सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत
सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत | |
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विषय | सलमान की फ़ज़ीलत |
किस से नक़्ल हुई | पैग़म्बर (स) |
दस्तावेज़ की वैधता | मुत्वातिर, सहीह |
शिया स्रोत | उयून अख़्बार अल रज़ा, मिस्बाह उल मुतहज्जद, मजमा उल बयान, अल इख़्तेसास |
सुन्नी स्रोत | अल तब्क़ात उल कुबरा, अल सीरत अल नब्विया |
सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत (अरबी: سلمان منا أهل البيت) अर्थात "सलमान हम अहल अल-बैत में से हैं", सलमान फ़ारसी के गुणों और स्थिति के बारे में इस्लाम के पैग़म्बर (स) की एक प्रसिद्ध, मुतवातिर और सहीह उस सनद (प्रामाणिक) हदीस है। कुछ शिया इमामों जैसे इमाम अली (अ), इमाम सज्जाद (अ) और इमाम बाक़िर (अ) ने भी इस हदीस को स्वतंत्र रूप से या ईश्वर के पैग़म्बर (स) के हवाले से सुनाया है।
अहज़ाब के युद्ध में खाई (खंदक़) खोदने की घटना और सलमान के अरब न होने के बारे में उमर इब्ने ख़त्ताब का बयान कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो ईश्वर के पैग़म्बर (स) से इस हदीस को जारी करने के कारण के बारे में बताई गई हैं।
शेख़ सदूक़, शेख़ तूसी और शेख़ मुफ़ीद कुछ शिया विद्वान हैं और इब्ने साद और इब्ने हिशाम कुछ सुन्नी विद्वान हैं जिन्होंने इस हदीस को अपनी किताबों में वर्णित किया है।
कुछ लोगों ने कहा है कि हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" से ईश्वर के पैग़म्बर (स) का अर्थ यह है कि सलमान हमारे धर्म पर हैं। कुछ अन्य लोगों ने इस हदीस को पैग़म्बर मुहम्मद (स) के विश्वास (अक़ीदा), नैतिकता (अख़्लाक़) और कार्यों की निकटता के संदर्भ में सलमान फ़ारसी की स्थिति का वर्णन करने में माना है।
वर्ष 1992 ईस्वी (1413 हिजरी) में, मुहम्मद अली अस्बर ने सलमान फ़ारसी के जीवन और उनकी परिस्थितियों और हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" के बारे में बेरूत में "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" नामक एक पुस्तक प्रकाशित की।
परिचय एवं स्थिति
"سَلمانُ مِنّا اَهلَالبیت सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत; सलमान हम अहल अल-बैत में से एक हैं" एक हदीस है, जो शिया विद्वानों के अनुसार, पहली बार इस्लाम के पैग़म्बर (स) द्वारा वर्णित हुई थी।[१] हदीस स्रोतों के आधार पर, कुछ शिया इमामों ने इस हदीस को सीधे तौर पर या पैग़म्बर (स) द्वारा उद्धृत किया है।[२] उदाहरण के लिए, इमाम अली (अ) ने सलमान के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सलमान अहल अल-बैत (अ) में से हैं।[३] किताब काफ़ी में कुलैनी (मृत्यु 329 हिजरी) ने इमाम सज्जाद (अ) की इस हदीस को कुछ अंतर के साथ वर्णित किया है जिसमें इमाम (अ) ने सलमान को अहले बैत (अ) में से माना है।[४] इसके अलावा फ़त्ताल नैशापूरी की किताब रौज़ा अल वाएज़ीन में एक हदीस वर्णित हुई है जिसके अनुसार इमाम बाक़िर (अ) के पास सलमान फ़ारसी के बारे में बात हुई तो इमाम (अ) ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा और कहा कि वे उन्हें सलमान मुहम्मदी कह कर बुलाएं; क्योंकि वह हम अहले बैत में से हैं।[५] रेजाल कश्शी में भी इमाम सादिक़ (अ) से सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत के बारे में एक रिवायत वर्णित हुई है।[६]
