मुख़ैरीक़

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मुखैरीक़
उपनामनाज़री, इज़राईली, यहूदी
वंशबनी नज़ीर या बनी क़ैनोक़ाअ या बनी सअलबा बिन फ़ित्यौन
निवास स्थानमदीना
शहादत का शहरवर्ष 3 हिजरी में ओहोद क्षेत्र
शहादत कैसे हुईओहोद की लड़ाई
गतिविधियांहैताने सबआ के पिछले मालिक


मुखैरीक़ (अरबीःمُخَیْریق) इस्लाम के पैग़म्बर (स) के समय का एक बुद्धिमान यहूदी था जो ओहोद की लड़ाई में शहीद हो गया था। उसने ओहोद की लड़ाई में अपनी जनजाति से पैग़म्बर (स) की मदद करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और पैग़म्बर (स) की मदद करने के लिए अकेला निकल पड़ा।

मुख़ैरीक़ ने अपनी संपत्ति, जिसमें सात बाग़ शामिल थे, पैग़म्बर (स) को दे दिए। पैग़म्बर(स) ने इन बागों को वक़्फ़ कर दिया या दान कर दिया। पैग़म्बर (स) के स्वर्गवास के बाद, फ़ातिमा (स) ने अबू बक्र से फ़दक और इन बगीचों सहित पैग़म्बर (स) की शेष संपत्ति देने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें ख़लीफा के विरोध का सामना करना पड़ा; हालांकि बाद में इमाम अली (अ) और अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब के अनुरोध पर उमर बिन ख़त्ताब ने इन बागों का प्रबंधन इमाम अली (अ) को सौंप दिया।

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, मुख़ैरीक़ दुनिया से मुसलमान गया; लेकिन एक कथन के अनुसार उसकी मृत्यु इस्लाम धर्म पर नहीं हुई। पैग़म्बर (स) की उसके यहूदी नेता और सर्वश्रेष्ठ यहूदी के रूप में प्रशंसा करने को उसके इस्लाम की निशानी मानते हैं।

पहचान और स्थान

मुख़ैरीक़ को यहूदी बुजुर्गों,[१] व्यक्तिगत विद्वान[२] और अहबार अर्थात अहले किताब के विद्वानो मे से एक माना जाता है।[३] पैग़म्बर (स) उन्हें सर्वश्रेष्ठ यहूदियों में से एक मानते थे।[४] 14 वीं चंद्र शताबादी के चरित्र चित्रकार ज़रकली और अन्य लोगो ने उन्हें पैग़म्बर (स) के साथियों में से एक माना है।[५] और अल असाबा फ़ी तमीज़िस सहाबा मे, सहाबा लेखन के स्रोतो मे उनकी जीवनी से संबंधित लिखा गाया है।[६]

मुख़ैरीक़ को एक अमीर व्यक्ति माना जाता है[७] जिसके पास कई संपत्तियाँ[८] और कई बाग़[९] थे।

मुख़ैरीक़ बनी नज़ीर[१०] या बनी फ़ित्यौन[११] जनजाति से है और विशेष रूप से बनी सअलबा बिन फ़ित्यौन[१२] से है। उनमें से कुछ इसे बनी-क़ैनोक़ाअ[१३] और यहां तक कि इस जनजाति का प्रमुख[१४] जानते हैं। उसे नज़री,[१५] इसराइली[१६] और यहूदी[१७] की उपनाम से याद किया जाता है।

ओहोद की लड़ाई में भागीदारी और शहादत

ऐतिहासिक स्रोतों की रिपोर्टों के अनुसार, मुख़ैरीक़ ने ओहोद की लड़ाई में भाग लिया था।[१८] चंद्र कैलेंडर की दूसरी और तीसरी शताब्दी के इतिहासकार इब्न हेशाम के अनुसार मुख़ैरीक़ ने युद्ध से पहले अपनी जनजाति के लोगों से पैग़म्बर (स) की मदद करने के लिए कहा था। उन्होंने जवाब दिया कि आज शनिवार है और हम कोई काम नहीं करेंगे। मुख़ैरीक़ ने उत्तर दिया कि ऐसी परिस्थितियों में शनिवार को विशेषाधिकार आवश्यक नहीं हैं पैग़म्बर (स) की मदद करने मे जल्दी करें।[१९] इतिहासकार वाक़ैदी और बलाज़ुरी के अनुसार मुख़ैरीक़ ने इस बातचीत में शपथ ली थी कि यहूदी जानते थे कि मुहम्मद ईश्वर के पैगंबर है।[२०] [नोट १]

