हिज़्बुल्लाह लबनान
- यह लेख लेबनान की हिज़्बुल्लाह के बारे में है। समान शीर्षक वाली अवधारणा के बारे में जानने के लिए हिज़्बुल्लाह लेख देखें।
| इज़राइली कब्जे़ से लड़ना | |
| अन्य नाम | लेबनानी इस्लामी प्रतिरोध |
|---|---|
| स्थापना | 1982 |
| संस्थापक | सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्लाह, सुबही तुफ़ैली, सय्यद अब्बास मूसवी, सय्यद हसन नसरुल्लाह, नईम क़ासिम, हुसैन कूरानी, हुसैन ख़लील ओर... |
| दृष्टिकोण | जेहादी |
| गतिविधि के प्रकार | सैन्य, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक |
| गतिविधि के दायरा | लेबनान, सीरिया, फ़िलिस्तीन और यमन |
| लक्ष्य | ज़ायोनी शासन के प्रभुत्व से कब्जे़ वाले क्षेत्रों को मुक्त कराना |
| स्थान | लबनान |
| महासचिव | नईम क़ासिम |
| स्थिति | सक्रिय |
| भाषा गतिविधि | अरबी |
| संबद्ध केंद्र | अल-मनार टीवी चैनल |
| आसार | मेलिता संग्रहालय |
| वेबसाइट | लेबनान में इस्लामी प्रतिरोध लेबनान में इस्लामी प्रतिरोध की फ़ारसी भाषा की आभासी वेबसाइट |
हिज़्बुल्लाह (अरबीः حزب اللہ) लेबनान में एक शिया राजनीतिक और सैन्य समूह है जिसका गठन 1982 में ईरान के इस्लामी गणराज्य के समर्थन से इजरायल का सामना करने के लिए किया गया था। इस पार्टी ने शहादत तलब आपरेशन के साथ इजरायल के खिलाफ़ गतिविधि शुरू की। फिर उसने अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि की और कत्यूषा रॉकेट और गुरिल्ला युद्धों के साथ इज़राइल का सामना करना शुरू कर दिया।
अब तक (2024 तक), हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच कई सैन्य टकराव हो चुके हैं, जिनमें से एक 33-दिवसीय युद्ध भी है। इज़राइल ने यह युद्ध हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने और अपने दो सैनिकों को मुक्त कराने के उद्देश्य से शुरू किया था, जिन्हें हिज़्बुल्लाह द्वारा 'अल-वअद अल-सादिक' (सच्चा वादा) नामक अभियान में बंदी बना लिया गया था। इसके अलावा, अल-अक्सा तूफ़ान अभियान के बाद, हमास और गाज़ा पट्टी के लोगों के समर्थन में हिज़्बुल्लाह की भूमिका के कारण, ज़ायोनी शासन इज़राइल की सेना और हिज़्बुल्लाह की सेनाओं के बीच झड़पें तेज हो गईं। इन तनावों के दौरान, हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल द्वारा गाज़ा के लोगों की हत्या को रोकने के उद्देश्य से उत्तरी अधिकृत क्षेत्रों में सैन्य लक्ष्यों पर हमला किया। इज़राइल ने भी हिज़्बुल्लाह के कई सदस्यों और कमांडरों की हत्या की, जिनमें हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह भी शामिल थे। सय्यद हसन नसरुल्लाह से पहले, सय्यद अब्बास मूसवी इस पार्टी के महासचिव थे, उनकी भी ज़ायोनी शासन द्वारा हत्या कर दी गई थी। नईम क़ासिम 29 अक्टूबर 2024 को सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत के लगभग एक महीने बाद हिज़्बुल्लाह के तीसरे महासचिव बने।
सीरिया में भी हिज़्बुल्लाह ने इस देश की सरकार के समर्थन में तकफ़ीरी बलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। इस पार्टी की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियां भी हैं। अल-मनार टीवी चैनल हिज़्बुल्लाह का है।
इतिहास और गठन के क्षेत्र
