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मोहम्मद अल-मुशरफ़वी द्वारा सलोनी हदीस का सुलेख
मोहम्मद अल-मुशरफ़वी द्वारा सलोनी हदीस का सुलेख

सलूनी क़बला अन तफ़क़ेदूनी (मुझ से पूछ लो इससे पहले कि मैं तुम्हारे बीच न रहूं) यह इमाम अली अलैहिस सलाम का एक वाक्यांश है जो उनके ज्ञान की सीमा को दर्शाता है। शिया और सुन्नी सूत्रों के अनुसार, इमाम अली (अ) ने इस वाक्य को कई बार अपनी ज़बान पर जारी किया है। उनमें से एक उस उपदेश में था जो साद बिन अबी वक्कास की प्रतिक्रिया के साथ मिला था और उसने अली (अ) से पूछा कि उसके सिर और दाढ़ी पर बालों की संख्या क्या हैं। इमाम ने उसके उत्तर में कहा कि तुम्हारे सर में बाल नही है, सिवाय इसके कि शैतान उसकी जड़ों में रहता है। इसी तरह से इमाम उसके बेटे उमर इब्ने साद द्वारा इमाम हुसैन अलैहिस सलाम की शहादत की भी सूचना दी।

सलूनी को इमाम अली (अ) के विशिष्ट गुणों में गिना जाता है और इसे पैगंबर (स) के अन्य साथियों पर उनकी श्रेष्ठता के प्रमाण के रूप में जाना जाता है।

«سَلُونِی قَبْلَ أَنْ تَفْقِدُونِی» (मुझ से पूछ लो इससे पहले कि मैं तुम्हारे बीच न रहूं) यह इमाम अली (अ) का कथन है। यनाबी अल-मवद्दत में वर्णित एक हदीस के अनुसार, अली इब्ने अबी तालिब ने इस वाक्य को कई बार अपनी ज़बान पर जारी किया है। एक बार उस समय जब लोगों ने आपके हाथों पर बैअत की और ख़लीफ़ा बनने के बाद जब आपने कूफा के लोगों को संबोधित करते हुए उपदेश दिया। और एक बार सिफ़्फ़ीन और नहरवान की जंग के दरमियान के फ़ासले में अपने साथियों के एक समूह के सामने यह वाक्य कहा।

इमाम (अ) का यह कथन कई तरह से उल्लेख हुआ है जैसे सलूनी क़बला अन तफ़क़ेदूनी, सलूनी अम्मा शेअतुम (मुझ से पूछ लो जिस भी चीज़ के बारे में चाहो), सलूनी क़बला अन ला तसअलूनी (मुझ से पूछ लो इससे पहले कि न पूछ सको), सलूनी (मुझ से पूछ लो)

नहजुल बलाग़ा की कुछ शरहों में, यह कहा गया है कि "सलूनी क़बला अन तफ़क़ेदूनी" वाक्यांश इस बात की दलील है कि इमाम अली (अ) हर चीज के विद्वान थे।

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