आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत

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आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत, (फ़ारसीः قَرائت حَفصْ از عاصِمْ) प्रसिद्ध सात पाठकों (क़ारीयो) में से एक, आसिम इब्न अबी अल-नजूद कूफ़ी के पाठ (क़राअत) से संबंधित एक प्रसिद्ध रिवायत है, जिसे आसिम के छात्र, हफ़्स इब्न सुलेमान असदी ने सुनाया था। अबू बक्र बिन अय्याश जैसे क़ारी ने भी आसिम की क़राअत सुनाया है; लेकिन हफ़्स की रिवायत ज़्यादा मशहूर है। हफ़्स की रिवायत अपनी निपुणता और वाक्पटुता (फ़साहत और बलाग़त) के कारण अधिक स्वीकार्य है और क्योंकि इसमें आसिम की क़राअत से सबसे कम अंतर है, और आज यह लगभग 95% इस्लामी देशों में प्रचलित क़राअत है।

क़राअत की पहचान रखने वाले आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत को पैग़म्बर (स) तक इसके प्रसारण की श्रृंखला अर्थात सनद को सही मानते हैं और कहते हैं कि आसिम ने एक मध्यस्थ के माध्यम से, यानी अबू अब्द अल-रहमान सुल्लमी के माध्यम से इमाम अली (अ) से अपनी क़राअत प्राप्त की। आसिम को भरोसेमंद और नेक इंसान माना जाता है और उनकी क़राअत सबसे शानदार क़राअत है। साथ ही, हफ़्स को अपने पाठ के संबंध में आसिम के सबसे जानकार छात्रों में से एक माना गया है, और उन्हें अपने क़राअत में विश्वसनीय और सटीक माना गया है। अबू अब्द अल-रहमान सुल्लमी को एक भरोसेमंद और "महान" व्यक्ति के रूप में भी पेश किया गया है।

हफ़्स की रिवायत के अनुसार आसिम की क़राअत कब इस्लामी देशों में प्रसिद्ध हुई इस बात पर मतभेद है: मुहम्मद हादी मारफ़त ने शुरू से ही इस पाठ (क़राअत) को एक सामान्य और स्वीकृत क़राअत माना। कुछ लोगों की यह भी राय है कि हफ़्स की रिवायत के अनुसार, आसिम की क़राअत का प्रसार और स्वीकृति, 10 वीं शताब्दी में उसमानी सरकार के प्रयासों से शुरू हुई।

महत्व और स्थान

आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत वह रिवायत है जिसे हफ़्स बिन सुलेमान असदी ने अपने गुरु आसिम बिन अबी अल-नजूद कूफ़ी से वर्णन किया है जो कि क़ुरआन के सात प्रसिद्ध पाठको (क़ारीयो) में से एक है।[१] इस क़राअत को मुतावातिर अर्थात सबसे अधिक बार सुना जाने वाला बताया गया है जिसे सभी मुसलमानों द्वारा स्वीकार करते है।[२] मुसिल विश्वविद्यालय में क़ुरआ के वाक्य-विन्यास और पाठ के शोधकर्ता और शिक्षक मुहम्मद इस्माइल मुहम्मद अल-मशहदानी के अनुसार, आज लगभग 95% इस्लामी देशों में हफ़्स द्वारा आसिम की क़राअत लोकप्रिय है, और 5% अन्य देशों में अन्य कारीयो की क़राअत आम हैं।[३]

बेशक, कई समूहों ने आसिम की क़राअत को मध्यस्थता के साथ या उसके बिना सुनाया है;[४] लेकिन हफ़्स की रिवायत और अबू बक्र बिन अय्याश की रिवायत अधिक प्रसिद्ध हैं।[५]

आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत की वैधता

क़राअत की पहचान रखने वाले आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत को पैग़म्बर (स) तक इसके प्रसारण की श्रृंखला अर्थात सनद को सही मानते हैं[६] क्योंकि आसिम ने इसे अबू अब्द अल-रहमान सुल्लमी से लिया था और उसने वास्तव में इसे इमाम अली (अ) से लिया है और इमाम अली (अ) ने पैग़म्बर (स) से लिया था। इसके अलावा, आसिम ने इस रिवायत को ज़र बिन हबीश से उन्होंने अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से, और अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद ने इसे पैगंबर (स) से प्राप्त किया।[७] जबकि इस क़राअत को आसिम के सबसे चतुर छात्र ने उनसे लिया हैं।[८]

क़ुरआन के विद्वान और शिया न्यायविद मुहम्मद हादी मारफ़त (मृत्यु 2005 ईस्वी) के अनुसार, आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत एकमात्र ऐसा पाठ (ऐसी क़राअत) है जिसके पास एक वैध दस्तावेज है और इसे मुस्लिम जनता के समर्थन से मजबूत किया गया है। शुरुआत से ही और कई सदियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोकप्रिय होती जा रही है। और यह आज भी मुसलमानों के बीच प्रचलित है।[९]

इब्न नदीम के अनुसार, आसिम ने अपनी क़राअत अबू अब्द अल-रहमान सुल्लमी और ज़र बिन हबीश से सीखा;[१०] लेकिन आसिम की क़रायत के अन्य कथावाचक अबू बक्र बिन अय्याश कहते हैं: "आसिम ने मुझे बताया कि अबू अब्दुर रहमान सुल्लमी को छोड़कर किसी ने मुझे क़ुरआन नहीं सिखाया और जब मैं उसके पास से वापस आता था तो मैं इसे ज़र बिन हबीश को पेश करता था।[११]

लेकिन सुल्लमी ने क़ुरआन को किस सहाबी से लिया इस बारे में मतभेद है।[१२] कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने इमाम अली (अ), उस्मान और अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से क़ुरआन सीखा।[१३] और कुथ दूसरे लोगो का मानना है कि उन्होंने क़ुरआन इमाम अली (अ) से सीखा और उस्मान को सुनाया।[१४] यह भी कहा जाता है कि उन्होंने क़ुरआन उस्मान से सीखा और इमाम अली (अ) को सुनाया।[१५] मुहम्मद हादी मारफ़त ने ज़हबी के हवाले से कहा है सुल्लमी ने अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से क़ुरआन सीखा और उसे इमाम अली (अ) को सुनाया।[१६] कुछ लोगों की राय यह भी है कि उन्होंने इमाम अली (अ) से कुरान सीखा और पूरा क़ुरआन इमाम अली (अ) को ही सुनाया।[१७]

आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत का प्रचलन

आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत के संबंध मे कहा जाता है कि उस्मानी सरकार ने चंद्र कैलेंडर की 10 वीं शताब्दी के आसपास आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत का चयन किया गया और इसके आधार पर क़ुरआन की छपाई और प्रकाशन ने इस क़राअत के प्रसार और इस्लामी समाजों के बीच इसके प्रचलन का कारण बना।[१८] क़राअत की पहचान रखने वाले अली मुहम्मद अल ज़ब्बाअ (मृत्यु 1380 हिजरी) ने लिखा है इस्लामी देशों में हफ़्स की रिवायत के अनुसार आसिम की क़राअत की लोकप्रियता और सार्वभौमिक स्वीकृति की शुरुआत बारहवीं चंद्र शताब्दी के मध्य से हुई थी।[१९]

कथावाचकों का परिचय

1441 हिजरी में सऊदी अरब में छपे कुरान के विवरण का पहला पृष्ठ, जिसमें कहा गया है कि इसे आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत से लिया गया है।
मुख्य लेख: हफ़्स बिन सुलेमान असदी, आसिम बिन अबी अल-नजूद कूफ़ी, और अबू अब्दुर रहमान सुल्लमी

