तक़रीरे मासूम

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तक़रीरे मासूम (अरबी: تقرير المعصوم) चौदह मासूम (अ) की उपस्थिति में कुछ कहना या कुछ करना और मासूम उसे देखकर या सुनकर चुप हो जाएं जो कि इस बात की निशानी है कि मासूम (अ) इससे असहमत नहीं है। तक़रीरे मासूम, मासूम के कथन और कार्य सुन्नत के अंतर्गत आते है। जो इस्लामी अहकाम के इसतिंबात (अहकाम प्राप्त करने) के चार स्रोतों में से एक है। शियों के अनुसार, तक़रीरे मासूम, तक़रीरे पैगंबर (स), तक़रीरे हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) और बारह इमामों को शामिल है।

उसूलियो के अनुसार, कुछ परिस्थितियों में मासूम की तक़रीर प्रामाणिक होती है, जिनमें मासूम की ओर से किए गए अमल की ओर ध्यान देना और उसके बारे में उनकी राय की संभावना है। क़िराअत की वैधता का कारण यह है कि इमाम पर बुराई से निपटना वाजिब है और इसे छोड़ना उनकी इस्मत के खिलाफ़ है।

परिभाषा

"तक़रीरे मासूम" का अर्थ है चौदह मासूम (अ) के सामने कुछ कहना या कुछ करना और मासूम उसे देखकर या सुनकर चुप रहे।[१] दानिशे उसूले फ़िक्ह (न्यायशास्त्र के सिद्धांतों के ज्ञान) में, शर्तों के साथ तक़रीरे मासूम (अ) के सामने व्यक्त किए गए भाषण या व्यवहार के सही होने की अनुमेयता को इंगित करता है।[२] इस तर्क के साथ कि मासूम (अ) की ज़िम्मेदारी है कि ग़लत करने वाले को रोको और यदि वह अज्ञानी है, तो उसे सही रास्ता दिखाए।[३]

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति मासूम (अ) की उपस्थिति में वुज़ू करता है, और मासूम (अ) उसे देखे और कुछ ना कहे, तो इसे तक़रीरे मासूम कहा जाता है, और इसे वुज़ू की वैधता का संकेत माना जाता है।[४] शब्दकोष मे तक़रीर का अर्थ स्वीकार करना, अनुमोदन करना और हस्ताक्षर करना है।[५]

स्थान

तक़रीरे मासूम इल्मे उसूल (न्यायशास्त्र के सिद्धांतों) के विषयों में से एक है[६] और मासूम (अ) का कथन और व्यवहार सुन्नत के अंतर्गत आता है।[७] सुन्नत, क़ुरआन, अक़्ल, इज्माअ के साथ इसतिंबात (अहकाम प्राप्त करने) के चार मुख्य स्रोतों में से एक है।[८]

तक़रीर शिया के लिए विशिष्ट नहीं है। सुन्नी भी इसे फ़िक्ही अहकाम हासिल करने के लिए इसका सहारा लेते है।[९] शिया पैगंबर (स), हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) और बारह इमामो की तक़रीर (अर्थात ख़ामोशी) को हुज्जत मानते है।[१०] लेकिन सुन्नी धर्म में, तक़रीरे पैगंबर (स) हुज्जत है।[११] कुछ सुन्नी विद्वानों के मत के अनुसार पहले और दूसरे खलीफाओं की तक़रीर, और दूसरों की राय के अनुसार, पैगंबर (स) के सभी साथियों (सहाबीयो) की तक़रीर हुज्जत है।[१२]

तक़रीरे मासूम की प्रामाणिकता के तर्क

मासूम (अ) के तक़रीर की प्रामाणिकता साबित करने के लिए कुछ तर्क बयान किए गए हैं: कुछ ने कहा है कि मासूमों (अ) की स्थिति से पता चलता है कि वे धार्मिक लक्ष्यों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए, उन्हें गैर-धार्मिक कार्यों या भाषण के सामने चुप नहीं रहना चाहिए।[१३]

