हिज़्बुल्लाह लबनान

wikishia से
(हिज़्बुल्लाह लेबनान से अनुप्रेषित)

यह लेख लेबनान की हिज़्बुल्लाह के बारे में है। समान शीर्षक वाली अवधारणा के बारे में जानने के लिए हिज़्बुल्लाह लेख देखें।

हिज़्बुल्लाह (अरबीः حزب اللہ) लेबनान में एक शिया राजनीतिक और सैन्य समूह है जिसका गठन 1982 में ईरान के इस्लामी गणराज्य के समर्थन से इजरायल का सामना करने के लिए किया गया था। इस पार्टी ने शहादत तलब आपरेशन के साथ इजरायल के खिलाफ़ गतिविधि शुरू की। फिर उसने अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि की और कत्यूषा रॉकेट और गुरिल्ला युद्धों के साथ इजरायल का सामना करना शुरू कर दिया।

इस पार्टी के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह हैं। उनसे पहले सुबही तुफ़ैली और सय्यद अब्बास मूसवी महासचिव थे। हिज़्बुल्लाह और इस्राइल के बीच अब तक कई सैन्य लड़ाईयां हो चुकी हैं जिनमें से एक 33 दिवसीय युद्ध है। इस्राइल ने इस युद्ध की शुरुआत हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने और उसके दो सैनिकों को मुक्त करने के उद्देश्य से की थी जिन्हें अल-वाद अल-सादिक़ के नाम से हिज़्बुल्लाह द्वारा पकड़ लिया गया था।

सीरिया में भी हिज़्बुल्लाह ने इस देश की सरकार के समर्थन में तकफ़ीरी बलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। इस पार्टी की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियां भी हैं। अल-मनार टीवी चैनल हिज़्बुल्लाह का है।

इतिहास और गठन के क्षेत्र

लेबनान की हिज़्बुल्लाह का गठन 1982 में ईरान के इस्लामी गणराज्य के समर्थन से हुआ था।[१] सबसे पहले इसने कई वर्षों तक ज़ायोनी कब्जे के खिलाफ़ गुप्त रूप से काम किया। 11 नवंबर, 1984 को अहमद जाफर क़सीर ने दक्षिणी लबनान में इजरायली सैनिकों के खिलाफ़ शहादत तलब अभियान चलाया और उनमें से कई मारे गए। 16 फरवरी 1985 को उसी समय जब इज़राइल सैदा से पीछे हटा, हिज़्बुल्लाह ने अहमद जाफ़र क़सीर के शहादत तलब अभियान की ज़िम्मेदारी संभाली और आधिकारिक तौर पर इज़राइल का सामना करने की अपनी विचारधारा और रणनीति की घोषणा की।[२]

इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडरों में से एक हुसैन दहक़ान के अनुसार, ईरान और इराक़ के बीच युद्ध में 1982 ई में जेरूसलम ऑपरेशन के बाद इज़राइल ने लबनान पर हमला किया। इज़राइल का सामना करने के लिए लेबनानी सेना को प्रशिक्षित करने के लिए आईआरजीसी कमांडरों के एक समूह को लेबनान भेजा गया। सैन्य प्रशिक्षण के अलावा उन्होंने ईरान से संबंधित समूहों के बीच एकता बनाने के लिए भी काम किया, जो अंततः हिज़्बुल्लाह के गठन का कारण बना।[३] हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव नईम क़ासिम के अनुसार इमाम ख़ुमैनी ने इन समूहों को सैन्य प्रशिक्षण के लिए लेबनान भेजा था। बेशक, पहले, अमल आंदोलन के संगठन, हिज्ब अल-दावा, बका विद्वानों और इस्लामी समितियों का जमावड़ा इजरायल के कब्जे के खिलाफ एक पार्टी बनाने के लिए एक समझौते पर पहुंचा और इसकी योजना को इमाम ख़ुमैनी ने भी मंजूरी दे दी थी।[४]

