29 जमादी अल सानी
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हिजरी कालक्रम |
29 जमादी अल सानी, पारंपारिक हिजरी चंद्र कैलेंडर मे वर्ष का 177 वां दिन है।
- 200 हिजरी, मर्व मे इमाम रज़ा (अ) का आगमन
- 252 हिजरी, सय्यद मुहम्मद के नाम से प्रसिद्ध इमाम हादी (अ) के पुत्र मुहम्मद बिन अली अल-हादी (अ) का निधन
- 363 हिजरी, इस्माइलिया न्यायविद और फ़ातिमी प्रणाली के न्यायधीश क़ाज़ी नोमान मग़रिबी का निधन
- 1384 हिजरी, इमाम ख़ुमैनी का ईरान से तुर्की निर्वासन (4 नवम्बर, 1964 ईस्वी)
- 1391 हिजरी, विद्वान और उपदेशक तथा पाकिस्तान के शियो के पहले नेता सय्यद मुहम्मद देहलवी का निधन (20 अगस्त, 1971 ईस्वी)
- 1443 हिजरी, शिया न्यायविद लुत्फ़ुल्लाह साफ़ी गुलपाएगानी का निधन (1 फ़रवरी, 2022 ईस्वी)
रजब की पहली रात के आमाल
- रजब के महीना का चाँद देखे तो कहेः "اللَّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَیْنَا بِالْأَمْنِ وَ الْإِیمَانِ وَ السَّلامَةِ وَ الْإِسْلامِ رَبِّى وَ رَبُّكَ اللهُ عَزَّ وَ جَلَّ." अल्लाहुम्मा आहिल्लहू अलैना बिल अमने वल ईमाने वस सलामते वल इस्लामे रब्बी वा रब्बोकल्लाहो अज़्ज़ा वा जल्ला
- ग़ुस्ल करना
- इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत
- मग़रिब की नमाज़ के बाद, दो रक्अती दस नमाज़ो का पढ़ना
- इशा की नमाज़ के बाद दो रक्अत नमाज़ इस तरह पढ़ी जाएः पहली रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद एक बार सूर ए अलम नश्रह और तीन बार सूर ए तौहीद, दूसरी रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद सूर ए अलम नश्रह, सूर ए तौहीद और मऊज़तैन (सूर ए नास और सूर ए फ़लक) एक एक बार और सलाम के बाद तीस बार لا إِلَهَ إِلا اللهُ ला इलाहा इल लल्लाह और तीस बार सलवात पढ़े।