अबू अब्दुर रहमान सुल्लमी: वह कूफ़ा के अनुयायियों में से एक थे और उन क़ारीयो मे से थे जिन्होंने पैग़म्बर (स) के कुछ साथियों से क़ुरआन की क़राअत सीखी थी।[२०] पुरुष विज्ञान के माहिर विद्वानो ने अबू अब्दुर रहमान सुल्लमी को भरोसेमंद और "महान" माना है।[२१] ज़र बिन हबीश: वह व्यक्ति है, जिसके संबंध मे इब्न नदीम का कहना है कि आसिम अपनी क़राअत उनको सनाया करते थे।[२२] वह कूफ़ा के अनुयायियों और तीसरी श्रेणी के क़ारीयो में से एक है।[२३] उसने अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से क़राअत करना सीखा (अर्थात क़राअत सीखी)[२४] और एक कथन के अनुसार उन्होंने इमाम अली (अ) और अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से सीखी।[२५] आसिम बिन बहदला अबी अल-नजूद: आसिम के नाम से जाने जाते हैं, वह सात क़ारीयो में से एक थे और कूफा के मूल निवासी थे।[२६] पुरूष विज्ञान की पहचान रखने वाले कई विद्वानों ने आसिम को भरोसेमंद और एक बा तक़वा व्यक्ति माना है।[२७] और उनकी क़राअत को सबसे फ़सीह क़राअत माना हैं[२८] कुछ लोगों से यह पता चला है कि वह क़राअत को याद करने में बहुत सावधान रहते थे।[२९] हफ़्स बिन सुलेमान: क़ूफा के निवासी और आसिम के पुत्र है। उन्होंने अपने पिता क़ुरआन की क़राअत सीखी, और कई बार उनका समर्थन प्राप्त किया और बग़दाद और मक्का सहित इस्लामी देशों में इसे प्रसारित किया।[३०] क़राअत के माहेरीन का कहना है कि हफ़्स आसिम के छात्रओ मे सबसे अधिक चतुर और ज्ञानी थे।[३१] बहुत से पुरूष विज्ञान की पहचान रखने वाले विद्वानों की रिपोर्टों के अनुसार, हफ्स क़राअत भरोसेमंद और क़राअत को कंठिस्त करने मे बहुत दक़ीक़ थे।[३२]

हफ़्स और आसिम की क़राअत मे अंतर

ऐसा कहा जाता है कि हफ़्स की क़राअत आसिम की क़राअत से केवल एक मामले में भिन्न है, और वह सूर ए रूम की आयत न 54 में "ज़अफ़" शब्द की क़राअत मे है, जिसे आसिम ने फ़तह (जबर) "ज़" के रूप में पढ़ा और हफ़्स ने ज़म्मा (पेश) के साथ पढ़ा है।[३३] जबकि हफ़्स की क़राअत और अबू बक्र इब्न अय्याश की क़राअत मे 500 से अधिक मामलो अंतर पाया जाता है जबकि अबू बक्र इब्नन अय्याश ने भी आसिम से ही क़राअत सीखी और उन्ही को सुनाया भी है।[३४] हफ़्स और अबू बक्र की क़राअत मे अंतर के कारण से संबंधित कहा जाता है कि आसिम ने ज़र बिन हबीश से सीखी और उन्होंने अब्दुल्लाह बिन मसऊद से सीखी और उन्होंने इब्न अय्याश से सीखी थी।[३५]

विशेषताएँ

हफ़्स की रिवायत के अनुसार आसिम की क़राअत की कुछ विशेषताएं और सिद्धांत इस प्रकार हैं:

