सामग्री पर जाएँ

ईसा अहमद क़ासिम

wikishia से
शेख़ ईसा क़ासिम
पूरा नामईसा अहमद क़ासिम
जन्म तिथि1941 ईस्वी
जन्म का शहरअल-दराज़ गाँव
जन्म का देशबहरैन
धर्मइस्लाम
मज़हबशिया
पदबहरैन की 14 फरवरी की क्रांति का नेतृत्व
गुरूसय्यद मुहम्मद बाक़िर अल-सद्र और अब्दुल-हुसैन हिल्ली
रचनाएंअज़्वा अला अल फ़िक्र अल सियासी अल इस्लामी


ईसा अहमद क़ासिम, जिन्हें शेख़ ईसा क़ासिम (जन्म 1941 ई.) के नाम से जाना जाता है, बहरैन के एक शिया विद्वान और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने क़ुम और नजफ़ के मदरसों में शिक्षा प्राप्त की और सय्यद मुहम्मद बाक़िर अल-सद्र के शिष्य रहे, और कुछ समय के लिए बहरैन की विधान सभा और राष्ट्रीय सभा के सदस्य भी रहे।

ऐसा कहा जाता है कि शुक्रवार की नमाज़ आयोजित करने और पार्टियों व संगठनों की स्थापना जैसी विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में उनका लक्ष्य बहरैन के शियों के अधिकारों की रक्षा करना है। ईसा क़ासिम वर्तमान में बहरैन के शियों के आध्यात्मिक नेता के रूप में मान्यता प्राप्त हैं और अहले-बैत की विश्व सभा की सर्वोच्च परिषद के सदस्य हैं। बहरैन सरकार ने 20 जून 2016 को उनकी नागरिकता रद्द कर दी थी। किताब "अज़्वा अला अल फ़िक्र अल सियासी अल इस्लामी" ईसा अहमद क़ासिम के एक दशक के दौरान दिए गए 500 जुमा के उपदेशों का संग्रह है, जिसे सईद मादेह द्वारा संकलित और संपादित किया गया है और यह प्रतिरोध न्यायशास्त्र और राजनीतिक शब्दावली के क्षेत्र में है।

परिचय

ईसा अहमद क़ासिम का जन्म 1941 ई. में बहरैन की राजधानी मनामा के बाहरी इलाक़े दराज़ गाँव में हुआ था। उनका परिवार मध्यम वर्ग से था और उनके पिता एक मछुआरे थे। ईसा ने चार साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया और उनका पालन-पोषण उनकी माँ ने किया।[]

अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दो साल तक शिक्षक प्रशिक्षण में अध्ययन किया और 1959 ई. में अपना शिक्षण लाइसेंस प्राप्त किया, जिसके बाद वे बहरैन के स्कूलों में शिक्षक बन गए।[]

सेमिनरी शिक्षा

ईसा क़ासिम ने हाई स्कूल और शिक्षक के रूप में पढ़ाई के साथ-साथ सेमिनरी पाठ्यक्रमों का भी अध्ययन किया, और इस सिलसिले में वे मनामा के पास अल-नुऐम क्षेत्र गए। उन्होंने अल्लामा अलवी अल-ग़ुरैफ़ी[] और अब्दुल-हुसैन हिल्ली के साथ अध्ययन किया।[]

1962 में, 21 वर्ष की आयु में, ईसा क़ासिम अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए नजफ़ चले गए। न्यायशास्त्र संकाय में अध्ययन करते हुए और उसी संकाय से "इस्लामी न्यायशास्त्र" में स्नातक की उपाधि प्राप्त करते हुए, उन्होंने सय्यद मुहम्मद बाकिर अल-सद्र के पाठ्यक्रमों में भाग लिया।[] वे 1968 ई. में बहरैन लौट आए और बहरैन के स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया, लेकिन 1970 ई. में फिर से नजफ़ लौट आए और अपनी मदरसा की पढ़ाई जारी रखी।[]

1990 ई. के दशक की शुरुआत में, उन्होंने अध्ययन के लिए क़ुम में प्रवेश किया। क़ुम में उनके शिक्षकों में मुहम्मद फ़ाज़िल लंकरानी, ​​सय्यद काज़िम हाएरी और सय्यद महमूद हाशिमी शाहरूदी शामिल थे। 2001 (1380 शम्सी) में, बहरैन की स्थिति में कुछ सुधार होने के बाद, वे अपने देश लौट आए।[]

सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियाँ

बहरैन की विधान सभाओं में सदस्यता

शेख़ ईसा क़ासिम बहरैन के संविधान सभा के सदस्य - वर्ष 1971 ई.

