हिंद उत्बा की बेटी
हिंद बिन्ते उत्बा | |
---|---|
जन्म स्थान | मक्का |
प्रसिद्ध रिश्तेदार | अबू सुफ़ियान, मुआविया |
मृत्यु की तिथि और स्थान | वर्ष 14 हिजरी |
इस्लाम लाने का समय | मक्का की विजय के समय |
युद्धों में भागीदारी | बहुदेववादियों की सेना के साथ ओहद की लड़ाई में भागीदारी, मुसलमानों की सेना के साथ यरमूक की लड़ाई में भागीदारी |
प्रसिद्धि का कारण | हिंद जिगरख़्वार (हमज़ा सय्यद अल शोहदा के कलेजे को दांतों से पकड़ने के कारण) |
विशेष भूमिकाएँ | ओहद की लड़ाई में हमज़ा के शरीर काे अंग-भंग करना |
हिंद उत्बा की बेटी (अरबी: هند بنت عتبة) जिसे हिंद जिगर ख़्वार (मृत्यु 14 हिजरी) के नाम से जाना जाता है, अबू सुफ़ियान की पत्नी और मुआविया की मां है। ओहद की लड़ाई में, उसने बहुदेववादियों को मुसलमानों के साथ लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और युद्ध के अंत में, उसने हमज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब की छाती और पेट को फाड़ दिया और उनके जिगर को दोतों से पकड़ा। उसने मारे गए मुसलमानों के कान और नाक से हार और कंगन भी बनाए। मक्का की विजय के बाद हिंद मुसलमान बन गई और दूसरे ख़लीफ़ा के समय में उसकी मृत्यु हो गई।
जीवनी
हिंद, क़ुरैश[१] के बुज़ुर्ग उत्बा बिन रबीआ बिन अब्दुश्शम्स और सफ़िया बिन्ते उम्मया बिन हारेसा की बेटी थी।[२] उसे क़ुरैश की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक माना जाता था[३] जो बहुत बुद्धिमान थी।[४] कुछ स्रोतों ने विभिन्न कविताओँ की निस्बत (श्रेय) उसकी ओर दी है।[५]
हिंद ने हफ़्स बिन मुग़ीरा मख्ज़ूमी से विवाह किया[६] और अबान नाम के एक बेटे को जन्म दिया,[७] लेकिन कुछ समय बाद यह विवाह तलाक़ में समाप्त हो गया।[८] हफ़्स से अलग होने के बाद, हिंद ने अपने पिता पर उससे सलाह किए बिना हफ़्स से शादी करने का आरोप लगाया।[९] फिर उसने अबू सुफ़ियान से शादी की।[१०] अबू सुफ़ियान से हिंद ने मुआविया और उत्बा[११] नाम के दो बेटों और जुवैरिया और उम्मुल हकम नाम की दो बेटियों को जन्म दिया।[१२] सुन्नी इतिहासकार ज़हबी के अनुसार, अबू सुफ़ियान ने अपने जीवन के अंत में हिंद को तलाक़ दे दिया।[१३] दूसरे ख़लीफ़ा के समय में, उसने बैतुल माल से चार हज़ार दिरहम उधार लिए और उस राशि से व्यापार किया।[१४]
इब्ने जौज़ी का मानना है कि दूसरे ख़लीफ़ा के समय वर्ष 14 हिजरी में हिंद की मृत्यु हुई[१५] और असद अल ग़ाबा के लेखक का मानना है कि: उमर बिन ख़त्ताब की ख़िलाफ़त के दौरान, अबू बक्र के पिता अबू क़हाफ़ा की मृत्यु के दिन हिंद की मृत्यु हुई।[१६] इब्ने हज़र अस्क़लानी के अनुसार हिंद की मृत्यु उस्मान की ख़िलाफ़त के दौरान हुई।[१७]
ओहद की लड़ाई में उपस्थिति
