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यमन में क़ुद्स दिवस मार्च
यमन में क़ुद्स दिवस मार्च

कुद्स दिवस या विश्व कुद्स दिवस रमज़ान के महीने का आखिरी शुक्रवार है, जिसे इमाम खुमैनी ने 1979 ई के रमज़ान में फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन करने के लिए एक आधिकारिक दिन घोषित करते हुए दुनिया के मुसलमानों को एक साथ जुड़ने का आदेश दिया। ज़ायोनी शासन और उसके समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए रमज़ान के आखिरी जुमे को कुद्स दिवस नाम देने का कई बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने समर्थन किया और आज ईरान के अलावा दुनिया के अलग-अलग कई देशों में कुद्स दिवस पर रैली और समारोह आयोजित किए जाते हैं, समाचार सूत्रों के अनुसार विश्व के विभिन्न महाद्वीपों मे यह संख्या 80 देशों तक पहुँचती है।

अंतर्राष्ट्रीय कैरिकेचर फेस्टिवल विश्व कुद्स दिवस 2014, 2018 और 2022 शम्सी में ईरान में आयोजित किया गया था।

कुद्स दिवस या विश्व कुद्स दिवस का नाम इमाम खुमैनी ने फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन करने के लिए एक आधिकारिक दिन घोषित किया था; इमाम ख़ुमैनी ने 13 रमज़ान 1399 हिजरी (7 अगस्त 1979) को ईरान और दुनिया के मुसलमानों को संबोधित एक संदेश में रमज़ान के महीने के आखिरी शुक्रवार को पवित्र दिन घोषित करते हुए दुनिया के मुसलमानों और इस्लामी सरकारों से इजरायल सरकार और उसके समर्थकों सीमित करने के लिए एक जुट होने का आहान किया। उल्लेखित संदेश अल-अक़्सा मस्जिद पर इजरायली सेना के हमले और दक्षिणी लेबनान की बमबारी के जवाब में जारी किया गया था।

1979 ई में तेहरान में पहले क़ुद्स दिवस मार्च के बाद, ईरान में फ़िलिस्तीनी राजदूत ने यासिर अरफ़ात का संदेश पढ़ा। इसके अलावा ईरान की अंतरिम सरकार के प्रधान मंत्री मेहदी बाज़रगान, सीरिया के विदेश मंत्री अब्दुल हलीम खुद्दाम और सैयद अली ख़ामेनई तथा मुहम्मद मुज्तहिद शाबिस्त्री ने भाषण दिए।[३] क़ुद्स दिवस समारोह से पहले 25 लेखकों और बुद्धिजीवियों जिनमें दारयूश आशूरी, दारयूश शायगान, सिमिन दानिश्वर, दारयूश मेहरजूई और अहमद शामलू ने एक बयान में सभी स्वतंत्रता और लोकतंत्र सेनानियों के साथ क़ुद्स दिवस मार्च में भाग लेने की घोषणा की।

विश्व क़ुद्स दिवस मे इस्लामिक गणराज्य ईरान के नेताओं, इमाम खुमैनी और सैय्यद अली ख़ामेनई, शिया मराज ए तक़लीद और लेबनान की हिज़बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरूल्लाह के भाषणों का एक विशेष स्थान है। इमाम खुमैनी ने क़ुद्स दिवस को न केवल फ़िलिस्तीन का दिन माना, बल्कि इस्लाम का दिन और इस्लामी शासन का दिन भी माना और इसे सामान्य इस्लामी लामबंदी और दुनिया में उत्पीड़ितों की पार्टी के गठन की प्रस्तावना के रूप में पेश किया।

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