  • आसिम ने दो सूरहों के बीच बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम, यानी सूर ए अनफ़ाल और सूर ए तौबा के बीच की दूरी को छोड़कर प्रत्येक सूरह के अंत और बाद वाले सूरह की शुरुआत मे तिलावत करते थे।[३६] ऐसे मामलों में उनकी क़राअत को वक्फ, वस्ल और सक्त (शब्दों के बीच थोड़ा रुकना) तीन रूपों में वर्णित किया गया है।[३७]
  • पूरे क़ुरआन में हफ़्स के वर्णन के अनुसार आसिम की क़राअत मे केवल चार स्थानों पर सक्त का वर्णित किया गया है, जोकि सूर ए कहफ़ की पहली आयत के अंतिम शब्द (عِوَجا ऐवजा) और दूसरी आयत के पहले शब्द (قَیماً क़यमन) के बीच, सूर ए यासीन की आयत न 52 मे "مَرقَدِنا मरकदेना" और "هذا हाज़ा" शब्द के बीच, सूर ए क़यामत की आयत न 27 में "مَنْ मन" और "رَاقٍ राक़िन" शब्द के बीच, और सूर ए मुतफ्फ़ेफ़ीन की आयत न 14 मे "بَلْ बल" "رَانَ राना" शब्द के बीच सक्त का वर्णन हुआ है।[३८]
  • आसिम की क़राअत मे इमाला का केवल एक ही मामला है (उच्चारण में आसानी के लिए फतह को कसरे की तरफ और अलिफ़ को या की ओर मोड़ा जाता है), और वह सूर ए हूद की आयत न 41 में "مَجْراها मजराहा" शब्द में "रा का इमाला" है जिसे कसरे के रूप में पढ़ा जाता है।[३९]
  • आसिम की क़राअत के अनुसार क़ुरआन मे मौजूद सभी हमजा "तहकीक" के साथ क़राअत किए गए है;[४०] "तहकीक हमजा" का अर्थ तजवीद विज्ञान मे हमज़ा को उसकी सभी विशेषताओ को ध्यान मे रखते हुए मख़रज (अक्षर के निकले का स्थान) से उच्चारण करना है।[४१] केवल दो शब्द " کُفُواً कोफ़ोवन" और " هُزُواً होज़ोवन" इस नियम से अलग हैं।[४२] सूर ए फ़ुस्सेलत की आयत न 44 में " ءأعجَمیٌ अआजमी" शब्द मे दो हमज़े एक साथ आए है और क़राअत मे आसानी के लिए दूसरा हमजा आसानी से पढ़ा जाता है; यानी धीरे से और हमज़ा और अलिफ के बीच की आवाज़ निकालनी होती है।[४३]
  • आसिम की क़राअत की शैली को आराम और निरंतर तथा अच्छी आवाज़ मे पढ़ना वर्णित किया गया है।[४४]

मोनोग्राफ़ी

आसिम द्वारा हफ़्स की क़राअत के बारे में लिखी गई कुछ रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  • अहमियते क़राअत आसिम बे रिवायत हफ़्स, अकरम खुदाई इस्फ़हानी द्वारा लिखितः यह पुस्तक ग्यारह अध्यायों में आसिम और उसकी क़राअत के परिचय, उन पाठकों (क़ारीयो) के परिचय देती है जिनसे आसिम ने रिवायत की है और हफ़्स और अबू बक्र बिन अय्याश जैसे रावीयो का परिचय देती है जिन्होने उनसे (आसिम) से रिवायत की है। इसके दसवें अध्याय में हफ़्स की रिवायत को अबू बक्र बिन अय्याश की रिवाय से तुलना की गई है।[४५] ग्यारहवां अध्याय आसिम और दूसरे क़ारीयो की क़राअत के बीच के अंतर को समर्पित है।[४६]
  • मुबाहेसुन फ़ी इल्म अल क़ेराआत माअ बयान उसूले रेवायते हफ़्स, मुहम्मद बिन अब्बास बाज़ द्वारा लिखित: इस पुस्तक के लेखक ने सबसे पहले आसिम और हफ़्स का परिचय दिया और आसिम की क़राअत को हाफ्स कि रिवायत का दस्तावेज़ बताया। फिर उन्होंने इसकी विशेषताओं और सिद्धांतों की जांच की।[४७]
  • अल क़य्यमतो अद दलालीयतो लेक़राअते आसिम बे रिवायते हफ़्स, मुहम्मद इस्माईल मुहम्मद अल-मशहदानी द्वारा लिखित: इस पुस्तक में, हफ़्स की रिवायत के अनुसार आसिम की क़राअत, क़ुरआन के कुछ शब्दों का रूप और संरचना, जिससे उनके अर्थ में परिवर्तन होता है का विश्लेषण और परिवर्तन के संदर्भ में जांच की गई है। शब्दों के अर्थ, क़ुरआन की आयतों के संदर्भ और कुछ अन्य साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, लेखक ने अन्य क़राअतो की तुलना में हफ्स के अनुसार आसिम की क़राअत में उल्लिखित बातों को प्राथमिकता दी है।[४८] यह पुस्तक एक प्रस्तावना, तीन अध्यायों और एक निष्कर्ष में व्यवस्थित है।[४९]

