9 ज़िल हिज्जा
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हिजरी कालक्रम |
9 ज़िल हिज्जा, पारंपरिक हिजरी चंद्र कैलेंडर में वर्ष का 334वां दिन है।
- अरफ़ा शियो के लिए साल के सबसे धन्य दिनों में से एक है।
- एक रिवायत के अनुसार हज़रत आदम की तौबा की स्वीकृति।
- इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइलो में से एक मस्जिद नबी मे द्वार बंद करने की घटना।
- 60 हिजरी, इब्न ज़ियाद के आदेश से कूफ़ा में मुस्लिम बिन अक़ील और हानी बिन उरवा की शहादत।
- 538 हिजरी, टिप्पणीकार, तफ़सीर अल कश्शाफ़ के लेखक जारल्लाह ज़मखशरी का निधन।
- 548 हिजरी, टिप्पणीकार, न्यायविद्, धर्मशास्त्री, गणितज्ञ और तफ़सीर मजमा अल-बयान के लेखक फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी का निधन।
- 689 हिजरी, न्यायविद, मुहद्दिस और न्यायशास्त्र के विषय पर अल-जामे लिश-शराए के लेखक यहया बिन सईद हिल्ली का निधन।
- 1246 हिजरी, न्यायविद् और शिया विद्वान सय्यद मुहम्मद बाक़िर कज़विनी का निधन।
- 1276 हिजरी, इराक में शिया मरजा ए तकलीद महदी खालसी का जन्म, जिन्होंने इराक में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की उपस्थिति के खिलाफ जिहाद का फ़तवा जारी किया था। (28 जून, 1860 ईस्वी)
- 1365 हिजरी, ईरान में संविधान के समर्थक और शिया मरजा ए तक़लीद सय्यद अबुल हसन इस्फ़हानी का निधन (4 नवम्बर, 1964 ईस्वी)
- 1427 हिजरी, इराक के शासक और अल-दुजैल नरसंहार के अपराधी सद्दाम हुसैन को फाँसी और शाबानिया इंतिफ़ाज़ा का दमन (30 दिसम्बर, 2006 ईस्वी)।
नवें दिन (रोज़े अरफ़ा) के आमाल
- रोज़ा, रोज़ा रखने की शर्त यह है कि रोजा रखने से इस दिन के आमाल अंजाम देने में कमजोरी न आए।
- ग़ुस्ल
- इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत
- अस्र की नमाज़ के बाद और अरफ़ा की दुआ पढ़ने से पहले, आसमान के नीचे दो रकअत नमाज़ पढ़ना। जिसकी पहली रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद सूर ए तौहीद पढ़ें और दूसरी रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद सूर ए काफ़ेरुन पढ़ें।
- अरफ़ा की दुआ पढ़ना
- इमाम सादिक़ (अ) की सलवात का पाठ करना जो " اللهم یا اجود من اعطی " "अल्लाहुम्मा, या अजवदा मन आता" वाक्यांश से शुरू होती है।
- उम्मे दाऊद की दुआ का पढ़ना, जिसका उल्लेख नीमा ए रजब के आमाल में किया गया है।
- इस तस्बीह का पाठ करना, जिसका सवाब गिना नहीं जा सकता: " سبحان الله قبل کل احد و سبحان الله بعد کل احد" "सुब्हानल्लाहे कब्ला कुल्ले अहद व सुब्हानल्लाहे बादा कुल्ले अहद"
- ज़ियारत जामेअ कबीरा का पढ़ना
दसवीं रात के आमाल
- रात भर जागना
- दुआ یا دائم الفضل علی البریة या दाएमल फ़ज़्ले अलल बरीया का पाठ करना