नेतृत्व

हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव सुबही तुफ़ैली थे, जो 5 नवंबर 1989 को इस पद के लिए चुने गए थे। इससे पहले, पार्टी का नेतृत्व सात वर्षों के लिए एक परिषद शैली में किया गया था।[५] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्लाह, सुबही तुफ़ैली, सय्यद अब्बास मूसवी, सय्यद हसन नसरुल्लाह, नईम क़ासिम, हुसैन कूरानी, हुसैन ख़लील, मुहम्मद राद, मुहम्मद फ़नीश, मुहम्मद यज़्बेक और इब्राहीम अमीन हिज़्बुल्लाह के संस्थापकों में से थे।[६] मई 1991 में सय्यद अब्बास मूसवी को सुबही तुफ़ैली के मतभेदों और आलोचनाओं के कारण हिज़्बुल्लाह का नया महासचिव चुना गया।[७] 16 फरवरी 1992 को उन्हें इज़राइल द्वारा शहीद कर दिया गया। और हिज़्बुल्लाह परिषद ने सय्यद हसन नसरुल्लाह को महासचिव चुना।[८]

प्रमुख पात्र

हिज़्बुल्लाह के कुछ प्रमुख पात्रो का उल्लेख इस प्रकार हैं:

सय्यद हसन नसरुल्लाह

मुख़्य लेखः सय्यद हसन नसरुल्लाह
सय्यद हसन नसरुल्लाह

सय्यद हसन नसरुल्लाह (जन्म 1960) लबनान में हिज़्बुल्लाह के तीसरे महासचिव और इस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।[९] वह कुछ समय के लिए हिज़्बुल्लाह के कार्यकारी अधिकारी थे और 1992 ई से इसके महासचिव हैं इनके समय के दौरान इज़राइल ने 2000 में लबनान से पीछे हटा और लेबनानी कैदियों को रिहा कर दिया।

सय्यद अब्बास मूसवी

मुख़्य लेखः सय्यद अब्बास मूसवी
सय्यद अब्बास मूसवी

सय्यद अब्बास मूसवी हिज़्बुल्लाह के संस्थापक सदस्य और दूसरे महासचिव थे। 1991 ई मे सुबही तुफ़ैली को हटाने के बाद हिज़्बुल्लाह के महासचिव बने।[१०] उन्होंने पहले इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी ताक़तों के साथ लड़ाई लड़ी थी। पार्टी के महासचिव के रूप में उनका कार्यकाल नौ महीने से भी कम का था और उन्हे इस्राइल द्वारा शहीद कर दिया गया था।[११]

सुब्ही तुफ़ैली

मुख़्य लेखः शेख सुब्ही तुफ़ैली

शेख सुब्ही तुफ़ैली (जन्म 1948) लबनान में हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव थे और 1989 से 1991 तक इस पद पर रहे।[१२] 1998 में उन्होंने "सौरातुल जिया" (भूखी क्रांति) आंदोलन की स्थापना की। उनके समर्थकों ने कुछ सरकारी केंद्रों पर हमला किया, जिससे झड़पें हुईं और कई लोग मारे गए।[१३] वह लबनान में हिज़्बुल्लाह और ईरान के इस्लामी गणराज्य के आलोचक हैं।[१४]

एमाद मुग़निया

मुख़्य लेखः एमाद मुग़निया
चित्र:پرونده:عماد مغنیه.jpg
एमाद मुग़नीया

हाज रिज़वान के नाम से मशहूर एमाद मुगनिया हिज़्बुल्लाह के प्रमुख कमांडरों में से एक थे। वह उच्च पदस्थ अधिकारियों के सुरक्षा गार्ड के प्रभारी थे और हिज़्बुल्लाह के विशेष अभियानों के लिए जिम्मेदार थे। वह अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन के डिजाइनर और नेता और इज़राइल के साथ 33-दिवसीय युद्ध में हिज़्बुल्लाह के फील्ड कमांडर भी थे।[१५] इज़राइल ने 12 फरवरी 2008 को दमिश्क में उन्हें शहीद कर दिया।[१६]

