क़राअत शीराज़ी
क़राअत शीराज़ी (मृत्यु 1341 हिजरी) उनका असली नाम अमीना था और वह क़राअत के नाम से प्रसिद्ध थीं और हौज़ ए इल्मिया कर्बला में महिला प्रोफेसरों में से एक थीं। वह उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी को हदीस वर्णन करने की अनुमति दी और उनसे भी हदीस वर्णन करने की अनुमति प्राप्त की।
जीवनी
सुश्री अमीना, जिन्हें क़राअत शिराज़ी के नाम से जाना जाता है, का जन्म शिराज़ में हुआ था। वह मिर्ज़ा इब्राहिम महल्लाती और मिर्ज़ा हेदायतुल्लाह शिराज़ी के छात्रों में से थीं और उन्होने उनसे हदीस बयान करने की अनुमति प्राप्त की थी। फिर वह कर्बला में बस गईं और वहां उन्होने महिलाओं के लिये कुतुबे अरबआ का पाठ शुरु किया। क़राअत को हदीसें नक़्ल करने के लिए आयतुल्लाह मरअशी से मौखिक अनुमति प्राप्त थी और उन्होने उन्हें भी हदीस नक़्ल करने की अनुमति दी थी।[१] 1341 ई. में उनकी मृत्यु कर्बला में हुई और उन्हें वहीं दफ़न किया गया।[२]
फ़ुटनोट
स्रोत
- ग़रवी नायिनी, नहला, मुहद्देसाने शिया, तेहरान, तरबियत मोदर्रिस विश्वविद्यालय, दूसरा संस्करण, 2006।