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अश्अस परिवार

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अश्अस परिवार
से शाखितक़िंदी जनजाति
परिवार का मुखियाअश्अस बिन क़ैस किंदी
असरमक्का की विजय के बाद
सहाबाअश्अस
मशहूर हस्तियाँमुहम्मद बिन अश्अस बिन क़ैस किंदीजअदाक़ैस बिन अश्अस किंदीअब्द अल-रहमान बिन मुहम्मद बिन अश्अस किंदी


अश्अस परिवार (फ़ारसी: خاندان اشعث) अश्अस बिन क़ैस किंदी और उनके वंशजों को कहा जाता है, जिन्होंने तीन इमामों, इमाम अली (अ) इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) की शहादत में भूमिका निभाई। अश्अस ने इब्ने मुल्जम मुरादी को इमाम अली (अ) की हत्या करने में मदद की। उनकी बेटी जअदा ने इमाम हसन (अ) को ज़हर दिया। यह परिवार क़बील ए किंदी की एक शाखा थी। उन्होंने सिफ़्फ़ीन की लड़ाई, आशूरा के दिन, और उमर बिन ख़त्ताब, उस्मान बिन अफ़्फ़ान, इमाम अली (अ) मुआविया और मुख़्तार के समय की कुछ घटनाओं और लड़ाइयों में भाग लिया।

अश्अस परिवार की हैसियत

अश्अस परिवार, अश्अस बिन क़ैस किंदी और उनके वंशजों को कहा जाता है। यह परिवार अरब क़बीलों में से एक है और क़बील ए किंदी की एक शाखा है।[] अश्अस इस्लाम से पहले हज़रमौत, यमन में रहता था।[] वह अपने क़बीले के कुछ लोगों के साथ साल 10 हिजरी[] में और मक्का की विजय के बाद मदीना में पैग़म्बर (स) के पास गया और मुसलमान हो गया।[]

इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत के अनुसार, इस ख़ानदान के कुछ लोगों ने इमाम अली (अ) इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) की शहादत में भूमिका निभाई।[]

जअदा, जो इमाम हसन मुज्तबा (अ) की पत्नी थी, मुहम्मद बिन अश्अस, क़ैस बिन अश्अस और अब्दुर्रहमान बिन मुहम्मद बिन अश्अस इस परिवार से हैं। यह ख़ानदान उमर बिन ख़त्ताब,[] उस्मान बिन अफ़्फ़ान, इमाम अली (अ)[] और बनी उमय्या के समय में प्रभावशाली लोगों में गिने जाते थे। अश्अस ने यरमूक की लड़ाई और उमर बिन ख़त्ताब के समय की अन्य लड़ाइयों में भाग लिया।[] उसने उस्मान के समय में आज़रबाईजान के गवर्नर के रूप में काम किया और इमाम अली (अ) के समय में भी इस पद पर बन रहा।[]

अश्अस की इमाम अली (अ) की शहादत में भूमिका

मुख्य लेख: अश्अस बिन क़ैस किंदी

अश्अस पैग़म्बर (स)[१०] का सहाबी और इमाम अली (अ) का सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में कमांडरों में से एक था।[११] इतिहासकारों का मानना है कि उसने इमाम अली (अ) की शहादत में भूमिका निभाई।[१२] इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत में भी अश्अस की इमाम अली (अ) की शहादत में भूमिका का उल्लेख किया गया है।[१३] इतिहासकार याक़ूबी ने लिखा है कि जब इब्ने मुल्जम मुरादी इमाम अली (अ) को मारने के लिए कूफ़ा गया, तो कुछ समय के लिए अश्अस के घर में रहा।[१४] इब्ने सअद (मृत्यु: 230 हिजरी), जो अहल ए सुन्नत के इतिहासकार हैं, के अनुसार, अश्अस के सुझाव पर ही इब्ने मुल्जम सुबह से पहले मस्जिद गया और इमाम अली (अ) को शहीद कर दिया।[१५]

इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:

इन्ना अल अश्असा बिन क़ैस शरेका फ़ी दमे अमीर अल मोमिनीन (अ) व इब्नेतोहू जअदा सम्मते अल हसन (अ) व मुहम्मद इब्नोहू शरेका फ़ी दम अल हुसैन (अ)। निश्चय ही अश्अस बिन क़ैस ने अमीर अल मोमिनीन (अ) के ख़ून में हिस्सा लिया, और उसकी बेटी जअदा ने इमाम हसन (अ) को ज़हर दिया, और उसका बेटा मुहम्मद इमाम हुसैन (अ) के ख़ून में शामिल था।

कुलैनी, "अल काफ़ी", 1407 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 167, हदीस 187।

अश्अस का इमाम अली (अ) के सुझाव के खिलाफ़ सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में विरोध

इतिहासकारों के अनुसार, सिफ़्फ़ीन की लड़ाई में, लैलतुल हरीर के बाद, जब बड़ी संख्या में लोग मारे गए और इमाम अली (अ) की जीत नज़दीक थी,[१६] अश्अस ने लड़ाई जारी रखने के मामले पर इमाम अली (अ) का विरोध किया और किंदी क़बीले के लोगों के बीच खड़ा होकर एक भाषण दिया, जिसमें उसने समझौते के लहजे में और खूनखराबा बंद करने की मांग की।[१७] जब मुआविया ने यह स्थिति देखी, तो उसने क़ुरआन को भालों पर उठा दिया। अश्अस ने क़ुरआन देखकर इमाम अली (अ) को युद्ध रोकने के लिए मृत्यु की धमकी दी और इमाम को मध्यस्थता (हकमिय्यत) स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।[१८] इमाम ने पहले मालिक अश्तर और फिर इब्ने अब्बास को मध्यस्थता के लिए प्रस्तावित किया;[१९] लेकिन अश्अस ने विरोध किया और दूसरों को अबू मूसा अश्अरी की ओर मोड़ दिया। उसने अबू मूसा अश्अरी का समर्थन किया और युद्ध जारी रखने से रोका।[२०]

नहरवान की लड़ाई के बाद भी, जब इमाम अली (अ) ने मुआविया के खिलाफ़ युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया, अश्अस का मानना था कि सैनिक थक गए हैं और मुआविया के साथ युद्ध को उचित नहीं माना।[२१]

अश्अस के बच्चों की इमामों की शहादत में भूमिका

दाईं ओर: अनुशिरवान अर्जमंद, अश'अस की भूमिका में। बाईं ओर: करीम अकबरी मुबारका, इब्ने मुल्जम की भूमिका में, सीरीयल "इमाम अली" में।

जअदा, अश्अस की बेटी: जअदा इमाम हसन (अ) की पत्नी थी। कहा जाता है कि मुआविया ने उसे यज़ीद से शादी करने का वादा किया था।[२२] जअदा ने इमाम हसन (अ) को ज़हर देकर उनकी हत्या कर दी; लेकिन इमाम हसन (अ) की शहादत के बाद मुआविया ने जअदा को यज़ीद से शादी करने से मना दिया।[२३]

मुहम्मद बिन अश्अस: इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत के अनुसार, इब्ने अश्अस ने इमाम हुसैन (अ)[२४] की शहादत में भूमिका निभाई।[२५] उसने मुस्लिम बिन अक़ील के आसपास के लोगों को तितर बितर करने और उन्हें गिरफ़्तार करने में मदद की।[२६] इब्ने हब्बान के अनुसार, मुहम्मद बिन अश्अस को मुस्अब बिन ज़ुबैर और मुख़्तार की लड़ाई में मुख़्तार ने मार डाला।[२७]

क़ैस बिन अश्अस: क़ैस कर्बला की घटना में उमर बिन सअद की सेना में था। उसने इमाम हुसैन (अ) का चोगा लूट लिया और इसी वजह से उसे "क़ैस क़तीफ़ा" के नाम से जाना जाता है।[२८] वह उन लोगों में से भी था जो कर्बला के शहीदों के सिर इब्ने ज़ियाद के पास ले गए थे।[२९]

