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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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अब्बास (अ) की फ़ज़ीलतो में से एक, जिसकी प्रशंसा मित्रों और शत्रुओं ने समान रूप से की है, और कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, वह उनका साहस है।[102] लोगों के बीच, आपका यह व्यवहार एक मुहावरा बन गया है। [103]
अब्बास (अ) की फ़ज़ीलतो में से एक, जिसकी प्रशंसा मित्रों और शत्रुओं ने समान रूप से की है, और कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, वह उनका साहस है।[102] लोगों के बीच, आपका यह व्यवहार एक मुहावरा बन गया है। [103]
== स्वर्ग मे हज़रत अब्बास (अ) का स्थान ==
अब्बास को अशूरा के दिन इमाम हुसैन (अ) के सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख साथियों में से एक माना जाता है। [104] वह कर्बला की घटना में इमाम हुसैन (अ) की सेना के ध्वजधारक थे। [105] इमाम हुसैन (अ) ने हजरत अब्बास के बारे में कहा, "भाई मेरी जान आप पर कुर्बा।" [106] और अब्बास (अ) की लाश पर रोए भी हैं। [107] कुछ लोग इन शब्दों और इशारों को शियाओ के तीसरे इमाम के निकट उच्च स्थिति का संकेत मानते है।[108]
हदीसों में हज़रत अब्बास (अ) के स्वर्ग में विशेष स्थान पर भी बल दिया गया है; एक रिवायत के अनुसार, इमाम सज्जाद (अ) ने कहा, अल्लाह मेरे चाचा अब्बास पर रहम करे,  जिन्होने स्वंयं को अपने भाई इमाम हुसैन (अ) पर क़ुर्बान कर दिया और इस मार्ग मे उनके दोनों हाथ कट गए जिसके बदले मे अल्लाह उनको स्वर्ग में दो पंख प्रदान करेगा ताकि वो उन दो पंखों के साथ स्वर्ग में स्वर्गदूतों के साथ उड़ान भर सके, जिस तरह जाफ़र बिन अबी तालिब को भी दो पंख किए गए। [109] इमाम ने आगे कहा कि मेरे चाचा अब्बास का अल्लाह की नज़र में एक उच्च दर्जा और स्थिति है कि क़ियामत के दिन सभी शहीद इस पर रशक (हसरत,तम्न्ना) करेगें। [110] एक रिवायत के अनुसार, जब इमाम सज्जाद (अ) ने हज़रत अब्बास (अ) के बेटे उबैदुल्लाह को देखा तो आप (इमाम सज्जाद) के आंसू बहने लगे और उन्होंने कहा: अल्लाह के रसूल पर सबसे कठिन दिन जो गुजरा वह ओहद की जंग वाला दिन था कि उस दिन रसूल अल्लाह (स) के चाचा हम्ज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब - जो ख़ुदा का शेर और नबी का शेर था - उस दिन शहीद हुए उसके बाद मौता की लड़ाई का दिन था उस दिन आपके चाचा जात भाई जाफ़र बिन अबि तालिब मारा गए। फिर उन्होने कहा: लेकिन हुसैन (अ) के दिन की तरह कोई दिन नहीं है, कि उस दिन तीस हजार पुरुषों [योद्धाओं] ने उन पर हमला किया और वो यह सोच रहे थे कि उनके रक्तपात से वो अल्लाह के नजदीक होंगे, जबकि इमाम हुसैन (अ) ने उन्हे खुदा की याद दिलाई वो उस समय तक ग्रहणशील नही हुए जबतक कि उन्होने इमाम हुसैन (अ) को क्रूरता से शहीद नही कर दिया। [111]
अबू नस्र बुख़ारी ने इमाम सादिक़ (अ) से एक रिवायत नक़ल करते हुए हज़रत अब्बास (अ) को (नाफ़ेज़ुल बसीरत अर्थात गहरी अंतर्दृष्टि रखने वाला) शब्द के साथ वर्णित किया है और उन्हें एक मजबूत विश्वास वाले व्यक्ति के रूप में पेश किया है, जो इमाम हुसैन (अ) के साथ लड़े थे और शहीद हो गए थे। [112] अन्य स्रोतों में भी इस कथन का उल्लेख है। [113]
सैय्यद अब्दुल रज्जाक मुकर्रम ने अपनी किताब मक्तलुल-हुसैन में कहा है कि इमाम सज्जाद (अ) ने आशूरा की घटना के बाद कर्बला के सभी शहीदों के शवों को दफनाने के लिए बनी असद से मदद मांगी, लेकिन इमाम हुसैन (अ) और हज़रत अब्बास (अ) को दफ़नाने के लिए उनसे मदद नहीं ली और कहा कि इन दो शहीदो के दफ़नाने मे कोई मेरी मदद रहा है मुझे आपकी मदद की जरूरत नहीं है। [114]
== ज़ियारतनामा ==
पुज़ूहिशी दर सीरा वा सीमा ए अब्बास बिन अली नामक किताब के अनुसार हज़रत अब्बास (अ) के लिए अलग-अलग किताबों में ग्यारह ज़ियारतनामो का वर्णन किया गया है। [115] जिनमें से कुछ को दूसरे ज़ियारतनामो का सारांश माना जाता है। [116] ग्यारह ज़ियारतनामो में से तीन इमाम सादिक़ (अ) से बयान किए गए है [117], और कुछ मे मासूमीन (अ) से मंसूब होने में भी संदेह किया गया है। [118]
