फ़िज़्ज़ा बलाग़ी

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फ़िज़्ज़ा बलाग़ी, (मृत्यु 1280 हिजरी), महिला विद्वानों और अधिकृत शिया हदीस को बयान करने की अनुमति रखने वाली महिलाओं में से हैं। फ़िज़्ज़ा अहमद बलाग़ी की बेटी, हसन बलाग़ी की पत्नी और मोहम्मद जवाद बलाग़ी की मां हैं। उन्होंने अपने पिता से क़ुरआन और अरबी की शिक्षा प्राप्त की और अपने परिवार के विद्वानों से न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह) और सिद्धांत (उसूले फ़िक्ह) का ज्ञान हासिल किया और उन्होंने उन्हें हदीस के वर्णन करने की अनुमति दी। वह सिद्धांतों, न्यायशास्त्र और हदीस को पढ़ाया करती थीं, और कुछ छात्र उनके पाठों में भाग लेते थे। कुछ विद्वानों ने उन्हें अल-क़वानीन पुस्तक इस आधार पर सुनाई कि इसके लेखक ने उन्हें इस किताब को नक़्ल करने की अनुमति दी थी। [१]

सय्यद हसन सद्र ने किताब तकमेला अमल अल-आमिल में लिखा है:

"फ़िज़्ज़ा एक पढ़ी लिखी महिला थी जिन्हे किताबें लिखने के लिए पैसे मिलते थे और वह और उनके पति इसी पैसे से जीवन यापन किया करते थे। उनकी लिखी कुछ पुस्तकें उपलब्ध हैं; जैसे कश्फ़ अल-ग़ेता, उन्होने 3 ज़िल-क़ादा, शुक्रवार, 1249 हिजरी को इसका लिखना समाप्त किया था। फ़िज़्ज़ा बलाग़ी का निधन 1280 में हुआ था।" [२]

फ़ुटनोट

  1. ग़रवी नायिनी, मुहद्देसाने शिया, 2006, पृष्ठ 300; अल-अमीन, मुस्तदरक आयान अल-शिया, दार अल-तआरुफ़, खंड 3, पृष्ठ 164।
  2. अल-अमीन, मुस्तदरक आयान अल-शिया, दार अल-तआरुफ़, खंड 3, पृष्ठ 164।

स्रोत

  • अल-अमीन, हसन, मुस्तदरक आयान अल-शिया, बेरूत, दार अल-तआरुफ़, बी ता।
  • ग़रवी नायिनी, नहला, मुहद्देसाने शिया, तेहरान, तरबियत मोदर्रिस विश्वविद्यालय, दूसरा संस्करण, 2006।