मुख़ैरीक़ की ओहोद की लड़ाई में शहादत हो गई[२१] हालाँकि, सैय्यद इब्न ताउस द्वारा लिखित पुस्तक अल-तराइफ़ फ़ी मारफ़त मज़हब अल-तवाइफ़ के अनुवाद में कहा गया है कि मुख़ैरीक़ की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई थी[२२] हालाँकि अरबी पाठ में ऐसी जानकारी नहीं मिली।

पैग़म्बर (स) को संपत्ति का हस्तांतरण

मुख़ैरीक़ ने वसीयत बनाई ताकि उनकी संपत्ति इस्लाम के पैग़म्बर (स) तक पहुंच जाए।[२३] सूत्रों के अनुसार, मुख़ैरित ने यह वसीयत ओहोद की लड़ाई के लिए जाने के दौरान की थी, ताकि उनकी मृत्यु की स्थिति में उनकी संपत्ति पैग़म्बर (स) के पास पहुंच जाए।[२४] जबकि कुछ का कहना है कि संपत्ति शहादत के समय वसीयत की गई थी[२५] अंसाब अल-अशराफ़ में बलाज़ुरी ने लिखा कि मुख़ैरीक़ ने अपने जीवन मे ही संपत्ति पैग़म्बर (स) को दे दी थी।[२६] मुहम्मद तक़ी शूशतरी (मृत्यु 1416 हिजरी) द्वारा लिखित क़ामूस अल रेजाल मे भी इसी बात को उद्धृत किया है।[२७] कुछ विद्वानों ने यह भी कहा है कि जब उन्होंने अपने इस्लाम की घोषणा की, तो उन्होंने अपनी सारी संपत्ति पैग़म्बर (स) को दे दी थी।[२८]

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने मुख़ैरिक़ की दौलत को सदक़ा क़रार दिया।[२९]] पैग़म्बर (स) के दान का एक भाग[३०] और यहाँ तक कि प्रमुख भाग[३१] के रूप मे इसी संपत्ति के रूप मे माना गया है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि पैग़म्बर (स) के सभी दान पहले मुख़ैरीक़ से संबंधित थे।[३२] साथ ही, कुछ ने कहा है कि पैग़म्बर (स) ने मुख़ैरीक़ की संपत्ति को वक़्फ़ कर दिया था[३३] इसीलिए इस सम्पत्ति को सबसे पहला वक़्फ़ माना जाता है जो पैग़म्बर (स) के हाथो मुख़ैरिक की ओर से वक़्फ़ की गई[३४] या सीधे मुख़ैरीक़ के माध्यम से वक़्फ़ हुई थी।[३५]

सात बाग

मुख्य लेख: सात बाग

मुख़ैरीक़ के सात बाग की संपत्ति इस प्रकार है [नोट २]: मीसब, साफ़ीया, अद्दलाल, हुस्ना, बुर्क़ू, आवाफ़ और मशरबाह उम्मे इब्राहीम[३६] उपरोक्त बागो को पैग़म्बर (स) के बाग के रूप में जाना जाता था,[३७] जिनमे मदीना के सबसे अच्छे खज़ूर के पेड़ शामिल थे।[३८] रिपोर्टों के अनुसार, पैग़म्बर (स) के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातिमा (स) ने अबू बक्र से पैग़म्बर (स) द्वारा छोड़ी गई संपत्ति को देने के लिए कहा, जिसमें फ़दक और सात बाग भी शामिल थे, अबू बक्र द्वारा विरोध किया गया था[३९] अबू बक्र का विरोध करना हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के क्रोध का कारण बना।[४०] दूसरे ख़लीफ़ा के समय में, इमाम अली (अ) और अब्बास बिन अब्द अल-मुत्तलिब ने उमर से इन संपत्तियों की मांग की, और ख़लीफ़ा ने, फदक और ख़ैबर में खेतों के अलावा, इन बगीचों सहित अन्य संपत्तियों को इमाम को सौंप दिया।[४१] बाद में, इन बागो को हज़रत फातिमा (स) के बच्चों को हस्तांतरित कर दिया गया।[४२]