हिंद ने ओहद की लड़ाई में भाग लिया,[१८] मक्का की सेना के बीच खड़ी हुई और उनसे मुसलमानों के खिलाफ़ लड़ने को प्रोत्साहित किया।[१९] हिंद ने बहुदेववादियों को प्रोत्साहित करते हुए इन छंदों का पाठ किया: "हम सुबह के तारों की बेटियां हैं। यदि आप विजयी होकर आगे बढ़ेंगे तो हम अपनी बाहें फैला देंगे और बिस्तर बिछा देंगे। यदि आप युद्ध के मैदान से मुंह मोड़ लेंगे, तो हम भी आपसे दूर हो जायेंगे।"[२०]
युद्ध के बाद हिंद ने बद्र की लड़ाई में मारे गए रिश्तेदारों के प्रतिशोध में कविता पढ़ी।[२१] बद्र के युद्ध में हिंद का पिता उत्बा बिन रबिआ, शैबा हिंद का चाचा और वलीद हिंद का भाई मारे गए।[२२] इसलिए, बद्र के युद्ध के बाद हिंद ने बद्र के युद्ध में मारे गए क़ुरैशों के ख़ून का बदला लेने के बारे में बात की और क़ुरैश को मुसलमानों से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।[२३]
हमज़ा और ओहद के अन्य शहीदों का अंग-भंग
ओहद की लड़ाई में हिंद ने तीन लोगों, पैग़म्बर (स), अली बिन अबी तालिब (अ) और हमज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब में से किसी एक को क़त्ल करने के लिए वहशी नामक एक हब्शी ग़ुलाम को नियुक्त किया।[२४] वहशी ने हमज़ा को शहीद कर दिया।[२५] हिंद ने हमज़ा की छाती और पेट फाड़ दिया[२६] और उनके कलेजे को अपने दांतों से पकड़ा।[२७] और उसे हमज़ा के शरीर के कुछ अन्य हिस्सों के साथ मक्का ले गई।[२८] और उसने हमज़ा के शरीर के अंग-भंग होने के बारे में छंद पढ़े:
حتی بقرت بطنه عن الکبد
أذهب عنی ذاک ما کنت أجد
من لذعة الحزن الشّدید المعتمد"जो उदासी मेरे अंदर थी ओहद में हमज़ा के माध्यम से ठीक हो गई। जब मैंने उसका पेट फाड़कर उसका कलेजा बाहर निकाला। इसने मुझे उस तीव्र दुःख से मुक्त कर दिया जो मुझे जला रहा था।"[२९]
हमज़ा के कलेजे को दांतों में लेने के कारण पैग़म्बर (स) ने हिंद को कलेजा खाने वाली के अर्थ में «آکلَةَ الْأَکبَاد» "अक्लतल अक्बाद" कहा है।[३०] उसके बच्चों को जिगर खाने वाली (ابْن آکلَة الْأَکبَاد) (इब्ने अक्लतल अक्बाद) की संतान भी कहा जाता था।[३१] ज़ियारते आशूरा में भी यज़ीद को «آکلة الاکباد» "आकेलतल अकबाद" के रूप में पेश किया गया है।[३२] और सीरिया में हज़रत ज़ैनब के उपदेश के एक वाक्यांश में भी, इस विषय का उल्लेख किया गया है: «وَ كَيْفَ يُرْتَجَى مُرَاقَبَةُ مَنْ لَفَظَ فُوهُ أَكْبَادَ الْأَزْكِيَاءِ وَ نَبَتَ لَحْمُهُ مِنْ دِمَاءِ الشُّهَدَاءِ» (व कैफ़ा युरतजा मुराक़बतो मन लफ़ज़ फ़ूहो अक्बादा अल अज़्कियाए व नबत लहमोहु मिन देमाए अल शोहदाए) (अनुवाद: उस व्यक्ति के बच्चे से करुणा और हमदर्दी की आशा कैसे की जा सकती है जिसने पाक व पवित्र कलेजे को अपने मुँह में लिया और उसका मांस (शरीर) शहीदों के खून से बड़ा हुआ है?!)[३३] हंज़ला बिन अबी आमिर को छोड़कर, जिसके पिता बहुदेववादियों में से थे, ओहद के युद्ध के अन्य शहीदों के शवों को हिंद और अन्य महिलाओं द्वारा जो बहुदेववादियों की सेना में मौजूद थीं, क्षत-विक्षत कर दिया गया था।[३४] और हिंद ने उनके कान और नाक के साथ हार और कंगन बनाए थे।[३५] इस्लामी इतिहास के लेखक और शोधकर्ता आयतुल्लाह जवादी आमोली का मानना है कि अभिव्यक्ति "व इब्न अक्लतल अक्बाद" से जिसका अर्थ "कलेजों के खाने वाली का बेटा" है, से यह स्पष्ट है कि उसने कई लोगों के साथ ऐसा किया और यह हमज़ा सय्यद अल शोहदा के लिए विशिष्ट नहीं था।[३६]