अब्दुर्रहमान बिन मुहम्मद बिन अश्अस: अब्दुर्रहमान मुस्अब और मुख़्तार की लड़ाई में मुस्अब की सेना में था। मुख़्तार के मारे जाने के बाद, उसने सभी शिया बचे लोगों को मारने का फ़ैसला किया।[३०] अब्दुर्रहमान बाद में उमवी सेना का कमांडर बन गया।[३१] लेकिन धीरे धीरे उसका उमवियों के बारे में विचार बदल गया और उसने उनके खिलाफ़ विद्रोह कर दिया। हज्जाज बिन यूसुफ़ सक़्फ़ी ने उसके विद्रोह को कुचल दिया।[३२]

फ़ुटनोट

  1. इब्ने अब्दुल बर्र, "अल इस्तीआब", 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  2. इब्ने अब्दुल बर्र, "अल इस्तीआब", 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  3. इब्ने असीर, "असद अल ग़ाबा", 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  4. इब्ने अब्दुल बर्र, "अल इस्तीआब", 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  5. कुलैनी, "अल काफ़ी", 1407 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 167, हदीस 187।
  6. इब्ने असीर, "असद अल ग़ाबा", 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  7. दीनवरी, "अख़्बार अल तेवाल", 1368 शम्सी, पृष्ठ 156; याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 200।
  8. इब्ने असीर, "असद अल ग़ाबा", 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118।
  9. दीनवरी, "अख़्बार अल तेवाल", 1368 शम्सी, पृष्ठ 156; याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 200।
  10. इब्ने हजर, "अल इसाबा", 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 239।
  11. मनक़री, "वक़अत सिफ़्फ़ीन", 1382 हिजरी, पृष्ठ 137।
  12. याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 212; इब्ने सअद, "अल तब्क़ात अल कुबरा", 1410 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 26।
  13. कुलैनी, "अल काफ़ी", 1407 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 167, हदीस 187।
  14. याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 212।
  15. इब्ने सअद, "अल तबक़ात अल कुबरा", 1410 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 26।
  16. मनक़री, "वक़्अत सिफ़्फ़ीन", 1382 हिजरी, पृष्ठ 477 480।
  17. इब्ने मुज़ाहिम, "वक़्अत सिफ़्फ़ीन", 1403 हिजरी, पृष्ठ 480 481; दीनवरी, "अल अख़्बार अल तेवाल", 1960 ईस्वी, पृष्ठ 188 189।
  18. याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 188 189।
  19. याक़ूबी, "तारीख़ अल याक़ूबी", दार सादर, खंड 2, पृष्ठ 189।
  20. मनक़री, "वक़्अत सिफ़्फ़ीन", 1382 हिजरी, पृष्ठ 480 481।
  21. तबरी, "तारीख़ अल उमम व अल मुलूक", 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 89; सक़्फ़ी, "अल ग़ारात", 1355 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 24 25; दीनवरी, "अख़्बार अल तिवाल", 1368 शम्सी, पृष्ठ 211; इब्ने अदीम, "बुग़यत अल तलब", 1409 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 1911।
  22. मदेलुंग, "जानशीनी ए हज़रत मुहम्मद", 1377 शम्सी, पृष्ठ 453। (मूल स्रोत: Madelung, The Succession To Muhammad, p.331)
  23. अबुल फ़रज इस्फ़हानी, "मक़ातिल अल तालिबीन", 1385 हिजरी, पृष्ठ 48।
  24. कुलैनी, "अल काफ़ी", 1407 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 167, हदीस 187।
  25. कुलैनी, "अल काफ़ी", 1407 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 167, हदीस 187।
  26. दीनवरी, "अख़्बार अल तिवाल", 1368 शम्सी, पृष्ठ 239; इस्फ़हानी, "मक़ातिल अल तालिबीन", दार अल मअरिफ़ा, पृष्ठ 107; इब्ने असीर, "अल कामिल", 1385 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 33।
  27. इब्ने हब्बान, "अल सिक़ात", 1393 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 352।
  28. बलाज़ोरी, "अंसाब अल अशराफ़", 1417 हिजरी/1996 ईस्वी, खंड 3, पृष्ठ 204 और 207।
  29. दीनवरी, "अख़्बार अल तेवाल", 1373 शम्सी, नश्र शरीफ़ रज़ी, पृष्ठ 259।
  30. तबरी, मुहम्मद बिन जरीर; "तारीख़ अल उमम व अल मुलूक", दार अल तुरास, खंड 6, पृष्ठ 116।
  31. तबरी, मुहम्मद बिन जरीर; "तारीख़ अल उमम व अल मुलूक", खंड 6, पृष्ठ 328।
  32. तबरी, मुहम्मद बिन जरीर; "तारीख़ अल उमम व अल मुलूक", दार अल तुरास, खंड 6, पृष्ठ 389 391।