लेबनान की हिज़्बुल्लाह का गठन 1982 में ईरान के इस्लामी गणराज्य के समर्थन से हुआ था।[१] सबसे पहले इसने कई वर्षों तक ज़ायोनी कब्जे के खिलाफ़ गुप्त रूप से काम किया। 11 नवंबर, 1984 को अहमद जाफर क़सीर ने दक्षिणी लबनान में इजरायली सैनिकों के खिलाफ़ शहादत तलब अभियान चलाया और उनमें से कई मारे गए। 16 फरवरी 1985 को उसी समय जब इज़राइल सैदा से पीछे हटा, हिज़्बुल्लाह ने अहमद जाफ़र क़सीर के शहादत तलब अभियान की ज़िम्मेदारी संभाली और आधिकारिक तौर पर इज़राइल का सामना करने की अपनी विचारधारा और रणनीति की घोषणा की।[२]
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडरों में से एक हुसैन दहक़ान के अनुसार, ईरान और इराक़ के बीच युद्ध में 1982 ई में जेरूसलम ऑपरेशन के बाद इज़राइल ने लबनान पर हमला किया। इज़राइल का सामना करने के लिए लेबनानी सेना को प्रशिक्षित करने के लिए आईआरजीसी कमांडरों के एक समूह को लेबनान भेजा गया। सैन्य प्रशिक्षण के अलावा उन्होंने ईरान से संबंधित समूहों के बीच एकता बनाने के लिए भी काम किया, जो अंततः हिज़्बुल्लाह के गठन का कारण बना।[३] हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव नईम क़ासिम के अनुसार इमाम ख़ुमैनी ने इन समूहों को सैन्य प्रशिक्षण के लिए लेबनान भेजा था। बेशक, पहले, अमल आंदोलन के संगठन, हिज्ब अल-दावा, बका विद्वानों और इस्लामी समितियों का जमावड़ा इजरायल के कब्जे के खिलाफ एक पार्टी बनाने के लिए एक समझौते पर पहुंचा और इसकी योजना को इमाम ख़ुमैनी ने भी मंजूरी दे दी थी।[४]
नेतृत्व
हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव सुबही तुफ़ैली थे, जो 5 नवंबर 1989 को इस पद के लिए चुने गए थे। इससे पहले, पार्टी का नेतृत्व सात वर्षों के लिए एक परिषद शैली में किया गया था।[५] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्लाह, सुबही तुफ़ैली, सय्यद अब्बास मूसवी, सय्यद हसन नसरुल्लाह, नईम क़ासिम, हुसैन कूरानी, हुसैन ख़लील, मुहम्मद राद, मुहम्मद फ़नीश, मुहम्मद यज़्बेक और सय्यद इब्राहीम अल अमीन अल सय्यद हिज़्बुल्लाह के संस्थापकों में से थे।[६] मई 1991 में सय्यद अब्बास मूसवी को सुबही तुफ़ैली के मतभेदों और आलोचनाओं के कारण हिज़्बुल्लाह का नया महासचिव चुना गया।[७] 16 फरवरी 1992 को उन्हें इज़राइल द्वारा शहीद कर दिया गया। और हिज़्बुल्लाह परिषद ने सय्यद हसन नसरुल्लाह को महासचिव चुना।[८]सय्यद हसन नसरुल्लाह भी 27 सितंबर, 2024 को इजरायली बलों के बमबारी में शहीद हो गए थे।[९]
नईम क़ासिम 29 अक्टूबर, 2024 को सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत के लगभग एक महीने बाद हिज्बुल्लाह का तीसरे महासचिव बना।[१०]
प्रमुख पात्र
हिज़्बुल्लाह के कुछ प्रमुख पात्रो का उल्लेख इस प्रकार हैं:
सय्यद हसन नसरुल्लाह
- मुख़्य लेखः सय्यद हसन नसरुल्लाह

सय्यद हसन नसरुल्लाह (शहादत: 2024 ईस्वी) लेबनान की हिज्बुल्लाह पार्टी के तीसरे महासचिव और सन् 1982 में इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनके कार्यकाल के दौरान, हिज्बुल्लाह एक क्षेत्रीय शक्ति बन गई और कई ऑपरेशनों को अंजाम देने के बाद, सन 2000 में इज़रायल को लेबनान से पीछे हटने और लेबनानी क़ैदियों को रिहा करने के लिए मजबूर करने में सफल रही। सय्यद हसन नसरुल्लाह 27 सितंबर, 2024 को इज़रायली बलों की बमबारी में शहीद हो गए।[११]