एक समूह ने यह भी तर्क दिया है कि अच्छाई का हुक्म देना और बुराई से रोकना अनिवार्य है। चूंकि मासूम (अ) से कभी भी वाजिब काम नही छूटता, मासूम (अ) की उपस्थिति मे किया गया व्यवहार या भाषण और उस पर मासूम (अ) का चुप रहना, जिसके बारे में एक राय प्रस्तुत करना संभव है, इस बात को इंगित करता है कि वह कार्रवाई या भाषण जायज़ या सही था।[१४]

तक़रीर के प्रकार

कुछ उसुली लेखों में, तक़रीर - उस क्रिया के आधार पर जिसके सामने मौन प्रदर्शन किया जाता है - दो प्रकारो फ़ेली और गुफ़्तारी (या हुक़्मी) में विभाजित है[१५] और कुछ अन्य लेखो में इन दो प्रकारों में अक़ीदती तक़रीर को जोड़ा गया है;[१६] इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति खुदा, मआद (पुनरुत्थान) और इसी तरह के मुद्दों के बारे में विशेष अक़ीदा रखता है, और मासूमीन (अ) की उपस्थिति तक पहुँचता है, और मासूम इस अक़ीदे के सामने ख़ामोश रहे।[१७]

तक़रीर की प्रमाणिकता की शर्ते

उसूली लोग मासूम के सामने किए गए कार्य और भाषण के सामने चुप रहने को निम्नलिखत शर्तो के साथ हुज्जत मानते है।

  • मासूम (अ) के सामने जो काम किया जा रहा है या जो बात कही जा रही है उससे मासूम (अ) अवगत हो और ध्यान दें।[१८]
  • मासूम (अ) के लिए टिप्पणी करना संभव हो। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जिसने मासूम (अ) की उपस्थिति में कोई काम किया अथवा बात कही, उसने करने या कहने के तुरंत बाद चला ना गया हो।[१९]
  • मासूम (अ) को कमेंट करने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। जैसे इमाम अपने या अपने शियों के जीवन के डर से चुप रहने के लिए मजबूर ना हो।[२०]
  • चुप्पी के पहले, मासूम ने उस व्यवहार या भाषण की अस्वीकृति में एक शब्द भी नहीं कहा हो।[२१]

फ़ुटनोट

  1. मुज़फ़्फ़र, उसूल उल फ़िक्ह, इस्माईलीयान, भाग 3, पेज 66
  2. मुज़फ़्फ़र, उसूल उल फ़िक्ह, इस्माईलीयान, भाग 3, पेज 66
  3. शेरवानी, तहरीर उसूले फ़िक्ह, 1385 शम्सी, पेज 210-211; मुज़फ़्फ़र, उसूल उल फ़िक्ह, इस्माईलीयान, भाग 3, पेज 66
  4. अस्ग़री, उसूल उल फ़िक़्ह बा शरहे फ़ारसी, 1386 शम्सी, भाग 2, पेज 133
  5. अस्ग़री, उसूल उल फ़िक़्ह बा शरहे फ़ारसी, 1386 शम्सी, भाग 2, पेज 133
  6. बहरानी, शरह उल उसूल, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 15
  7. मुज़फ़्फ़र, उसूल उल फ़िक्ह, इस्माईलीयान, भाग 3, पेज 61
  8. मुहम्मदी, शरह उसूले फ़िक़्ह, 1387शम्सी, भाग 3, पेज 285; शहाबी, तक़रीराते उसूल, 1321 शम्सी, पेज 15
  9. अबू शहबा, अल-वसीत फ़ी उलूम वा मुस्तलेहुल हदीस, दार उल फ़िक्र अल-अरबी, भाग 1, पेज 204
  10. मोहक़्क़िक़ दामाद, मबाहेसी अज़ उसूले फ़िक़्ह, 1362 शम्सी, भाग 2, पेज 45
  11. अबू शहबा, अल-वसीत फ़ी उलूम वा मुस्तलेहुल हदीस, दार उल फ़िक्र अल-अरबी, भाग 1, पेज 204
  12. मूसवी बिजनवरदी, इल्मे उसूल, 1379 शम्सी, पेज 286-287
  13. मरकज़े इत्तेलात वा मदारिके इस्लामी, फ़रहंग नामा उसूले फ़िक़्ह, 1389 शम्सी, पेज 399; शहरकानी, अलमुफ़ीद, 1430 हिजरी, भाग 2, पेज 91-93
  14. मोहक़्क़िक़ दामाद, मबाहेसी अज़ उसूले फ़िक़्ह, 1362 शम्सी, भाग 2, पेज 48-50
  15. शेरवानी, तहरीर उसूले फ़िक्ह, 1385 शम्सी, पेज 211
  16. मुहम्मदी, शरह उसूले फ़िक़्ह, 1387शम्सी, भाग 3, पेज 111
  17. मुहम्मदी, शरह उसूले फ़िक़्ह, 1387शम्सी, भाग 3, पेज 111
  18. मुहम्मदी, शरह उसूले फ़िक़्ह, 1387शम्सी, भाग 3, पेज 111-112
  19. अस्ग़री, उसूल उल फ़िक़्ह बा शरहे फ़ारसी, 1386 शम्सी, भाग 2, पेज 133
  20. मुहम्मदी, शरह उसूले फ़िक़्ह, 1387शम्सी, भाग 3, पेज 112
  21. नराक़ी, अनूसुल मुज्तहेदीन, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 334; नराक़ी, तजरीदुल उसूल, 1384 शम्सी, पेज 71; अंसारी, ख़ुलासातुल क़वानीन, 1397 शम्सी, 134