हदीस जारी होने का कारण
उस घटना के हाने के संबंध में जिसके कारण यह हदीस जारी हुई, स्रोतों में मतभेद हैं।[७] शिया टिप्पणीकार तबरसी और सुन्नी जीवनी लेखक इब्ने साद ने उल्लेख किया है कि पैग़म्बर (स) ने मुसलमानों के लिए अहज़ाब के युद्ध में खाई (खंदक़) खोदने के लिए एक सीमा निर्दिष्ट की थी। मुहाजिर और अंसार में सलमान को लेकर मतभेद होने लगा, क्योंकि सलमान एक बलवान व्यक्ति थे, इसलिए उनमें से प्रत्येक समूह सलमान को अपने साथ शामिल करना चाहता था, और इस्लाम के पैग़म्बर (स) ने उन्हें "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" वाक्य के साथ, सलमान को अहल अल-बैत (अ) में से एक कहा।[८]
इस बारे में शेख़ मुफ़ीद लिखते हैं कि जब हज़रत मुहम्मद (स) ने उमर बिन ख़त्ताब से सलमान के ग़ैर अरब होने के बारे में सुना तो पैग़म्बर (स) मिम्बर पर गए और एक उपदेश (ख़ुत्बा) देते हुए वर्णन किया कि इंसानों में त्वचा के रंग, नस्ल और जनजाति के कारण एक दूसरे पर कोई श्रेष्ठता नहीं है बल्कि तक़्वा और परहेज़गारी (धर्मपरायणता) के कारण एक दूसरे पर श्रेष्ठता है, उन्होंने सलमान को कभी न ख़त्म होने वाला समुद्र और कभी न ख़त्म होने वाला ख़ज़ाना कहा और उन्हें अहल अल-बैत (अ) में से एक माना।[९] किताब सुलैम बिन क़ैस में भी एक हदीस वर्णित हुई है जिसमें इस्लाम के पैग़म्बर (स) ने अहले बैत (अ) के अलावा सभी को सभा से बाहर जाने का आदेश दिया, सलमान भी बाहर जाने लगे तो पैग़म्बर (स) ने उन्हें रुकने के लिए कहा; क्योंकि वह अहले बैत में से हैं।[१०]
हदीस की वैधता और उसके स्रोत
हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" प्रसिद्ध, विश्वसनीय[११] और मुतवातिर हदीसों में से एक है।[१२] कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रामाणिक और मज़बूत हदीस को एक हदीस के रूप में नहीं, बल्कि इस्लाम के पैग़म्बर (स) और आइम्मा (अ) की कई हदीसों[१३] का एक सामान्य हिस्सा माना है।[१४]
उयून अख़्बार अल रज़ा में शेख़ सदूक़,[१५] अल तिब्यान और मिस्बाह उल मुतहज्जद में शेख़ तूसी,[१६] अल इख़्तेसास में शेख़ मुफ़ीद,[१७] मनाक़िब आले अबी तालिब में इब्ने शहर आशोब,[१८] अल एहतेजाज में अहमद बिन अली तबरसी,[१९] और इसी तरह सुलैम बिन क़ैस[२०] कुछ शिया विद्वान हैं जिन्होंने इस हदीस को वर्णित किया है। तब्क़ात उल कुबरा[२१] में इब्ने साद और अल सीरत अल नब्विया[२२] में इब्ने हिशाम भी कुछ सुन्नी विद्वान हैं जिन्होंने इस हदीस को वर्णित किया है।
हदीस की विभिन्न व्याख्याएँ
मुस्लिम विद्वानों की हदीस سَلمانُ مِنّا اَهلَالبیت "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" के बारे में अलग-अलग व्याख्याएँ हैं:
फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी और शेख़ तूसी ने कहा कि ईश्वर के पैग़म्बर (स) का अर्थ यह है कि सलमान हमारे धर्म पर हैं।[२३] अन्य लोगों ने लिखा है कि हदीस सलमान की स्थिति को व्यक्त करती है, जो विश्वास (अक़ीदा), नैतिकता (अख़्लाक़) और कार्य (आमाल) में पैग़म्बर मुहम्मद (स) के क़रीब थे।[२४]