सय्यद अब्बास मूसवी
- मुख़्य लेखः सय्यद अब्बास मूसवी

सय्यद अब्बास मूसवी हिज़्बुल्लाह के संस्थापक सदस्य और दूसरे महासचिव थे। 1991 ई मे सुबही तुफ़ैली को हटाने के बाद हिज़्बुल्लाह के महासचिव बने।[१२] उन्होंने पहले इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी ताक़तों के साथ लड़ाई लड़ी थी। पार्टी के महासचिव के रूप में उनका कार्यकाल नौ महीने से भी कम का था और उन्हे इस्राइल द्वारा शहीद कर दिया गया था।[१३]
सुब्ही तुफ़ैली
- मुख़्य लेखः शेख सुब्ही तुफ़ैली
शेख सुब्ही तुफ़ैली (जन्म 1948) लबनान में हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव थे और 1989 से 1991 तक इस पद पर रहे।[१४] 1998 में उन्होंने "सौरातुल जिया" (भूखी क्रांति) आंदोलन की स्थापना की। उनके समर्थकों ने कुछ सरकारी केंद्रों पर हमला किया, जिससे झड़पें हुईं और कई लोग मारे गए।[१५] वह लबनान में हिज़्बुल्लाह और ईरान के इस्लामी गणराज्य के आलोचक हैं।[१६]
एमाद मुग़निया
- मुख़्य लेखः एमाद मुग़निया

हाज रिज़वान के नाम से मशहूर एमाद मुगनिया हिज़्बुल्लाह के प्रमुख कमांडरों में से एक थे। वह उच्च पदस्थ अधिकारियों के सुरक्षा गार्ड के प्रभारी थे और हिज़्बुल्लाह के विशेष अभियानों के लिए जिम्मेदार थे। वह अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन के डिजाइनर और नेता और इज़राइल के साथ 33-दिवसीय युद्ध में हिज़्बुल्लाह के फील्ड कमांडर भी थे।[१७] इज़राइल ने 12 फरवरी 2008 को दमिश्क में उन्हें शहीद कर दिया।[१८]
सय्यद हाशिम सफ़ीउद्दीन
- मुख्य लेख: सय्यद हाशिम सफ़ीउद्दीन
सय्यद हाशिम सफ़ीउद्दीन हिज़्बुल्लाह लेबनान के स्थापना के समय से ही इसके सदस्य रहे थे और सन् 1994 से वह इस पार्टी की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष थे।[१९] उन्हें हिज़्बुल्लाह का दूसरा प्रमुख व्यक्ति[२०] और सय्यद हसन नसरुल्लाह का उत्तराधिकारी माना जाता था।[२१] इज़राइली सेना ने 3 अक्टूबर 2024 को दाहिया, बेरुत में इज़राइली हमले में सफ़ीउद्दीन की हत्या की खबर दी।[२२] मीडिया ने 22 अक्टूबर 2024 को उनके शव की खोज की खबर दी[२३] और हिज़्बुल्लाह ने आधिकारिक तौर पर 23 अक्टूबर 2024 को उनकी शहादत की घोषणा की।[२४]
नईम क़ासिम
- मुख्य लेख: नईम क़ासिम

नईम क़ासिम, जिन्हें शेख़ नईम क़ासिम के नाम से जाना जाता है (जन्म: 1953 ई.), हिज़्बुल्लाह लेबनान के चौथे महासचिव हैं।[२५] वह हिज़्बुल्लाह लेबनान के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और सन् 1991 से इसके उप-अध्यक्ष रहे हैं।[२६] सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद 29 अक्टूबर 2024 को नईम क़ासिम को हिज़्बुल्लाह का चौथा महासचिव चुना गया।[२७]
इज़राइल से मुक़ाबला
1985 में हिज़्बुल्लाह ने इसराइली जनता का सामना करने के लिए अपनी विचारधारा और रणनीति बनाई।[२८] प्रारम्भिक वर्षों में हिजबुल्लाह की गतिविधि इजरायली सेना के खिलाफ शहादत संचालन के कार्यान्वयन पर केंद्रित थी; लेकिन धीरे-धीरे यह तरीका बदल गया। हिज़्बुल्लाह के तत्कालीन महासचिव सय्यद अब्बास मूसवी की हत्या की प्रतिक्रिया में, इस पार्टी की सेना ने पहली बार उत्तरी फिलिस्तीन में ज़ायोनी बस्तियों पर कत्युशा रॉकेट दागे।[२९] हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन
- मुख्य लेख: 33 दिवसीय युद्ध
2006 में हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच युद्ध हुआ, जिसे तमूज़ युद्ध या 33-दिवसीय युद्ध के रूप में जाना जाता है। हिज़्बुल्लाह के साथ समझौते के विपरीत इज़राइल ने तीन लेबनानी कैदियों को रिहा नहीं किया। हिज़्बुल्लाह ने जुलाई 2006 में अल-वाद अल-सादिक ऑपरेशन में उनकी रिहाई के लिए दो इज़रायली सैनिकों को पकड़ लिया। इज़रायल ने अपने दो बंदियों को मुक्त करने और हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने के लिए लबनान पर हमला किया और हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ गया जो 33 दिनों तक चला।[३०]
जनवरी 1993 संघर्ष

25 जुलाई, 1993 को, इज़रायल ने हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने और पार्टी और लोगों के बीच संबंधों में एक खाई पैदा करने के साथ-साथ प्रतिरोध को रोकने के लिए लबनान सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से लबनान पर हमला किया। यह हमला हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया के साथ हुआ और पार्टियों ने 31 जुलाई, 1993 को जुलाई समझौता स्वीकार कर लिया। इस समझौते के आधार पर, हिज़्बुल्लाह इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्रों में इजरायल की आक्रामकता के बदले में कत्युशा रॉकेट लॉन्च करने से परहेज करने पर सहमत हो गया।[३१]
अप्रैल 1996 संघर्ष

11 अप्रैल 1996 को इजरायल ने लबनान के खिलाफ ऑपरेशन क्लस्टर ऑफ रेज शुरू किया। यह ऑपरेशन चार नरसंहारों दूसरे दिन सहमर, तीसरे दिन मंसूरी एम्बुलेंस, सातवें दिन नबतीह फ़ौकन और क़ाना के साथ प्रसिद्ध हुआ। इस हमले में हिज़्बुल्लाह बलों के चौदह सदस्यों सहित 25 लोग शहीद हुए। ऑपरेशन 16 दिनों तक चला और आखिरकार, अप्रैल में इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौते में इजरायल नागरिकों पर हमला नहीं करने और सैन्य टकराव में केवल प्रतिरोध बलों के साथ शामिल होने पर सहमत हुआ।[३२]
अंसारिया ऑपरेशन
हिज़्बुल्लाह ने 9/5/1992 को इजरायली कमांडो के नौसैनिक आक्रमण का मुकाबला करने के लिए अंसारीया ऑपरेशन का आयोजन किया, जिसके परिणामस्वरूप 17 ज़ायोनी मारे गए और घायल हो गए।[३३]
प्रतिरोधी कैदियों को मुक्त करना

दक्षिणी लबनान से इजरायली सेना की वापसी के बाद, मुस्तफा दैरानी और शेख अब्दुल करीम ओबैद जैसे कुछ हिज़्बुल्लाही इजरायली जेलों में थे। हिज़्बुल्लाह ने दक्षिणी लबनान के शब्आ क्षेत्रों में एक अभियान चलाकर 7 अक्टूबर 2000 को तीन इज़राइली सैनिकों को पकड़ लिया और बेरूत में एक इज़राइली कर्नल को गिरफ्तार कर लिया। इज़राइल ने कई लेबनानी और 400 फ़िलिस्तीनियों को रिहा किया और 59 शहीदों के शव सौंपे। और 24 लापता व्यक्तियों का भी खुलासा किया और लबनान की सीमाओं पर लगाई गई मीनो का भी नक्शा दिया। एक्सचेंज ऑपरेशन 29 और 30 जनवरी 2004 को किया गया था।[३४]
2008 में 33 दिवसीय युद्ध के बाद, हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के साथ बातचीत करके और जर्मनी की मध्यस्थता से शेष लेबनानी बंदियों को भी रिहा करया। उन्होंने 33-दिवसीय युद्ध में प्रतिरोध शहीदों के शवों को भी लिया और इज़राइल से दलाल मगरबी और उनके 12 लोगों के समूह सहित शेष लेबनानी और फिलिस्तीनी प्रतिरोध शहीदों के शवो को लिया।[३५]
