कूदक कुश इज़्राइल, रोजनामा अत्रक, तारीख 9 उरदीबहिश्त 1401; शमसी तौफ़ीक़ी, कुदाम किश्वरहा इज़राइल रा बे रस्मीयत नमी शनासंद, खबरगुज़ारी रूईदाद 24
- ↑ तौफ़ीक़ी, कुदाम किश्वरहा इज़राइल रा बे रस्मीयत नमी शनासंद, खबरगुज़ारी रूईदाद 24
- ↑ मोअस्सेसा तहक़ीक़ात व पुज़ूहिशहाए सियासी-इल्मी निदा, मुरूरी बर रवाबित खारज़ी रज़ीम सहयोनिस्ती, 1389 शम्सी, पेज 337
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- ↑ स्वीडन, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्विर तारीख यहूदीयत व सहयोनीस्म, 1391 शम्सी, पेज 388
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- ↑ देखेः स्वीडन, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्विर तारीख यहूदीयत व सहयोनीस्म, 1391 शम्सी, पेज 399
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- ↑ मुतालेआत इस्लाम शनासी व शिया शनासी दर दानिशगाह तेलअबीब, वेबगाह इत्तेला रसानी हौज़ा
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- ↑ मोअतज़, शिया दर इज़राइल, दो हफ्ता नामा, पेगाह हौज़ा
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- ↑ ख़ामेयार, मज़ारात अहले बैत पयाम्बर (स) दर उरदन व फ़िलिस्तीन इशग़ाली, पेज 183
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- ↑ देखेः ख़ामेयार, मज़ारात अहले बैत पयाम्बर (स) दर उरदन व फ़िलिस्तीन इशग़ाली, पेज 182 और 183; अज़ आसार ए इस्लामी अहले-बैत (अ) दर फ़िलिस्तीन चे मी दानीम ? खबर गुज़ारी रज़वी
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- ↑ देखेः ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 15, पेज 151, 154, 160, 162 भाग 16, पेज 399 मोहतशमी पूर, मुरूरी बर शक्ल गीरी रज़ीम इशग़ालगर क़ुद्स, पेज 100, 116 और 122
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- ↑ 75 साल अज़ फ़ाजा ए नकबत (इशग़ाले फ़िलिस्तीन) गुज़श्त, मरकज़ इत्तेलाअ रसानी फ़िलिस्तीन
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- ↑ मालकी व रशीदी, जेहाद इस्लामी जुम्बिश, पेज 437
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- ↑ तौफ़ीक़ीयान, हिज़्बुल्लाह नेमाद इज़्ज़त व इक़्तेदार लबनान, वेबगाह पुजूहे
- ↑ मुरूरी बर तारीख मुबारेज़ात मरदुमी फ़िलिस्तीन अज़ 1967 ई ता 2022, वेबगाह मरकज़ अस्नाद इंक़ेलाब इस्लामी
- ↑ मुरूरी बर तारीख मुबारेज़ात मरदुमी फ़िलिस्तीन अज़ 1967 ई ता 2022, वेबगाह मरकज़ अस्नाद इंक़ेलाब इस्लामी
- ↑ देखेः सफ़ाताज, माज राए फ़िलिस्तीन व इज़राइल, 1381 शम्सी, पेज 164 रूयाय सहयोनिस्तीहा दर तासीस इज़राइल बुजुर्ग चेगूने बर बाद रफ़्त, खबरगुज़ारी फ़ार्स, ख़ुमैनी सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 21, पेज 398, फ़ुटनोट 2
- ↑ गारवदी, मुहाकमा सहयोनीज़्म इज़राइल, 1384 शम्सी, पेज 41