अबू बसीर ने इमाम बाक़िर (अ) से रिवायत किया है कि हज़रत फातिमा (स) ने सातो बगीचों का प्रशासन इमाम अली (अ), फिर इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) और फिर हर समय अपनी पीढ़ी के सबसे बड़े वंशज को सौंपने की वसीयत की। इस परंपरा के समान इमाम सादिक़ (अ) से भी रिवायत को इंगित किया जाता है।[४३]

धर्म

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, मुख़ैरीक़ अपनी आसमानी किताबो के ज्ञान के आधार पर पैग़म्बर (स) को पूर्ण रूप में पहचानता था, लेकिन यहूदी धर्म में उनकी रुचि ने उसे सच्चाई व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी।[४४] कुछ लोग मानते हैं कि वह (मुख़ैरीक़) आसमानी किताबो की खुशखबरी के आधार पर इस्लाम के पैग़म्बर (स) के अंतिम रसूल होने पर विश्वास करता था और पहला मुसलमान बनने में रुचि रखते थे, लेकिन यहूदी बुजुर्गों के साथ संघर्ष की रोकथाम के कारण ऐसा करने मे बाधा बने[४५] जब तक कि वह ओहोद की लड़ाई के दिन मुसलमान नहीं बन गया।[४६] कई स्रोतों मे इस्लाम धर्म अपनाने का उल्लेख हुआ है।[४७] ऐसा कहा जाता है कि अल्लाह के रसूल (स) पर ईमान लाने के पश्चात[४८] उसने अपने कबीले बनी क़ैनक़ाअ से पैग़म्बर (स) पर विश्वास करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।[४९]

दूसरी ओर, इब्न साद (मृत्यु 230 हिजरी) ने किताब तबकात के अनुसार, मुख़ैरीक़ कभी मुसलमान नहीं बना, लेकिन ओहोद की लड़ाई के दिन वह इस्लाम के पैग़म्बर (स) की सहायता के लिए दौड़ पड़ा।[५०] इसीलिए उसकी शहादत के बाद भी उन पर नमाज़े ज़नाजा नही पढ़ी गई और मुसलमानों के क़ब्रिस्तान के एक कोने में दफनाया दिया गया।[५१] इस घटना का उल्लेख वाक़ेदी ने भी किया।[५२] हालांकि 9वीं शताब्दी के सहाबा लेखक इब्ने हजर ने भी मुख़ैरीक़ के मुसलमान होने का श्रेय वाक़ेदी को दिया।[५३] इसी तरह कहा गया है कि पैग़म्बर (स) ने मुख़ैरीक़ को सर्वश्रेष्ठ यहूदी मानने के अलावा कुछ भी नहीं कहा और न ही ओहोद की लड़ाई के दौरान और न ही उसके बाद पैग़म्बर (स) ने उसके लिए दया की माँग की।[५४] कुछ का मानना है कि पैग़म्बर (स) की ओर से पारसीयो मे आगे आने वाले सलमान और हबशा के लोगो मे आगे रहने वाले बिलाल[५५] के साथ मुख़ैरीक़ को यहूदीयो मे आगे आने वालो की सराहना करना मुख़ैरीक़ के मुसलमान होने का संकेत है।[५६]