फ़ुटनोट

  1. ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, पेज 53; मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 195
  2. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 246; बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 81
  3. इस्माईल मुहम्मद अल मशहदानी, अल क़ीमत अल दलालीया ले क़राअते आसिम बे रिवायत हफ़्स, 1430 हिजरी, पेज 26
  4. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग नामा उलूम क़ुरआन, 1394 शम्सी, पेज 794
  5. शातेबी, मतन अल शातेबीया, 1431 हिजरी, पेज 3
  6. इब्न जज़्री, अल नशर फ़ी अल क़राआत, दार अल कुतुब अल इल्मीया, भाग 1, पेज 156; बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 85
  7. ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, पेज 54; मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 248; बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 85
  8. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 246; बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 84-85
  9. मारफ़त, उलूम क़ुरआनी, 1381 शम्सी, पेज 235
  10. इब्न नदीम, अल फ़हरिस्त, 1417 हिजरी, पेज 47
  11. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 246
  12. देखेः ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 27 इब्न शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 2, पेज 43 इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 413 मारफ़त, अल तमहीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 189
  13. ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 27
  14. ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 27
  15. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 413
  16. मारफ़त, अल तमहीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 189
  17. देखेः इब्न शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 2, पेज 43 ज़ब्बाअ, अल इज़ाना फ़ी बयान उसूल अल क़राआ, 1420 हिजरी, पेज 72 जमल, अल मुग़नी फ़ी इल्म अल तजवीद बे रेवायत हफ़्स अन आसिम, मकतब समीर मंसूर, पेज 46
  18. मुफ़लेह अल क़ुज़ात व दिगरान, मुकद्देमात फ़ी इल्म अल क़राआत, 1422 हिजरी, पेज 63 जमल, अल मुग़नी फ़ी इल्म अल तजवीद बे रेवायत हफ़्स अन आसिम, मकतब समीर मंसूर, पेज 32
  19. ज़ब्बाअ, अल इज़ाना फ़ी बयान उसूल अल क़राआ, 1420 हिजरी, पेज 72
  20. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 189
  21. देखेः ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 30 इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 414
  22. इब्न नदीम, अल फ़हरिस्त, 1417 हिजरी, पेज 47
  23. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 190
  24. इब्न मुजाहिद, अल सब्आ फ़ी अल क़राआत, 1400 हिजरी, पेज 70
  25. मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 190
  26. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 346 ख़ूई, मोअजम रेजाल अल हदीस, मोअस्सेसा अल इमाम अल ख़ूई अल इस्लामीया, भाग 10, पेज 195
  27. देखेः ज़हबी, मीज़ान अल ऐतेदाल, 1382 हिजरी, भाग 2, पेज 357-358 ज़हबी, सैर आलाम अल नबला, 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 153 इब्न जज़्री, अल नशर फ़ी अल क़राआत अल अश्र, दार अल कुतुब अल इल्मीया, भाग 1, पेज 155 अल दानी, जामेअ अल बयान फ़ी अल क़राआत अल सब्अ, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 196 ख़ानसारी, रौज़ात अल जन्नात, 1390 शम्सी, भाग 5, पेज 4