मुस्लिम आरिफ़ों (रहस्यवादियों) में से एक, इब्ने अरबी ने इस वाक्य को सलमान की पवित्रता (तहारत), दैवीय सुरक्षा (हिफ़्ज़े एलाही) और अचूकता (इस्मत) की पद (स्थिति) के बारे में पैग़म्बर की गवाही माना है; इस कारण से कि आय ए तहतीर में, ईश्वर ने पैग़म्बर और अहल अल-बैत को रिज्स (गंदगी) से शुद्ध (पाक) कर दिया है क्योंकि वे उसके शुद्ध सेवक (बंदा ए महज़) थे, और जो कोई भी उनके जैसा है वह भी पैग़म्बर और अहल अल बैत में शामिल हो जाता है। इस तरह, इस आयत में सलमान भी शामिल हैं;[२५] हालाँकि, मुल्ला मोहसिन फ़ैज़ काशानी ने इब्ने अरबी की इस बात को और सलमान और अहल-अल-बैत (अ) के अलावा अन्य लोगों को आय ए ततहीर के प्रसारण को खारिज कर दिया है और इसका उल्लेख करना भी जायज़ नहीं माना है।[२६]
कुछ शोधकर्ताओं ने अहल अल-बैत (अ) की वास्तविक मारेफ़त (ज्ञान) को[२७] और सलमान के पास मौजूद कुछ अन्य विशेष गुणों और विशेषताओं को सलमान के इस स्थिति तक पहुंचने के रहस्य के रूप में माना है।[२८] जिस कारण पैग़म्बर (स) और आइम्मा (अ) ने सलमान को अहले बैत में से कहा है।
मोनोग्राफ़ी
वर्ष 1992 ईस्वी (1413 हिजरी) में, मुहम्मद अली अस्बर ने अरबी में "सलमानो मिन्ना अहल अल-बेत" नामक एक किताब लिखी, जिसे बेरूत में दार उल इस्लामिया पब्लिशिंग हाउस द्वारा 354 पृष्ठों में प्रकाशित किया गया था। यह किताब सलमान फ़ारसी के जीवन, उनकी परिस्थितियों और हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बेत" के बारे में है।[२९]
फ़ुटनोट़
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 50।
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 50।
- ↑ तबरसी, अल एहतेजाज, 1403 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 260।
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1363 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 401।
- ↑ फ़त्ताल नैशापूरी, रौज़ा अल वाएज़ीन, 1375 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 283।
- ↑ कश्शी, रेजाल कश्शी, 1348 शम्सी, पृष्ठ 12, उद्धृत: हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 49।
- ↑ शेख़ सदूक़, उयून अख़्बार अल रज़ा (अ), जहान, खंड 2, पृष्ठ 64; शेख़ तूसी, मिस्बाह अल मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 817।
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 8, पृष्ठ 533; इब्ने साद, तब्क़ात उल कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 62।
- ↑ शेख़ मुफ़ीद, अल इख़्तेसास, 1413 हिजरी, पृष्ठ 341।
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 49।
- ↑ जोया, "अख़्बारे मशकूक दर मीरासे मासूर अख़्लाक़ी", पृष्ठ 102।
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 65; बसीरी और शफ़ीई, "बर्रसी तहलीली हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत", पृष्ठ 163 और 169।
- ↑ बसीरी और शफ़ीई, "बर्रसी तहलीली हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत", पृष्ठ 163 और 169।
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 50।
- ↑ शेख़ सदूक़, उयून अख़्बार अल रज़ा (अ), जहान, खंड 2, पृष्ठ 64।
