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मस्जिद ए अक़्सा और मस्जिद ए सख़्रा
मस्जिद ए अक़्सा और मस्जिद ए सख़्रा

अल-अक़्सा मस्जिद बैतुल मुकद्दस में मुस्लमानो की पवित्र मस्जिदों में से एक है जोकि मुस्लमानोंं का पहला क़िबला था। कुछ रिवायतो के आधार पर रसूले अकरम (स) इसी स्थान से मेराज पर गए थे। क़ुरआन शरीफ़ के सूर ए इस्रा मे मेराज का उल्लेख करते हुए अल-अक़्सा मस्जिद का ज़िक्र किया है। इस मस्जिद का मुस्लमान, यहूदी और ईसाई सम्मान करते है, इस्लामी हदीसों में मस्जिद अल-हराम (काबा) और मस्जिद अल-नबी के साथ-साथ इसकी भी बाफ़ज़ीलत मस्जिदों में गणना की जाती है और इस मस्जिद में नमाज़ अदा करना दूसरी मस्जिदो हज़ार नमाज़ अदा करने के समान है।

यहूदियो का मानना है कि मअबद ए सुलैमान के अवशेष अल-अक़्सा मस्जिद के नीचे स्थित है। कुछ ईसाईयो के अनुसार अल-अक़्सा मस्जिद का विनाश और उसके स्थान पर तीसरे मअबद ए सुलैमान का निर्माण हज़रत ईसा (अ) के ज़ुहूर की शर्तो मे से एक है। इसी कारण कुछ यहूदी अल-अक़्सा मस्जिद को ध्वस्त करने और उसके स्थान पर मअबद ए सुलैमान को पुनर्जीवित करने का प्रयत्न कर रहे है। इसीलिए यहूदी मुस्लमानो को इस मस्जिद में आने से रोकते है। 1969 मे एक यहूदी ने अल-अक़्सा मस्जिद मे आग लगा दी, इसी बात को ध्यान मे रखते हुए 22 अगस्त को इस्लामी देश ईरान के कैलेंडर में अंतर्राष्ट्रीय मस्जिद दिवस का नाम दिया गया।

आज-कल जिस भवन को अल-अक़्सा मस्जिद कहा जाता है, पहली शताब्दी हिजरी को अब्दुल मलिक बिन मरवान के शासन काल मे निर्माण हुआ और विभिन्न अवधियो मे इसका नवीनीकरण किया गया है।

अरभी भाषा मे अल-अक़्सा का अर्थ है सबसे अधिक दूर, इस आधार पर अल-अक्सा मस्जिद का अर्थ होता है सबसे दूर वाली मस्जिद, फ़िलिस्तीन के शहर बैतुल मुकद्दस मे इस मस्जिद की ओर इशारा है जोकि शहर के दक्षिण पूर्व मे अल-सख़्रा मस्जिद से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस मस्जिद के नामकरण से संबंधित कहा गया है कि उस समय मक्का और मस्जिदुल हराम जोकि इस्लाम के पैगंबर (स) और मुस्लमानो का निवास स्थान समझा जाता था उससे दूरी को ध्यान मे रखा गया है।

कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार, अल-अक़्सा मस्जिद जिसका उल्लेख क़ुरआन मे किया गया है एक बड़ा क्षेत्र है जिसमे अल-सख़्रा मस्जिद (पैगंबर (स) के मेराज पर जाने का स्थान) और उसके दूसरे भाग भी सम्मिलित है। इसलिए शिया मुफ़स्सिरो ने सूर ए इस्रा की पहली आयत मे उल्लेखित अल-अक़्सा मस्जिद बैतुल मुकद्दस को बताया है। जिसे हज़रत दाऊद (अ) और हज़रत सुलैमान (अ) ने बनाया था। कुछ रिवायतो मे भी अल-अक़्सा मस्जिद का बैतुल मुकद्दस मस्जिद के नाम से उल्लेख हुआ है।

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