इस्लाम स्वीकार करना
मक्का की विजय के दौरान हिंद अपने पति अबू सुफ़ियान के इस्लाम स्वीकार करने के बाद मुसलमान बन गई।[३७] इसलिए, उसे सहाबा में गिना जाता है।[३८] हालांकि कुछ स्रोतों को संदेह है कि वह वास्तव में मुसलमान हो गई थी।[३९] वह अपना चेहरा ढक कर पैग़म्बर (स) के पास गई और ईमान लाई, और ईमान लाने के बाद उसने अपने चेहरे से नक़ाब हटाया।[४०] पैग़म्बर (स) ने पहले ही उसे महदूर अल दम (जिसकी हत्या की अनुमति है) माना था।[४१] पैग़म्बर (स) के बारे में उसकी कुछ व्याख्याओं से यह समझा जा सकता है कि वे अपनी राय में पैग़म्बर को एक भोला और अज्ञानी व्यक्ति मानती थी।[४२]
इब्ने असाकर के अनुसार, जब हिंद इस्लाम में परिवर्तित हुई, तो पैग़म्बर (स) ने उससे कहा कि वह ईश्वर के साथ साझीदार (शरीक) न बनाए, व्यभिचार (ज़ेना) न करे, चोरी न करे। हिंद ने कहा: क्या कोई स्वतंत्र व्यक्ति व्यभिचार करता है? पैग़म्बर (स) ने यह भी कहा: बच्चों को मत मारो। जवाब में हिंद ने कहा हमने अपने बच्चों को पाला और आपने उन्हें बद्र की लड़ाई में मार डाला। पैग़म्बर (स) ने उत्तर दिया कि भगवान ने उन्हें मार डाला।[४३] कुछ स्रोतों के अनुसार, हिंद मक्का में व्यभिचार (ज़ेना) के लिए प्रसिद्ध थी,[४४] लेकिन इसके ख़िलाफ़ सबूतों (शवाहिद) का उल्लेख किया गया है।[४५]
इसके अलावा, हिंद के इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद, जब पैग़म्बर (स) ने उससे पूछा कि वह इस्लाम को कैसे देखती है, तो उसने रुकूअ, सिर पर स्कार्फ़ पहनना और काबे के ऊपर एक काले ग़ुलाम के रोने (काबा के ऊपर से बेलाल हब्शी का अज़ान देने की ओर इशारा) के तीन कार्यों को छोड़कर, इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ माना। जवाब में, पैग़म्बर (स) ने कहा कि बिना रुकूअ नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती, वह काला ग़ुलाम भगवान का एक अच्छा बन्दा है, और स्कार्फ़ से बेहतर क्या ढक सकता है?[४६]
हिंद ने अबू सुफ़ियान के साथ यरमूक की लड़ाई में भाग लिया और मुसलमानों को रोमनों के खिलाफ़ लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।[४७]
फ़ुटनोट
- ↑ इब्ने अब्दुल बर्र, अल-इस्तियाब, 1412 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 715।
- ↑ इब्ने हबीब, अल मुहबर, दार अल आफ़ाक़ अल जदीदा, पृष्ठ 19।
- ↑ ज़हबी, तारीख़े इस्लाम, 1409 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 298।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 292।
- ↑ बशीर यमूत, शाएरात अल अरब फ़ी अल जाहेलिया व अल इस्लाम, 1352 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 128।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 293।