- ↑ शेख़ तूसी, मिस्बाह अल मुतहज्जद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 817।
- ↑ शेख़ मुफ़ीद, अल इख़्तेसास, 1413 हिजरी, पृष्ठ 341।
- ↑ इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 85।
- ↑ तबरसी, अल एहतेजाज, 1403 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 260।
- ↑ सुलैम बिन क़ैस, 1405 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 965, उद्धृत: हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 49।
- ↑ इब्ने साद, तबक़ात उल कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 62।
- ↑ इब्ने हिशाम, अल सीरत अल नब्विया, दार उल मारेफ़त, खंड 1, पृष्ठ 70।
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1408 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 253; शेख़ तूसी, अल तिब्यान, दार उल एह्या अल तोरास अल अरबी, खंड 5, पृष्ठ 494।
- ↑ "हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" बा इन्हेसार "अहल अल-बैत" दर पंज तन आले अबा दर आय ए ततहीर चे गूने क़ाबिले जम अस्त?", साइट मोअस्सास ए तहक़ीक़ाती हज़रत वली अस्र (अ.ज); रसूली और अन्य, "अनुवाद", मजमा उल बयान में, खंड 26, पृष्ठ 174।
- ↑ इब्ने अरबी, अल फ़ुतूहात अल मक्किया, दार सादिर, खंड 1, पृष्ठ 195-196।
- ↑ फ़ैज़ काशानी, बशारत अल शिया, पृष्ठ 152, उद्धृत: हुसैनी तेहरानी, रूह मुजर्रद, 1425 हिजरी, पृष्ठ 446।
- ↑ "वह कौन सा रहस्य है जिसने सलमान को अहल अल-बेत का सदस्य बनाया?", खबर ऑनलाइन साइट; "डॉ. बाबाक अलीखानी ने कहा: फ़ुतूहात के आईने में सलमान", मोअस्सास ए पजोहिशी हिक्मत व फ़लसफ़ा ईरान की वेबसाइट।
- ↑ हुसैनी अमीन और मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना", पृष्ठ 52-53।
- ↑ देखें "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत", अमीर अल मोमिनीन अली (अ) विशेष पुस्तकालय वेबसाइट; अस्बर, सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत, 1413 हिजरी, पृष्ठ 4 देखें।
स्रोत
- इब्ने साद, मुहम्मद, तब्क़ात अल कुबरा, मुहम्मद अब्दुल क़ादिर अत्ता द्वारा शोध किया गया, बेरूत, दार उल कुतुब अल इल्मिया, 1410 हिजरी।
- इब्ने शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िब आले अबी तालिब, मुहम्मद हुसैन आश्तियानी और हाशिम रसूली द्वारा शोध और सुधार किया गया, क़ुम, अल्लामा, प्रथम संस्करण, 1379 हिजरी।
- इब्ने अरबी, मुहम्मद बिन अली, अल फ़ुतूहात अल मक्किया, बेरूत, दार सादिर, बिना तारीख़।
- इब्ने हिशाम, अब्दुल मलिक, अल सीरत अल नब्विया, इब्राहीम आबयारी और मुस्तफ़ा सक्क़ा और अब्दुल हफीज़ शिब्ली द्वारा शोध और सुधार किया गया, बेरूत, दार उल मारेफ़त, बिना तारीख।
- अस्बर, मुहम्मद अली, सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत, बेरूत, अल दार अल इस्लामिया, 1413 हिजरी।
- बसीरी, हमीद रज़ा और सय्यद रूहुल्लाह शफ़ीई, "बर्रसी तहलीली हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत", हदीस पजोही मैगज़ीन में, नंबर 7, स्प्रिंग एंड समर 1391 शम्सी।
- जोया, जहानबख्श, "अख़्बारे मशकूक दर मीरासे मासूर अख़्लाक़ी", मुतालेआत अख़्लाक कारबुर्दी फ़सलनामे में, नंबर 8, शहरिवर 1386 शम्सी में।