स्रोत

  • अबू शहबा, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-वसीत फ़ी उलूम वा मुस्तलेहुल हदीस, क़ाहेरा, दार उल फ़िक्र अल-अरबी
  • असग़री, अब्दुल्लाह, उसूल उल फ़िक़्ह (बा शरहे फ़ारसी), दूसरा प्रकाशन, 1386 शम्सी
  • अंसारी, अहमद, ख़ुलासातुल क़वानीन, क़ुम, अल-मतबअतिल इल्मीया, दूसरा प्रकाशन, 1397 शम्सी
  • बहरानी, मुहम्मद संक़ूर अली, शरह उसूल मिनल हल्क़तिस सालेसा, क़ुम, नश्रे मोअल्लिफ, तीसरा प्रकाशन, 1428 हिजरी
  • शहाबी, महमूद, तक़रीराते उसूल, तेहरान, चापखाना हाज मुहम्मद अली इल्मी, सातवा प्रकाशन, 1321 शम्सी
  • शहरकानी, इब्राहीम इस्माईल, अल-मुफ़ीद फ़ी शरह उसूलिल फ़िक़्ह, क़ुम, नश्रे ज़विल क़ुर्बा, 1430 हिजरी
  • शेरवानी, अली, तहरीर उसूले फ़िक़्ह, क़ुम, दार उल इल्म, दूसरा प्रकाशन, 1385 शम्सी
  • मोहक़्क़िक़ दामाद, मुस्तफ़ा, मबाहेसी अज़ उसूले फ़िक़्ह, तेहरान, मरकज़े नश्रे उलूमे इस्लामी, 1362 शम्सी
  • मुहम्मदी, अली, शरह उसूले फ़िक़्ह, क़ुम, दार उल फ़िक्र, दसवा प्रकाशन, 1387 शम्सी
  • मरकज़े इत्तेलात वा मदारिके इस्लामी, फ़रहंग नामा उसूले फ़िक़्ह, क़ुम, पुज़ूहिशगाहे उलूम वा फ़रहंगे इस्लामी, 1389 शम्सी
  • मुज़फ़्फ़र, मुहम्मद रज़ा, उसूले फ़िक़्ह, क़ुम, इस्माईलीयान
  • मूसवी बिजनवरदी, मुहम्मद, इल्मे उसूल, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम वा नश्रे आसारे इमाम ख़ुमैनी, 1379 शम्सी
  • नराक़ी, मुहम्मद महदी बिन अबीज़र, अनीसुल मुज्तहेदीन, क़ुम, बूस्ताने किताब, 1388 शम्सी
  • नराक़ी, मुहम्मद महदी बिन अबीज़र, तजरीदुल उसूल, क़ुम, नश्रे सय्यद मुर्तज़ा, 1384 शम्सी