आमेना क़ज़वीनी
आमेना क़ज़वीनी (जन्म 1202 हिजरी), उन विद्वान महिलाओं में से एक, जिनके पास शिया हदीस को बयान करने की अनुमति (हदीस नक़्ल करने का प्रमाण) थी, उनके पति मोहम्मद सालेह बरग़ानी शरिया मामलों (अहकाम) में महिलाओं को उनके पास भेजा करते थे।
परिवार और शिक्षा
आमेना शेख मुहम्मद अली बिन अब्दुल करीम बिन मुहम्मद यहया बिन मुहम्मद शफ़ीअ कज़वीनी की बेटी हैं और उनका जन्म 1202 हिजरी में हुआ था। वह मिर्ज़ा अब्दुल वहाब कज़विनी की बहन, मोहम्मद सालेह बरग़ानी की पत्नी [१] और ताहिरा क़ुरा-तुल-ऐन की माँ थीं।
लगभग 1219 हिजरी में, उन्होंने अपने भाई से शिक्षा प्राप्त की और वह अपने पती के फ़िक़्ह और उसूल पाठों में भाग लिया करती थीं। उन्होंने सालेहिया स्कूल में शेख़ मुल्ला आगा हकीमी कज़विनी के मदरसे में उच्च ज्ञान और दर्शन का अध्ययन किया और वह कज़वीन में शेख़ अहमद एहसाई के मदरसे में भी पाठों में भाग लिया करती थीं। उनके पति महिलाओं को सलाह देत थे कि वे उनका अनुसरण करें और धार्मिक नियमों (अहकाम) के लिए उनसे संपर्क करें। उनके पती और भाई और शेख़ अहमद अहसाई ने उन्हें हदीसों के वर्णन करने की अनुमति (हदीस नक़्ल करने का प्रमाण) दी थी। [२]
आमेना ने अपने दौर की महिलाओं के लिए कर्बला और क़ज़वीन में एक स्कूल की स्थापना की थी। उन्होंने कर्बला की घटना के बारे में ज़ैनब कुबरा (अ) की ज़बानी 480 छंदों वाली एक लंबी कविता लिखी और वह कई ग्रंथों की लेखक भी थीं। [३]
फ़ुटनोट
स्रोत
- ग़रवी नायिनी, नहला, मुहद्देसाने शिया, तेहरान, तरबियत मोदर्रिस विश्वविद्यालय, दूसरा संस्करण, 2006।