- "हदीस "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत" बा इन्हेसार "अहल अल-बैत" दर पंज तन आले अबा दर आय ए ततहीर चे गूने क़ाबिले जम अस्त?", मोअस्सास ए तहक़ीक़ाती हज़रत वली अस्र (अ.ज) की वेबसाइट, देखे जाने की तारीख़: 21 खुर्दाद 1403 शम्सी।
- हुसैनी अमीन और सय्यद मुर्तज़ा और सय्यद मोहसिन मूसवी, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना" हदीस और अंदीशेह त्रैमासिक, नंबर 26, फ़ॉल एंड विंटर 1397 शम्सी में।
- हुसैनी, सय्यद मुर्तज़ा, "बर्ररसी विजगीहा ए "मिन्ना" बूदने सलमान फ़ारसी बर असासे तहलीले रिवायत लैसा मिन्ना" हदीस और अंदिशेह पत्रिका में, फ़ॉल एंड विंटर संख्या 26, 1397 शम्सी।
- हुसैनी तेहरानी, सय्यद मुहम्मद हुसैन, रुह मुजर्रद, मशहद, इंतेशाराते अल्लामा तबातबाई, 8वां संस्करण, 1425 हिजरी।
- "डॉ. बाबाक अलीखानी शीर्षक: फ़ुतूहात के आईने में सलमान", मोअस्सास ए पजोहिशी हिक्मत व फ़लसफ़ा की वेबसाइट, प्रवेश की तिथि: 22 आज़र 1402 शम्सी, देखने की तिथि: 20 खुर्दाद 1403 शम्सी।
- रसूली, हाशिम और अन्य, "अनुवाद", तफ़सीर मजमा उल बयान में, फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी द्वारा लिखित, तेहरान, फ़राहानी, बिना तारीख़।
- "वह कौन सा रहस्य है जिसने सलमान को अहल अल-बैत का सदस्य बनाया?", खबर ऑनलाइन साइट, लेख प्रविष्टि तिथि: 14 इस्फंद, 1402 शम्सी, देखने की तिथि: 20 ख़ुर्दाद, 1403 शम्सी।
- "सलमानो मिन्ना अहल अल-बैत", अमीर अल मोमिनीन अली (अ) विशेष पुस्तकालय की वेबसाइट, देखे जाने की तारीख़: 22 ख़ुर्दाद, 1403 शम्सी।
- शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, उयून अख़्बार अल रज़ा (अ), मेहदी लाजवर्दी द्वारा संपादित, तेहरान, जहान, बिना तारीख़।
- शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिब्यान फ़ी तफ़सीर अल कुरआन, अहमद हबीब आमोली द्वारा संपादित, बेरूत, दार एह्या अल तोरास अल अरबी, बिना तारीख़।
- शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, मिस्बाह अल मुतहज्जद, अली असगर मुर्वारीदी और अबूज़र बीदार द्वारा सुधार किया गया, बेरूत, मोअस्सास ए फ़िक़्ह अल शिया, 1411 हिजरी।
- शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इख़्तेसास, अली अकबर गफ़्फ़ारी और महमूद मुहर्रमी ज़रंदी द्वारा शोध और सुधार किया गया, क़ुम, अल मोअतमर अल आलमी ले अल्फ़िया अल शेख़ अल मुफ़ीद, प्रथम संस्करण, 1413 हिजरी।
- तबरसी, अहमद बिन अली, अल एहतेजाज, मुहम्मद बाक़िर मूसवी खुरसान द्वारा संपादित, मशहद, अल-मुर्तज़ा पब्लिशिंग हाउस, 1403 हिजरी।
- तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा उल बयान, हाशिम रसूली और अन्य द्वारा अनुवादित और संशोधित, बेरूत, दार उल मारेफ़त, 1408 हिजरी।
- फ़त्ताल नैशापूरी, मुहम्मद बिन अहमद, रौज़ा अल वाएज़ीन व बसीरत अल मुत्तएज़ीन, क़ुम, राज़ी प्रकाशन, पहला संस्करण, 1375 शम्सी।
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याकूब, अल काफ़ी, अली अकबर गफ़्फ़ारी और मुहम्मद आखुंदी द्वारा संशोधित, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामिया, 1363 शम्सी।