फ़ातेमा काशानी

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फ़ातेमा काशानी (1088-1114 हिजरी) फ़ैज़ काशानी की पोती थीं, जो धार्मिक विज्ञान में शिक्षित थीं और उन्हें हदीस वर्णन करने की अनुमति (हदीस नक़्ल करने का प्रमाण) थी। फ़ातेमा मुल्ला मोहसिन फ़ैज़ काशानी के बेटे मोहम्मद अलम अल-हुदा की बेटी थीं, जिनका उपनाम उम्मे सलमा था, और उन्होने ज़िल-हिज्जा 1112 हिजरी में अपने रिश्तेदारों में से एक मौला ज़ैनुद्दीन अली से शादी की थी। 20 जमादी अल-सानी 1114 हिजरी को उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें काशान में उनके दादा मुल्ला मोहसिन फ़ैज़ काशानी के मक़बरे (पारिवारिक मक़बरे) में उनके पिता के चरणों में दफ़्न किया गया।

फ़ातिमा ने बुनियादी शिक्षा (मुक़द्देमात की शिक्षा) अपने भाइयों से प्राप्त की और अपने चाचाओं (जिन्हे अबू हामिद मुहम्मद उपनाम नुरुल-हुदा और मोइनुद्दीन अहमद के नाम से जाना जाता है) से न्यायशास्त्र (फ़िक्ह) और न्यायशास्त्र के सिद्धांत (उसूले फ़िक़्ह) की शिक्षा हासिल की और वह अपने पिता और चाचाओं से हदीसें नक़्ल किया करती थी।[१]

फ़ुटनोट

  1. ग़रवी नायिनी, मुहद्देसाने शिया, 2006, पृष्ठ 285; अल-अमीन, मुस्तद्रक आयान अल-शिया, दार अल तआरुफ़, खंड 3, पृष्ठ 159।

स्रोत

  • अल-अमीन, हसन, मुस्तदरक आयान अल-शिया, बेरूत, दार अल-तआरुफ़, बी ता।
  • ग़रवी नायिनी, नहला, मुहद्देसाने शिया, तेहरान, तरबियत मोदर्रिस विश्वविद्यालय, दूसरा संस्करण, 2006।