तूफ़ान अल अक़्सा ऑपरेशन के बाद हमास और गाज़ा के लोगों का समर्थन
2023 और 2024 में अक्सा तूफ़ान ऑपरेशन और इज़राइल द्वारा गाज़ा पट्टी के लोगों की हत्या के बाद, हिज़्बुल्लाह ने फ़िलिस्तीन के लोगों के समर्थन में इज़राइल के क़ब्जे़ वाले क्षेत्रों के उत्तर में इज़राइली सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। हमास और फ़िलिस्तीन के लोगों के लिए हिज़्बुल्लाह के समर्थन ने हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच झड़पों को तेज़ कर दिया। अल-आलम नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, हिज़्बुल्लाह ने अक्सा तूफ़ान के बाद सिर्फ 133 दिनों के भीतर फ़िलिस्तीन और हमास की रक्षा में इज़राइल के खिलाफ 1,038 से अधिक ऑपरेशन किए।[३६] इसके जवाब में, इज़राइली सेना ने लेबनान और सीरिया पर कई हमलों के साथ हिज़्बुल्लाह के कई सदस्यों और कमांडरों की हत्या कर दी। तस्नीम न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अक्सा तूफ़ान ऑपरेशन से लेकर लगभग 9 महीने तक, लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने फ़िलिस्तीन की रक्षा में अपने 316 लड़ाकों के शहीद होने की खबर दी थी।[३७] इज़राइल ने हिज़्बुल्लाह के पेजर बमों को विस्फोटित करके हिज़्बुल्लाह के तीन हज़ार से अधिक सदस्यों और लेबनान के नागरिकों को शहीद और घायल कर दिया।[३८] इन झड़पों की निरंतरता में, इज़राइल ने लगभग 28 सितंबर 2024 को बेरूत में हिज़्बुल्लाह के कमांड सेंटर पर हमला करके सय्यद हसन नसरुल्लाह को शहीद कर दिया, जो हिज़्बुल्लाह के सर्वोच्च नेता थे।[३९]
इज़राइली सेना के साथ हिज़्बुल्लाह के लगभग 14 महीने के संघर्ष के बाद, लगभग 28 नवंबर 2024 को उनके बीच युद्धविराम लागू हुआ;[४०] हालाँकि इज़राइली सेना के प्रवक्ता के स्वीकारोक्ति के अनुसार, उसी दिन इज़राइल के हमलों और हिज़्बुल्लाह के दो सदस्यों के मारे जाने के साथ ही युद्धविराम का उल्लंघन हो गया था।[४१]
आईएसआईएस के खिलाफ सीरिया में उपस्थिति
हिज़्बुल्लाह ने आईएसआईएस से लड़ने में सीरियाई सरकार का सहयोग किया। सीरिया में अशांति की शुरुआत के बाद, हिज़्बुल्लाह ने सीरियाई सेना के साथ तकफीरियों के साथ लड़ाई लड़ी।[४२] अल-क़सीर की मुक्ति सीरिया में हिज़्बुल्लाह की सबसे महत्वपूर्ण जीत में से एक रही है।[४३]
राजनीतिक गतिविधियाँ
हिज़्बुल्लाह ने 1992 में पहली बार लबनान के चुनावों में भाग लिया और संसद में बारह सीटें जीतीं। 1996 में, उन्होंने लबनान की संसद की 128 में से 10 सीटों और 2000 में 12 सीटें जीतीं।[४४] 2005 के आम चुनावों में, उन्होंने अमल आंदोलन के साथ गठबंधन में अपने दम पर चौदह सीटें और दक्षिण लबनान की सभी 23 सीटों पर जीत हासिल की और मोहम्मद फेनिश को जल और ऊर्जा मंत्री के रूप में कैबिनेट में भेजा।[४५]
2005 के बाद हिज़्बुल्ला को मार्च 8 समूहों में शामिल किया गया। 2005 में हरीरी की हत्या के साथ ही लबनान के राजनीतिक क्षेत्र में नई श्रेणियां बनाई गईं। मार्च 8 समूह का गठन बेरूत में हिज़्बुल्लाह की 2005 की सभा के बाद और इस समूह के निरस्त्रीकरण, सीरिया के समर्थन और इज़राइल के खिलाफ प्रतिरोध के विरोध में किया गया था; संयुक्त मोर्चा, जो हिज़्बुल्लाह, अमल हिज़्ब और क्रिश्चियन आज़ाद पार्टी से निकला था, और बाद में जमात-ए-इस्लामी लबनान, इस्लामिक एकेश्वरवाद आंदोलन (सुन्नी) और लेबनानी डेमोक्रेटिक पार्टी (द्रुज़ी) जैसी अन्य धाराओं को इसमें जोड़ा गया।[४६]