- ↑ इब्ने साद, तबक़ात अल कुबरा, 1418 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 187।
- ↑ अल तबरानी, अल मोअजम अल कबीर, 1415 हिजरी, खंड 25, पृष्ठ 69।
- ↑ सिब्ते बिन जौज़ी, मिरआत अल ज़मान फ़ी तवारीख़ अल आयान, 1434 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 204।
- ↑ इब्ने साद, तबक़ात अल कुबरा, 1418 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 187।
- ↑ इब्ने असाकर, तारीख़े मदीना दमिश्क़, 1402 हिजरी, खंड 27, पृष्ठ 180।
- ↑ बलाज़ोरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 5।
- ↑ ज़हबी, तारीख़े इस्लाम, 1409 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 299।
- ↑ ज़हबी, तारीख़े इस्लाम, 1409 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 299।
- ↑ सिब्ते बिन जौज़ी, मिरआत अल ज़मान फ़ी तवारीख़ अल आयान, 1434 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 206।
- ↑ इब्ने अल असीर, असद अल ग़ाबा, 1415 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 281।
- ↑ इब्ने हजर अस्क़लानी, 1415 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 347।
- ↑ क़ुमी, तफ़्सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 111।
- ↑ क़ुमी, तफ़्सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 116।
- ↑ इब्ने अब्दुल बर्र, अल-इस्तियाब, 1412 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 1922।
- ↑ इब्ने हिशाम, अल सिरत अल नब्विया, दार अल मारेफ़ा, खंड 2, पृष्ठ 91।
- ↑ बलाज़ोरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 297।
- ↑ शहाता, मुआविया बिन अबी सुफियान, दार अल ख़लीफ़ा अल राशेदीन, खंड 1, पृष्ठ 69।
- ↑ शेख़ मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 83।
- ↑ इब्ने जौज़ी, अल-मुंतज़म, 1412 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 179।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 530।
- ↑ इब्ने असीर, अल कामिल, 1385 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 159।
- ↑ बलाज़ोरी, अंसाब अल अशराफ़, 1417 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 287।
- ↑ इब्ने हिशाम, अल सिरत अल नब्विया, दार अल मारेफ़ा, खंड 2, पृष्ठ 92।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 30, पृष्ठ 296।
- ↑ नस्र बिन मुज़ाहिम, वक़्आ सिफ़्फ़ीन, 1404 हिजरी, पृष्ठ 179।
- ↑ क़ुमी, मफ़ातीह, ज़ियारते आशूरा।
- ↑ अल-क़ुमी, नफ़्सुल महमूम, अल-मकतबा अल हैदरीया द्वारा प्रकाशित, पृष्ठ 608।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 530।
- ↑ सालेही दमिश्क़ी, सुबुल अल होदी, 1414 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 220।
- ↑ https://javadi.esra.ir/fa/w/Tafsir-Sura-Muzmal-Jalse-4-1398/01/24- तफ़्सीरे सूर ए मोज़म्मिल चौथी सभा,