1971 ई. में बहरैन के ईरान से अलग होने और उसके संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संसद के गठन के बाद, ईसा क़ासिम को संसद के प्रतिनिधियों में से एक चुना गया। संसद में इस्लामी आंदोलन के साथ, उन्होंने बहरैन के संविधान में इस्लामी अनुच्छेदों और धाराओं का मसौदा तैयार करने में भूमिका निभाई[] और बहरैन राष्ट्रीय सभा के पहले कार्यकाल के सदस्य भी रहे।[]

धार्मिक दलों और संगठनों की स्थापना

ईसा क़ासिम ने कुछ अन्य बहरैनी विद्वानों के साथ मिलकर दलों और संगठनों की स्थापना की है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण केंद्र यह हैं:

ईसा क़ासिम अहले बैत विश्व सभा के सदस्य भी हैं।[११]

शुक्रवार की नमाज़

बहरैन में अपने जीवन के दौरान, ईसा क़ासिम ने बहरैन के दिराज़ क्षेत्र में स्थित जामा मस्जिद इमाम सादिक़ में शुक्रवार की नमाज़ के उपदेशों में अपने विचार व्यक्त किया करते थे। इनमें से कुछ विचारों पर बहरैन की सरकार द्वारा प्रतिक्रिया भी व्यक्त की गई। इन उपदेशों के अंश "आयतुल्लाह ईसा क़ासिम; शांति और सुधार के लोग" नामक पुस्तक में संकलित और प्रकाशित किए गए हैं।[१२]

अल ख़लीफा सरकार की नीतियों का विरोध

बहरैन सरकार के विरुद्ध ईसा कासिम के स्पष्ट विचारों से सरकार नाराज़ हो गई, और बहरैन के न्याय मंत्री ने ईसा क़ासिम को शुक्रवार की नमाज़ के बारे में उनके विचारों के बारे में चेतावनी दी और उन्हें शुक्रवार की नमाज़ पढ़ने से प्रतिबंधित करने की धमकी दी।[१३] ईसा क़ासिम को लिखे अपने पत्र में, बहरैन के न्याय मंत्री ने उन पर देश में राजद्रोह फैलाने और लोगों को कानून तोड़ने के लिए उकसाने का आरोप लगाया और उन्हें लिखा: आप अल्लाह के रसूल के मिम्बर से मुसलमानों पर कोई फ़ैसला सुनाने और कुछ पर आरोप लगाने और दूसरों को अत्याचारी घोषित करने की स्थिति में नहीं हैं।[१४]

तल्बिया का शुक्रवार

इस धमकी पर बहरैन के विद्वानों और शियों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। 9 नवंबर, 2012 ई. को, सरकार ने बहरैन में सभी जुमे की नमाज़ों पर प्रतिबंध घोषित कर दिया, और दिराज़ शहर पहुँचने के रास्ते में सरकार द्वारा उत्पन्न बाधाओं और सरकारी बलों द्वारा की गई मारपीट और चोटों के बावजूद, शियों ने ईसा क़ासिम के नेतृत्व में जुमे की नमाज़ अदा करना जारी रखा। बहरैन के लोगों के प्रतिरोध के दौरान इस दिन को जुमातुल-तलबिया के नाम से जाना जाने लगा।[१५]

14 फ़रवरी आंदोलन

मुख्य लेख: बहरैन की 14 फ़रवरी क्रांति

ईसा क़ासिम अपनी विद्वत्तापूर्ण और प्रतिरोधक पृष्ठभूमि के कारण बहरैनी शियों के बीच एक विशेष स्थान रखते हैं, और उन्हें इस्लामी जागृति आंदोलन में बहरैनी शियों का नेता माना जाता है।[१६]

14 फ़रवरी के विद्रोह की शुरुआत में, वे बहरैनी सरकार की नीतियों के विरोध में मौन रहे।[१७] हालाँकि, बाद में उन्होंने कई मौकों पर आंदोलन का समर्थन किया, प्रदर्शनकारियों के साथ प्रदशनों में शामिल हुए, और अन्य बहरैनी शिया विद्वानों के साथ घायल और रिहा हुए कैदियों से मिलने गए, और बहरैनी सरकार के खिलाफ़ अपने विरोध की घोषणा की।[१८]