इज़राइल से मुक़ाबला

1985 में हिज़्बुल्लाह ने इसराइली जनता का सामना करने के लिए अपनी विचारधारा और रणनीति बनाई।[१७] प्रारम्भिक वर्षों में हिजबुल्लाह की गतिविधि इजरायली सेना के खिलाफ शहादत संचालन के कार्यान्वयन पर केंद्रित थी; लेकिन धीरे-धीरे यह तरीका बदल गया। हिज़्बुल्लाह के तत्कालीन महासचिव सय्यद अब्बास मूसवी की हत्या की प्रतिक्रिया में, इस पार्टी की सेना ने पहली बार उत्तरी फिलिस्तीन में ज़ायोनी बस्तियों पर कत्युशा रॉकेट दागे।[१८] हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन

मुख्य लेख: 33 दिवसीय युद्ध

2006 में हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच युद्ध हुआ, जिसे तमूज़ युद्ध या 33-दिवसीय युद्ध के रूप में जाना जाता है। हिज़्बुल्लाह के साथ समझौते के विपरीत इज़राइल ने तीन लेबनानी कैदियों को रिहा नहीं किया। हिज़्बुल्लाह ने जुलाई 2006 में अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन में उनकी रिहाई के लिए दो इज़रायली सैनिकों को पकड़ लिया। इज़रायल ने अपने दो बंदियों को मुक्त करने और हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने के लिए लबनान पर हमला किया और हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ गया जो 33 दिनों तक चला।[१९]

जनवरी 1993 संघर्ष

25 जुलाई, 1993 को, इज़रायल ने हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने और पार्टी और लोगों के बीच संबंधों में एक खाई पैदा करने के साथ-साथ प्रतिरोध को रोकने के लिए लबनान सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से लबनान पर हमला किया। यह हमला हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया के साथ हुआ और पार्टियों ने 31 जुलाई, 1993 को जुलाई समझौता स्वीकार कर लिया। इस समझौते के आधार पर, हिज़्बुल्लाह इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्रों में इजरायल की आक्रामकता के बदले में कत्युशा रॉकेट लॉन्च करने से परहेज करने पर सहमत हो गया।[२०]

अप्रैल 1996 संघर्ष

11 अप्रैल 1996 को इजरायल ने लबनान के खिलाफ ऑपरेशन क्लस्टर ऑफ रेज शुरू किया। यह ऑपरेशन चार नरसंहारों दूसरे दिन सहमर, तीसरे दिन मंसूरी एम्बुलेंस, सातवें दिन नबतीह फ़ौकन और क़ाना के साथ प्रसिद्ध हुआ। इस हमले में हिज़्बुल्लाह बलों के चौदह सदस्यों सहित 25 लोग शहीद हुए। ऑपरेशन 16 दिनों तक चला और आखिरकार, अप्रैल में इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौते में इजरायल नागरिकों पर हमला नहीं करने और सैन्य टकराव में केवल प्रतिरोध बलों के साथ शामिल होने पर सहमत हुआ।[२१]

अंसारिया ऑपरेशन

हिज़्बुल्लाह ने 9/5/1992 को इजरायली कमांडो के नौसैनिक आक्रमण का मुकाबला करने के लिए अंसारीया ऑपरेशन का आयोजन किया, जिसके परिणामस्वरूप 17 ज़ायोनी मारे गए और घायल हो गए।[२२]

प्रतिरोधी कैदियों को मुक्त करना

दक्षिणी लबनान से इजरायली सेना की वापसी के बाद, मुस्तफा दैरानी और शेख अब्दुल करीम अबीद जैसे कुछ हिज़्बुल्लाही इजरायली जेलों में थे। हिज़्बुल्लाह ने दक्षिणी लबनान के शब्आ क्षेत्रों में एक अभियान चलाकर 7 अक्टूबर 2000 को तीन इज़राइली सैनिकों को पकड़ लिया और बेरूत में एक इज़राइली कर्नल को गिरफ्तार कर लिया। इज़राइल ने कई लेबनानी और 400 फ़िलिस्तीनियों को रिहा किया और 59 शहीदों के शव सौंपे। और 24 लापता व्यक्तियों का भी खुलासा किया और लबनान की सीमाओं पर लगाई गई मीनो का भी नक्शा दिया। एक्सचेंज ऑपरेशन 29 और 30 जनवरी 2004 को किया गया था।[२३]