- ↑ गारवदी, तारीख यक इरतेदाद, 1377 शम्सी, पेज 75, 76 और 82; गारवदी, मुहाकमा सहयोनीज़्म इज़राइल, 1384 शम्सी, पेज 66
- ↑ ख़ुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 1389 शम्सी, भाग 3, पेज 2
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- ↑ देखेः गारवदी, तारीख यक इरतेदाद, 1377 शम्सी, पेज 13-17, 33, 35 और 47-50; पाया, ईदा ए इज़राइल, 1398 शम्सी, पेज 152
- ↑ फ़िरोज़ाबादी, कश्फ़ उल असरार सहयोनीज़्म, 1393 शम्सी, पेज 25; सज्जादी, पैदाइश व तदावुम सहयोनीज्म, 1386 शम्सी, पेज 45
- ↑ गारवदी, तारीख यक इरतेदाद, 1377 शम्सी, पेज 37, 38 और 187
- ↑ गारवदी, मुहाकमा सहयोनीज़्म इज़राइल, 1384 शम्सी, पेज 41
- ↑ गारवदी, मुहाकमा सहयोनीज़्म इज़राइल, 1384 शम्सी, पेज 76
- ↑ गारवदी, तारीख यक इरतेदाद, 1377 शम्सी, पेज 171
- ↑ स्वीडन, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्वर तारीख यहूदीयत व सहयोनीस्म, 1391 शम्सी, पेज 297
- ↑ फ़िरोज़ाबादी, कश्फ़ उल असरार सहयोनीज़्म, 1393 शम्सी, पेज 28
- ↑ स्वीडन, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्वर तारीख यहूदीयत व सहयोनीस्म, 1391 शम्सी, पेज 297-298
- ↑ देखेः अज़ अमलयात सलामत अल जलील व शक्ल गीरी हिज़्बुल्लाह ता खूशेहाए खश्म, खबरगुज़ारी तसनीम; परवंदा ए संगीन जिनायत हाए आर्तिश इज़राइल, खबर गुज़ारी मेहेर
- ↑ जुज़्ईयात 5 मौज अमलयात मूशकी ईरान अलैहे इज़राइल अज़ शब गुज़श्ते ता अकनून + तसावीर, नूर न्यूज़
- ↑ अक्सीयूसः इज़राइल अज़ आमरीका दरख़ास्त कर्द बे हमलात अलैहे ईरान बेपेवंदद, यूरो न्यूज़
- ↑ देखेः परवंदा ए संगीन जिनायत हाए आर्तिश इज़राइल, खबरगुज़ारी मेहेर; दहहा जनायत अज़ बुजुर्गतरीन जानी ए जहान, खबरगुज़ारी मश्रिक़
- ↑ हमलात 15 माहे इज़राइल बे गज़्ज़ाः कुश्ते शुदन 47 हज़ार फ़िलिस्तीनी व वीरानी ज़ेर साख्तहा, खबरगुज़ारी आनातोली
- ↑ हमलात 15 माहे इज़राइल बे गज़्ज़ाः कुश्ते शुदन 47 हज़ार फ़िलिस्तीनी व वीरानी ज़ेर साख्तहा, खबरगुज़ारी आनातोली
- ↑ सुखनरानी तिलवीज़यूनी बे मुनासबत रोज़े जहानी क़ुद्स, दफ्तर हिफ्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई
- ↑ देखेः दहहा जनायत अज़ बुजुर्गतरीन जानी ए जहान, खबरगुज़ारी मश्रिक़
- ↑ 75 साल अज़ फ़ाजा ए नकबत (इश्ग़ाल ए फ़िलिस्तीन) गुज़्श्त, मरकज इत्तेला रसानी फ़िलिस्तीन
- ↑ देखेःनुमायंदेगान पारलीमान उरुपा हमलात इज़राइल अलैहे ग़ज़्ज़ा रा नस्ल कुशी दानिस्तंद, खबरगुज़ारी आनातोली; Ayyash, A genocide is under way in Palestine, Al Jazeera Media Network
- ↑ मोहिमतरीन तेरोरहाए अंजाम शुदे तवस्सुत इज़राइल दर सरासर जहान, पाएगाह खबरी जमारान बीश अज़ 2700 तेरोर हदफ़मंद मीरास शूम इज़राइल, खबरगुज़ारी जम्हूरी इस्लामी
- ↑ The world's deadliest assassins, Irish independent