लब्बैक या बहरैन विरोध प्रदर्शन

बहरैनी राजा के इस बयान के जवाब में कि उन्होंने सरकार के विरोधियों की संख्या को बहुत कम कहा था, ईसा क़ासिम ने 2 मार्च, 2012 ई. को जुमे की नमाज़ में अपनी भागीदारी की घोषणा की और सभी बहरीनवासियों से 9 मार्च को "लब्बैक या बहरैन" शीर्षक से आयोजित शुक्रवार के मार्च में भाग लेने का आह्वान किया। यह प्रदर्शन 9 मार्च, 2012 को आयोजित किया गया था, जो बहरैन के शिया प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ सऊदी अरब के सैन्य बलों के हस्तक्षेप की वर्षगांठ के अवसर पर हुआ था, और कहा जाता है कि इसमें 500,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने बहरैन सरकार में बदलाव की मांग करते हुए नारे लगाए और बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन का विरोध किया। उन्होंने सऊदी अरब के सैन्य बलों की तत्काल वापसी और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की भी मांग की।[१९]

बहरैन सरकार की कार्रवाई

अबना समाचार एजेंसी के अनुसार, 17 मई, 2013 ई. को बड़ी संख्या में बहरैन सरकार के सशस्त्र सैनिकों ने ईसा क़ासिम के घर पर हमला किया और दरवाजों के ताले तोड़कर घर की तलाशी ली और घरेलू सामान को तहस-नहस कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान, सेना ने घर में मौजूद महिलाओं और बच्चों को एक कमरे में बंद कर दिया। इस कार्रवाई के कारण बहरैन के अंदर और बाहर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।[२०]

नागरिकता रद्द करना

अल-मुस्तफ़ा वर्ल्ड अवॉर्ड के चौथे एडिशन में आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम को सम्मानित किया गया

बहरैनी सरकार ने ईसा क़ासिम पर दबाव जारी रखते हुए 20 जून, 2016 को उनकी नागरिकता रद्द कर दी।[२१] इस कार्रवाई के कारण बहरैन के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की गईं।[२२]

सम्मान

तेहरान में 20 अप्रैल, 2014 ई. को अमीर कबीर विश्वविद्यालय में ईसा क़ासिम को सम्मानित करने के लिए "क्राइस्ट ऑफ बहरैन" (बहरैन का मसीहा) सम्मेलन आयोजित किया गया था।[२३] अल-मुस्तफ़ा विश्व विश्वविद्यालय ने 30 दिसम्बर, 2015 को तेहरान में इस्लामी दुनिया के कई विद्वानों की उपस्थिति में आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम के सम्मान में अल-मुस्तफा विश्व पुरस्कार का चौथा संस्करण भी आयोजित किया। समारोह में, ईसा क़ासिम के कार्यों के 45 खंडों का अनावरण किया गया और उनके प्रतिनिधि को प्रशंसा पट्टिका और अल-मुस्तफा विश्व पुरस्कार प्रदान किया गया।[२४]

उसवा अल-फ़ोकाहा वल-मुक़ावेमा सॉफ़्टवेयर का प्रकाशन

"उसवा अल-फ़काहा व अल-मुक़ावेमा" सॉफ़्टवेयर, जिसमें ईसा अहमद क़ासिम की अरबी कृतियों के 27 खंडों में 14 पुस्तक शीर्षकों का पाठ (5 चित्र शीर्षक और 9 पाठ शीर्षक) शामिल हैं, साथ ही उनके सम्मान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की पुस्तक, चित्र, और कई लघु वृत्तचित्र और संबंधित फ़िल्में भी शामिल हैं, 2017 ई. में इस्लामिक विज्ञान के लिए कंप्यूटर अनुसंधान केंद्र द्वारा प्रकाशित किया गया था।[२५]