2008 में 33 दिवसीय युद्ध के बाद, हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के साथ बातचीत करके और जर्मनी की मध्यस्थता से शेष लेबनानी बंदियों को भी रिहा करया। उन्होंने 33-दिवसीय युद्ध में प्रतिरोध शहीदों के शवों को भी लिया और इज़राइल से दलाल मगरबी और उनके 12 लोगों के समूह सहित शेष लेबनानी और फिलिस्तीनी प्रतिरोध शहीदों के शवो को लिया।[२४]

आईएसआईएस के खिलाफ सीरिया में उपस्थिति

हिज़्बुल्लाह ने आईएसआईएस से लड़ने में सीरियाई सरकार का सहयोग किया। सीरिया में अशांति की शुरुआत के बाद, हिज़्बुल्लाह ने सीरियाई सेना के साथ तकफीरियों के साथ लड़ाई लड़ी।[२५] अल-क़सीर की मुक्ति सीरिया में हिज़्बुल्लाह की सबसे महत्वपूर्ण जीत में से एक रही है।[२६]

राजनीतिक गतिविधियाँ

हिज़्बुल्लाह ने 1992 में पहली बार लबनान के चुनावों में भाग लिया और संसद में बारह सीटें जीतीं। 1996 में, उन्होंने लबनान की संसद की 128 में से 10 सीटों और 2000 में 12 सीटें जीतीं।[२७] 2005 के आम चुनावों में, उन्होंने अमल आंदोलन के साथ गठबंधन में अपने दम पर चौदह सीटें और दक्षिण लबनान की सभी 23 सीटों पर जीत हासिल की और मोहम्मद फेनिश को जल और ऊर्जा मंत्री के रूप में कैबिनेट में भेजा।[२८] 2005 के बाद हिज़्बुल्ला को मार्च 8 समूहों में शामिल किया गया। 2005 में हरीरी की हत्या के साथ ही लबनान के राजनीतिक क्षेत्र में नई श्रेणियां बनाई गईं। मार्च 8 समूह का गठन बेरूत में हिज़्बुल्लाह की 2005 की सभा के बाद और इस समूह के निरस्त्रीकरण, सीरिया के समर्थन और इज़राइल के खिलाफ प्रतिरोध के विरोध में किया गया था; संयुक्त मोर्चा, जो हिज़्बुल्लाह, अमल हिज़्ब और क्रिश्चियन आज़ाद पार्टी से निकला था, और बाद में जमात-ए-इस्लामी लबनान, इस्लामिक एकेश्वरवाद आंदोलन (सुन्नी) और लेबनानी डेमोक्रेटिक पार्टी (द्रुज़ी) जैसी अन्य धाराओं को इसमें जोड़ा गया।[२९] इसके साथ ही अमेरिका, फ्रांस, सऊदी अरब और मिस्र जैसे देशों के समर्थन से लबनान में 14 मार्च का आंदोलन खड़ा हो गया, जिसमें लबनान से सीरिया को निकालने और प्रतिरोध के निरस्त्रीकरण की मांग की गई। फ्यूचर मूवमेंट अर्थात जिरयान अल-मुस्तक़बिल (सुन्नी), हिज्ब अल-कताइब और लेबनानी सेना (ईसाई) और लबनान का प्रगतिशील समाजवादी आंदोलन (द्रुज़ी) इस आंदोलन का समर्थन करने वाले मुख्य समूह थे।[३०]