इसके साथ ही अमेरिका, फ्रांस, सऊदी अरब और मिस्र जैसे देशों के समर्थन से लबनान में 14 मार्च का आंदोलन खड़ा हो गया, जिसमें लबनान से सीरिया को निकालने और प्रतिरोध के निरस्त्रीकरण की मांग की गई। फ्यूचर मूवमेंट अर्थात जिरयान अल-मुस्तक़बिल (सुन्नी), हिज्ब अल-कताइब और लेबनानी सेना (ईसाई) और लबनान का प्रगतिशील समाजवादी आंदोलन (द्रुज़ी) इस आंदोलन का समर्थन करने वाले मुख्य समूह थे।[४७]
सामाजिक गतिविधियां

हिज़्बुल्लाह का ध्यान इजरायल की आक्रामकता का विरोध करने पर है; हालाँकि, इस पार्टी की सामाजिक गतिविधियाँ भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- इजरायली आक्रमण और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान के पुनर्निर्माण के लिए जिहाद निर्माण संस्थान की स्थापना
- 1988 से 1991 के वर्षों में बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में शहरी कचरे का संग्रह
- बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में पीने के पानी की व्यवस्था
- कृषि गतिविधियाँ
- इस्लामी स्वास्थ्य समुदाय और कई चिकित्सा और अस्पताल केंद्रों का निर्माण
- छात्रों को अनुसंधान और शैक्षिक सेवाएं प्रदान करना
- शहीदों के परिवारों को सेवाएं प्रदान करने के लिए शहीद फाउंडेशन की स्थापना
- वंचितों का समर्थन करने के लिए इस्लामिक चैरिटी रिलीफ कमेटी की स्थापना[४८]
मीडिया

- अल-मनार टीवी चैनल: अल-मनार टीवी की स्थापना 1991 में हुई थी
- अल-नूर रेडियो (http://www.alnour.com.lb) (1988 में स्थापना)
- अल-अहद साप्ताहिक समाचार पत्र (http://www.alahednews.com.lb)[४९]
- क़ाविम वेबसाइट http://qawem.org
- दक्षिण लबनान की वेबसाइट http://www.southlebanon.org
- हिज़्बुल्लाह की मीडिया संबंध इकाई की वेबसाइट http://www.mediarelations-lb.org
हिज़्बुल्लाह ने मेलिटा क्षेत्र में अपने एक ठिकाने को संग्रहालय में बदल दिया है।[५०]
समर्थक और विरोधी
दुनिया में हिज़्बुल्लाह के समर्थक हैं। हिज़्बुल्लाह के सबसे महत्वपूर्ण समर्थक ईरान और सीरिया हैं। रूस भी हिज़्बुल्लाह को एक वैध सामाजिक-राजनीतिक संगठन के रूप में मानता है[५१] ईरान ने हिज़्बुल्लाह की स्थापना और उसकी सेनाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण में भूमिका निभाई है।[५२] इसके अलावा, ईरान ने इज़राइल के कारण हुए खंडहरों के पुनर्निर्माण के लिए लबनान पुनर्निर्माण मुख्यालय का गठन किया है।[५३] हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका, अरब लीग, फ़ारस की खाड़ी के राज्यों की सहयोग परिषद और ... ने हिज़्बुल्लाह या उसकी सैन्य शाखा को एक आतंकवादी समूह घोषित किया है।[५४] लेबनानी सेना के साथ टकराव इज़राइल उन लोगों के लिए एक कारण है जो मानते हैं कि हिज़्बुल्लाह एक आतंकवादी संगठन नहीं है और उसके पास भी हथियार होने चाहिए।[५५]
मोनोग्राफ़ी