फ़ुटनोट

  1. "अल सीरत अल मुख़्तसरा ले समाहत आयतुल्लाह अल शेख़ ईसा अहमद क़ासिम", अल-कौसर वेबसाइट।
  2. "अल सीरत अल मुख़्तसरा ले समाहत आयतुल्लाह अल शेख़ ईसा अहमद क़ासिम" अल-कौसर वेबसाइट।
  3. रहनुमा, हामिद, "निगाही बे ज़िन्दगी व आसारे मरहूम अल्लामा अल ग़रीफ़ी", तिबयान वेबसाइट।
  4. "मियाने इस्लाह व इंक़ेलाब: शेख क़ासिम, शिअयाने बहरैनी व जमहूरी इस्लामी ईरान"
  5. "ज़िन्दगी व सवाबिक रहबरे इंक़ेलाबियूने बहरैन + चित्र" मशरिक़ न्यूज़ वेबसाइट।
  6. "शेख ईसा अहमद कासिम"अल-वसत पत्रिका।
  7. "निगाही गुज़रा बर सर गुज़श्ते मुबारेज़ाती शेख़ ईसा क़ामिस", तसनीम न्यूज़ एजेंसी।
  8. "निगाही बे अंदीशेहा व दीदगाहाए शेख़ ईसा क़ासिम रहबरे शिअयाने बहरैन", फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी।
  9. "निगाही बे अंदीशेहा व दीदगाहाए शेख़ ईसा क़ासिम रहबरे शिअयाने बहरैन", फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी।
  10. "लक़बी के रहबरे इंक़ेलाब बे शेख़ ईसा क़ासिम दादंद/ मरदुमे बहरैन ताबेईयते आले ख़लीफ़ा रा लोग़व मी कुनन्द", मशरिक़ न्यूज़ वेबसाइट।
  11. "मोअर्रफ़ी ए मजमा", अहले बैत विश्व सभा वेबसाइट।
  12. "ख़ुत्बाहा ए नमाज़े जुमा आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम मुन्तशिर शुद", हौज़ा न्यूज़ एजेंसी।
  13. "एहतेमाले ममनूइयत एक़ाम ए नमाज़े जुमा रहबरे शिअयाने बहरैन", मेहर न्यूज़ एजेंसी।
  14. "आले ख़लीफ़ा चारेई जुज़ इस्लाहात न दारद", फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी।
  15. "हशूदे ग़फ़ीरा तोसल्ली ख़लफ़ा अल शेख़ क़ासिम व तहता शेआर “शुक्रवार तल्बिया”", अल-आलम चैनल वेबसाइट।
  16. बाक़ेरी आबिद और हादी अजीली, "वाकावी अंदीशे सियासी आयतुल्लाह शेख़ अल ईसा अहमद क़ासिम (रहबरे इंक़ेलाबे बहरैन), पृष्ठ 59।
  17. "तमासे तलफ़ोनी आयतुल्लाह सीस्तानी बा शेख़ ईसा क़ासिम बराए पैगीरी ए इंक़ेलाबे बहरैन/शेख़ ईसा अमेरिका रा शैताने बुज़ुर्ग मी दानद", रसा न्यूज़ एजेंसी।
  18. "उलमा ए बहरैन बे मुलाक़ाते मजरूहान रफ़तन्द", अल-आलम नेटवर्क; "सोखनरानी “शेख़ ईसा क़ासिम” दर सालगर्दे इंक़ेलाबे 14 फ़रवरी बहरैन", मेहर न्यूज़ एजेंसी; "शेख़ ईसा क़ासिम दर जमए 500 हज़ार बहरैनी", अल-आलम नेटवर्क।
  19. "शेख़ ईसा क़ासिम दर जमए 500 हज़ार बहरैनी", अल-आलम नेटवर्क।
  20. "वाकोनिशहा बे तज़ावुज़ बे बैते शेख़ ईसा क़ासिम/सोखनाने आयतुल्लाह क़ासिम पस अज़ हमले" अबना न्यूज़ एजेंसी।
  21. मरदूमे बहरैन बा कफ़न अज़ शेख़ ईसा क़ासिम हिमायत करदन्द + तस्वीर", अबना न्यूज़ एजेंसी।
  22. मरदूमे बहरैन बा कफ़न अज़ शेख़ ईसा क़ासिम हिमायत करदन्द + तस्वीर", अबना न्यूज़ एजेंसी; "तमासे तलफ़ोनी आयतुल्लाह सीस्तानी बा शेख़ ईसा क़ासिम बराए पैगीरी ए इंक़ेलाबे बहरैन/शेख़ ईसा अमेरिका रा शैताने बुज़ुर्ग मी दानद", ताबनाक वेबसाइट; "हिज़्बुल्लाह सलबे ताबेईयत रहबरे शिअयाने बहरैन रा महकूम कर्द", अबना न्यूज़ एजेंसी।
  23. "अज़ मसीहे बहरैन तजलील शुद", दानिशजू न्यूज़ एजेंसी।
  24. "तस्वीर/चहारुमीन दौरे जाएज़े जहानी अल-मुस्तफा, अल-मुस्तफ़ा न्यूज़ वेबसाइट।
  25. उस्वा फ़क़ाहत व मुक़ावेमत (मजमूआ ए आसार आयतुल्लाह शेख़ ईसा अहमद क़ासिम), नूर कंप्यूटर रिसर्च सेंटर।

स्रोत