शरफ़ुल अशराफ़ बिन्ते सय्यद बिन ताऊस
शरफ़ अल-अशराफ़ (फ़ारसी: شرف الاشراف دختر سید بن طاوس) सय्यद बिन ताऊस की बेटी, विद्वान महिलाओं में से एक, जिनके पास शिया हदीस उल्लेख करने की अनुमति थी।
शरफ़ अल-अशराफ़ सय्यद अली बिन ताऊस और ज़हरा ख़ातून (मंत्री नासिर बिन महदी की पुत्री) की बेटी हैं। वह फ़ातेमा, मुहम्मद और अली (अली बिन ताऊस के बेटे) की बहन हैं।[१]
सय्यद बिन ताऊस ने अपनी पुस्तक कश्फ़ अल-महज्जा में अपने बेटे मुहम्मद को लिखा: "आप जानते हैं कि मैंने आपकी बहन शरफ़ अल-अशराफ़ को युवावस्था (बालिग़ होने) से पहले कुछ वैज्ञानिक मुद्दों के लिए तैयार किया था और उसे चीजें समझाई थीं।"[२] उनके पिता ने उन्हे और उनके भाई-बहनों को शेख़ तूसी की किताब अल अमाली की हदीस के वर्णन करने की अनुमति दी थी, और उन्होंने अपनी बेटियों का वर्णन करते हुए कहा कि वे (क़ुरआन व हदीस) याद रखने वाली (हाफ़िज़) और (हदीस) लिखने वाली (कातिब) हैं।[३]
फ़ुटनोट
स्रोत
ग़रवी नायिनी, नहला, मुहद्देसाने शिया, तरबियत मुदर्रेस यूनिवर्सिटी, तेहरान, दूसरा संस्करण, 2006।