हिज़्बुल्लाह के बारे में किताबें लिखी गई हैं। इनमें लबनान में हिज़्बुल्लाह के नेताओं में से एक, नईम क़ासिम द्वारा लिखी गई किताब हिज़्बुल्लाह अल-मन्हज अल-तजरबा अल-मुस्तक़बल लबनान वा मुक़ावेमतोहू फ़िल वाजेहा शामिल हैं। इस किताब में हिज़्बुल्लाह का इतिहास, लक्ष्य और गतिविधियां परिलक्षित होती हैं।[५६] इस किताब का फ़ारसी में "हिज़्बुल्लाह लबनान खते मशी, गुज़िश्ता वा आइंदा ए आन" शीर्षक के साथ अनुवाद किया गया है।[५७]
| संख्या | शीर्षक | स्थापना | संस्थापक | प्रमुख पात्र | सरदार | धर्म | देश | मोनोग्राम | मीडिया |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | अमल आंदोलन | 1974 | इमाम मूसा सद्र | मुस्तफ़ा चमरान | नबीह बेर्री | शिया | लेबनान | NBN टीवी | |
| 2 | इस्लामी जेहाद आंदोलन फ़िलिस्तीन | 1981 | फ़ातहि शक़ाक़ी | रमजान अब्दुल्लाह हेसाम अबू हरबीद |
ज़्याद नखाला | अहले सुन्नत | ग़ाज़ा | फ़िलिस्तीन टुडे नेटवर्क | |
| 3 | हिज़्बुल्लाह लबनान | 1982 | सय्यद अब्बास मूसवी सय्यद हसन नसरुल्लाह |
नईम क़ासिम | शिया | लेबनान | अल-मनार नेटवर्क | ||
| 4 | बद्र संगठन | 1985 | अदनान इब्राहीम अबू महदी अल-मुहंदिस |
हादी अल-आमिरी | शिया | इराक़ | अल-ग़दीर नेटवर्क | ||
| 5 | हमास ((इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन)) |
1987 | शेख़ अहमद यासीन | अब्दुल अज़ीज़ अल-रनतीसी इस्माईल हनिया यहया सिनवार |
हमास अस्थायी समिति | अहले सुन्नत | फ़िलिस्तीन | ||
| 6 | कुद्स फोर्स | 1990 | सय्यद अली ख़ामेनई | अहमद वहीदी क़ासिम सुलेमानी |
इस्माइल क़आनी | शिया | ईरान | ||
| 7 | अंसार अल्लाह मूवमेंट (यमन) | 1990 | हुसैन अल-हौसी | बद्र अल-दीन अल हौसी | अब्दुल मलिक हौसी | ज़ैदीया | यमन | अल-मसीरा नेटवर्क | |
| 8 | इराक़ी हिज़्बुल्लाह ब्रिगेड | 2003 | अबू महदी अल-मुहंदिस | अबू हुसैन हमीदावी अबू बाक़िर अल-सादी अरकान अल-अलावी |
अहमद मोहसिन फ़राह अल-हमीदावी | शिया | इराक़ | अलेतेजाह़ नेटवर्क | |
| 9 | इराक़ की सय्यद अल-शोहदा ब्रिगेड | 2003 | अबू मुस्तफ़ा ख़ज़ अली हाज अबू सैफ़ |
अबू आला अल विलाइ | शिया | इराक़ | |||
| 10 | असाएब अहले अल-हक | 2004 | क़ैस अल ख़ज़अली | अब्दुल हादी अल-दराजी मुहम्मद अल बहादिली |
क़ैस अल ख़ज़अली | शिया | इराक़ | अल अहद नेटवर्क | |
| 11 | नोजबा इस्लामिक रेजिस्टेंस | 2004 | अकरम अल काबी | अबू ईसा इक़लीम मुशताक़ काज़िम अल हवारी |
अकरम अल काबी | शिया | इराक़ | ||
| 12 | ज़ैनबियुन सेना | 2013 | पाकिस्तानी शियाओं का एक समूह | ज़ीनत अली जाफ़री अक़ीद मालिक मुतह्हर हुसैन |
शिया | पाकिस्तान | |||
| 13 | फ़ातेमियून सेना | 2013 | कई अफ़ग़ानी लड़ाके | अलीरेज़ा तवास्सुली सय्यद मुहम्मद हसन हुसैनी सय्यद अहमद सादात |
शिया | अफ़ग़ानिस्तान | |||
| 14 | हश्द शाबी | 2014 | हादी अमेरी अबू महदी अल-मुहंदिस |
फ़ालेह फ़य्याज़ | शिया | इराक़ |
फ़ुटनोट
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- ↑ अहमद क़सीर आगाज़गर अमलयात शहादत तलबाने दर लबनान, खबरगुज़ारी सदा वा सीमा
- ↑ नहव ए शकल गीरी हिज्बुल्लाह लुबनान अज़ ज़बान वज़ीर दिफाअ, खबरगुज़ारी ईरना
- ↑ नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 22-25
- ↑ नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85
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- ↑ कासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85-86