सामाजिक गतिविधियां

हिज़्बुल्लाह का ध्यान इजरायल की आक्रामकता का विरोध करने पर है; हालाँकि, इस पार्टी की सामाजिक गतिविधियाँ भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • इजरायली आक्रमण और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान के पुनर्निर्माण के लिए जिहाद निर्माण संस्थान की स्थापना
  • 1988 से 1991 के वर्षों में बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में शहरी कचरे का संग्रह
  • बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में पीने के पानी की व्यवस्था
  • कृषि गतिविधियाँ
  • इस्लामी स्वास्थ्य समुदाय और कई चिकित्सा और अस्पताल केंद्रों का निर्माण
  • छात्रों को अनुसंधान और शैक्षिक सेवाएं प्रदान करना
  • शहीदों के परिवारों को सेवाएं प्रदान करने के लिए शहीद फाउंडेशन की स्थापना
  • वंचितों का समर्थन करने के लिए इस्लामिक चैरिटी रिलीफ कमेटी की स्थापना[३१]

मीडिया

  1. अल-मनार टीवी चैनल: अल-मनार टीवी की स्थापना 1991 में हुई थी
  2. अल-नूर रेडियो (http://www.alnour.com.lb) (1988 में स्थापना)
  3. अल-अहद साप्ताहिक समाचार पत्र (http://www.alahednews.com.lb)[३२]
  4. क़ाविम वेबसाइट http://qawem.org
  5. दक्षिण लबनान की वेबसाइट http://www.southlebanon.org
  6. हिज़्बुल्लाह की मीडिया संबंध इकाई की वेबसाइट http://www.mediarelations-lb.org

हिज़्बुल्लाह ने मेलिटा क्षेत्र में अपने एक ठिकाने को संग्रहालय में बदल दिया है।[३३]

समर्थक और विरोधी

दुनिया में हिज़्बुल्लाह के समर्थक हैं। हिज़्बुल्लाह के सबसे महत्वपूर्ण समर्थक ईरान और सीरिया हैं। रूस भी हिज़्बुल्लाह को एक वैध सामाजिक-राजनीतिक संगठन के रूप में मानता है[३४] ईरान ने हिज़्बुल्लाह की स्थापना और उसकी सेनाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण में भूमिका निभाई है।[३५] इसके अलावा, ईरान ने इज़राइल के कारण हुए खंडहरों के पुनर्निर्माण के लिए लबनान पुनर्निर्माण मुख्यालय का गठन किया है।[३६] हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका, अरब लीग, फ़ारस की खाड़ी के राज्यों की सहयोग परिषद और ... ने हिज़्बुल्लाह या उसकी सैन्य शाखा को एक आतंकवादी समूह घोषित किया है।[३७] लेबनानी सेना के साथ टकराव इज़राइल उन लोगों के लिए एक कारण है जो मानते हैं कि हिज़्बुल्लाह एक आतंकवादी संगठन नहीं है और उसके पास भी हथियार होने चाहिए।[३८]

मोनोग्राफ़ी

हिज़्बुल्लाह के बारे में किताबें लिखी गई हैं। इनमें लबनान में हिज़्बुल्लाह के नेताओं में से एक, नईम क़ासिम द्वारा लिखी गई किताब हिज़्बुल्लाह अल-मन्हज अल-तजरबा अल-मुस्तक़बल लबनान वा मुक़ावेमतोहू फ़िल वाजेहा शामिल हैं। इस किताब में हिज़्बुल्लाह का इतिहास, लक्ष्य और गतिविधियां परिलक्षित होती हैं।[३९] इस किताब का फ़ारसी में "हिज़्बुल्लाह लबनान खते मशी, गुज़िश्ता वा आइंदा ए आन" शीर्षक के साथ अनुवाद किया गया है।[४०]