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 292।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 293; अबू नईम इस्फ़हानी, मारेफ़त अल सहाबा, 1419 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 3460।
- ↑ शुश्त्री, क़ामूस अल रेजाल, 1410 हिजरी, खंड 12, पृष्ठ 350।
- ↑ मिक़रेज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 389।
- ↑ दय्यार बकरी, तारीख़ अल ख़मीस, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 94।
- ↑ इब्ने असाकर, तारीख़े मदीना दमिश्क़, 1415 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 183।
- ↑ इब्ने असाकर, तारीख़े मदीना दमिश्क़, 1402 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 178।
- ↑ इब्ने अबी अल हदीद, शरहे नहजुल बलाग़ा, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 336।
- ↑ महदी बिन रिज़्क़ुल्लाह, मुज़ाअल व अख़्ताअ, मजमा अल मुल्क फ़हद, खंड 1, पृष्ठ 54।
- ↑ इब्ने असाकर, तारीख़े मदीना दमिश्क़, 1402 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 182।
- ↑ इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 293।
स्रोत
- इब्ने अबी अल हदीद, अब्दुल हमीद बिन हेबतुल्लाह, शरहे नहजुल बलाग़ा, मुहम्मद अबुल फ़ज़्ल इब्राहीम द्वारा अनुसंधान और सुधार, क़ुम, मकतबा आयतुल्लाह अल मर्शी अल नजफ़ी, 1404 हिजरी।
- इब्ने असीर जज़री, अली इब्ने मुहम्मद, असद अल ग़ाबा फ़ी मारेफ़त अल सहाबा, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1409 हिजरी।
- इब्ने असीर, अली इब्ने अबी अल-करम, अली मुहम्मद मोअव्वज़ द्वारा शोध- आदिल अहमद अब्दुल-मौजूद, प्रकाशक: दार अल कुतुब अल इल्मिया, पहला संस्करण, 1415 हिजरी, 1994 ईस्वी।
- इब्ने असीर जज़री, अली इब्ने मुहम्मद, अल कामिल फ़ी अल तारीख़, बेरूत, दार सादिर, 1385 हिजरी।
- इब्ने जौज़ी, अब्दुर्रहमान बिन अली, अल-मुंतज़म, मुहम्मद अब्दुल क़ादिर अत्ता और मुस्तफ़ा अब्दुल-क़ादिर अत्ता द्वारा शोध, बेरूत, दार अल-किताब अल इल्मिया, 1412 हिजरी।
- इब्ने हबीब, मुहम्मद, अल-मोहबर, इल्ज़ा लिचटेन-शेटर द्वारा शोध, बेरूत, दार अल आफ़ाक़ अल जदीदा, बी ता।
- इब्ने हजर अस्क़लानी, अहमद बिन अली, अल ऐसाबा फ़ी तमईज़ अल सहाबा, अब्दुल मौजूद और आदिल अहमद, मोअव्वज़, अली मुहम्मद द्वारा शोध, बेरुत, दार अल किताब अल इल्मिया, पहला संस्करण, 1415 हिजरी।
- इब्ने साद कातिब वाक़ेदी, मुहम्मद इब्ने साद, तबक़ात अल कुबरा, बेरूत, दार अल कुतुब अल इल्मिया, दूसरा संस्करण, 1418 हिजरी।
- इब्ने अब्दुल बर्र, यूसुफ़ बिन अब्दुल्लाह, अल इस्तियाब फ़ी मारेफ़त अल असहाब, अली मुहम्मद अल-बजावी द्वारा शोध, बेरूत, दार अल जील, 1412 हिजरी।
- इब्ने असाकर, अली इब्ने हुसैन, तारीख़े मदीना दमिश्क़, अली शिरी द्वारा शोध, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1402 हिजरी।