फ़ुटनोट

  1. बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 285
  2. इब्न हेशाम, अल सीरतुन नबावीया, भाग 1, पेज 518; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325; इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46
  3. फ़राहीदी, अल ऐन, भाग 3, पेज 218
  4. इब्न हेशाम, अल सीरतुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 2, पेज 89; इब्न साद, अल तबक़ाब अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389; तबरी, तारीख तबरी, 1967 ई, भाग 2, पेज 531
  5. जरकली, अल आलाम, 1989 ई, भाग 7, पेज 194; सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरैमन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 805
  6. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46-47
  7. मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल अस्मा, 1999 ई, भाग 3, पेज 353; इब्न सय्यद अल नास, औयून अल असर, 1993 ई, भाग 1, पेज 240
  8. इब्न कसीर, अल बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 3, पेज 237; तबरेसी, आलाम अल वरा, 1390 हिजरी, पेज 69
  9. तबरेसी, आलाम अल वरा, 1390 हिजरी, पेज 69
  10. बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 285, 325, 518; इब्न सय्यद अल नास, औयून अल असर, 1993 ई, भाग 1, पेज 240; सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 4, पेज 212
  11. बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325; इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46; मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल अस्मा, 1999 ई, भाग 14, पेज 370
  12. इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 514 भाग 2, पेज 88; तबरी, तारीख तबरी, 1967 ई, भाग 2, पेज 531; ज़हबी, तारीख अल इस्लाम, 1993 ई, भाग 2, पेज 205
  13. इब्न साद, तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 285, 531; इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46-47
  14. तबरेसी, आलाम अल वरा, 1390 हिजरी, पेज 69
  15. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46; सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 4, पेज 212; ज़रकली, अल आलाम, 1989 ई, भाग 7, पेज 194
  16. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46; सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 4, पेज 212
  17. इब्न असीर, अल कामिल, 1965 ई, भाग 2, पेज 162; याक़ूत हमवी, मोजम अल बुलदान, 1995 ई, भाग 5, पेज 241
  18. देखेः बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 285; मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल असमा, 1999 ई, भाग 1, पेज 160-161, भाग 14, पेज 369
  19. इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 2, पेज 88-89
  20. वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 263; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325
  21. इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 2, पेज 88; इब्न साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325; तबरी, तारीख तबरी, 1967 ई, भाग 2, पेज 531
  22. इब्न ताऊस, अल तराइफ़, अनुवाद, दाऊद अल हामी, 1374 शम्सी, पेज 392
  23. इबन साद, अल तबकात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 388-389
  24. इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 2, पेज 89; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325; तबरी, तारीख तबरी, 1967 ई, भाग 1, पेज 531
  25. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 89; समहूदी, वफ़ा अल वफ़ा, 2006 ई, भाग 3, पेज 151
  26. बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 285
  27. शूशतरी, क़ामूस अल रेजाल, 1410 हिजरी, भाग 10, पेज 22
  28. सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 805
  29. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 325; शूशतरी, क़ामूस अल रेजाल, 1410 हिजरी, भाग 10, पेज 22
  30. मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल अस्मा, 1999 ई, भाग 1, पेज 191
  31. वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 263; इब्न हेशाम, अल सीरतुन नबावीया, भाग 1, पेज 518; इब्न साद, अल तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389
  32. इबन शुब्हा, तारीख अल मदीना अल मुनव्वरा, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 173; शर्राब, अल मआलिम अल असीरा फ़ी अल सुन्ना वल सीरा, 1411 हिजरी, पेज 156; सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 805
  33. इब्न कसीर, अल बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 37; सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 806
  34. इब्न साद, अल तबकात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 388; सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 8, पेज 407; खतीब उमरी, अल रौज़ा अल फ़ीहा फ़ी तवारीख अल नेसा, 1420 हिजरी, पेज 231
  35. कुर्द अली, खुतुत अल शाम, 1403 हिजरी, भाग 5, पेज 90
  36. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46; याक़ूत हमवी, मोअजम अल बुलदान, 1995 ई, भाग 5, पेज 241, 290-291
  37. सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 8, पेज 407; इब्न साद, अल तबकात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389
  38. कुर्द अली, खुतुत अल शाम, 1403 हिजरी, भाग 5, पेज 90
  39. 407 खतीब उमरी, अल रौज़ा अल फ़ीहा फ़ी तवारीख अल नेसा, 1420 हिजरी, पेज 230-231; सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 807-808; समहूदी, वफ़ा अल वफ़ा, 2006 ई, भाग 3, पेज 155
  40. समहूदी, वफ़ा अल वफ़ा, 2006 ई, भाग 3, पेज 155; सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 808
  41. समहूदी, वफ़ा अल वफ़ा, 2006 ई, भाग 3, पेज 155
  42. सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 807
  43. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 49
  44. देखेः इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 2, पेज 518; मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल अस्मा, 1999 ई, भाग 3, पेज 353; सालेही शामी, सुबुल अल हुदा, 1993 ई, भाग 4, पेज 212
  45. सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 805
  46. इब्न कसीर, अल बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 3, पेज 236-237
  47. इब्न हेशाम, अल सीरातुन नबावीया, भाग 1, पेज 518, भाग 1, पेज 514; बलाज़ुरी, अंसाब अल अशराफ़, 1996 ई, भाग 1, पेज 266, 285, 518; मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल अस्मा, 1999 ई, भाग 3, पेज 65-66, भाग 10, पेज 22
  48. इब्न सय्यद अल नास, औयून अल असर, 1993 ई, भाग 1, पेज 240; याक़ूत हमवी, मोअजम अल बुलदान, 1995 ई, भाग 5, पेज 290; शूशतरी, क़ामूस अल रेजाल, 1410 हिजरी, भाग 10, पेज 22
  49. तबरेसी, आलाम अल वरा, 1390 हिजरी, पेज 69-70
  50. इब्न साद, तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389
  51. इब्न साद, तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389
  52. सबरी पाशा, मोसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 806; समहूदी, वफ़ा अल वफ़ा, 2006 ई, भाग 3, पेज 150-151
  53. इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46
  54. इब्न साद, तबक़ात अल कुबरा, 1990 ई, भाग 1, पेज 389
  55. इब्ने शुब्हा, तारीख अल मदीना अल मुनव्वरा, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 173; इब्न हजर, अल असाबा, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 47; शर्राब, अल मआलिम अल असीरा फ़ी अल सुन्ना वल सीरा, 1411 हिजरी, पेज 156
  56. सबरी पाशा, मौसूआ मिरात अल हरमैन अल शरीफ़ैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 806