इन ज़ियारतनामो में हज़रत अब्बास (अ) के लिए प्रशंसनीय व्याख्याओं का उल्लेख मिलता है; अब्दे सालेह जैसे, पैगंबर (स) के उत्तराधिकारी के सामने तसलीम हो जाने वाला और उसे स्वीकार करने और उसके प्रति वफादार रहने वाला, अल्लाह, रसूल (स) और इमाम (अ) के प्रति आज्ञाकारी करार दिया है, और बदरियो और मुजाहिदो की तरह अल्लाह के मार्ग मे काम किया है। [119] इसके अलावा, कुछ लोग ज़ियारते नाहिया [नोट 2] मे आपके बारे मे जो शब्द मौजूद है वो इमाम ज़माना (अ) की निगाह मे आपकी उच्च स्थिति का संकेत मानते है। [120]
== हज़रत अब्बास (अ) के करामात ==
हज़रत अब्बास के करामात शियाओं के बीच प्रसिद्ध हैं, और हज़रत अब्बास से तवस्सुल करके रोगियों के ठीक होने या अन्य समस्याओं को हल करने के बारे में कई दास्तान हैं। "दर किनारे अलक़मा करामातुल अब्बासीया" नामक किताब मे करामात की 72 दास्तानो को एकत्र किया है। [121] चेहरा ए दरख़शाने कमरे बनी हाशिम नामक किताब मे रब्बानी खलखली ने अब्बास (स) के लगभग आठ सौ करामात को एकत्रित करके प्रत्येक खंड में 250 से अधिक दास्ताने लिखी है। हालाँकि, इनमें से कुछ कहानियों को दोहराया गया है। इन स्रोतों के अनुसार, हज़रत अब्बास (अ) की करामात केवल शियाओं से मखसूस नही नहीं हैं बल्कि हज़रत अब्बास (अ) की करामात अन्य धर्मों और संप्रदायों, जैसे कि सुन्नियों, ईसाइयों, किलिमियों और पारसी लोगों के लिए भी बताए गए हैं। [122]
== शिया संस्कृति मे हज़रत अब्बास (अ) ==
शियाओं का हज़रत अब्बास (अ) के साथ एक बड़ा भावनात्मक संबंध है और वे उन्हें चौदह मासूमीन (अ) के बाद सर्वोच्च स्थान पर मानते हैं। [123] मुहम्मद बगदादी ने अपनी पुस्तक का एक अध्याय शियाओं और अबुल फ़ज़्ल (अ) के बीच संबंधों को समर्पित करते हुए अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) के लिए शियाओं के प्यार और स्नेह की घनिष्ठता को बहुत स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। [124] इसी कारण शिया संस्कृति, तवस्सुल, अज़ादारी और प्रतीकीकरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है।
== हज़रत अब्बास (अ) से तवस्सुल ==
शियाओं के बीच हज़रत अब्बास (अ) की विशेष स्थिति के कारण, लोग अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हज़रत अब्बास (अ) की ओर रुख करते हैं और उनसे मन्नतें लेते हैं। [125] कुछ ने सुन्नियों, ईसाइयों, किलिमियों और अर्मेनियाई लोगों के लिए हज़रत अब्बास के करामात भी बयान किए हैं। [126]
== नवीं मोहर्रम की अज़ादारी ==
मुहर्रम के पहले दशक के धार्मिक समारोहों में, मुहर्रम की 9 तारीख अधिकांश शिया हज़रत अब्बास (अ) से मख़सूस मनाते है, लेकिन उपमहाद्वीप मे मुहर्रम की 8 तारीख आपसे मखसूस है। हज़रत अब्बास (अ) की अज़ादारी से विशेष दिन जो आशूरा के बाद मस्जिदों, इमामबारगाहो और तकियों में शिया मातम मनाने का सबसे महत्वपूर्ण समय मानते है। इस दिन ईरान और कुछ इस्लामिक देशों में छुट्टी होती है। [127]
ज़ंजान मे यौमुल अब्बासः हर साल मुहर्रम के 8वें दिन की शाम को, इस शहर के हुसैनीया ए आज़म ज़ंजान से लेकर इमामज़ादेह सैय्यद इब्राहिम तक की दूरी पर मातम मनाने वालों की एक बड़ी भीड़ इकट्ठा होती है और मातम करती है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार 2016 में 9700 से अधिक भेड़ो और 2015 में 12000 भेड़ो की लोगों की मन्नत के कारण क़ुर्बानी की गई। [129] हाल के वर्षों में, हर साल लगभग पांच लाख लोग इस समारोह में भाग लेते हैं। इस समारोह को ईरान की आध्यात्मिक विरासतों में से एक के रूप में पंजीकृत किया गया है। [130]
== ज़िक्र या काशेफ़ल-कर्ब ==
ज़िक्र "या काशेफ़ल-कर्बे अन वजहिल-हुसैन इकशिफ़ कर्बी बेहक़्क़े अखिकल-हुसैन" ((हे हुसैन के चेहरे से दुःख और दर्द को दूर करने वाले अपने भाई हुसैन के सदक़े मे मेरे दुख और दर्द को दूर कर))। यह ज़िक्र हज़रत अब्बास से तवस्सुल करने वाले जिक्रो मे शुमार किया जाता है, और कभी-कभी इस ज़िक्र को 133 बार पढ़ने की सिफारिश की जाती है। [131] यह ज़िक्र शिया हदीसी ग्रंथो मे भी उल्लेखित है।
== अनुष्ठान और अन्य रीति-रिवाज==
* '''अलम निकालना''': इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी मे हज़रत अब्बास (अ) की याद मे अलम निकाला जाता है। [132]