  28. देखेः ज़हबी, मारफ़त अल क़ुर्रा अल केबार अल अल तबक़ात व अल आसार, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 52 इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 347 इब्न जज़्री, अल नशर फ़ी अल क़राआत अल अश्र, दार अल कुतुब अल इल्मीया, भाग 1, पेज 155 अल दानी, जामेअ अल बयान फ़ी अल क़राआत अल सब्अ, 1428 हिजरी, भाग 1, पेज 195 196 ख़ानसारी, रौज़ात अल जन्नात, 1390 शम्सी, भाग 5, पेज 4
  29. देखेः मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 246 इब्न जज़्री, अल नशर फ़ी अल क़राआत अल अश्र, दार अल कुतुब अल इल्मीया, भाग 1, पेज 155
  30. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 254 मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 248
  31. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 254 इब्न जज़्री, अल नशर फ़ी अल क़राआत अल अश्र, दार अल कुतुब अल इल्मीया, भाग 1, पेज 156 मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 248
  32. देखेः मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 248 ज़हबी, मीज़ान अल ऐतेदाल, 1382 हिजरी, भाग 2, पेज 558 खतीब बग़दादी, तारीख बग़दाद 1417 हिजरी, भाग 9, पेज 64
  33. इब्न मुजाहिद, अल सब्आ फ़ी अल क़राआत, 1400 हिजरी, पेज 96
  34. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 254
  35. इब्न जज़्री, ग़ायत अल नेहाया फ़ी तबक़ात अल क़ुर्रा, 1351 हिजरी, भाग 1, पेज 254
  36. बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 86
  37. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग नामा उलूम क़ुरआनी, 1394 शम्सी, पेज 795
  38. बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 88
  39. बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 88
  40. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग नामा उलूम क़ुरआनी, 1394 शम्सी, पेज 795
  41. सतूदे नेया, दानिश तजवीद (सतह 2), 1396 शम्सी, पेज 149
  42. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग नामा उलूम क़ुरआनी, 1394 शम्सी, पेज 795
  43. ज़ब्बाअ, अल इज़ाअतो फ़ी बयान उसूल अल क़राआ, 1420 हिजरी, पेज 74 मरसफ़ी, हिदायतुल क़ारी ऐला तजवीद कलाम अल बारी, मकतब तय्यबा, भाग 2, पेज 579
  44. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़रहंग नामा उलूम क़ुरआनी, 1394 शम्सी, पेज 795
  45. ख़ुदाई इस्फ़हानी, अहमिय्यत क़राअत आसिम बे रिवायत हफ़्स, 1378 शम्सी, पेज 115
  46. ख़ुदाई इस्फ़हानी, अहमिय्यत क़राअत आसिम बे रिवायत हफ़्स, 1378 शम्सी, पेज 149
  47. बाज़, मबाहिस फ़ी इल्म अल क़राआत माअ बयान उसूल रिवायत हफ़्स, 1425 हिजरी, पेज 14-15
  48. इस्माईल मुहम्मद, अल क़ीमत अल दलालीया ले क़राअत आसिम बे रेवायत हफ़्स, 1430 हिजरी, पेज 19
  49. इस्माईल मुहम्मद, अल क़ीमत अल दलालीया ले क़राअत आसिम बे रेवायत हफ़्स, 1430 हिजरी, पेज 7-9

स्रोत

  • इब्न शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िब आले अबि तालिब, क़ुम, इंतेशारत अल्लामा, पहला संस्करण, 1379 हिजरी
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