- ↑ नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह, 1423 हिजरी, पेज 85-86
- ↑ शहादत अल अमीन अल आम ले हिज़्बिल्लाह समाहत अल सय्यद हसन नसरुल्लाह, अल मनार साइट।
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स्रोत
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- नईम क़ासिम, हिज़्बुल्लाह अल मंहज अल तजरब अल मुस्तक़बल, बैरूत, दार अलहादी, 1423 हिजरी
- इंतेख़ाबात दाग दर कराना शरजी मुदीतराने मुरूरी बर मुशख़्ख़ेसात एहज़ाब वा जिरयानात सियासी लुबनान, नशरीया फ़रहंगी तहलीली राह, क्रमांक 41, ख़ुरदाद 1388 शम्सी
- आया हिज़्बुल्लाह लुबनान यक साज़मान तेरोरिस्ती अस्त
- मुसाहेबा बा हुज्जतुल इस्लाम सय्यद हसन नसरुल्लाह उज़वे शूरा ए मरकज़ी हिज़्बुल्लाह, पासदाराने इस्लाम, क्रमांक 67, फ़रवरदीन 1367 शम्सी
- हिज़्बुल्लाह यफ़ततेहो मुतहफन असकरीयन अन मुक़ावमतेही लेइस्राईल फ़ी जुनूब लुबनान, रूइतर्ज 22 मई 2010 ई, विजीट 12 खु़रदाद 1400 शम्सी
- हुसैनी, सय्यद एमाद, सैर तहव्वुल दर रहबरी वा ऐडयालोजी हिज़्बुल्लाह, शहरवंद, क्रमांक 48, ख़ुरदाद 1387 शम्सी
- ज़मानी महजूब, महमूद, तासीर नगरिश माअनवी बर पीरूज़ी मुकावेमत हिज़्बुल्लाह, मआरिफ़, क्रमांक 58, मुरदाद व शहरीवर, 1392 शम्सी
- 1038 अमलियाते हिज़्बुल्लाह अलैहे सहयोनिस्तहा तय 133 रोज़े जंग, अल-आलम नेटवर्क, प्रकाशन तिथि: 27 बहमन 1402 शम्सी (16 फरवरी 2024), देखे जाने की तिथि: 18 मेहर 1403 शम्सी (10 अक्टूबर 2024)।
- आमारे शोहदा ए हिज़्बुल्लाह दर राहे क़ुदस बे 316 नफ़र रसीद, तस्नीम समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 6 खोर्दाद 1403 शम्सी (26 मई 2024), देखे जाने की तिथि: 18 मेहर 1403 शम्सी (10 अक्टूबर 2024)।
- शहादत अल अमीन अल आम ले हिज़्बुल्लाह समाहत अल सय्यद हसन नसरुल्लाह, अल-मनार वेबसाइट, प्रकाशन तिथि: 29 सितंबर 2024 ई., देखे जाने की तिथि: 9 अक्टूबर 2024 ई.।
- हिज़्बुल्लाह कुश्ते शुदने अली कर्की रा ताईद कर्द, अनादोलू समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 29 सितंबर 2024 ई., देखे जाने की तिथि: 9 अक्टूबर 2024 ई.।
- सरदार नीलफ़रोशान दर बेरूत बे शहादत रसीद, बायोग्राफ़ी, अल-आलम समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 8 मेहर 1403 शम्सी (30 सितंबर 2024), देखे जाने की तिथि: 18 मेहर 1403 शम्सी (10 अक्टूबर 2024)।
- 11 शहीद व 108 ज़ख़्मी आमारे हमलाते रोज़े गुज़्शते बे ज़ाहिया जुनूबी बेरूत, इस्ना समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 7 मेहर 1403 शम्सी (29 सितंबर 2024), देखे जाने की तिथि: 18 मेहर 1403 शम्सी (10 अक्टूबर 2024)।
- इज़राइल 11 हमले हवाई बे बैरूत तरतीब दाद, अनादोलू समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 21 अक्टूबर 2024 ई., देखे जाने की तिथि: 21 अक्टूबर 2024 ई.।
- मोअस्सस ए अल क़र्ज़ अल हसना.."हिज़्बुल्लाह बैंक" फ़ी लेबनान, अल-जज़ीरा, अनादोलू समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 20 अक्टूबर 2024 ई., देखे जाने की तिथि: 21 अक्टूबर 2024 ई.।
- Weaponising ordinary devices violates international law: UN rights chief»، business-standard.Published: 21 September 2024, Accessed: 9 October 2024