- इब्ने असाकर, अली इब्ने हुसैन, तारीख़े मदीना दमिश्क़, शोधकर्ता: अम्र इब्ने ग़रामा अल उमरवी, प्रकाशक: दार अल फ़िक्र लिल तबाआ व अल नशर व अल तौज़ीअ, 1415 हिजरी, 1995 ईस्वी।
- इब्ने हिशाम, अब्दुल मलिक, अल सीरत अल नब्विया, मुस्तफ़ा अल सक्क़ा और इब्राहीम अल आबयारी और अब्दुल हफ़ीज़ शल्बी द्वारा, बेरूत, दार अल मारेफ़ा, बी ता।
- अबू नईम इस्फ़हानी, अहमद बिन अब्दुल्लाह, मारेफ़त अल सहाबा, मुहम्मद हसन इस्माईल शफ़ीई द्वारा शोध, बेरूत, दार अल किताब अल इल्मिया, मंशूराते मुहम्मद अली बिज़ून, 1419 हिजरी।
- बशीर यमूत, शाएराते अल अरब फ़ी अल जाहेलिया व अल इस्लाम, बेरूत, अल मकतबा अल अहलिया, 1352 हिजरी।
- बलाज़ोरी, अहमद बिन यह्या, अंसाब अल-अशराफ़, सोहेल ज़क्कार और रेयाज़ ज़रकली द्वारा शोध, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1417 हिजरी।
- दिय्यार बकरी, तारीख़ अल ख़मीस फ़ी अहवाल अन्फ़ुस अल नफ़ीस, बेरूत, दार सादिर, बी ता।
- ज़हबी, मुहम्मद बिन अहमद, तारीख अल इस्लाम, उमर अब्दुल सलाम तदमारी द्वारा शोध, बेरूत, दार अल-किताब अल-अरबी, 1409 हिजरी।
- सिब्ते बिन जौज़ी, मिरआत अल ज़मान फ़ी तवारीख़ अल आयान, दमिश्क, दार रेसाला अल आलेमिया, 1434 हिजरी।
- शहाता, मुहम्मद सक़र, मुआविया बिन अबी सुफियान: कश्फ़े शुबहात व रद्दे मुफ़तरेयात:, अलेक्जेंड्रिया, दार अल-ख़लीफ़ा अल राशेदीन, बी ता।
- शुश्त्री, मुहम्मद तक़ी, क़ामूस अल रेजाल, क़ुम, मोअस्सास ए अल नशर अल इस्लामी, 1410 हिजरी।
- शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद, अल इरशाद फ़ी मारेफ़त होज्जुल्लाह अला अल एबाद, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
- सालेही दमिश्क़ी, मुहम्मद बिन यूसुफ़, सुबुल अल होदा वा अल रेशाद फ़ी सीरत ख़ैर अल एबाद, बेरूत, दार अल कुतुब अल इल्मिया, 1414 हिजरी।
- अल तबरानी, सुलेमान बिन अहमद, अल मोअजम अल कबीर, हमदी बिन अब्दुल मजीद अल सल्फ़ी द्वारा शोध, क़ाहिरा, मतकबा इब्ने तैमिया, 1415 हिजरी।
- क़ुमी, अली बिन इब्राहीम, तफ़सीर अल क़ुमी, सय्यद तय्यब मूसवी जज़ायरी का अनुसंधान और सुधार, क़ुम, दार अल किताब, 1404 हिजरी।
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार अल अनवार, बेरूत, दार एहिया अल तोरास अल अरबी, 1403 हिजरी।
- मिक़रेज़ी, तकी अल दीन, इम्ताअ अल इस्मा बेमा लिल नबी मिन अल अहवाल वा अल अमवाल वा अल-हिफ़्दा वा अल मताअ, मुहम्मद अब्दुल हमीद नमीसी द्वारा शोध, बेरुत, दार अल कुबतु अल इल्मिया, 1420 हिजरी।
- महदी बिन रिज़कुल्लाह, मुज़ाअम व अख़्ताअ व तनाक़ुज़ात व शुबहात बूदली फ़ी किताबेह: "अल-रसूल, हयात मुहम्मद", दरासत नक़्दिया, मदीना, मजमा अल मुल्क फ़हद, बी ता।
- नसर बिन मोज़ाहम, वक़्आ सिफ़्फ़ीन, अब्दुस्सलाम मुहम्मद हारून द्वारा शोध, क़ुम, मकतब आयतुल्लाह अल मर्शी अल नजफ़ी, 1404 हिजरी।
- https://javadi.esra.ir/fa/w/Tafsir-Sura-Muzmal-Jalse-4-1398/01/24- तफ़्सीरे सूर ए मोज़म्मिल, चौथी सभा।