फ़ुटनोट

  1. सिपाह वा हिज़्बुल्लाह लेबनान खातेराती अज़ शेख अली कूरानी, साइट मगीरान
  2. अहमद क़सीर आगाज़गर अमलयात शहादत तलबाने दर लबनान, खबरगुज़ारी सदा वा सीमा
  3. नहव ए शकल गीरी हिज्बुल्लाह लुबनान अज़ ज़बान वज़ीर दिफाअ, खबरगुज़ारी ईरना
  4. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 22-25
  5. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85
  6. हुसैनी, सैर तहव्वुल दर रहबरी वा ऐडीयालोजी हिज़्बुल्लाह
  7. कासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85-86
  8. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85-86
  9. मुसाहेबा बा हुज्जतुल इस्लाम सय्यद हसन नसरुल्लाह उज़्व शूरा ए मरकज़ी हिज़्बुल्लाह, पेज 42
  10. हफ्तनामा खबरी तहलीली पंजरे, क्रमांक 136
  11. ज़िंदगी नामा शहीद सय्यद अब्बास मूसवी, साइट जामे शहीद आवीनी
  12. हफ्तनामा खबरी तहलीली पंजरे, क्रमांक 136
  13. हफ्तनामा खबरी तहलीली पंजरे, क्रमांक 136
  14. साइट खबरी-तहलीली अम्मारीयून
  15. जिंदगी नामा शहीद मुग़नीया, खबर गुज़ारी फारसी
  16. रिवायतहाए अज़ तेरोर बैनुल मिल्ली एमाद मुग़नीया, साइट हाज रिज़वान
  17. अहमद क़सीर आगाज़गर अमलयात शहादत तलबाने दर लुबनान, खबर गुज़ारी सदा व सीमा
  18. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 158
  19. रविवरान (दस्तवरदहाए पीरूज़ी हिज़्बुल्लाह दर जंग 33 रोज़े), पेज 33
  20. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 161-162
  21. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 162-169
  22. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 162-169
  23. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 204-210
  24. गुज़ारिश कामिल (अमलयात रिज़वान), साइट जामे शहीद आवीनी
  25. सूवर 90 शहीदन मिन हिज़्बुल्लाह सक़ातू असना अल क़याम बिल वाजिब अल जिहादी फ़ी सूरीया, साइत जुनूब लुबनान
  26. मुख्तस्सात राहबुरदी अव्वलीन तज्रबे अमलयात बरून मर्जी हिज़्बुल्लाह, साइट मशरिक़
  27. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 273-276
  28. वरक़ ज़दन तारीख़ पुर फ़राज़ व नशेब एहज़ाब सियायी लुबनान, बाशगाह खबरगुजारान जवान
  29. इन्तेख़ाबात दाग़ दर कराना शरजी मुदीतराने मरूरी बर मुशख्खेसात एहज़ाब व जिरयानात सियासी लुबनान, नशरीया फ़ंरहंगी तहलीली राह
  30. इन्तेख़ाबात दाग़ दर कराना शरजी मुदीतराने मरूरी बर मुशख्खेसात एहज़ाब व जिरयानात सियासी लुबनान, नशरीया फ़ंरहंगी तहलीली राह
  31. नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 114-120
  32. ज़मानी महजूब, तासीर नगरिश मानवी बर पीरूज़ी मुकामेवत हिज़्बुल्लाह, पाएगाह इत्तेलारसानी हौज़ा
  33. हिज़्बुल्लाह यफ़्ततेहो मुतहफ़न असकरीयन अन मुक़ावेमतेही लेइस्राईल फ़ी जुनूबे लुबनान, खबरगुज़ारी रूईतर्ज
  34. इरतेबात ए ईरान, रूसीया वा हिज़्बुल्लाह लुबनान सरगर्मी जदीद कुंगरे अमेरीका, खबरगुजारी स्पुटनिक
  35. नागुफ़्तेहाए अज़ तासीस (मुकावेमत इस्लामी लुबनान), खबर गुजारी फ़ार्स
  36. फ़आलीयत हाए सुताद बाज़साज़ी लुबनान बे क़ुव्वत ए क़ब्ल इदामे दारद, खबर गुजारी दानिशजू
  37. आया हिज़्बुल्लाह लुबनान यक साज़मान तेरोरिस्ती अस्त, साइत बी बी सी फ़ारसी
  38. आया हिज़्बुल्लाह लुबनान यक साज़मान तेरोरिस्ती अस्त, साइत बी बी सी फ़ारसी
  39. मोअर्रफ़ी किताब हिज़्बुल्लाह लुबनान, खत्ते मशी, गुज़िश्ता वा आइंदा आन मोअर्रफ़ी वा नक़्द, पेज 115
  40. हिज़्बुल्लाह लुबनान ख़त्ते मशी, गुज़िश्ता वा आईंदा ए आन, पातूक़ किताब फ़रदा

स्रोत