- ↑ निगाही बर जनायात रज़ीम सहयूनीस्ती दर 86 साल गुज़श्ते, खबरगुज़ारी फ़ार्स
- ↑ देखेः स्वीडन, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्वर तारीख यहूदीयत व सहयोनीस्म, 1391 शम्सी, पेज 346-347; बीश अज़ 2700 तेरोर हदफमंद मीरास शोम इज़राइल, खबरगुज़ारी जम्हूरी इस्लामी
- ↑ असामी शोहदा ए हमला तेरोरिस्ती रज़ीम सहयोनीस्ती, खबरगुज़ारी जम्हूरी इस्लामी
- ↑ देखेः Israel teams with terror group to kill Iran's nuclear scientists, U.S. officials tell NBC News, NBC news؛ The world's deadliest assassins, Irish independent; नक़्श अमेरिका दर अमलयात तेरोरिस्ती दर ईरान बाद अज़ पीरूज़ी इंक़ेलाब इस्लामी, मरकज़ असनाद इंक़ेलाब इस्लामी
- ↑ चामस्की, मुसल्लस सर नविश्त साज़, 1369 शम्सी, पेज 122
- ↑ देखेः निगाही बे जनायात रज़ीम सहोनिस्ती दर 86 साल गुज़्श्त, खबरगुज़ारी फ़ार्स
- ↑ गारवदी, तारीख यक इरतेदाद, 1377 शम्सी, पेज 14
- ↑ दहक़ानी, कत्अनामा तक़सीम फ़िलिस्तीन मबानी राह हल दो दौलत व मेलाकी बराय राह हल हमए पुरसी, पेज 1029
- ↑ इज़राइल व नक़्ज़ कत्अनामा हाए बैनुल मिल्ली दरबारा ए बाज़गश्त आवारगान फ़िलिस्तीन, खबरगुज़ारी मेहेर
- ↑ सफ़ाताज, माजराए फिलिस्तीन व इज़राइल, 1381 शम्सी, पेज 153 कत्अनामा क्रमांक 3379 मज्मअ उमूमी साज़मान मुत्तहिद, पेज 1078
- ↑ कत्अनामा 2231 व दिगर क़त्अनामा हाए शूरा ए अमनीयत के दौलत ट्राम नक़ज़ कर्द, वेबगाह जामेअ खबरी तहलीली अलिफ.
- ↑ दाद गाह बैनुल मिल्ली दाद गुस्तरी इश़ग़ाल अराज़ी फ़िलिस्तीन तवस्सुत इज़राइल रा ग़ैर क़ानूनी ख़ांद, खबरगुज़ारी बी बी सी फ़ारसी
- ↑ ख़ामेनेई, फ़िलिस्तीन, 1397 शम्सी, पेज 603
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स्रोत
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- बयानात दर दीदार जम्ई अज़ ख़ानवादेहाए शोहदा व आज़ादगान, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई, प्रविष्ट की तारीख 2 आबान 1368 शम्सी, वीजिट की तारीख 8 आबान 1402 शम्सी
- बयानात दर दीदार मस्ऊलान निज़ाम व सुफ़राए किशवरहाए इस्लामी, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई, प्रविष्ट की तारीख 20 शहरीवर 1401 शम्सी, वीजिट की तारीख 27 आबान 1402 शम्सी
- बयानात दर दीदार दस्तअंदरकारान दोव्वुमीन कुंगरे मिल्ली शोहदा ए वरज़िशकार, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई, प्रविष्ट की तारीख 27 तीर 1394 शम्सी, वीजिट की तारीख 27 आबान 1402 शम्सी
- बयानात दर मरासिम गुशाइश कुंफ़्रांस बैनुल मिल्ली हिमायत अज़ इतेफ़ाज़ा फ़िलिस्तीन, पाएगाह इत्तेलारसानी दफ़्तर हिफ़्ज व नश्र व आसार आयतुल्लाह ख़ामेनेई, प्रविष्ट की तारीख 4 उरदिबहिश्त 1380 शम्सी, वीजिट की तारीख 27 आबान 1402 शम्सी
- पाया, ईलान, ईदा ए इज़राइल, तारीखचेई अज़ दानिश, दानाई व क़ुदरत, अनुवाद करबासफ़ुरूशान, तेहरान, इंतेशारात इत्तेलाआत, पहला संस्करण, 1398 शम्सी
