फ़तवाई फ़िक़्ह

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फ़तवा न्यायशास्त्र (फ़िक़्हे फ़तवाई), तर्कपूर्ण न्यायशास्त्र (फ़िक़हे इस्तिदलाली) के विपरीत, तर्कों का उल्लेख किए बिना धार्मिक फैसलों की अभिव्यक्ति है, और इस प्रकार के न्यायशास्त्र के सबसे प्रसिद्ध स्रोत तौज़ीहुल मसायल और प्रश्न व उत्तर (इस्तिफ़ताआत) की किताबें हैं, जो हाल की शताब्दियों में प्रथागत हो गई हैं। शेख़ सदूक़ द्वारा अल-मुक़नेअ, शेख़ मुफ़ीद द्वारा अल-मुक़नेआ जैसी किताबें भी फ़तवाई न्यायशास्त्र के रूप में लिखे गए हैं।

परिभाषा

फ़तवा न्यायशास्त्र का तात्पर्य शरई अहकाम से संबंधित तर्कों (दलीलों) का उल्लेख किए बिना शरीयत फैसलों के कथन से है, और यह तर्कपूर्ण न्यायशास्त्र के विपरीत है। [१] न्यायशास्त्र को बिना तर्क के और फ़तवे के रूप में प्रस्तुत करने की विधि एक पुरानी पद्धति है, और बहुत से शिया न्यायशास्त्रियों ने इसी प्रकार की पुस्तकें लिखी हैं। हालाँकि, फ़तवा न्यायशास्त्र की व्याख्या एक नई व्याख्या है जो पुरानी किताबों में नहीं पाई जाती है। [स्रोत की आवश्यकता]

फ़तवा न्यायशास्त्र पर व्यापक पुस्तकें

फ़तवा न्यायशास्त्र (फ़िक़्हे फ़तवाई) की शैली में लेखन कार्यों का इतिहास तर्कपूर्ण न्यायशास्त्र (फ़िक़्हे इस्तिदलाली) कार्यों की तुलना में लंबा है। हाल की शताब्दियों तक फ़तवा न्यायशास्त्र की अधिकांश पुस्तकें अरबी में लिखी जाती थीं। शिया न्यायशास्त्र के इतिहास में फ़तवा न्यायशास्त्र की कुछ सबसे प्रसिद्ध पुस्तकें हैं: शेख़ सदूक़ द्वारा अल-हिदाया और अल-मुक़नेअ, शेख़ मुफ़ीद द्वारा अल-मुक़नेआ, [२] शेख़ तूसी द्वारा अल-निहाया, शरायेअ अल-इस्लाम मुहक़्क़िक़ हिल्ली द्वारा, वसीला अल-नजात द्वारा सय्यद अबुल हसन इस्फ़हानी द्वारा, तहरीर अल-वसीला द्वारा इमाम ख़ुमैनी द्वारा। [३]

पुस्तक मौसूआ तबक़ात अल-फ़ोक्हा के लेखक के अनुसार, संभवतः फ़ारसी में फ़तवाई न्यायशास्त्र का सबसे पुराना पाठ शेख़ बहाई द्वारा लिखित पुस्तक जामेअ अब्बासी है। [४] चंद्र कैलेंडर की 14वीं और 15वीं शताब्दी में मुद्दों की व्याख्या (तौज़ीहुल मसायल) लिखना फ़ारसी में फ़तवाई न्यायशास्त्र लिखने का सबसे प्रसिद्ध तरीका है। सय्यद मोहम्मद काज़िम यज़्दी (1337 हिजरी) की पुस्तक अल-उरवा अल-वुसक़ा अरबी में न्यायशास्त्र की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है। [५]

मराजेअ की तौज़ीहुल मसायल

1370 शम्सी के दशक में और मोहम्मद अली अराकी की मृत्यु के बाद, जब लोगों द्वारा कई मराजेअ तक़लीद की ओर रुजू किया जाने लगा, तो एक किताब तौज़ीह अल-मसायल के नाम प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक की विशेषता यह थी कि इसमें एक मरजा के फ़तवे के स्थान पर कई मराजे ए तक़लीद के फ़तवे शामिल थे। यह पुस्तक कई संस्करणों में प्रकाशित हुई थी, और इसके नवीनतम संस्करण में 16 तक़लीद अधिकारियों (मराजे ए तक़लीद) के फ़तवे शामिल हैं। [६]

सवाल और जवाब वाली पुस्तकें

प्रश्न और उत्तर पर आधारित किताबें भी फ़तवा न्यायशास्त्र की पुस्तकों का एक हिस्सा हैं, जो तक़लीद अधिकारियों के सवालों और जवाबों का परिणाम हैं। कुछ शिया न्यायविदों के सवाल व जवाब का संग्रह मजमा अल-मसायल या जामे अल-मसायल के शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया है। [स्रोत की आवश्यकता है]

फ़तवा न्यायशास्त्र पर मोनोग्राफ़

कुछ फ़तवा न्यायशास्त्र की पुस्तकें ऐसी पुस्तकें हैं जिनमें सभी न्यायशास्त्रीय फैसले (शरई अहकाम) शामिल नहीं हैं और वे केवल न्यायशास्त्रीय अध्यायों के एक या कुछ भाग से संबंधित हैं। जैसे हज अनुष्ठान (मनासिके हज) जैसी किताबें जो केवल हज के मुद्दों (मसलों) का वर्णन करती हैं [७] और औरतों के अहकाम जैसी किताबें भी हाल के दिनों में लोकप्रिय हो गई हैं, जो केवल देमा ए सलासा (हैज़, इस्तेहाज़ा और नेफ़ास में आने वाले ख़ून) जैसी महिलाओं के विशिष्ट अहकाम से संबंधित हैं। [८]

फ़ुटनोट

  1. फ़रहंगे फ़िक़्ह, खंड 5, पृष्ठ 731।
  2. तबताबाई, पजोहिशी दर फ़िक़्ह शेख़ तूसी, पृष्ठ 225।
  3. फ़रहंगे फ़िक़्ह, खंड 5, पृष्ठ 731।
  4. सुबहानी, मौसूआ तबक़ात अल फ़ोक़हा, पृष्ठ 375।
  5. सुबहानी, मौसूआ तबक़ात अल फ़ोक़हा, पृष्ठ 459-460।
  6. तौज़ीहुल मसायल मराजेए, अन्हार पोर्टल।
  7. मनासिके हज मुंतशिर शुद, फ़ार्स समाचार एजेंसी।
  8. अहकामे बानेवान, बूसताने किताब प्रकाशन।

स्रोत

  • सुबहानी, जाफ़र, तबक़ात अल-फ़ोकहा का विश्वकोश, परिचय (अल-क़िस्म अल-सानी), इमाम सादिक़ इंस्टीट्यूट, क़ुम, 1418 हिजरी।
  • तबताबाई, सैय्यद महदी, पजोहिशी दर फ़िक़्ह शेख़ तूसी, दर फ़स्लनामा ए फ़िक़्ह अहले-बैत, खंड 23, पृष्ठ 210-231।
  • फंरहंगे फ़िक़्ह मुताबिक़े मज़हबे अहल अल-बैत (अ), मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, क़ुम, 1392।
  • तीज़ीहुल मसायले मराजेअ, अन्हार पोर्टल।
  • मनासिके हज मुंतशिर शुद, फ़ार्स समाचार एजेंसी।
  • अहकामे बानोवान, बूस्ताने किताब प्रकाशन।