* '''सक़्क़ाई''': यह मनक़्बत पढ़ने की रस्मों में से एक है अज़ादारी के दिनों में आयोजित की जाती है, विशेष रूप से ईरान में तासूआ (9 मुहर्रम) और अशूरा को आयोजन होता है। यह अनुष्ठान कभी-कभी नौहा पढ़ने के रूप में और कभी-कभी अज़ादारी के रास्ते में और धार्मिक प्रतिनिधिमंडलों में प्यास बुझाने के रूप में आयोजित की जाती है; पहले मामले में, विशेष अश्आर और नौहे होते हैं, और दूसरे मामले में सक़्क़ा विशेष कपड़े पहनते हैं और मातम मनाने वालों को मशक या सुराही से पानी पिलाते हैं। [133]
इराक और ईरान के कई शिया शहरों में सक्काई संस्कृति आम है [134] और सक्काई संस्कृति का प्रभाव हज़रत अब्बास के नाम पर बने प्याऊ स्थानो पर देखा जा सकता है। [135]
    
    


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# कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 109
# कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 109
# ताअमा, तारीखे मरक़द अल-हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 236
# ताअमा, तारीखे मरक़द अल-हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 236
# ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 159
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 123-126
# शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 90
# मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 178; इब्ने आसिम अल-कूफी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 98; ख़्वारिज़मी, मक़तलुल हुसैन, 1374 शम्सी, भाग 2, पेज 34
# अंदलीब, सारल्लाह, 1376 शम्सी, पेज 247
# शेख़ सुदूक़, खिसाल, 1410 हिजरी, पेज 68
# शेख़ सुदूक़, खिसाल, 1410 हिजरी, पेज 68
# शेख़ सुदूक़, अमाली, 1417 हिजरी, पेज 547
# बुख़ारी, सिर्रुस सिलसिलातुल अलावीया, 1382 हिजरी, पेज 89
# इब्ने अंबे, उमदातुत तालिब, 1381 हिजरी, पेज 356
# मूसवी मुक़र्रम, मक़्तलुल हुसैन, 1426 हिजरी, पेज 337
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 181-321
# ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 321
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 282, 304 और 305
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 317
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 283
# देखेः ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 123-126
# देखेः महमूदी, दर किनारे अलक़मा, 1379 शम्सी
# देखेः रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशान क़मरे बनी हाशिम, 1380 शम्सी
# बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 149
# बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 149
# बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 151; कलबासी, खसाएसुल अब्बसीया, 1387 शम्सी, पेज 213-214
# रब्बानी ख़लखाली, चेहरा ए दरख़शान क़मरे बनी हाशिम, 1386 शम्सी, भाग 2, पेज 267; कलबासी, खसाएसुल अब्बसीया, 1387 शम्सी, पेज 214
# मज़ाहेरी, फ़रहंगे सोगे शीई, 1395 शम्सी, पेज 110-111
# खुदा तू ए ईन मद्दाहीहा नीस्त, रोज़नामा सुबह नौ
# यौमुल अब्बास दर ज़ंजान, बुज़ुर्गतरीन मेआदगाह आशिक़ाने हुसैनी दर किश्वर, बाशगाह खबरनिगारान जवान
# यौमुल अब्बास दर ज़ंजान, बुज़ुर्गतरीन मेआदगाह आशिक़ाने हुसैनी दर किश्वर, बाशगाह खबरनिगारान जवान
# यौमुल अब्बास दर ज़ंजान, बुज़ुर्गतरीन मेआदगाह आशिक़ाने हुसैनी दर किश्वर, बाशगाह खबरनिगारान जवान
# रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशान क़मरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 2, पेज 326
# मज़ाहेरी, फ़रहंगे सोगे शीई, 1395 शम्सी, पेज 354-356; रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशान क़मरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 3, पेज 182-213
# रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशान क़मरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 3, पेज 182-213
# कलबासी, खसाएसुल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 213-214
गुमनाम सदस्य