- पाया, ईलान, दह ग़लत मशहूर दरबार ए इज़राइल, क़ुम, कितबिस्तान मारफ़त, पहला संस्करण 1399 शम्सी
- पाकनिया तबरेज़ी, अब्दुल करीम, उलमा ए शिया व दिफ़ाअ अज़ क़द्स शरीफ़, मजल्ला मुबल्लेग़ान, क्रमांक 155, शहरीवर 1391 शम्सी
- परवंद ए संगीन जिनायत हाए आर्तिश इज़राइल, खबरगुज़ारी मेहेर, प्रविष्ट की तारीख 21 बहमन 1394 शम्सी, वीजिट की तारीख 4 दय, 1402 शम्सी
- दादगाह बैनुल मिल्ली दाद गुस्तरी इश्ग़ाल अराज़ी फ़िलिस्तीनी तवस्सुत इज़रायल रा ग़ैर क़ानूनी ख़ानंद, खबरगुज़ारी बीबीसी फ़ारसी, प्रविष्ट की तारीख 29 तीर 1403 शम्सी, वीजिट की तारीख 18 आज़र 1403 शम्सी
- दहहा जिनायत अज़ बुज़ुर्गतरीन जानी जहान, खबरगुज़ारी मशरिक, प्रविष्ट की तारीख 27 शहरीवर 1393 शम्सी, वीजिट की तारीख 4 दय 1402 शम्सी
- तौफ़ीक़ी, महदी, कुदाम किशवर हा इज़राइल रा बे रस्मीयत नमी शनासंद, खबरगुज़ारी रूईदाद 24, प्रविष्ट की तारीख 13 मुरदाद 1401 शम्सी, वीजिट की तारीख 26 दय 1402 शम्सी
- तौफ़ीक़ीयान, सय्यद अबुल हसन, हिज़्बुल्लाह नेमाद इज़्ज़त व इक़्तेदार लबनान, वेबगाह पुजूह, प्रविष्ट की तारीख 27 मुरदाद 1387 शम्सी, वीजिट की तारीख 30 दय 1402 शम्सी
- चामसकी, नौआम, मुसल्लस सरनविश्तसाज़, फ़िलिस्तीन, अमरेकी व इज़राइल, अनुवाद इज़्ज़तुल्लाह शहीदा, तेहरान, मरकज़ मुतालेआत सियासी व बैनुल मिल्ली, पहला संस्करण 1369 शम्सी
- हुसैनी, गुलाम एहया, शिया पुजूही व शिया पुज़ूहान इंगलीसी जबान, ज़ेर नजर मोहसिन अल वीरी व अब्बास अहमदवंद, क़ुम, इंतेशारात शिया शनासी, पहला संस्करण 1387 शम्सी
- खामे यार, अहमद, मज़ारात अहले बैत पयामबर (स) दर उर्दन व फ़िलिस्तीन इश्ग़ाली, फसलनामा वक़्फ़ मीरास जावेदान, क्रमांक 83, पाईज़ 1393 शम्सी
- खुस्रोशाही, सय्यद हादी, जुंमबिश आमुल व इमाम मूसा सद्र (क़िस्मत दोव्वुम) दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार व अंदीशेहाए उस्ताद सय्यद हादी खुस्रोशाही, वीजिट की तारीख 30 दय 1402 शम्सी
- ख़ुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, सहीफ़ा इमाम, तहय्या व तंज़ीम मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्र आसार इमाम ख़ुमैनी, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्र आसार इमाम खुमैनी, पांचवा संस्करण 1389 शम्सी
- दहक़ान, मुहम्मद रज़ा, आशनाई इजमाली बा रज़ीम ग़ासिब कूदक कुश इज़ारइ, रोज़नामा उतरक, प्रविष्ट की तारीख 9 उरदीबहिश्त 1401 शम्सी, वीजिट की तारीख 25 दय 1402 शम्सी
- रजवी, कमाल, मरजेईयतपुज़ूही दर इज़राइल, वेबगाह परतूए अज़ जामेअ ईरानी, प्रविष्ट की तारीख 19 मुरदाद 1390 शम्सी, वीजिट की तारीख 17 दय 1402 शम्सी
- सुखनरानी तिलवीजयूनी बे मुनासबत रोज़े जहानी क़ुद्स, पाएगाह इत्तेला रसानी दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाह खामेनेई, प्रविष्ट की तारीख 9 उरदीबहिश्त 1401 शम्सी, वीजिट की तारीख 27 आबान 1402 शम्सी