स्रोत

  • अबुल फ़रज इस्फ़हानी, अली इब्ने हुसैन, "मक़ातिल अल तालेबीन", नजफ़, मकतबा अल हैदरिया, 1385 हिजरी।
  • इब्ने असीर, अली इब्ने मुहम्मद, "असद अल ग़ाबा फी मअरिफ़त अल सहाबा", बेरूत, दार अल फ़िक्र, 1409 हिजरी/1989 ईस्वी।
  • इब्ने हजर अस्कलानी, अहमद इब्ने अली, "अल इसाबा फी तमीज़ अल सहाबा", तहक़ीक़: आदिल अहमद अब्दुल मौजूद और अली मुहम्मद मुआव्वज़, दार अल कुतुब अल इल्मिया, 1415 हिजरी/1995 ईस्वी।
  • इब्ने सअद, मुहम्मद इब्ने सअद, "अल तबक़ात अल कुबरा", तहक़ीक़: मुहम्मद अब्दुल क़ादिर अता, बेरूत, दार अल कुतुब अल इल्मिया, 1410 हिजरी/1990 ईस्वी।
  • इब्ने अब्दुल बर्र, यूसुफ़ इब्ने अब्दुल्लाह, "अल इस्तीआब फी मअरिफ़त अल असहाब", तहक़ीक़: अली मुहम्मद बजावी, बेरूत, दार अल जील, 1412 हिजरी/1992 ईस्वी।
  • दीनवरी, अहमद इब्ने दाऊद, "अल अख़बार अल तिवाल", तहक़ीक़: अब्दुल मुनइम आमिर, मुराजिआ: जमालुद्दीन शियाल, क़ुम, मनशूरात अल रज़ी, 1368 शम्सी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन जरीर, "तारीख़ अल उमम व अल मुलूक", तहक़ीक़: मुहम्मद अबुल फ़ज़ल इब्राहीम, दार अल तुरास, बेरूत, 1387 हिजरी/1967 ईस्वी।
  • कुलैनी, मुहम्मद इब्ने याक़ूब, "अल काफ़ी", तहक़ीक़: अली अकबर ग़फ़्फ़ारी और मुहम्मद आख़ूंदी, दार अल कुतुब अल इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • मदेलुंग, विल्फ़्रेड, अनुवाद: अहमद नमाई और अन्य, "जानशीनी ए हज़रत मुहम्मद", मशहद, आस्तान ए क़ुद्स ए रज़वी: बुनियाद ए पज़ूहेशहा ए इस्लामी, 1377 शम्सी।
  • मुफ़ीद, मुहम्मद इब्ने मुहम्मद इब्ने नोमान, "अल इरशाद फी मअरिफ़त हुज्जत अल्लाह अला अल इबाद", तसहीह: मूअस्ससा आल अल बैत, क़ुम, कंगरा ए शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी।
  • मनक़री, नस्र बिन मुज़ाहिम, "वक़अत सिफ़्फ़ीन", तहक़ीक़: अब्दुल सलाम मुहम्मद हारून, काहिरा, अल मूअस्ससा अल अरबिया अल हदीसा, 1382 हिजरी/1962 ईस्वी, अफ़्सत (क़ुम, मनशूरात मकतबा अल मुरतज़वी अल नजफ़ी), 1404 हिजरी।
  • याक़ूबी, अहमद इब्ने अबी याक़ूब, "तारीख़ अल याक़ूबी", बेरूत, दार सादर, बिना तारीख़।