नोट

  1. यह अर्थ अन्य स्रोतों में भी मतभेद के साथ सामने आया है। (देखें अल-तबरी, तारिख अल-तबरी, 1967, भाग 2, पेज 531; इब्न कसीर, अल-बिदाया वल निहाया, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 36; मक़रीज़ी, इम्तेनाअ अल-अस्मा, 1999 ई, भाग 1, पेज. 160-161, भाग 3, पेज 353)
  2. स्रोतों में इन बागो के शीर्षक थोड़े भिन्न हैं। (उदाहरण के लिए, बलाज़री, अंसाब अल-अशराफ, 1996 ई, भाग 1, पेज 518; इब्न शुबाह, तारिख अल-मदीना अल-मुनव्वरा, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 173; इब्न सैय्यद अल-नास, ओयून अल-असर, 1993, भाग 1, पेज 240) और शोधकर्ताओं द्वारा घरों और उनके नामों के बारे में विस्तृत चर्चा प्रस्तुत की गई है।

स्रोत

  • इब्न असीर, अली बिन अबी करम, अल कामिल फ़ी तारीख, बैरूत, दार सादिर, 1965 ई
  • इब्न हजर, अहमद बिन अली, अल असाबा फ़ी तमीज़ अल सहाबा, शोधः आदिल अहमद अब्दुल मौजूद और अली मुहम्मद मोअव्विज़, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1415 हिजरी, भाग 6, पेज 46
  • इब्न साद, मुहम्मद बिन मुनीअ, अल तबक़ात अल कुबरा, शोधः मुहम्मद अब्दुल कादिर अता, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1990 ई
  • इब्न सय्यद अल नास, अबुल फत्ह मुहम्मद, औयून अल असर फ़ी फ़ुनून अल मगाज़ी वल शुमाइल वल सैर, तालीक़ इब्राहीम मुहम्मद रमज़ान, बैरूत, दार अल क़लम, 1993 ई
  • इब्न शुब्हा, उमर बिन शुब्हा नमीरी, तारीख अल मदीना अल मुनव्वरा, शोधः फ़हीम मुहम्मद शलतूत, क़ुम, दार अल फ़िक्र, 1410 हिजरी
  • इब्न ताऊस, अली बिन मूसा, अल तराइफ़, अनुवाद दाऊद अल हामी, क़ुम, नवैद इस्लाम, दूसरा संस्करण, 1374 शम्सी
  • इब्न कसीर, इस्माईल बिन उमर, अल बिदाया वन निहाया, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1407 हिजरी
  • इब्न हेशाम, अब्दुल मलिक बिन हेशाम हुमैरी, अल सीरतुन नबावीया, शोधः मुस्तफ़ा अल सक़ा व दिगरान, बैरूत, दार अल मारफ़ा
  • बलाज़ुरी, अहमद बिन याह्या, अंसाब अल अशराफ़, शोधः सुहैल ज़कार व रियाज़ ज़रकली, बैरूत, 1996 ई
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