- स्वीदान, तारिक़, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्वर तारीख यहूदीयत व सहयोनीज्म, अनुवाद व शोध जमई अज़ अनुवाद कर्ता व शोध कर्ता, तेहरान, सायान, 1391 शम्सी
- सफ़ाताज, मजीद, माजराए फ़िलिस्तीन व इज़राइल, तेहरान, दफ्तर नश्र फ़रहंग इस्लामी, दूसरा संस्करण, 1381 श्सी
- फ़ीरोज़ाबादी, सय्यद हसन, कश्फ उल असरार सहयोनीज्म, तेहरान, दानिशगाह आली दिफाअ मिल्ली, दूसरा संस्करण 1393 शम्सी
- क़त्अनामा 2231 व दिगरान क़त्अनामेहाए शूरा ए अमनीयत के दौलत ट्रम्प नक़्ज़ कर्द, वेबगाह जामेअ खबरी तहलीली अलिफ़, प्रविष्ट की तारीख 7 खुरदाद 1397 शम्सी, वीजिट की तारीख 16 आबान 1402 शम्सी
- कफ़्फ़ाश, हामिद व दिगरान, दाएरातुल मआरिफ़ मुसव्वर तारीख फ़िलिस्तीन, तेहरान, नशर सायान, पहला संस्करण, 1392 शम्सी
- गारवदी, रूज़ेह, मुहाकमा सहयोनीज़्म इज़राइल, अनुवाद सय्यद मुहम्मद तक़ी अलवी व जलील मुहम्मदी, तबरेज़ मोअस्सेसा तहक़ीक़ाती उलूम इस्लामी-इंसानी दानिशगाह तबरेज़, पहला संस्करण 1384 शम्सी
- गारवदी, रूज़ेह, तारीख यक इरतेदाद, उस्तूरेहाए बुनयानगुज़ार सियासत इज़राइल, अनुवाद मजीद शरीफ, तेहरान, मोअस्सेसा ख़िदमात फ़रहंगी रसा, तीसरा संस्करण 1377 शम्सी
- मालेकी, मुहम्मद, हमास जुम्बिश, दर दानिशनामा जहान इस्लाम (भाग 14), तेहरान, बुनयाद दाएरातुल मआरिफ़ इस्लामी, पहला संस्करण 1389 शम्सी
- मोअस्सेसा तहक़ीक़ात व पुज़ूहिशहाए सियासी इल्मी निदा, मुरूरी बर रवाबित खारजी रज़ीम सहयोनीस्ती, तेहरान, निदा ज़ैतून, पहला संस्करण, 1389 शम्सी
- महमूदी, अकबर, इस्लाम पुज़ूही दर इज़राइल, क़ुम, दार अल हदीस, पहला संस्करण, 1399 शम्सी
- मुतालेआत इस्लाम शनासी व शिया शनासी दर दानिशगाह तेल अबीब, पाएगाह इत्तेलारसानी हौज़ा, प्रविष्ट की तारीख 17 दय 1402 शम्सी
- मुताहरी, मुर्तज़ा, मज्मूआ ए आसार उस्ताद शहीद मुताहरी, तेहरान, इंतेशारत सदरा, 1390 शम्सी
- मोअतज़, अहमद, शिया दर इज़राइल, दो हफ्तेनामा पेगाह हौज़ा, क्रमांक 240, 1387 शम्सी
- मोहतदी, मुहम्मद अली, बिन गूरयून डेविड, दर दानिशनामा जहान इस्लाम, भाग 4, तेहरान, बुनयाद दाएरतुल मआरिफ़ इस्लामी, पहला संस्करण 1377 शम्सी
- नक़्श अमेरिका दर अमलयात तेरोरिस्ती दर ईरान बाद अज़ पीरूज़ी इंक़्लाब इस्लामी, मरकज़ असनाद इंकेलाब इस्लामी, प्रविष्ट की तारीख 20 फरवरदीन 1398 शम्सी, वीजिट की तारीख 22 आबान 1402 शम्सी
- नुमायंदेगान पारलीमान उरूपा हमलात इज़राल अलैहे ग़ज्ज़ा रा नस्ल कुशी दानिस्तंद, खबरगुज़ारी आनातोली, प्रविष्ट की तारीख 15 नवम्मब 2023 ई. वीजिट की तारीख 25 आबान 1402 श्सी
- निगाही बे जिनायात रज़ीम सहयोनिस्ती दर 86 साल गुज़्श्ते, खबरगुज़ारी फ़ार्स, प्रविष्ट की तारीख 22 आबान 1402 शम्सी, वीजिट की तारीख 20 आज़र 1402 शम्सी
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